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Wednesday 8 October 2025 02:05:21 PM
ग्रेटर नोएडा। अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ ने केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय, गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय ग्रेटर नोएडा और अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान लखनऊ के सहयोग से 6 और 7 अक्टूबर को गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय ग्रेटर नोएडा में शरद पूर्णिमा के पावन पर्व पर अंतर्राष्ट्रीय अभिधम्म दिवस मनाया। अभिधम्म के दार्शनिक, नैतिक एवं मनोवैज्ञानिक पहलुओं और आधुनिक संदर्भ में इसकी प्रासंगिकता का पता लगाने केलिए ‘बौद्ध विचार को समझने में अभिधम्म की प्रासंगिकता: ग्रंथ, परंपरा और आधुनिक दृष्टिकोण’ विषय पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया। इसमें भारत, म्यांमार, कंबोडिया, वियतनाम और श्रीलंका से प्रतिष्ठित विद्वानों एवं शोधकर्ताओं ने 35 से ज्यादा शोधपत्र प्रस्तुत किए। सम्मेलन में जीव विज्ञान एवं आधुनिक विज्ञान जैसे मनोविज्ञान, कृत्रिम बुद्धिमत्ता और संज्ञानात्मक अध्ययन केबीच तुलनात्मक दृष्टिकोणों पर चर्चा की गई।
गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर राणा प्रताप सिंह ने इस अवसर पर भगवान बुद्ध के गहन उपदेशों और व्यक्तिगत एवं सामूहिक विकास में उनके योगदान पर प्रकाश डाला। आईबीसी के महासचिव शार्त्से खेंसुर रिनपोछे जंगचुप चोएडेन ने पवित्र मंत्रोच्चार करते हुए बुद्ध धम्म के प्रसार में अभिधम्म के सूत्रों को समझने के महत्व को रेखांकित किया। पाली एवं संस्कृत के प्रख्यात विद्वान और राष्ट्रपति सम्मान पत्र प्राप्तकर्ता डॉ उमाशंकर व्यास ने अभिधम्म के विकास की व्याख्या करते हुए इसे धर्म का विशेष प्रकाश एवं विशेष ज्ञानोदय के रूपमें वर्णित किया। सम्मेलन में द्रिकुंग काग्यू वंश के तृतीय खेंचेन रिनपोछे मुख्य अतिथि थे। उन्होंने कहाकि अभिधम्म की प्रासंगिकता इसके दैनिक जीवन में उपयोग में निहित है, जो अज्ञानता, आसक्ति और क्रोध केलिए एक उपचार के रूपमें कार्य करता है। आईबीसी के महाप्रबंधक अभिजीत हलदर ने अभिधम्म की समकालीन प्रासंगिकता एवं आधुनिक समाज में मानसिक और शारीरिक कल्याण को बढ़ावा देने में उसकी भूमिका पर बल दिया।
अंतर्राष्ट्रीय अभिधम्म दिवस कार्यक्रम में सैद्धांतिक आधार, अंतर्विषयक दृष्टिकोण, तुलनात्मक अध्ययन एवं समकालीन प्रासंगिकता पर विशेष एवं तकनीकी सत्र आयोजित किए गए। धारवाड़ कर्नाटक के विनोद कुमार के बौद्ध टिकटों की एक अनूठी प्रदर्शनी लगाई गई, जिसमें 90 देशों के 2500 से ज्यादा टिकट शामिल थे। आईबीसी की थीम आधारित प्रदर्शनी में पहली ‘शरीर एवं मन पर बुद्ध धम्म’ और दूसरी प्रदर्शनी में पिपरहवा अवशेषों पर प्रकाश डाला गया, जो तथागत भगवान बुद्ध की स्थायी आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक हैं। एशिया में बुद्ध धम्म का प्रसार और कुशक बकुला रिनपोछे-एक असाधारण भिक्षु की असाधारण कहानी फिल्में प्रदर्शित की गईं, जिनका निर्देशन ओपी जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी के डॉ हिंडोल सेनगुप्ता ने किया है। अभिधम्म दिवस पर भगवान गौतम बुद्ध ने अपनी माता महामाया के नेतृत्व में तवतींशा स्वर्ग के देवताओं को अभिधम्म का उपदेश दिया था तथा बादमें इसे अपने शिष्य अरहंत सारिपुत्त केसाथ साझा किया था। उल्लेखनीय हैकि भारत सरकार ने पाली को शास्त्रीय भाषा घोषित किया है और अभिधम्म पिटक सहित थेरवाद बौद्ध ग्रंथों की प्रामाणिक भाषा के रूपमें इसके महत्व को मान्यता दी है।