स्वतंत्र आवाज़
word map

इफ्फी में एक्टर अनुपम खेर की मास्टरक्लास

'हार मानना कोई विकल्प नहीं है और असफलता एक घटना है'

अनुपम खेर को पिताश्री से हार नहीं मानने की प्रेरणाएं मिलीं

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Monday 24 November 2025 02:20:47 PM

actor anupam kher's masterclass at iffi

पणजी। भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (इफ्फी) की मास्टरक्लास में प्रसिद्ध अभिनेता अनुपम खेर ने 'हार मानना कोई विकल्प नहीं है' विषय पर अपनी विशिष्ट बुद्धि और बुद्धिमत्ता से दर्शकों को प्रभावित किया। अनुपम खेर ने सत्र की शुरुआत अपनी फिल्म सारांश की शूटिंग से कुछ दिन पहले अपनी मुख्य भूमिका खोने और फिर उसे दोबारा पाने की कहानी से की। उन्होंने कहाकि छह महीने तक इस भूमिका में जीजान से जुटे रहने केबाद अचानक मिली अस्वीकृति ने उन्हें तोड़कर रख दिया था और निराशा में जब उन्होंने मुंबई शहर को हमेशा केलिए अलविदा कहने का निश्चय किया तो वे फिल्म के निर्देशक महेश भट्ट से आखिरीबार मिलने गए, उनकी तीखी प्रतिक्रिया देख महेश भट्ट ने पुनर्विचार किया और उन्हें फिरसे सारांश फिल्म में शामिल कर लिया। अनुपम खेर कहते हैंकि सारांश फिल्म अनुपम खेर के करियर का एक निर्णायक मोड़ बन गई, सारांश ने उन्हें हार न मानने का सबक सिखाया और यही झटका उनके उत्थान की शुरुआत बना।
अनुपम खेर पूरे सत्र में अपने जीवन के उदाहरण देते रहे। उन्होंने बतायाकि कैसे 14 सदस्य वाले एक तंग निम्न मध्यम वर्गीय घर में रहने के बावजूद उनके दादाजी बेफ़िक्र थे और जीवन केप्रति उनका नज़रिया अनोखा था। उन्होंने अपने खुशहाल बचपन को याद किया और छोटी-छोटी चीज़ों में खुशी ढूंढ़ने की अपने दादाजी की सीख साझा की। अनुपम खेर ने अपनी युवावस्था की एक मार्मिक याद साझा की, जिसमें उन्होंने बतायाकि कैसे उनके पिता, जो वन विभाग में क्लर्क थे, ने उनके सोचने के तरीके को आकार दिया। उन्होंने उस घटना को याद किया, जब उनके पिता को रिपोर्ट कार्ड से पता चलाकि खेर 60 छात्रों की कक्षा में 58वें स्थान पर थे। परिणाम से परेशान होने के बजाय उनके पिता ने एक लंबा विराम लिया और कहाकि जो व्यक्ति अपनी कक्षा में या खेलों में प्रथम आता है, उसपर हमेशा अपने ट्रैक रिकॉर्ड को बनाए रखने का दबाव रहता है, क्योंकि सर्वोच्च ग्रेड से कम कुछ भी असफलता जैसा लगता है, लेकिन जो व्यक्ति 58वें स्थान पर आया है, उसके पास अपनी स्थिति सुधारने के पूरे अवसर हैं तो मुझपर एक एहसान करो, अगलीबार 48वें स्थान पर आना!
अनुपम खेर ने स्पष्ट रूपसे समझायाकि व्यक्तित्व का अर्थ केवल यह हैकि आप जो हैं, उसमें सहज हैं। उन्होंने श्रोताओं से बार-बार आग्रह कियाकि वे स्वयं पर विश्वास करें और अपनी बायोपिक में लीड रोल करें। उन्होंने प्रश्न कियाकि जीवन आसान या सरल क्यों होना चाहिए? जीवन में समस्याएं क्यों नहीं होनी चाहिए? क्योंकि आपकी समस्याएं ही आपकी बायोपिक को सुपरस्टार बायोपिक बनाएंगी। इस हंसमुख और वन मैन शो ने पूरे प्रश्नोत्तर सत्र में सबका ध्यान खींचा। उन्होंने कहाकि हार मानना कोई विकल्प नहीं है, सिर्फ़ एक मुहावरा नहीं है, यह अविश्वसनीय तौर पर कड़ी मेहनत है। उन्होंने कहाकि मेरा मानना हैकि अगर आप कुछ चाहते हैं तो आपको त्याग करना होगा और खुदको दृढ़ रहने केलिए राजी करना होगा, आपको निराशाएं झेलनी पड़ेंगी, लेकिन अगर आप हार मान लेते हैं, तो कहानी वहीं खत्म हो जाती है।

हिन्दी या अंग्रेजी [भाषा बदलने के लिए प्रेस F12]