देश में जल संसाधनों के लिए जन चेतना और जल चेतना के कई कार्यक्रम
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने जल संचय जन भागीदारी के पुरस्कार प्रदान किएस्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Wednesday 19 November 2025 01:56:23 PM
नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने पारंपरिक ‘जल कलश’ समारोह में छठे राष्ट्रीय जल पुरस्कार-2024 और जल संचय जन भागीदारी पुरस्कार अवार्डियों को प्रदान किए। राष्ट्रपति ने विज्ञान भवन दिल्ली में 10 श्रेणियों में संयुक्त विजेता सहित 46 विजेताओं को जल संरक्षण एवं प्रबंधन के क्षेत्रमें उनके उत्कृष्ट कार्य हेतु सम्मानित किया। प्रत्येक विजेता को प्रशस्तिपत्र, ट्रॉफी और कुछ श्रेणियों में नकद पुरस्कार प्रदान किए गए। जल संचय जन भागीदारी पहल के अंतर्गत भूजल पुनर्भरण संरचनाओं के विकास में उल्लेखनीय योगदान हेतु 100 जानेमाने अवॉर्डी भी सम्मानित किए गए। राष्ट्रपति ने इस अवसर पर कहाकि मानव सभ्यता की कहानी नदियों की घाटियों, समुद्र तटों, विभिन्न जलस्रोतों के आसपास बसे समूहों की कहानी है, हमारी परंपरा में नदियों, सरोवरों तथा जलस्रोतों को पूजनीय माना जाता है। उन्होंने कहाकि जल का उपयोग करते समय सबको यह ध्यान रखना हैकि जल संसाधन हमारी अत्यंत मूल्यवान संपत्ति है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहाकि जनजातीय समुदाय के लोग जल सहित प्रकृति के सभी संसाधनों का बहुत सम्मान केसाथ उपयोग करते हैं और जल संसाधनों का सक्षम तरीके से उपयोग करना सभी की जीवनशैली का अभिन्न अंग होना चाहिए, व्यक्तिगत और सामूहिक स्तरपर सभी को जल संरक्षण के प्रति निरंतर सचेत रहना है, हमारे देश की जनचेतना में जल चेतना का संचार बहुत जरूरी है। राष्ट्रपति ने सभी पुरस्कार प्राप्तकर्ताओं की प्रशंसा की और कहाकि इन सभी ने अपने अपने क्षेत्रोंमें जल से संबंधित समस्याओं के समाधान हेतु सराहनीय पहल की है, जिससे समाज में जल केप्रति नई जागरुकता पैदा हुई है। राष्ट्रपति ने मंत्रालय के महत्वाकांक्षी कार्यक्रम सभी घरों केलिए साफ जल की उपलब्धता, ग्रामीण क्षेत्रों में खुले में शौच से मुक्ति तथा जल संरक्षण की भी सराहना की। उन्होंने जल संचय जन भागीदारी योजना की विशेष प्रशंसा करते हुए कहाकि योजना के आरंभ से अबतक 35 लाख से ज़्यादा भूजल पुनर्भरण संरचनाएं पूरी की जा चुकी हैं।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने उल्लेख कियाकि 7 नवंबर से पूरा देश राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम की रचना की 150वीं सालगिरह मना रहा है, गीत में बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय ने भारत माता को सलाम करते हुए पहला शब्द सुजलाम अर्थात प्रचुर एवं उत्तम जल संसाधनों वाली लिखा है, जो राष्ट्र केलिए जल की प्राथमिकता को दर्शाता है, साथही सुजलाम भारत एक राष्ट्रीय विजन और पहल है, जो जल स्रोतों के संरक्षण, कुशल जल प्रबंधन, सतत प्रथाओं, सामुदायिक भागीदारी और विभिन्न सरकारी विभागों व हितधारकों केबीच नीतिगत समन्वय पर केंद्रित है। उन्होंने जल जीवन मिशन की प्रशंसा की, जो भारत के हर ग्रामीण घर में साफ और भरोसेमंद नल का पानी उपलब्ध कराने केलिए दुनिया का सबसे बड़ा पेयजल आपूर्ति कार्यक्रम है। उन्होंने खुशी ज़ाहिर कीकि पिछले छह साल में गांवों के घरों में पीने के पानी की आपूर्ति 17 प्रतिशत से बढ़कर 81 प्रतिशत हो गई है। उन्होंने कहाकि इस कार्यक्रम ने ताज़ा पानी लाने के रोज के काम से राहत देकर ग्रामीण महिलाओं की ज़िंदगी बदल दी है। उन्होंने कहाकि जल समृद्धि मूल्य श्रृंखला में मदद देने केलिए राज्यों, पंचायतों, जिलों, स्कूलों, व्यक्तियों और संगठनों को प्रोत्साहित करना और उन्हें सम्मानित करना जरूरी है।
जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल भी कार्यक्रम में मौजूद थे। उन्होंने कहाकि इन पुरस्कारों ने एक स्वस्थ प्रतिस्पर्धी वातावरण बनाया है, बनासकांठा जिले में जनता का बिना सरकारी वित्तीय सहयोग के जल संरक्षण कार्य जल प्रबंधन का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। उन्होंने कहाकि राष्ट्रीय जल पुरस्कार विभिन्न हितधारकों के अच्छे कार्यों की पहचान करते हुए ‘जल समृद्ध भारत’ के विजन को बढ़ावा देते हैं। जल संसाधन, आरडी और जीआर विभाग के सचिव वीएल कांथा राव ने कहाकि जल हमारे जीवन का आधार है तथा मंत्रालय जनता के सहयोग से जल संरक्षण और प्रबंधन को जन आंदोलन में बदलने केलिए प्रतिबद्ध है। जल शक्ति मंत्रालय के पेयजल और स्वच्छता विभाग के सचिव अशोक केके मीणा ने राष्ट्रपति को राष्ट्रीय जल पुरस्कार विजेताओं को प्रोत्साहित करने केलिए धन्यवाद ज्ञापित किया। राष्ट्रीय भूजल संसाधन आकलन-2025 और राष्ट्रीय भूजल गुणवत्ता आकलन-2025 रिपोर्ट जारी की गई। ये रिपोर्ट केंद्रीय भूजल बोर्ड और राज्य भूजल संगठनों के एक सहयोगात्मक प्रयास को उजागर करती हैं, जो देश के सबसे अनमोल संसाधनों में से एककी महत्वपूर्ण स्वास्थ्य जांच प्रदान करती हैं और गुणवत्ता के समान रूपसे महत्वपूर्ण प्रश्न को संबोधित करती हैं।
जल संचय जन भागीदारी पहल 6 सितंबर 2024 को सूरत में शुरू की गई थी। यह पहल सरकार और समाज के दृष्टिकोण को ध्यान में रखकर संचालित होती है, जिसका उद्देश्य सामुदायिक संरक्षता और सतत जल प्रबंधन जमीनी स्तरपर बढ़ावा देना है। ये 3सी मंत्र कम्युनिटी, सीएसआर और कॉस्ट पर आधारित एक सहभागी मॉडल अपनाता है, जो दीर्घकालिक जल सुरक्षा से प्रेरित होकर एक समावेशी मॉडल अपनाता है, दीर्घकालिक जल सुरक्षा और जल संकट केप्रति मजबूती सुनिश्चित करता है। इस पहल केतहत राज्यों को पांच क्षेत्रोंमें बांटा गया है और ज़िलों को कम से कम 10000 कृत्रिम पुनर्भरण और भंडारण संरचनाएं बनाने केलिए प्रोत्साहित किया जाता है। उत्तर पूर्व और पहाड़ी राज्यों के ज़िलों केलिए यह संख्या 3,000 है, जबकि देशभर के नगर निगमों केलिए यह 10000 है। इन संरचनाओं में छतों पर वर्षा जल संचयन झीलों, तालाबों और बावड़ियों के पुनरुद्धार आदि शामिल हैं।