भारत अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष सम्मेलन में बोले विज्ञान प्रौद्योगिकी मंत्री
'अंतरिक्ष पारिस्थितिकी तंत्र में भारत के प्रयास और मजबूत हुए'स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Wednesday 19 November 2025 01:16:11 PM
नई दिल्ली। केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने वैश्विक अंतरिक्ष व्यवस्था में भारत की बढ़ती भूमिका का जिक्र करते हुए विश्वास व्यक्त किया हैकि भारत अंतरिक्ष क्षेत्रमें जुड़ाव और निवेश का एक पसंदीदा वैश्विक गंतव्य बनेगा। उन्होंने कहाकि हालके महीनों में भारत आनेवाले कई अंतर्राष्ट्रीय प्रतिनिधिमंडलों की अंतरिक्ष व्यवस्था क्षेत्रमें बढ़ती रुचि से यह परिलक्षित होता है। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि भारत का अंतरिक्ष क्षेत्र एक निर्णायक परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है, जो इसवर्ष के भारत अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष सम्मेलन-2025 की विषयवस्तु ‘विस्तारित क्षितिज: नए अंतरिक्ष युग में नवाचार, समावेश और लचीलापन’ को सीधे दर्शाता है।
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री ने भारतीय अंतरिक्ष संघ के आयोजित भारत अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष सम्मेलन में शामिल उद्योग जगत, वैश्विक एजेंसियों, राजनयिकों और स्टार्टअप्स से कहाकि सरकार ने एक सक्षम पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण किया है, जहां वे प्रतिभा, प्रौद्योगिकी और निवेश के जरिए भारत की अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था के भविष्य को आकार दे सकते हैं। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि यह विचार विमर्श एक नवोन्मेषी, समावेशी और सुदृढ़ अंतरिक्ष पारिस्थितिकी तंत्र में भारत के प्रयासों को और ज्यादा मज़बूत करेगा। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि भारत में वैज्ञानिक क्षमताएं हमेशा से मौजूद हैं, लेकिन निर्णायक मोड़ तब आया जब नीति निर्माताओं ने ऐसा माहौल बनाया, जिसने नवाचार और व्यापक भागीदारी को प्रोत्साहित किया। उन्होंने कहाकि अंतरिक्ष क्षेत्र के खुलने से स्टार्टअप, छात्र, उद्योग और नागरिक उस क्षेत्र में आ गए हैं, जो कभी एक बंद क्षेत्र था, अब हज़ारों लोग रॉकेट प्रक्षेपण को प्रत्यक्ष रूपसे देख रहे हैं और 300 से ज़्यादा अंतरिक्ष स्टार्टअप उभरकर सामने आए हैं।
डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि इनमें से कई ने विदेशी निवेश हासिल किया है और तेज़ीसे विकास किया है, जिससे उस उद्यमशील प्रतिभा का प्रदर्शन हुआ है, जिसका लंबे समय से दोहन नहीं हुआ था। डॉ जितेंद्र सिंह ने भारत की अंतरिक्ष उपलब्धियों का उल्लेख किया, जिनमें चंद्रयान के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने और चंद्रमा पर पानी की खोज से लेकर सफल मंगलयान मिशन और एकसाथ 104 उपग्रहों का प्रक्षेपण प्रमुख रूपसे शामिल है। उन्होंने कहाकि भारत का सबसे महत्वपूर्ण योगदान शासन और नागरिक कल्याण केलिए अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का अनुप्रयोग है। उन्होंने कहाकि भारत द्वारा लगभग 70 प्रतिशत अंतरिक्ष अनुप्रयोग अब जीवन को आसान बनाने में सहायक है। डॉ जितेंद्र सिंह ने गति शक्ति, भूमि मानचित्रण केलिए स्वामित्व, उपग्रह सक्षम आपदा प्रबंधन, दूरदराज के क्षेत्रोंमें टेलीमेडिसिन और रेलवे सुरक्षा प्रणालियों का जिक्र कियाकि, जो बाधाओं का पहले ही पता लगा सकती हैं।
डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि यह सम्मेलन की विषयवस्तु का मुख्य तत्व है, क्योंकि उपग्रह आधारित सेवाएं अब पूरे देशमें आपदा प्रतिक्रिया, कृषि, मौसम पूर्वानुमान और कनेक्टिविटी का समर्थन करती हैं। उन्होंने कहाकि भारत इन क्षमताओं का विस्तार पड़ोसी देशों भूटान, मालदीव, श्रीलंका, नेपाल और म्यांमार तक कर रहा है। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि जापान, इटली जैसे कई और देशों का विश्वास अंतरिक्ष साझेदारी केलिए एक पसंदीदा वैश्विक गंतव्य के रूपमें भारत की स्थिति को और मज़बूत करता है। उन्होंने अंतरिक्ष और परमाणु ऊर्जा जैसे रणनीतिक क्षेत्रोंमें दीर्घकालिक बाधाओं को दूर करने और भारत के वैश्विक विस्तार केलिए आवश्यक नीतिगत वातावरण तैयार करने का श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दिया। उन्होंने कहाकि आने वाले वर्ष में अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था के पांच गुना बढ़ने के अनुमान केसाथ भारत परिलक्षित दृष्टिकोण के अनुरूप वैश्विक अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में एक मज़बूत स्थिति हासिल करने केलिए तैयार है।