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भारत नॉलेज ग्राफ निर्माण में अदाणी ने दिए सौ करोड़

ग्लोबल इंडोलॉजी कॉन्क्लेव में विद्वानों ने भारतीय दर्शन पर अनुभव साझा किए

'श्रीराम' की शांति व 'श्रीकृष्ण' की बुद्धि ने अदाणी कॉन्क्लेव को खास बनाया

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Monday 24 November 2025 11:33:41 AM

adani global indology conclave

नई दिल्ली। अदाणी कॉर्पोरेट हाउस में ग्लोबल इंडोलॉजी कॉन्क्लेव में श्रीराम (अरुण गोविल) की शांति और श्रीकृष्ण (नीतीश भारद्वाज) की बुद्धि ने अदाणी कॉन्क्लेव को खास बना दिया और दुनियाभर से आए विद्वानों ने भी इंडोलॉजी भारतीय दर्शन और सांस्कृतिक अध्ययन पर अपने शोध और अनुभवों से वैश्विक अकादमिक जगत को भारतीय ज्ञान परंपरा की अनुकरणीय ज्ञान ऊर्जा प्रदान की। अदाणी ने शिक्षा मंत्रालय के इंडियन नॉलेज सिस्टम केसाथ तीन दिवसीय ग्लोबल इंडोलॉजी कॉन्क्लेव में भारतीय सभ्यता, भाषा, दर्शन और सांस्कृतिक विरासत पर केंद्रित खास चर्चा रखी थी। कॉन्क्लेव में चेयरमैन गौतम अदाणी ने भारत नॉलेज ग्राफ निर्माण और इंडोलॉजी मिशन में विद्वानों और तकनीकी विशेषज्ञों को प्रोत्साहित करने केलिए 100 करोड़ रुपये के संस्थापक योगदान की घोषणा की। उन्होंने कहाकि यह एक सभ्यतागत ऋण की अदायगी है।
अदाणी कॉन्क्लेव के विशेष सत्र में प्रमुख टीवी कलाकार अरुण गोविल और नीतीश भारद्वाज ने समकालीन जीवन में इन दोनों पात्रों की प्रासंगिकता पर विस्तार से विचार रखे। मेरठ से सांसद और रामायण के ‘राम’ अरुण गोविल ने कहाकि श्रीराम केवल एक धार्मिक पात्र नहीं, बल्कि मूर्तिमंत्र हैं, एक ऐसा आदर्श जो व्यक्ति और समाज दोनों को मार्ग दिखाता है। उन्होंने कहाकि रामायण केवल धर्मग्रंथ नहीं, बल्कि पारिवारिक और सामाजिक रिश्तों का विस्तृत तानाबाना है, जो हर युग में प्रासंगिक है। अरुण गोविल ने बतायाकि श्रीराम का जीवन इसलिए प्रेरक है, क्योंकि उन्होंने पुत्रधर्म और राजधर्म दोनों को संतुलन केसाथ निभाया। उन्होंने कहाकि श्रीराम नैतिकता, मानवीय मूल्यों और सकारात्मकता के प्रतीक हैं और उनकी जीवनयात्रा अपने आपमें एक शिक्षावली सूत्र है।
महाभारत टीवी धारावाहिक के ‘श्रीकृष्ण’ नीतीश भारद्वाज ने कहाकि त्रेतायुग में स्थापित श्रीराम के आदर्शों को श्रीकृष्ण ने द्वापरयुग में आगे बढ़ाया और उन्हें व्यावहारिक धरातल पर लागू किया। उन्होंने कहाकि सनातन हिंदू सभ्यता को विकसित करना ही धर्म है, श्रीकृष्ण ने परिवार, समाज और राष्ट्रहित में निर्णय लेकर धर्म के व्यावहारिक स्वरूप को स्थापित किया। नीतीश भारद्वाज ने स्पष्ट कियाकि श्रीराम और श्रीकृष्ण का चरित्र केवल पौराणिक संदर्भों तक सीमित नहीं है, बल्कि समाज और परिवार के कल्याण केलिए समयानुसार उचित निर्णय लेने की प्रेरणा देता है।

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