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'लोकसेवक ईमानदारी और सत्यनिष्ठा को प्राथमिकता दें'

हैदराबाद में लोकसेवा आयोगों के अध्यक्षों के राष्ट्रीय सम्मेलन में बोलीं राष्ट्रपति

'पिछडों और कमजोर वर्गों के लिए कार्य करने की प्रवृत्ति प्रबल होनी चाहिए'

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Friday 19 December 2025 04:53:22 PM

president droupadi murmu

हैदराबाद (तेलंगाना)। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने आज हैदराबाद में देशभर के लोकसेवा आयोगों के अध्यक्षों के राष्ट्रीय सम्मेलन में कहा हैकि हमारे संविधान निर्माताओं ने संविधान का एक पूरा भाग अखिल भारतीय सेवाओं और लोकसेवा आयोगों को समर्पित किया है, जोकि केंद्र और राज्यों केलिए लोकसेवा आयोगों के महत्व और उनकी भूमिकाओं को दर्शाता है। राष्ट्रपति ने कहाकि सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय तथा समान अवसर और प्रतिष्ठा के हमारे संवैधानिक आदर्श लोकसेवा आयोगों के कामकाज केलिए अत्यंत जरूरी हैं। उन्होंने कहाकि संविधान की प्रस्तावना, सार्वजनिक रोज़गार के मामलों में समान अवसर का मौलिक अधिकार और जनकल्याण को बढ़ावा देने केलिए सामाजिक व्यवस्था सुनिश्चित करने हेतु राज्य को निर्देशित करने वाले निर्देशक सिद्धांत, लोकसेवा आयोगों केलिए मार्ग प्रशस्त करते हैं।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहाकि लोकसेवा आयोगों को न केवल समान अवसर के आदर्श से निर्देशित होना चाहिए, बल्कि परिणामों की समानता के लक्ष्य को भी हासिल करने का प्रयास करना चाहिए। उन्होंने कहाकि ये आयोग परिवर्तन के ऐसे माध्यम हैं, जो समानता और निष्पक्षता को बढ़ावा देते हैं। राष्ट्रपति ने कहाकि शासन प्रक्रिया में निष्पक्षता, निरंतरता और स्थिरता लोकसेवा आयोगों के चयनित लोकसेवकों के 'स्थायी कार्यपालिका' निकाय से सुनिश्चित की जाती है। उन्होंने कहाकि राष्ट्रीय और राज्यस्तर पर जनहितैषी नीतियों को लागू करने केलिए स्थायी कार्यपालिका में शामिल सिविल सेवकों की सत्यनिष्ठा, संवेदनशीलता और योग्यता अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहाकि लोकसेवा आयोगों को भर्ती किए जानेवाले उम्मीदवारों की ईमानदारी और सत्यनिष्ठा को सर्वोच्च प्राथमिकता देनी चाहिए, ईमानदारी और सत्यनिष्ठा सर्वोपरि है, इनसे कोई समझौता नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहाकि कौशल और योग्यता की कमी को प्रशिक्षण कार्यक्रमों और रणनीतियों से दूर किया जा सकता है, लेकिन सत्यनिष्ठा की कमी गंभीर चुनौतियां पैदा कर सकती है, जिनपर नियंत्रण पाना असंभव हो सकता है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहाकि सरकारी कर्मचारी के रूपमें रोज़गार चाहने वाले युवाओं में वंचित और कमजोर वर्गों केलिए कार्य करने की प्रवृत्ति होनी चाहिए। राष्ट्रपति ने कहाकि हमारे सरकारी कर्मचारियों को महिलाओं की आवश्यकताओं और आकांक्षाओं केप्रति विशेष रूपसे संवेदनशील होना चाहिए, लोक सेवा आयोगों द्वारा लैंगिक संवेदनशीलता को उच्च प्राथमिकता दी जानी चाहिए। राष्ट्रपति ने कहाकि भारत के विश्व की सबसे तेजीसे बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था और अपार विविधता से संपन्न राष्ट्र होने के नाते सभी स्तरों पर सबसे प्रभावी शासन प्रणालियों की आवश्यकता है। राष्ट्रपति ने कहाकि देश निकट भविष्य में विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने का लक्ष्य लेकर चल रहा है और वर्ष 2047 तक विकसित भारत लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में भी अग्रसर हैं। उन्होंने विश्वास व्यक्त कियाकि लोक सेवा आयोग अपनी जिम्मेदारियों को निभाते रहेंगे और उनके द्वारा चयनित व निर्देशित सिविल सेवकों की भविष्य केलिए तैयार टीम के निर्माण में योगदान देंगे।

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