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इफ्फी में 'पोखीराजेर डिम' में दिखी फैंटेसी दुनिया

भारत में अब वीएफएक्स बनाना मुश्किल नहीं रहा-सौकार्य घोषाल

फिल्म में एआई और वीएफएक्स का व्यापक इस्तेमाल हुआ

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Thursday 27 November 2025 01:03:41 PM

pokhirajer dim showcases a world of fantasy at iffi

पणजी। भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (इफ्फी) के सातवें दिन बंगाली फिल्म ‘पखीराजेर डिम’ की स्क्रीनिंग दर्शकों को फैंटेसी की अद्भुत दुनिया में ले गई। इसका निर्देशन सौकार्य घोषाल ने किया है। सौकार्य घोषाल और अभिनेता अनिर्बान भट्टाचार्य ने मीडिया से बातचीत में फिल्म के पीछे की रचनात्मक एवं सहयोगात्मक यात्रा के रोचक अनुभव साझा किए। इफ्फी में दूसरी बार पहुंचे निर्देशक सौकार्य घोषाल ने चर्चा की शुरुआत बेहद आत्मीय अंदाज़ में की और कहाकि उनका इस फिल्म से एक खास भावनात्मक जुड़ाव है। उन्होंने फिल्म की कहानी बताते हुए कहाकि काल्पनिक गांव ‘आकाशगुंज’ में सेट इस कथा को जीवंत उदाहरणों केसाथ दर्शकों के सामने रखा। इस फैंटेसी फिल्म में मुख्य पात्र घोटन जो एक गांव का छात्र है, एक रहस्यमयी पत्थर खोजता है, जो इंसानी भावनाओं को उजागर करदेता है। इसी रहस्य के कारण ब्रिटिश पुरातत्वविदों की नज़र इसपर जाती है। फिल्म में अपने अल्हड़ स्वभाव वाले शिक्षक बतब्याल और दोस्त पॉपिंस केसाथ मिलकर घोटन इस पत्थर की शक्तियों की रक्षा करता है।
अभिनेता अनिर्बान भट्टाचार्य ने कहाकि अगर हम इसे ‘बच्चों की फिल्म’ या ‘स्टूडेंट्स की फिल्म’ कहें तो मैं कहना चाहूंगाकि पहलीबार मैं किसी ऐसे प्रोजेक्ट का हिस्सा बना हूं, जो अपने आपमें मेरे लिए बहुत बड़ा अवसर है। अनिर्बान भट्टाचार्य ने कहाकि मैं सत्यजीत रे और दुनिया के कई महान निर्देशकों की फिल्में देखकर बड़ा हुआ हूं और उन्हीं फिल्मों ने मेरी सिनेमाई समझ गढ़ी है, लेकिन इस तरह की फिल्म में मैं पहलीबार काम कर रहा हूं। उन्होंने कहाकि निर्देशक सौकार्य घोषाल ने मुझे एक ऐसा किरदार दिया, जिसमें खूबसूरत विचित्रताएं और कई परतें थीं, जिन्हें निभाने में उन्हें बेहद मजा आया। उन्होंने कहाकि सौकार्य घोषाल की कॉमिक इमैजिनेशन बिल्कुल अनोखी है, चाहे ‘रेनबो जेली’ हो या ‘भूतपोरी’, वह एक ऐसी दुनिया रचते हैं, जहां उदासी हर चीज़ में बहती दिखती है। त्रासदी में, हास्य में, इंसानी जीवन के उतार-चढ़ाव में और यहां तककि अजीबोगरीब पहलुओं में भी इसी वजह से मैं उनकी फिल्मों की ओर इतनी गहराई से आकर्षित होता हूं। सौकार्य घोषाल ने कहाकि फिल्म में अनिर्बान भट्टाचार्य का किरदार एक दुर्लभ मासूमियत लिए हुए है, ऐसा आयाम जिसे अभिनेता पहलीबार एक्सप्लोर कर रहे थे। उन्होंने साझा कियाकि अनिर्बान भट्टाचार्य ने अपने स्तरपर कुछ खास हावभाव और बॉडी लैंग्वेज जोड़ी, जिसने इस किरदार को और ज्यादा गहराई और प्रामाणिकता प्रदान की।
बंगाली फैंटेसी फिल्म ‘पखीराजेर डिम’ में मूलरूप से एआई और वीएफएक्स का व्यापक इस्तेमाल किया गया है, इसपर टिप्पणी करते हुए सौकार्य घोषाल ने बतायाकि उन्हें पोस्ट प्रोडक्शन टूल्स जैसे फोटोशॉप, आफ्टर इफेक्ट्स, माया और मैक्स की अच्छी समझ है, जिसने उन्हें वीएफएक्स टीम केसाथ घनिष्ठ रूपसे काम करने में मदद की है। उनके अनुसार भारत में अब वीएफएक्स बनाना मुश्किल नहीं रह गया, क्योंकि तकनीकी विशेषज्ञता काफी उच्चस्तर की हो चुकी है। उन्होंने कहाकि यदि निर्देशक तकनीकी लॉजिक समझता हो तो कलाकार उसे आसानी से निष्पादित कर सकते हैं। प्रश्नोत्तर सत्र में अभिनेता अनिर्बाण भट्टाचार्य ने इफ्फी के अपने अनुभव को जीवंत और प्रेरणादायक बताया। उन्होंने कहाकि दिन-रात सिनेमा देखने और उसपर चर्चा करने केलिए उत्साहित लोगों केबीच होना बेहद सुखद अनुभव है। उनके लिए ऐसी जीवंत बातचीत ही किसीभी फिल्म महोत्सव की असल खूबसूरती है। उन्होंने जोड़ाकि देशभर में इतने फिल्म फेस्टिवल्स का उभरना दिल को सुकून देता है, क्योंकि इससे अधिक लोग सिनेमा के बारेमें सोचते और उससे जुड़ते हैं। उन्होंने कहाकि ऐसे माहौल का हिस्सा होना अपने आपमें बेहद शानदार एहसास है।

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