देश आदिवासी गौरव एवं वीरता से सुशोभित-पीएम नरेंद्र मोदी
आदिवासियों की बोलियों के अध्ययन के लिए भाषा संवर्धन केंद्रस्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Saturday 15 November 2025 06:56:04 PM
डेडियापाड़ा (गुजरात)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती पर गुजरात के डेडियापाड़ा में जनजातीय गौरव दिवस कार्यक्रम को संबोधित किया। उन्होंने भगवान बिरसा मुंडा को नमनपूर्वक श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने कहाकि भारत में 15 नवंबर भगवान बिरसा मुंडा की जयंती जनजातीय गौरव दिवस के रूपमें मनाई जाती है, हमें भारतीयता में रच बसकर नई शक्ति और उत्साह केसाथ ऐसे ही गौरव के शिखर प्राप्त करने चाहिएं। उन्होंने 9700 करोड़ रुपये से अधिक की विभिन्न बुनियादी ढांचा और विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास भी किया। नरेंद्र मोदी ने स्मरण कियाकि 31 अक्टूबर को सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वीं जयंती इसी स्थान पर मनाई गई थी और भारत की एकता और विविधता का उत्सव मनाने केलिए भारत पर्व की शुरुआत हुई थी। प्रधानमंत्री ने कहाकि आज भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती के भव्य समारोह केसाथ हम भारत पर्व के चरमोत्कर्ष के साक्षी बने हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि गुजरात, राजस्थान, मध्यप्रदेश सहित पूरे आदिवासी क्षेत्रमें स्वतंत्रता की अलख जगाने वाले गोविंद गुरु का आशीर्वाद भी इस आयोजन से जुड़ा है। उन्होंने गोविंद गुरु को श्रद्धांजलि अर्पित की। नरेंद्र मोदी ने देवमोगरा माता के मंदिर में उनका दर्शन किया। प्रधानमंत्री ने कहाकि डेडियापाड़ा और सागबारा क्षेत्र संत कबीर की शिक्षाओं से प्रेरित है और वे संत कबीर की भूमि वाराणसी से सांसद हैं, इसलिए संत कबीर का उनके जीवन में विशेष स्थान है। उन्होंने संत कबीर को भी श्रद्धांजलि अर्पित की। नरेंद्र मोदी ने उल्लेख कियाकि प्रधानमंत्री जनमन जैसी कई योजनाओं में इस क्षेत्र के एक लाख परिवारों को पक्के घर उपलब्ध कराए हैं, बड़ी संख्या में एकलव्य मॉडल स्कूलों और आश्रम विद्यालयों का भी उद्घाटन और शिलान्यास किया है। प्रधानमंत्री ने बतायाकि बिरसा मुंडा जनजातीय विश्वविद्यालय में गोविंद गुरु पीठ स्थापित की गई है, स्वास्थ्य, सड़क और परिवहन से जुड़ी कई परियोजनाएं भी शुरू की गई हैं। उन्होंने कहाकि 2021 से भगवान बिरसा मुंडा की जयंती को आधिकारिक तौरपर जनजातीय गौरव दिवस के रूपमें मनाया जा रहा है, जनजातीय गौरव हजारों वर्ष से भारत की चेतना का अभिन्न अंग है, जबभी राष्ट्र के सम्मान, स्वाभिमान और स्वतंत्रता पर प्रश्नचिह्न लगा, जनजातीय समुदाय सबसे आगे खड़ा रहा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि भारत का स्वतंत्रता संग्राम इसी भावना का सबसे बड़ा उदाहरण है, जनजातीय समुदाय के अनगिनत वीरों ने स्वतंत्रता की मशाल को आगे बढ़ाया है। उन्होंने तिलका मांझी, रानी गाइदिन्ल्यू, सिद्धो कान्हो, भैरव मुर्मू, बुद्धू भगत और अल्लूरी सीताराम राजू को जनजातीय समाज के प्रेरक व्यक्तित्व बताए। उन्होंने मध्य प्रदेश के टंट्या भील, छत्तीसगढ़ के वीर नारायण सिंह, झारखंड के तेलंगा खड़िया, असम के रूपचंद कोंवर और ओडिशा के लक्ष्मण नायक जैसे वीर व्यक्तियों का उल्लेख किया, जिन्होंने भारत की स्वतंत्रता केलिए बलिदान दिए। उन्होंने कहाकि जनजातीय समुदाय ने अनगिनत विद्रोहों का नेतृत्व किया और राष्ट्र की स्वतंत्रता केलिए अपना खून बहाया है। प्रधानमंत्री ने भगत आंदोलन का नेतृत्व करने वाले गोविंद गुरु, पंचमहल में ब्रिटिश सरकार के खिलाफ लंबी लड़ाई लड़ने वाले राजा रूपसिंह नायक, एकी आंदोलन के प्रणेता मोतीलाल तेजावत और गांधीजी के सिद्धांतों को आदिवासी समाज तक पहुंचाने वाली दशरीबेन चौधरी का उल्लेख किया। उन्होंने कहाकि स्वतंत्रता संग्राम के अनगिनत अध्याय आदिवासी गौरव और वीरता से सुशोभित हैं।
नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता संग्राम में आदिवासी समुदाय के योगदान को भावी पीढ़ियों तक पहुंचाने के महत्व पर ज़ोर दिया। उन्होंने बतायाकि देशभर में कई आदिवासी संग्रहालय स्थापित किए जा रहे हैं। गुजरात के राजपीपला में 25 एकड़ में एक विशाल आदिवासी संग्रहालय का निर्माण किया जा रहा है। उन्होंने बतायाकि कुछ दिन पहले उन्होंने छत्तीसगढ़ में शहीद वीर नारायण सिंह आदिवासी संग्रहालय का उद्घाटन किया था। उन्होंने रांची स्थित उस जेल का भी ज़िक्र किया, जहां बिरसा मुंडा को कैद किया गया था, जिसे आदिवासी संग्रहालय के रूपमें विकसित किया जा रहा है। जनजातीय भाषा संवर्धन केंद्र केलिए गोविंद गुरु पीठ की स्थापना की घोषणा करते हुए प्रधानमंत्री ने कहाकि भाषा संवर्धन केंद्र भील, गामित, वसावा, गरासिया, कोंकणी, संथाल, राठवा, नायक, डबला, चौधरी, कोकना, कुंभी, वारली और डोडिया जैसे आदिवासी समुदायों की बोलियों का अध्ययन करेगा। इन समुदायों से जुड़ी कहानियों और गीतों को संरक्षित किया जाएगा। प्रधानमंत्री ने कहाकि आदिवासी समाज के पास हज़ारों वर्ष के अनुभव से अर्जित ज्ञान है। उन्होंने कहाकि उनकी जीवनशैली में विज्ञान समाहित है, उनकी कहानियों में दर्शन है और उनकी भाषाओं में पर्यावरण की समझ है। उन्होंने कहाकि श्रीगोविंद गुरु पीठ नई पीढ़ी को इस समृद्ध परंपरा से जोड़ने का काम करेगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आदिवासी समुदायों तक विकास का लाभ पहुंचाने के सरकार के अटूट संकल्प की पुष्टि की। नरेंद्र मोदी ने कहाकि अटल बिहारी वाजपेयी के शासनकाल में उनकी पार्टी ने आदिवासी मामलों केलिए एक अलग मंत्रालय की स्थापना की थी, अटलजी के कार्यकाल केबाद आने वाली सरकारों ने दस वर्ष तक इस मंत्रालय की उपेक्षा की। उन्होंने कहाकि 2013 में तत्कालीन सरकार ने आदिवासी कल्याण केलिए केवल कुछ हज़ार करोड़ रुपये आवंटित किए थे। प्रधानमंत्री ने कहाकि आज आदिवासी लोगों के कल्याण केलिए जनजातीय मामलों के मंत्रालय का बजट कई गुना बढ़ गया है। नरेंद्र मोदी ने कहाकि उन्होंने गुजरात के मुख्यमंत्री कार्यकाल में डेडियापाड़ा से ही कन्या केलवणी महोत्सव का शुभारंभ किया था। उन्होंने कहाकि सरकार आदिवासी बच्चों के उज्ज्वल भविष्य केलिए दिन-रात काम कर रही है। उन्होंने कहाकि आदिवासी युवा दुनियाभर में तिरंगे का सम्मान बढ़ा रहे हैं, जहां मैरी कॉम, थोनाकल गोपी, दुती चंद और बाईचुंग भूटिया जैसे नाम सुप्रसिद्ध थे, वहीं अब हर बड़ी प्रतियोगिता में आदिवासी क्षेत्रों से उभरते हुए एथलीट नज़र आते हैं।
प्रधानमंत्री ने बतायाकि भारत की महिला क्रिकेट टीम ने हाल ही में विश्व कप जीतकर इतिहास रचा है और उस जीत में आदिवासी समुदाय की एक बेटी की अहम भूमिका रही है। उन्होंने कहाकि सरकार आदिवासी क्षेत्रों में नई प्रतिभाओं की पहचान करने और उन्हें बढ़ावा देने का निरंतर काम कर रही है, आदिवासी क्षेत्रोंमें खेल सुविधाओं का भी विस्तार किया जा रहा है। प्रधानमंत्री ने नर्मदा ज़िले का उदाहरण दिया, जिसे कभी पिछड़ा माना जाता था। उन्होंने कहाकि केंद्र सरकार की कई योजनाएं सीधे आदिवासी बहुल राज्यों और वंचित वर्गों केलिए शुरू की जाती हैं, आयुष्मान भारत योजना की शुरुआत रांची से ही हुई थी। नरेंद्र मोदी ने कहाकि धरती आबा आदिवासी ग्राम उत्कर्ष अभियान भी पिछड़े आदिवासी गांवों में विकास का एक नया अध्याय लिख रहा है, देशभर के 60000 से ज़्यादा गांव इस अभियान से जुड़ चुके हैं, इनमें से हज़ारों गांवों को पहलीबार पाइप से पेयजल मिला है और सैकड़ों गांवों को अब टेलीमेडिसिन सेवाएं भी मिल रही हैं। उन्होंने बतायाकि लघु वन उपजों की संख्या 20 से बढ़ाकर लगभग 100 कर दी गई है, उनका न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ा दिया गया है। उन्होंने कहाकि सरकार मोटे अनाज को सक्रिय रूपसे बढ़ावा दे रही है। प्रधानमंत्री ने कहाकि सिकल सेल रोग से निपटने केलिए एक राष्ट्रव्यापी अभियान चलाया जा रहा है।
नरेंद्र मोदी ने कहाकि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति केतहत स्थानीय भाषाओं में शिक्षा का प्रावधान किया गया है, आदिवासी बच्चे, जो पहले भाषाई बाधाओं के कारण पीछे रह जाते थे, अब स्थानीय भाषा में शिक्षा प्राप्त करके आगे बढ़ रहे हैं। नरेंद्र मोदी ने कलाकार परेशभाई राठवा का उल्लेख किया, जिन्हें पद्म पुरस्कार से सम्मानित किया है। प्रधानमंत्री ने कहाकि सरकार का उद्देश्य आदिवासी समुदाय को शीर्ष पदों पर पहुंचते और राष्ट्र का नेतृत्व करते देखना है, आज भारत की राष्ट्रपति एक आदिवासी महिला हैं हीं। उन्होंने कहाकि छत्तीसगढ़ में विष्णुदेव साय, ओडिशा में मोहन चरण माझी, अरुणाचल प्रदेश में पेमा खांडू और नागालैंड में नेफ्यू रियो आदिवासी नेताओं को मुख्यमंत्री बनाया गया है, कई राज्य विधानसभाओं में आदिवासी अध्यक्षों की नियुक्ति की है। उन्होंने कहाकि गुजरात के मंगूभाई पटेल वर्तमान में मध्य प्रदेश के राज्यपाल के रूपमें कार्यरत हैं। उन्होंने कहाकि असम के पूर्व मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल अब उनके मंत्रिमंडल में केंद्रीय मंत्री हैं, राष्ट्र के विकास में इन नेताओं की सेवा और योगदान अद्वितीय और असाधारण है। प्रधानमंत्री ने कहाकि 'सबका साथ, सबका विकास' के मंत्र ने राष्ट्रीय एकता को मजबूत किया है और लंबे समय से उपेक्षित आदिवासी समुदायों को मुख्यधारा में लाया गया है।