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भारत की प्राचीन समुद्री विरासत पुनर्जीवित!

स्वदेशी और पारंपरिक नौकायन पोत कौंडिन्य मस्कट रवाना

ऐतिहासिक स्रोतों और चित्रात्मक साक्ष्यों से प्रेरित कौंडिन्य

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Tuesday 30 December 2025 04:17:38 PM

sailing vessel kaundinya

पोरबंदर। भारतीय नौसेना का स्वदेशी और पारंपरिक नौकयन पोत कौंडिन्य पोरबंदर से ओमान सल्तनत के मस्कट केलिए अपनी पहली विदेशी यात्रा पर रवाना हो गया है। यह ऐतिहासिक अभियान भारत की प्राचीन समुद्री विरासत को एक जीवित समुद्री यात्रा के माध्यम से पुनर्जीवित करने, समझने और मनाने के प्रयासों में एक प्रमुख मील का पत्थर है। आईएनएसवी कौंडिन्य को वाइस एडमिरल कृष्णा स्वामीनाथन फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ पश्चिमी नौसेना कमान ने भारत में ओमान सल्तनत के राजदूत इस्सा सालेह अल शिबानी और भारतीय नौसेना के वरिष्ठ अधिकारियों और विशिष्ट मेहमानों की गरिमामयी उपस्थिति में हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।
आईएनएसवी कौंडिन्य का निर्माण पारंपरिक सिलाई वाली जहाज निर्माण तकनीकों का उपयोग करके किया गया है, इसमें प्राकृतिक सामग्री और तरीकों का इस्तेमाल किया गया है, जो कई सदियों पुराने हैं। ऐतिहासिक स्रोतों और चित्रात्मक साक्ष्यों से प्रेरित यह पोत भारत की स्वदेशी जहाज निर्माण, नाविकता और समुद्री नेविगेशन की समृद्ध विरासत का प्रतिनिधित्व करता है। यह यात्रा उन प्राचीन समुद्री मार्गों का अनुसरण करती है, जो कभी भारत के पश्चिमी तट को ओमान से जोड़ते थे, जिससे हिंद महासागर में व्यापार, सांस्कृतिक आदान-प्रदान और निरंतर सभ्यतागत बातचीत संभव होती थी। इस शुरूआत से साझा समुद्री विरासत को मज़बूत करके और सांस्कृतिक व लोगों केबीच संबंधों को बढ़ावा देकर भारत और ओमान केबीच द्विपक्षीय संबंधों को और ज्यादा मजबूत करने की उम्मीद है।
मस्कट में कौंडिन्य का आगमन दोस्ती, आपसी विश्वास और सम्मान के स्थायी बंधन का एक शक्तिशाली प्रतीक होगा, जिसने सदियों से इन दोनों समुद्री देशों को जोड़ा है। यह यात्रा गुजरात और ओमान केबीच गहरे ऐतिहासिक संबंधों को भी उजागर करती है, जो अब तक जारी सहयोग की एक विरासत को दर्शाती है। भारतीय नौसेना समुद्री कूटनीति, विरासत संरक्षण और क्षेत्रीय सहयोग केप्रति अपनी प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है। आईएनएसवी कौंडिन्य की यात्रा भारत के सभ्यतागत समुद्री दृष्टिकोण और हिंद महासागर क्षेत्रमें एक जिम्मेदार और सांस्कृतिक रूपसे जुड़ी समुद्री राष्ट्र के रूपमें उसकी भूमिका का प्रमाण है। कमांडर विकास शेओरान जहाज के कप्तान हैं, जबकि कमांडर वाई हेमंत कुमार, जो इस परियोजना की शुरुआत से ही इससे जुड़े हुए हैं, ऑफिसर इन चार्ज हैं। चालक दल में चार अधिकारी और तेरह नौसैनिक हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आईएनएसवी कौंडिन्य को साकार करने में किए गए अथक प्रयासों केलिए डिजाइनरों, कारीगरों, जहाज निर्माताओं और भारतीय नौसेना को बधाई दी है। नरेंद्र मोदी ने चालक दल को सुरक्षित और यादगार यात्रा केलिए शुभकामनाएं दीं और कहाकि वे खाड़ी क्षेत्र और उससे परे भारत-ओमान केबीच ऐतिहासिक संबंधों को पुनर्जीवित कर रहे हैं। आईएनएस कौंडिन्य की यह यात्रा भारत की प्राचीन नौवहन क्षमता और समुद्री विरासत को पुनर्जीवित करने का एक अनूठा प्रयास है। आईएनएस कौंडिन्य में न तो इंजन है, न धातु की कीलें और न ही कोई आधुनिक प्रोपल्शन सिस्टम, यह पूरी तरह हवा, पाल के सहारे समुद्र में आगे बढ़ता है। इसका निर्माण 1,500-2,000 वर्ष पुरानी ‘स्टिच्ड शिपबिल्डिंग’ तकनीक पर हुआ है। इसके डिज़ाइन की प्रेरणा अजंता की गुफाओं की चित्रकारी, प्राचीन ग्रंथों के वर्णन और विदेशी यात्रियों के यात्रा वृत्तांतों से ली गई है।

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