कथाकार पंकज मित्र की लघु पत्रिका 'कस्बे का किस्सागो' का लोकार्पण
आलोचकों ने पंकज मित्र की कहानियों का विश्लेषण एवं मूल्यांकन कियास्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Wednesday 31 December 2025 01:28:37 PM
नई दिल्ली। सुप्रसिद्ध कथाकार पंकज मित्र ने स्वयं पर केंद्रित विख्यात लघु पत्रिका बनास जन के लोकार्पण पर कहा हैकि तकनीकी विकास और बाज़ार की व्यवस्था ने कुछ हदतक मुक्ति दी है और एक अलग तरीके से अन्यायपूर्ण व्यवस्था भी बना दी है। पंकज मित्र ने कहाकि उनका स्वप्न हैकि ऐसा समाज बन सके, जो न्याय आधारित हो। उन्होंने कहाकि उनका कहानी लेखन इसी दिशामें एक विनम्र प्रयास हैकि समाज अधिक मानवीय बन सके। पंकज मित्र ने पाठकों का आभार व्यक्त करते हुए स्वीकार कियाकि वे उनके ही कारण लेखन में लगातार सक्रिय हैं। हरकिशन सिंह सुरजीत भवन में कार्यक्रमपूर्वक वरिष्ठ उपन्यासकार रणेंद्र, लेखक-अनुवादक दिगम्बर, चर्चित कथाकार कविता और अरुण कुमार असफल ने बनास जन (कस्बे का किस्सागो) विशेषांक का लोकार्पण किया।
आलोचक और कथाकार राजीव कुमार के सम्पादन में इस विशेषांक में लगभग एक दर्जन आलोचकों ने विस्तारपूर्वक पंकज मित्र की कहानियों का विश्लेषण और मूल्यांकन किया है। पंकज मित्र के संगी-साथियों संजय कुमार कुंदन और राजेश करमहे के संस्मरणों केसाथ उनका लंबा साक्षात्कार भी अंक में है। मूलत: झारखंड निवासी पंकज मित्र 1996 से कहानियां लिख रहे हैं और पेशे से भारतीय प्रसारण सेवा में अधिकारी रहे हैं। उपन्यासकार रणेंद्र ने कहाकि हिंदी के लघु पत्रिका आंदोलन का विशिष्ट स्वर बन चुकी बनास जन का पंकज मित्र पर विशेषांक का प्रकाशन इस बातका प्रमाण हैकि हिंदी साहित्य समाज ने गंभीर और जनपक्षधर लेखकों का महत्व स्वीकार किया है। कथाकार कविता ने पंकज मित्र को बधाई दी और कहाकि अपनी पीढ़ी के श्रेष्ठ कहानी सर्जक के रूपमें वे जाने जाते रहेंगे।
बनास जन के सम्पादक पल्लव ने बनास जन की सत्रह वर्षीय उल्लेखनीय यात्रा का जिक्र करते हुए बतायाकि पंकज मित्र पर आया अंक तिरासीवां अंक है। उन्होंने बतायाकि चित्तौड़गढ़ से प्रारम्भ हुई बनास जन पत्रिका ने अबतक हिंदी के अनेक रचनाकारों पर अपने अंकों का प्रकाशन किया है, इनमें-मीरां, नज़ीर अकबराबादी, भीष्म साहनी, नामवर सिंह, फणीश्वरनाथ रेणु, अमरकांत, मृणाल पांडे, स्वयं प्रकाश, असग़र वजाहत, ओमप्रकाश वाल्मीकि, अखिलेश पर अंक प्रमुख हैं। पल्लव ने लघु पत्रिकाओं की प्रकाशन यात्रा को भूमंडलीकरण के प्रतिपक्ष में भारतीय संस्कृति और साहित्य का संघर्ष बताया। इस अवसर पर कवि कथाकार श्रीधर करुणानिधि, डॉ विदित, शोधार्थी जनार्दन और रचनाकारों ने भी पंकज मित्र को बधाई दी।