स्वतंत्र आवाज़
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अतिशयोक्तिपूर्ण सनसनीखेज पत्रकारिता चिंताजनक!

'बढ़ते दुष्प्रचार के बीच प्रेस की विश्वसनीयता की सुरक्षा' थीम पर चिंतन

राष्ट्रीय प्रेस दिवस पर एआई के उपयोग और दुरुपयोग पर भी गहन चर्चा

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Monday 17 November 2025 03:00:01 PM

national press day at national media centre delhi

नई दिल्ली। राष्ट्रीय प्रेस दिवस पर 'बढ़ते दुष्प्रचार केबीच प्रेस की विश्वसनीयता की सुरक्षा' थीम पर नेशनल मीडिया सेंटर दिल्ली में एकत्र विभिन्न मीडिया क्षेत्र के विशेषज्ञ और विचारकों ने चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहाकि किसी लोकतांत्रिक देश के नागरिकों केलिए प्रेस आंखें और कान के समान है। प्रेस क्लब ऑफ इंडिया की अध्यक्ष न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) रंजना प्रकाश देसाई भी कार्यक्रम में मौजूद थीं। उन्होंने उल्लेख कियाकि एआई कभीभी मानवीय मन को प्रतिस्थापित नहीं कर सकता है, एआई युग में बढ़ते दुष्प्रचार केबीच नागरिकों को सशक्त बनाने केलिए प्रेस की विश्वसनीयता की सुरक्षा करना औरभी ज्यादा जरूरी है। उन्होंने कहाकि निर्णय शक्ति, अंतरात्मा और जिम्मेदारी की वह भावना जो हर पत्रकार को दिशा देती है, उसे गलत सूचना के प्रसार को रोकना चाहिए।
रंजना प्रकाश देसाई ने प्रेस की स्वतंत्रता की रक्षा और उच्च पत्रकारिता मानकों को बनाए रखने की प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया की दोहरी जिम्मेदारी पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहाकि पत्रकारिता केलिए ईमानदारी, सटीकता और सही जानकारी साझा करने की प्रतिबद्धता जरूरी है, खासकर आजके दौरमें जब गलत सूचना और तकनीक का दुरुपयोग बढ़ रहा है। उन्होंने उल्लेख कियाकि पीसीआई ने समितियां और फैक्ट फाइंडिंग टीमें बनाई हैं और पत्रकारों को जिम्मेदारी से काम करने एवं हर तथ्य को सत्यापित करने की याद दिलाई। उन्होंने कहाकि एआई उपयोगी हो सकता है, लेकिन पीसीआई इसके दुरुपयोग को रोकने केलिए सतर्क है। उन्होंने कहाकि ये उपकरण चाहे कितने भी उन्नत क्यों न हों, ये कभीभी मानव मस्तिष्क, निर्णय और विवेक की जगह नहीं ले सकते। उन्होंने कल्याणकारी योजनाओं एवं बीमा के जरिए पत्रकारों केलिए वित्तीय सुरक्षा के महत्व पर जोर दिया और कहाकि पीसीआई के इंटर्नशिप कार्यक्रम युवा पत्रकारों को नैतिक प्रथाओं को सीखने में मदद करते हैं।
पीटीआई के सीईओ विजय जोशी ने उस 'इन्फोडेमिक' यानी सूचना महामारी से निपटने का समाधान प्रस्तावित किया, जिसका सामना आज सभी एक समाज के रूपमें कर रहे हैं। उन्होंने कहाकि पारंपरिक मीडिया में गति के बजाय सटीकता को और डिजिटल मीडिया में एआई एल्गोरिदम आधारित गतिविधियों को बढ़ावा देना चाहिए। विजय जोशी ने कहाकि लोकतंत्र के नैतिक प्रहरी के रूपमें प्रेस को दृढ़ नैतिकता बनाए रखनी चाहिए। उन्होंने कहाकि पेड न्यूज़, विज्ञापन और सनसनीखेज और अतिशयोक्तिपूर्ण पत्रकारिता ने जनता का विश्वास कम किया है। उन्होंने जिक्र कियाकि डिजिटल व्यवधान के बदलाव का एक गंभीर परिणाम यह हैकि अब सटीकता की जगह जुड़ाव को अधिक प्राथमिकता दी जा रही है, जिससे पक्षपातपूर्ण सूचनाओं का बुलबुला बनता है। विजय जोशी ने कहाकि इसने दिखाया हैकि सच्चाई और गलत सूचना कितनी जल्दी एक हो सकती है और एआई ने इस खतरे को और ज्यादा बढ़ा दिया है।
विजय जोशी ने इस बातपर जोर दियाकि पत्रकारों को सत्य की पुष्टि सुनिश्चित करने की साझा जिम्मेदारी लेनी चाहिए। विजय जोशी ने 99 अख़बारों के स्थापित पीटीआई की सत्यता, सटीकता, निष्पक्षता और स्वतंत्रता की विरासत पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहाकि सटीकता को हमेशा गति से ऊपर रखा जाना चाहिए और समाचार किसीभी विशिष्ट उद्देश्य और एजेंडे से मुक्त होना चाहिए। उन्होंने कहाकि फैक्ट चेक जैसी पहल बहुस्तरीय सत्यापन केसाथ गलत सूचनाओं की बाढ़ से निपटने में मदद करती हैं। उन्होंने कहाकि विश्वसनीयता की रक्षा केलिए भावी पत्रकारों को नैतिकता और आलोचनात्मक सोच का प्रशिक्षण दिया जाना आवश्यक है। विजय जोशी ने याद दिलायाकि प्रेस की स्वतंत्रता सूचना इकोसिस्टम को प्रदूषित करने का लाइसेंस नहीं है और पत्रकारिता विश्वास पर आधारित एक जनसेवा है।
भारतीय प्रेस परिषद की स्थापना संसद के अधिनियम-1966 में एक अर्ध न्यायिक प्राधिकरण के रूपमें की गई थी, इसे 1979 में पुनर्गठित किया गया, जिसका उद्देश्य प्रिंट मीडिया केलिए एक आंतरिक स्व नियामक तंत्र स्थापित करना था, ताकि स्वतंत्र और उत्तरदायी रिपोर्टिंग सुनिश्चित हो सके। तबसे प्रेस परिषद देश में प्रेस की स्वतंत्रता की रक्षा और संरक्षण तथा देशमें समाचार पत्रों और समाचार एजेंसियों के स्तर को ऊंचा उठाने केलिए निरंतर प्रयासरत है, इसने विधायिका और अन्य प्राधिकारियों केलिए एक सलाहकार निकाय के रूपमें भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। कार्यक्रम में केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण, इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव, केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण और संसदीय कार्य राज्यमंत्री डॉ एल मुरुगन, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के सचिव संजय जाजू और पीसीआई की सचिव शुभा गुप्ता उपस्थित थीं।

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