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प्रधानमंत्री श्रीराम मंदिर में फहराएंगे धर्म ध्वजा

विकसित भारत का साक्षी भव्य और दिव्य श्रीराम मंदिर बनकर तैयार

अयोध्या नगरी धार्मिक, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक उत्सवों से गुलजार

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Monday 24 November 2025 06:27:30 PM

the magnificent and divine shri ram temple

अयोध्या। विकसित भारत का साक्षी भव्य और दिव्य श्रीराम मंदिर बनकर तैयार हो गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कल 25 नवंबर को अयोध्या में पवित्र श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के शिखर पर 22 फुट की धर्म ध्वजा फहराएंगे, जो मंदिर के निर्माणकार्य के पूरा होने एवं धार्मिक, आध्यात्मिक, सांस्कृतिक उत्सव और राष्ट्रीय एकता के नए अध्याय की शुरुआत का भी प्रतीक है। इसके साथही श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के एक विवादित सपने से लेकर श्रीराम मंदिर की जीवंत विरासत तककी यह भक्तिभाव की उल्लेखनीय यात्रा भी अपने गंतव्य पर पहुंच चुकी है। श्रीराम मंदिर राष्ट्रीय चेतना का मंदिर है और भगवान श्रीराम देशकी आस्था, नींव, विचार, विधि, चेतना, सोच, प्रतिष्ठा और गौरव हैं। धर्म ध्वजा फहराने का यह आयोजन मार्गशीर्ष महीने के शुक्ल पक्ष की शुभ पंचमी तिथि को हो रहा, जो श्रीराम और मां सीता की विवाह पंचमी के अभिजीत मुहूर्त केसाथ मेल खाता है। यह दिन नौवें सिख गुरु श्रीगुरु तेग बहादुरजी के शहीदी दिवस को भी दर्शाता है, जिन्होंने 17वीं सदी में अयोध्या में लगातार 48 घंटे तक ध्यान किया था, जिससे इस दिन का आध्यात्मिक महत्व औरभी ज्यादा बढ़ जाता है। अयोध्या में प्रातः सूर्य की पहली किरणें सिर्फ पत्थर के स्तंभों और नक्काशीदार मीनारों को ही प्रकाशित नहीं करतीं, वे उस कथा पर भी प्रकाश डालती हैं, जिसने शताब्दियों से भारत के सांस्कृतिक अंतस को गढ़ा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सप्तमंदिर जाकर महर्षि वशिष्ठ, महर्षि विश्वामित्र, महर्षि अगस्त्य, महर्षि वाल्मीकि, देवी अहिल्या, निषादराज गुहा और माता शबरी का दर्शन-पूजन करेंगे। इसके बाद वे शेषावतार मंदिर, माता अन्नपूर्णा मंदिर जाएंगे, राम दरबार गर्भगृह में दर्शन और पूजा करेंगे, तत्पश्चात वे रामलला गर्भगृह में दर्शन करेंगे। प्रधानमंत्री इस ऐतिहासिक मौके पर जनसभा को भी संबोधित करेंगे। अपनी पूरी भव्यता केसाथ खड़ा श्रीराम मंदिर सिर्फ वास्तुशिल्प का अद्भुत नमूना ही नहीं, बल्कि आस्था और समुत्थान का संगम है। अयोध्या सद्भाव, परम्परा और विकास के केंद्र के रूपमें फिरसे उभर रही है। श्रीराम मंदिर केवल पत्थरों से बनी एक संरचना नहीं है, यह समुत्थान, भक्ति और प्राचीन परंपरा और एक जुड़े हुए वैश्विक भविष्य केबीच सेतु का प्रतीक है। श्रीराम जन्मभूमि मंदिर पारंपरिक नागर स्थापत्य शैली में बना हुआ है, इसमें 392 स्तंभ और 44 प्रवेश द्वार हैं। इसके स्तंभों, दीवारों पर हिंदू देवताओं और देवियों की उत्कृष्ट नक्काशी की गई है। भूतल पर बने गर्भगृह में भगवान श्रीरामलला को प्रतिष्ठापित किया गया है। अयोध्या भगवान श्रीराम की जन्मस्थली है और श्रीराम मंदिर इसको विश्वभर के आस्थावानों केलिए आध्यात्मिक संकेतक बनाता है।
ज्ञातव्य हैकि अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर निर्माण की यात्रा भारत की लोकतांत्रिक संस्थाओं के जरिए एक लंबे कानूनी और सांस्कृतिक मामले को सुलझाए जाने का उदाहरण है। देश के सर्वोच्च न्यायालय ने 9 नवंबर 2019 को समूची 2.77 एकड़ विवादित भूमि एक सर्वसम्मत और ऐतिहासिक निर्णय के अंतर्गत श्रीराम मंदिर के निर्माण केलिए दे दी। न्यायालय ने विश्वभर के आस्थावानों केलिए इस स्थल के महत्व को स्वीकार किया। इस निर्णय की न्याय, मेलजोल और संवैधानिक सिद्धांतों की जीत के रूपमें सराहना की गई। इससे श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास की देखरेख में मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त हो गया और भारत सरकार ने 5 फरवरी 2020 को इसके लिए स्वीकृति प्रदान कर दी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 5 अगस्त 2020 को भूमि पूजन और शिलान्यास किया, जिसके साथही मंदिर निर्माण के संकल्प को मूर्तरूप मिल गया। प्रधानमंत्री ने कहा थाकि यह समारोह शताब्दियों की प्रतीक्षा के अंतका प्रतीक है, यह मंदिर भविष्य की पीढ़ियों को प्रेरित करेगा तथा संयोजकता और आर्थिक अवसरों में वृद्धि से क्षेत्रीय विकास को बढ़ावा देगा। श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में भक्ति गतिविधियों केलिए पांच मंडप हैं-नृत्य, रंग, सभा, प्रार्थना और कीर्तन मंडप साथही कुबेर टीला पर पुराने शिव मंदिर और ऐतिहासिक सीता कूप कुएं का जीर्णोद्धार भी किया गया है। श्रीराम मंदिर उन शिल्पकारों की अटूट आस्था का सबूत है, जिन्होंने दिनरात समर्पित रूपसे अनुकरणीय मेहनत की है।
श्रीराम मंदिर न सिर्फ़ अयोध्या की आध्यात्मिक विरासत को फिरसे जीवित करता है, बल्कि समग्र विकास कोभी बढ़ावा देता है, जिसमें महर्षि वाल्मीकि अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा और दोबारा से बनी नई सड़कें शामिल हैं। इन बुनियादी सुविधाओं से यहां के तीर्थ और आर्थिक विकास को बढ़ावा मिला है। इससे पहले भी श्रीराम मंदिर के निर्माण के उत्साह की भावना भारत के बाहर दूर तक गूंजी थी, उदाहरण केलिए त्रिनिदाद और टोबैगो अपनी राजधानी पोर्ट ऑफ स्पेन में एक भव्य श्रीराम मंदिर के निर्माण की योजना को आगे बढ़ा रहा है। यह मई 2025 में पोर्ट ऑफ़ स्पेन में अयोध्या के रामलला की मूर्ति की प्रतिकृति के अनावरण केबाद हुआ है। ऐसे कार्यक्रम आध्यात्मिक प्रयास और सांस्कृतिक भावना का महत्वपूर्ण मेल दिखाते हैं, साथही धार्मिक पर्यटन और तीर्थगमन के दरवाज़े भी खोलते हैं। श्रीराम मंदिर को अहमदाबाद के चंद्रकांत सोमपुरा ने डिज़ाइन किया है और इसका निर्माण कार्य विश्वप्रसिद्ध कंपनी लार्सन एंड टुब्रो और टाटा कंसल्टिंग इंजीनियर्स ने किया है। यह परियोजना प्राचीन शिल्पकौशल के अत्याधुनिक विज्ञान केसाथ जुड़ने का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। आईआईटी मद्रास, आईआईटी दिल्ली, आईआईटी बॉम्बे और आईआईटी गुवाहाटी सहित देश के प्रमुख संस्थानों के इंजीनियर और बुद्धिजीवी मंदिर के निर्माण में शामिल हैं, जो एक हज़ार साल तक कायम रहेगा। मंदिर में आधुनिक सुविधाएं समर्पित तीर्थयात्रा सुविधा केंद्र, बुज़ुर्ग भक्तों केलिए रैंप और आपातकालीन चिकित्सा सहायता आदि शामिल हैं।
श्रीराम मंदिर के शिखर पर फहराने वाली धर्म ध्वजा दस फ़ीट ऊंची और बीस फ़ीट लंबी, समकोण वाली तिकोनी है, इसपर चमकते सूरज की तस्वीर है, जो भगवान श्रीराम की प्रतिभा और वीरता का प्रतीक है। धर्म ध्वजा पर कोविदारा पेड़ की तस्वीर केसाथ 'ॐ' अंकित है। पवित्र भगवा ध्वज राम राज्य के आदर्शों को प्रतिबिंबित करते हुए गरिमा, एकता और सांस्कृतिक निरंतरता का संदेश देता है। मंदिर के चारों ओर बना 800 मीटर का परकोटा दक्षिण भारतीय स्थापत्य कला परंपरा में डिज़ाइन किया गया है, जो मंदिर की स्थापत्य कला विविधता को दर्शाता है। श्रीराम मंदिर परिसर में मुख्य मंदिर की बाहरी दीवारों पर वाल्मीकि रामायण पर आधारित भगवान श्रीराम के जीवन से जुड़े 87 प्रसंग बारीकी से नक्काशी किए गए पत्थरों पर अंकित हैं और घेरे की दीवारों पर कांस्य निर्मित पट्ट हैं, जिनपर भारतीय संस्कृति से जुड़े 79 प्रसंग उकेरे गए हैं। ये सभी आकर्षक और अद्वितीय क्रियाकलाप अयोध्या आने वाले श्रद्धालुओं एवं आगंतुकों को एक सार्थक और शिक्षाप्रद अनुभव प्रदान करते हैं तथा भगवान श्रीराम के जीवन और भारत की प्राचीन सांस्कृतिक विरासत के बारेमें गहन मार्गदर्शन भी करते हैं।

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