संघ लोक सेवा आयोग के शताब्दी सम्मेलन में बोले प्रधान सचिव पीके मिश्रा
यूपीएससी की परीक्षा पद्धतियां भी आधुनिक शासन केसाथ और विकसित हुईंस्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Thursday 27 November 2025 06:09:17 PM
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव डॉ पीके मिश्रा ने संघ लोक सेवा आयोग के शताब्दी सम्मेलन के पूर्ण सत्र को संबोधित करते हुए कहा हैकि बीते 100 वर्ष में यूपीएससी ने देश के सबसे सम्मानित संवैधानिक निकायों में से एकके रूपमें अपनी गरिमा और विश्वसनीयता बनाए रखते हुए योग्यता, निष्पक्षता, उत्कृष्टता और अखंडता को कायम रखा है। डॉ पीके मिश्रा ने कहाकि यह अवसर संविधान के संस्थापकों और उन दूरदर्शी लोगों की दूरदर्शिता को श्रद्धांजलि है, जिन्होंने यूपीएससी के प्रारंभिक वर्षों में इसका मार्गदर्शन किया। उन्होंने उन सभी अध्यक्षों, सदस्यों, अधिकारियों और कर्मचारियों के योगदान पर प्रकाश डाला, जिन्होंने चुनौतियों के बावजूद निष्पक्षता और योग्यता का पालन सुनिश्चित किया। उन्होंने कहाकि भारत के विविध क्षेत्रों से सिविल सेवा में पहुंचे अधिकारियों की कई पीढ़ियों ने बिना किसी मान-सम्मान की आशा के सार्वजनिक कर्तव्य, निष्पक्षता और राष्ट्र सेवा के आदर्शों को आगे बढ़ाया है, संस्थान निर्मित किए हैं, संवहनीयता बनाए रखी है, सुधार लागू किए हैं और संवैधानिक नैतिकता कायम रखी है।
प्रधान सचिव डॉ पीके मिश्रा ने कहाकि यूपीएससी का पूर्ववर्ती 1926 में स्थापित लोक सेवा आयोग था, जिसे बादमें भारत सरकार अधिनियम- 1935 केतहत संघीय लोक सेवा आयोग के रूपमें मान्यता दी गई और स्वतंत्रता केबाद इसका नाम बदलकर यूपीएससी कर दिया गया। उन्होंने कहाकि भारत के इस्पात ढांचे के रूपमें सिविल सेवाओं केलिए परीक्षाएं आयोजित करना इसका सबसे महत्वपूर्ण कार्य है। उन्होंने बतायाकि दशकों से यूपीएससी की परीक्षा प्रणाली आधुनिक शासन केसाथ विकसित हुई है और निष्पक्षता, योग्यता और समता को बनाए रखती है। भर्ती के अलावा यूपीएससी पदोन्नति, प्रतिनियुक्ति और अनुशासनात्मक कार्यवाहियों में महत्वपूर्ण सलाहकार भूमिका निभाता है। डॉ पीके मिश्रा ने हालही में शुरू किए गए प्रतिभा सेतु पोर्टल पर प्रकाश डाला, जो अंतिम परीक्षा चरण में पहुंचने वाले प्रतिभाशाली उम्मीदवारों को राष्ट्रीय कैरियर सेवा से जुड़े संभावित नियोक्ताओं केसाथ सुरक्षित रूपसे जोड़ता है, जिससे युवाओं केलिए राष्ट्रीय विकास में योगदान करने के नए अवसर खुलते हैं। डॉ पीके मिश्रा ने कहाकि सिविल सेवाओं की भूमिका वर्षों से विकसित हो रही है, स्वतंत्रता से पहले और उसके तुरंत बाद प्रशासन मुख्यतः कानून व्यवस्था बनाए रखने और राजस्व संग्रह तक ही सीमित था।
डॉ पीके मिश्रा ने कहाकि स्वतंत्रता केबाद के शुरुआती दशक में भूमिका विकास नियोजन, संस्थाओं, औद्योगिक क्षमता और बुनियादी सेवाओं की नींव रखने पर केंद्रित थी। उन्होंने कहाकि प्रौद्योगिकी के उद्भव, शहरीकरण, जलवायु चुनौतियों और लगातार आनेवाली आपदाओं ने सिविल सेवकों की ज़िम्मेदारियों को नया रूप दिया है और आजका शासन पदानुक्रम से ज़्यादा सहयोग की मांग करता है। उन्होंने कहाकि पिछले एक दशक में एक मौलिक रूपसे अलग बदलाव आया है। डॉ पीके मिश्रा ने कहाकि अपेक्षाएं प्रक्रिया अनुपालन से परिणाम प्राप्ति की ओर, वृद्धिशील सुधार से त्वरित परिवर्तन की ओर, अलग-थलग सरकारी विभागों से अंतर संचालनीय डिजिटल अवसंरचना की ओर और नागरिकों को सेवा प्रदान करने वाले राज्य से जनभागीदारी के माध्यम से नागरिकों केसाथ साझेदारी करने वाले राज्य की ओर स्थानांतरित हो गई हैं। उन्होंने रेखांकित कियाकि यह बदलाव डिजिटल भुगतान, सामाजिक सुरक्षा, स्वास्थ्य, अवसंरचना, लॉजिस्टिक्स, कौशल विकास, कराधान, शहरी शासन और ग्रामीण विकास जैसे क्षेत्रों में दिखाई दे रहा है और अब उन अग्रणी क्षेत्रों में भी फैल रहा है, जहां भारत वैश्विक नेतृत्व चाहता है, जिसमें क्वांटम प्रौद्योगिकियां, अंतरिक्ष नवाचार और नीली एवं हरित अर्थव्यवस्थाएं शामिल हैं।
प्रधान सचिव डॉ पीके मिश्रा ने कहाकि भारत विकसित भारत 2047 की ओर अपनी यात्रा में एक महत्वपूर्ण मोड़ पर है। उन्होंने चार पहलुओं पर प्रकाश डाला पहला-दुनिया अधिकाधिक परस्पर जुड़ी और अस्थिर होती जा रही है, जिसमें रणनीतिक प्रतिस्पर्धा तकनीक, आपूर्ति श्रृंखला, डेटा, साइबर सुरक्षा, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, अंतरिक्ष और महत्वपूर्ण खनिजों तक फैली हुई है। उन्होंने कहाकि सिविल सेवक अनिश्चितता के प्रबंधक, जटिलता के व्याख्याकार और भारत के रणनीतिक हितों के संरक्षक हैं, और उनकी तैयारी इसबात से शुरू होनी चाहिएकि उनका चयन कैसे किया जाता है। दूसरा-तकनीकी परिवर्तन की गति नियामक अनुकूलन से कहीं आगे निकल गई है, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, सिंथेटिक जीव विज्ञान, रोबोटिक्स और क्वांटम कंप्यूटिंग में सफलताएं बौद्धिक चपलता, नैतिक आधार और नवप्रवर्तकों और वैज्ञानिकों केसाथ समान रूपसे जुड़ने की क्षमता की मांग करती हैं। तीसरा-भारत का विकास पथ इनपुट आधारित विकास से क्षमता आधारित विकास की ओर बढ़ रहा है। उन्होंने कहाकि सफलता को परिणामों, जवाबदेही, प्रयोग और ज़मीनीस्तर पर वास्तविक बदलाव के आधार पर मापा जाना चाहिए। उन्होंने कहाकि यूपीएससी को ऐसे व्यक्तियों का चयन करना चाहिए, जिनमें निर्णय क्षमता, लचीलापन और आजीवन सीखने की क्षमता हो।
प्रधान सचिव डॉ पीके मिश्रा ने प्रतिभा केलिए उभरती वैश्विक प्रतिस्पर्धा पर ज़ोर दिया। उन्होंने कहाकि भारत की सिविल सेवाओं को सर्वश्रेष्ठ प्रतिभाओं केलिए आकर्षण का केंद्र बने रहना चाहिए। उन्होंने कहाकि वैश्विक स्तर पर सक्रिय और महत्वाकांक्षी युवा, उद्देश्य, स्वायत्तता, चुनौती और प्रभाव चाहते हैं और सिविल सेवाओं को इन गुणों का अधिक सक्रियता और स्पष्टता से संचार करना चाहिए। डॉ पीके मिश्रा ने कहाकि विकसित भारत के निर्माण के लिए आने वाले दशकों को तीन सिद्धांतों से निर्देशित किया जाना चाहिए एक विकासपरक, सेवा उन्मुख राज्य केलिए सिविल सेवाओं का पुनः उद्देश्यीकरण, अत्यंत सक्षम व्यक्तियों की पहचान करने केलिए चयन की पुनः कल्पना करना और एक आजीवन सीखने वाले राज्य का निर्माण करना। डॉ पीके मिश्रा ने कहाकि मिशन कर्मयोगी एक अभिन्न अंग है, जो क्षमता निर्माण केलिए एक व्यवस्थित, तकनीक सक्षम, योग्यता संचालित दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है। उन्होंने कहाकि यह परिवर्तन नियम आधारित से भूमिका आधारित ढांचों की ओर एकसमान प्रशिक्षण से निरंतर सीखने की ओर और एकाकी कार्यप्रणाली से सहयोग की ओर बढ़ रहा है।
डॉ पीके मिश्रा ने कहाकि 3000 से ज़्यादा पाठ्यक्रमों और वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं के साथ, iGOT-कर्मयोगी प्लेटफ़ॉर्म इस विकास का आधार है और एक ऐसा कार्यबल तैयार करता है जो सेवा करते हुए सीखता है। प्रधान सचिव डॉ पीके मिश्रा ने कहाकि सिविल सेवाएं विकसित भारत की ओर भारत की यात्रा के केंद्र में हैं। उन्होंने कहाकि अधिकारियों को विभिन्न क्षेत्रों में सोचना चाहिए, विभिन्न क्षेत्रों में काम करना चाहिए और अपने काम को विनम्रता, निष्ठा और उद्देश्यपूर्णता केसाथ करना चाहिए। उन्होंने कहाकि उन्हें डेटा केसाथ भी उतने ही आत्मविश्वास से जुड़ना चाहिए जितनाकि लोगों केसाथ, नैतिक निर्णय और प्रशासनिक क्षमता में संतुलन बनाए रखना चाहिए और नेतृत्व करते हुए भी निरंतर सीखते रहना चाहिए।