त्रिपिटक भगवान बुद्ध की शिक्षाओं का एक दार्शनिक खज़ाना
भारतभर के सत्रह बौद्ध संगठनों का पहला सामूहिक आयोजनस्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Monday 17 November 2025 06:12:41 PM
बोधगया (बिहार)। भारतभर के सत्रह बौद्ध संगठन पहलीबार बिहार के बोधगया महाबोधि मंदिर में 20वां वार्षिक अंतर्राष्ट्रीय सामूहिक त्रिपिटक जप करने एकसाथ आए हैं। ज्ञातव्य हैकि भगवान बुद्ध की शिक्षाओं से युक्त त्रिपिटक दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित आध्यात्मिक, साहित्यिक और दार्शनिक खज़ानों में से एक माना जाता है, जो प्राचीन भारत के बौद्धिक और सांस्कृतिक सार का द्योतक है। बौद्ध विरासत और अंतर सामुदायिक सहयोग का यह ऐतिहासिक समारोह 2006 से प्रतिवर्ष होता आ रहा है, अबकी बार यह 2 से 13 दिसंबर 2025 तक होगा, जिसके बाद जेठियन घाटी से राजगीर के वेणुवन के बांस के बाग तक पारंपरिक स्मारक पदयात्रा होगी। इस आयोजन का संयोजन दो दशक से लाइट ऑफ बुद्धा धर्म फाउंडेशन इंटरनेशनल (एलबीडीएफआई-यूएसए) की संस्थापक और कार्यकारी निदेशक वांगमो डिक्सी कर रही हैं। संस्कृति मंत्रालय के सहयोग से अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ की एक प्रेस कॉंफ्रेंस में वांगमो डिक्सी ने त्रिपिटक के सामूहिक पाठ के माध्यम से प्राचीन पाली परंपरा का सम्मान करने के महत्व पर प्रकाश डाला।
वांगमो डिक्सी ने कहाकि हमारे लिए यह बेहद सम्मान की बात हैकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पाली को शास्त्रीय भाषा के रूपमें मान्यता दी गई है और आशा करते हैंकि इसवर्ष के जप में भारत से और अधिक लोग शामिल होंगे। उन्होंने कहाकि बुद्ध की पवित्र मातृभूमि में धर्म की ध्वनि को वापस लाना एक अत्यंत सौभाग्य की बात है, जो भारतीय और अंतर्राष्ट्रीय संघ सदस्यों और गृहस्थ भक्तों के सहयोग से संभव हुआ है। वांगमो डिक्सी ने कहाकि यह वार्षिक समारोह अपनी तरह का सबसे बड़ा थेरवाद बौद्ध समागम है, जिसमें दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों से हज़ारों भिक्षु और श्रद्धालु आते हैं। वांगमो डिक्सी ने बतायाकि इसवर्ष 15000 से ज़्यादा भारतीय भिक्षुओं और आम लोगों के साथ-साथ अमेरिका, बांग्लादेश, कंबोडिया, लाओस पीडीआर, इंडोनेशिया, नेपाल, म्यांमार, थाईलैंड, श्रीलंका और वियतनाम से प्रतिभागियों के भी शामिल होने की उम्मीद है। लगभग 1000 स्वयंसेवक इस आयोजन के संचालन में सहयोग करेंगे। उद्घाटन समारोह में 2 दिसंबर को अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू और चवना मीन अतिथि होंगे। केंद्रीय संसदीय कार्य एवं अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रिजिजू 6 दिसंबर और 12 दिसंबर को केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी समापन समारोह की अध्यक्षता करेंगे।
अंतर्राष्ट्रीय त्रिपिटक जप समारोह का इसवर्ष नेतृत्व भारत की अंतर्राष्ट्रीय त्रिपिटक जप समिति के प्रमुख महाबोधि अंतर्राष्ट्रीय ध्यान केंद्र लद्दाख के संघसेना महाथेरो कर रहे हैं। संघसेना महाथेरो ने दुनियाभर में बौद्ध विरासत को बढ़ावा देने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व की सराहना की है और भारत से प्राप्त पवित्र बुद्ध अवशेषों की वैश्विक प्रदर्शनी का उल्लेख किया। उन्होंने कहाकि भारत अतीत में विश्वगुरु था, क्योंकि हमारे यहां बुद्ध थे, हम शांति, करुणा और अहिंसा से उस विरासत को पुनः प्राप्त कर रहे हैं। बारह दिवसीय इस उत्सव को बैंगलोर की महाबोधि सोसाइटी सहित कई बौद्ध संगठनों ने समर्थन दिया है। आईबीसी उद्घाटन दिवस पर प्रस्तुति केलिए एक सांस्कृतिक समूह को प्रायोजित करेगी। आईबीसी के महानिदेशक अभिजीत हलदर ने सामूहिक जप की आध्यात्मिक शक्ति का उल्लेख कियाकि यह एक ऐसा अभ्यास है, जो मन को शुद्ध करता है, अनुशासित करता है और वातावरण को अलौकिक अनुभव तक ले जाता है।
भव्य बौद्ध जुलूस दो दिसंबर को सुबह 8 बजे निकाला जाएगा, जिसके बाद बोधि वृक्ष के नीचे पाली धर्मग्रंथों से दस दिन तक मंत्रोच्चार, हिंदी और अंग्रेजी में शाम के धम्म प्रवचन और सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे। कालचक्र परिसर में 30000 वर्ग फुट का एक भोजन टेंट उपस्थित लोगों केलिए भोजन उपलब्ध कराएगा। प्रत्येक भाग लेने वाला देश निर्धारित दिन पर वरिष्ठ अंतर्राष्ट्रीय भिक्षुओं को दान देगा। श्रद्धालु जेठियन घाटी से राजगीर के वेणुवन तक 13 दिसंबर को एक ऐतिहासिक पदयात्रा में 1000 से अधिक प्रतिभागियों के शामिल होने की उम्मीद है। इसवर्ष के कार्यक्रम में आर्ट गैलरी, धम्म शिक्षकों केसाथ प्रश्नोत्तर सत्र, देश-विदेश के कलाकारों की सांस्कृतिक प्रस्तुतियां भी प्रमुख होंगी। एक विशेष आकर्षण ओडिशा में हस्तनिर्मित 220 चार फुट ऊंची स्वर्ण बुद्ध प्रतिमाओं का भारतभर के समुदायों को अभिषेक और दान है, जो एक नए आध्यात्मिक जागरण और अपनी पवित्र मातृभूमि में बुद्ध धम्म के सुदृढ़ीकरण का प्रतीक है।