 
   
    'विरासत को आधुनिकता से जोड़ते हुए शाही अतीत का जीवंत भंडार'
'विरासत को आधुनिकता से जोड़ते हुए शाही अतीत का जीवंत भंडार' राष्ट्रीय एकता दिवस पर देश की विरासत और एकता को समर्पित
राष्ट्रीय एकता दिवस पर देश की विरासत और एकता को समर्पितस्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Friday 31 October 2025 06:15:55 PM
 
                          
 
 एकतानगर (गुजरात)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लौहपुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती पर राष्ट्रीय एकता दिवस की पूर्व संध्या पर देश की साझा विरासत और एकता को समर्पित भारतीय शाही साम्राज्य संग्रहालय की आधारशिला रखी। उन्होंने कहाकि यह सम्मान और विरासत का एक प्रयास है, जिसका निर्माण एकतानगर में स्टैच्यू ऑफ यूनिटी केपास पांच एकड़ भूमि पर अनुमानित 367 करोड़ रुपये की लागत से किया जाएगा। उन्होंने कहाकि केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय के अधीन भारतीय शाही साम्राज्य संग्रहालय एक राष्ट्रीय संग्रह के रूपमें कार्य करेगा, जिसमें विभिन्न राजवंशों और रियासतों के राजचिन्हों, कलाकृतियों, वस्त्रों, पांडुलिपियों, चित्रों और अभिलेखीय सामग्रियों की दीर्घाओं केसाथ भारत की शाही विरासत का उत्सव मनाया जाएगा। नरेंद्र मोदी ने कहाकि चार विषयगत दीर्घाओं के माध्यम से यह आगंतुकों को ऐतिहासिक कलाकृतियों, दस्तावेजों और डिजिटल प्रतिष्ठानों केसाथ एक इंटरैक्टिव अनुभव प्रदान करेगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि संग्रहालय का उद्देश्य अतीत की स्मृति को संरक्षित करते हुए भावी पीढ़ियों को एकता और बलिदान की शाश्वत भावना से प्रेरित करना है। उन्होंने उल्लेख कियाकि 15 अगस्त 1947 को भारत की स्वतंत्रता के समय उपमहाद्वीप में ब्रिटिश प्रशासित क्षेत्र और 550 से अधिक रियासतें एवं राज्य थे, इन राज्यों का भारतीय संघ में राजनीतिक एकीकरण, स्वतंत्रता केबाद भारत की सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धियों में से एक है। उन्होंने बतायाकि तत्कालीन उपप्रधानमंत्री और गृहमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल के नेतृत्व में देश की रियासतों के शासकों को विलयपत्र से भारत में विलय केलिए राजी किया गया, वर्ष 1949 तक लगभग सभी रियासतें भारतीय संघ में शामिल हो गईं, जिससे एक एकीकृत और संप्रभु गणराज्य की नींव रखी गई। प्रधानमंत्री ने कहाकि यह शांतिपूर्ण एकीकरण भारत की कूटनीति, समावेशिता और राष्ट्र निर्माण की भावना का प्रमाण है।
भारतीय शाही संग्रहालय में देश के शाही और रजवाड़ों की समृद्ध विरासत का दस्तावेजीकरण प्रदर्शित होगा। भारत की शाही परंपराओं और राष्ट्र की एकता और सांस्कृतिक पहचान में उनके योगदान को प्रतिबिंबित करने वाली कलाकृतियों और अभिलेखीय सामग्रियों को संरक्षित किया जाएगा। एकीकरण की ऐतिहासिक प्रक्रिया, रियासतों के योगदान तथा भारत के शासन और सांस्कृतिक एकता के विकास पर जनता को शिक्षित करना और उसमें शामिल किया जाएगा। भारत की शाही और लोकतांत्रिक विरासत पर अनुसंधान, संरक्षण और सार्वजनिक शिक्षा के केंद्र के रूपमें कार्य करेगा। यह संग्रहालय अन्वेषण केलिए विविध रोमांचक विशेषताएं प्रस्तुत करेगा। राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 से प्रेरित संग्रहालय में इंटरैक्टिव और अनुभवात्मक शिक्षा केलिए एक समर्पित गैलरी होगी, जिससे आगंतुकों को आकर्षक और मनोरंजक तरीके से देश का इतिहास जानने का अवसर मिलेगा।
संग्रहालय की वास्तुकला प्राकृतिक परिदृश्य केसाथ सामंजस्य बिठाने केलिए डिज़ाइन की जाएगी, जलाशय, फव्वारे, प्रांगण और उद्यान इसके मुख्य संरचनात्मक तत्व हैं। आगंतुक शाही उद्यान, म्यूजियम कैफे में पर्यटक अपने अनुभव साझा करते हुए शाही व्यंजनों का स्वाद ले सकेंगे। चार विषयगत दीर्घाओं में फैला यह संग्रहालय आगंतुकों को ऐतिहासिक कलाकृतियों, दस्तावेजों और डिजिटल प्रतिष्ठानों के माध्यम से समृद्ध और इंटरैक्टिव अनुभव प्रदान करेगा। गौरतलब हैकि रियासतों का एकीकरण स्वतंत्र भारत की एक उल्लेखनीय उपलब्धि है, जो विविधता में एकता और राष्ट्रीय विजय का प्रतीक है। भारतीय शाही साम्राज्य संग्रहालय इस ऐतिहासिक प्रक्रिया का उत्सव मनाएगा, शाही विरासतों को संरक्षित करेगा और सांस्कृतिक एवं राजनीतिक पहचान को आकार देने में उनकी भूमिका को उजागर करेगा। देश की विरासत को आधुनिक व्याख्या केसाथ जोड़ते हुए यह संग्रहालय भारत के शाही अतीत के जीवंत भंडार के रूपमें कार्य करेगा और एक एकीकृत, समावेशी और सांस्कृतिक रूपसे जीवंत राष्ट्र के दृष्टिकोण को बल देगा।