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फौजिया खान कहीं मानव बम तो नहीं?

ट्रेन में पकड़ी गई पाकिस्तानी महिला से पूछताछ

जांच एजेंसियों के सामने भ्रमित करने वाले बयान

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Saturday 1 August 2015 07:47:28 AM

pakistani women fauzia khan caught in train

जालंधर। अमृतसर के अटारी रेलवे स्टेशन पर गुरुवार की रात बुर्काधारी पाकिस्तानी महिला भारतीय सुरक्षा एजेंसियों को धता बताते हुए पासपोर्ट और वीजा के बिना भारत में दाखिल हो गई और फिर उच्चसुरक्षा प्राप्त समझौता एक्सप्रेस रेलगाड़ी में भी सवार हो गई। रेलगाड़ी में टीटी ने टिकट मांगा तो उसके पास कुछ नहीं था। टीटी ने तुरंत पुलिस से संपर्क साधा और उसे अटारी से करीब सौ किलोमीटर दूर जालंधर रेलवे स्टेशन पर उतार लिया गया। रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स के एस्कॉर्ट और जीआरपी को प्रारंभिक पूछताछ में अटपटे जवाब दे रही इस महिला को गिरफ्तार कर शाम को अमृतसर की अदालत में पेश किया गया, जहां से उसे गहन पूछताछ के लिए दो दिन की पुलिस हिरासत में भेजा गया है।
फर्राटेदार लहजे में पंजाबी, हिंदी और उर्दू बोलते हुए अपना नाम चंदा खान उर्फ फौजिया और पता कराची-पाकिस्तान बताने वाली यह रहस्यमयी महिला अपने पति का नाम सलमान बताती है और कह रही है कि वह अपने मामू के साथ थी, मामू पता नहीं कहां चला गया, उसे ढूंढ रही हूं। वह फिल्म एक्टर शाहरुख खान और सलमान खान से मिलना चाहती है। उसने उनकी कितनी फिल्में देखी हैं, इसपर वह तैश में कहती है कि मुझे फिल्में देखने का शौक भी नहीं है, उसे सलमान खान के पास ले चलो या पाकिस्तान पहुंचा दो या गोली मार दो। पुलिस को अपनी सत्ताईस साल की उम्र बताने वाली यह महिला अपना नाम बताते हुए खुद ही यह भी कहती ‌है कि फौजिया उसका प्यार का नाम है। वह समझौता एक्सप्रेस में कोच नंबर एस-2 में सवार थी। उसे रात करीब 10 बजे जीआरपी ने इस गाड़ी से उतारा और उसके नाम-पता पूछताछ में जो जानकारी मिली है, सुरक्षा एजेंसियां उसकी सारी सच्चाई पता करने में जुटी हैं। गुरदासपुर जिले में दीनानगर और यहां के थाने पर इसी हफ्ते हुए बर्बर आतंकवादी हमले के खूनी तांडव के बाद इस महिला का पाकिस्तान से भारत में अवैध प्रवेश किसी भी बड़ी वारदात की योजना का हिस्सा हो सकता है, इस संभावना से कोई भी पूछताछ एजेंसी इनकार नहीं कर रही है।
जीआरपी अधिकारियों के अनुसार इस महिला ने अपना बयान कई बार बदला है, पहले उसने कहा कि वह अजमेर शरीफ दरगाह जा रही है, फिर उसने कहा कि वह दिल्ली में दरगाह में मत्था टेकने आई है, फिर उसने कहा कि वह शाहरुख खान और सलमान खान को मिलने जा रही थी, फिर उसने कहा कि मेरे मामू वहां काम करते हैं, फिर बोली कि मुझे पाकिस्तान पहुंचा दो या गोली मार दो। इस पाकिस्तानी महिला के इस कथन कि मुझे गोली मार दो का मनोविज्ञान कहता है कि वह कोई सामान्य महिला नहीं है, जो मरने को भी तैयार हो तो वह भारत में पंद्रह अगस्त पर भारत में पाकिस्तानी आतंकवादियों के मसूबों के लिए मानव बम भी तो हो सकती है? नहीं तो इसके भ्रम से भरे बयानों का और क्या मतलब निकाला जाए? मनोविज्ञानियों का कहना है कि अगर वह सनकी महिला भी है तब भी वह किसी बम के ही बराबर है, क्योंकि उसका कोई भी किसी भी उद्देश्य के लिए इस्तेमाल कर सकता है, इसीलिए यह गंभीर जांच का विषय है कि उसे यहां तक कौन लेकर आया और उसे अकेला छोड़कर कहां चला गया? वह जिसे मामू बताती है तो उसके पकड़े जाने पर ही पूरा भेद खुलेगा, फिर उसका पुत्र भी था, तो वह कहां चला गया?
सुरक्षा एजेंसियों को इस महिला में बड़ा घपला लगता है। महिला का आचरण या तो बिल्कुल ही सनक से भरा है या वह कोई बड़ी नाटकबाज़ी कर रही है। बुद्धि से विरक्त या परिवार में उपेक्षित ऐसी महिला या व्यक्ति को आमतौर पर आत्मघाती कार्रवाईयों के लिए ज्यादा उपयुक्त माना गया है, मुंबई में ताज होटल पर हमले में पकड़े गए कसाब की पृष्ठभूमि भी ऐसे ही उपेक्षित परिवार की थी, जिसमें उसकी कोई भी परवाह नहीं थी। ऐसे ही लोग थोड़े ही समझाने मात्र से वह सब कर जाते हैं, जिसके परिणाम उनको मालूम नहीं होते। अपराध विशेषज्ञों का कहना है कि यह महिला शाहरुख खान और सलमान खान से मिलाने का लालच देकर लाई गई होगी और फिर उसका मुंबई या भारत में किसी भी स्‍थान के लिए मानव बम बनाने या उससे कुछ भी कराने की योजना रही होगी, जो कदाचित एक टीटी की जागरूकता से विफल हो गई है। चंदा खान उर्फ फौजिया जिस चपल भाषा में बयान बदल रही है और हर बयान के बाद कहती है कि 'मुझे गोली मार दो', इससे लगता है कि उसे गोली का परिणाम मालूम है और ऐसा कहकर वह अपने को छिपा रही है। उसका डॉक्टरी परीक्षण भी कराया गया है। उसकी मानसिक स्थिति क्या है, अभी यह बात सामने नहीं आई है।
चंदा खान उर्फ फौजिया यदि मानसिक रूप से सनकी है और सनक में रेलगाड़ी में बैठ गई थी, यदि वह भारत में मुंबई में या भारत के किसी भी शहर में दाखिल हो गई होती तो उसके 'शुभचिंतक' उसका किसी भी प्रकार से इस्तेमाल कर सकते थे। पूछताछ एजेंसियों के सामने यदि यह सिद्ध होता है कि वह केवल एक सनकी महिला है तो तब भी तो उसका भारत में इस प्रकार दाखिल होना एक बड़ी चूक और एक गंभीर मामला है और सुईं फिर वहीं आकर अटकती है कि यह कोई आत्मघाती ‌महिला भी हो सकती है, उसको आत्मघाती बम के लिए इस्तेमाल होना था, या उसका कुछ और होना था, उसको नहीं मालूम रहा होगा और यदि किसी की ऐसी योजना नहीं भी थी तो इस प्रकार के स्‍त्री या पुरुष के साथ आतंकवादी संगठन कोई भी और कैसी भी योजना बना सकते हैं, जो आत्मघाती हमले के रूप में सहज हो सकती है। बहरहाल, जांच एजेंसियां मामले की पड़ताल कर रही हैं और इस मामले में किसी सही निष्कर्ष के लिए प्रतीक्षा करनी होगी। जीआरपी जालंधर के थाना प्रभारी बलदेव सिंह रंधावा का कहना काबिल-ए-गौर है कि उसका बार-बार बयान बदलना हल्के में नहीं लिया जा सकता, पाकिस्तानी आतंकवादी नई से नई साजिश रचने में माहिर हैं।
थाना प्रभारी बलदेव सिंह रंधावा ने बताया कि महिला के पास से एक बैग मिला है, जिसमें कुछ दवाएं और 771 पाकिस्तानी रुपए मिले हैं, जिससे और भी शक गहरा होता है कि जब पाकिस्तानी मुद्रा भारत में नहीं चलती है तो चंदा खान उर्फ फौजिया भारत में अपना खर्च कैसे और कहां से उठाती? इसलिए जो भी व्यक्ति उसके साथ था, जिसे वह मामू कह रही है, वह कोई शातिर किस्म का व्यक्ति है, जो किसी वारदात को अंजाम देने के लिए इस महिला को भारत ला रहा था और एक टीटी के पकड़ में आने के डर से इस महिला को अकेला छोड़कर भाग खड़ा हुआ। अटारी जीआरपी के थाना प्रभारी सतपाल का भी कहना है कि यह पाकिस्तानी महिला कोई भी संतोषप्रद जवाब नहीं दे रही है और भ्रम पैदा कर रही है। वह कहती है कि उसका पासपोर्ट उसके मामू राशिद खान के पास है, जो रेलगाड़ी में उसके बेटे के साथ था पर उसके मामू का अब कोई पता नहीं है, मामू भाग निकला तो क्या बेटा भी भाग निकला? क्यों? उसके पास पासपोर्ट और वीजा था तो उसे नहीं याद कि वह कहां रख बैठी? पाकिस्तानी महिला के खिलाफ आइपीसी की धारा 3, 34, 20 और विदेशी अधिनियम की धारा 14 के तहत मामला दर्ज करके जांच शुरू कर दी गई है।

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