भारत का भूटान को सद्भावना उपहार भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेष
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 11 और 12 नवंबर 2025 को भूटान यात्रास्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Monday 10 November 2025 03:24:30 PM
थिम्पू। वैश्विक संघर्षों केबीच विश्वशांति और मानवता के कल्याण केलिए प्रार्थना हेतु 4 नवंबर से प्रारंभ हुआ भूटान की राजधानी थिम्पू में हो रहा 16 दिवसीय विश्व शांति प्रार्थना महोत्सव एक समर्पित वैश्विक पहल है। भूटान की शाही सरकार वैश्विक शांति, करुणा और आध्यात्मिक सद्भाव को बढ़ावा देने के व्यापक प्रयास के अंतर्गत इस महोत्सव का आयोजन कर रही है। भारत की ओर से केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री डॉ वीरेंद्र सिंह ने इसमें भाग लिया। डॉ वीरेंद्र सिंह ने इस अवसर पर भारत और भूटान केबीच गहरे आध्यात्मिक संबंधों और स्थायी मित्रता का उल्लेख किया और विश्व शांति प्रार्थना महोत्सव को साझी सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत का प्रतिबिंब कहा, जिसने सदियों से दोनों देशों को बांधे रखा है। वैश्विक शांति प्रार्थना महोत्सव का थिम्पू के चांगलिमथांग मैदान में भूटान नरेश जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक और भूटान के मुख्य मठाधीश ट्रुलकु जिग्मे चोएद्रा ने उद्घाटन किया।
विश्व शांति प्रार्थना महोत्सव के प्रमुख आयोजनों में से एक है जाब्ज़ी, एक गहन वज्रयान बौद्ध अनुष्ठान है। इस अनुष्ठान में नकारात्मक कर्मों को शुद्ध करते हुए विनाशकारी शक्तियों को समाप्त किया जाता है। इस सप्ताह की शुरुआत में प्रारंभ हुआ यह अनुष्ठान 10 नवंबर तक चला। जाब्ज़ी अनुष्ठान एक शक्तिशाली प्रतिबल, एक बाधा निवारक के रूपमें कार्य करता है और यह सुनिश्चित करता हैकि वैश्विक शांति प्रार्थना की पवित्र ऊर्जाएं दुनियाभर में निर्बाध रूपसे प्रसारित हों। इसके बाद शांति और शम्भाला के आध्यात्मिक स्वर्ग का प्रतीक कालचक्र अभिषेक भी आयोजित किया गया। ऐतिहासिक राष्ट्रीय संग्रहालय दिल्ली में स्थापित भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेष भारत की ओर से भूटान को सद्भावना उपहार के रूपमें भूटान पहुंच गए हैं, जो वैश्विक शांति प्रार्थना महोत्सव 2025 केसाथ मेल खाता है। गहरी श्रद्धा केसाथ पवित्र अवशेषों का भूटान के लोगों ने गर्मजोशी से स्वागत किया और ताशिचोदज़ोंग के ग्रैंड कुएंरे में पूरी तरह से स्थापित किया गया। ये अवशेष 18 नवंबर तक ताशिचोदज़ोंग के ग्रैंड कुएंरे में स्थापित रहेंगे। गौरतलब हैकि यह आयोजन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 11-12 नवंबर 2025 को भूटान यात्रा के दौरान हो रहा है।
भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेषों की प्रतिष्ठापना भूटान नरेश जिग्मे सिंग्ये वांगचुक की 70वीं जन्म जयंती पर होगी, जिनके दूरदर्शी नेतृत्व ने भूटान में लोकतंत्र की शुरुआत की और दुनिया के अंतिम वज्रयान बौद्ध साम्राज्य के रूपमें इसकी पहचान को मज़बूत किया। भूटान में भारत के राजदूत संदीप आर्य ने कहा हैकि वैश्विक शांति प्रार्थना महोत्सव में भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेषों के आगमन पर भूटान में अपार श्रद्धाभाव व्यक्त किया जा रहा है। भूटान के प्रधानमंत्री ल्योंछेन शेरिंग तोबगे ने इन अवशेषों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से भूटान की जनता केलिए एक उपहार बताते हुए कहाकि यह दोनों देशों केबीच मज़बूत राजनीतिक और विकासात्मक साझेदारी, आध्यात्मिक सहयोग का प्रतीक है। उन्होंने इस उत्सव के समर्थन केलिए भारत सरकार का आभार व्यक्त किया और शांति एवं आध्यात्मिक एकता केप्रति भूटान की प्रतिबद्धता की पुष्टि की। भूटान नरेश का परिकल्पित वैश्विक शांति प्रार्थना महोत्सव पृथ्वी पर शांति केलिए सार्वभौमिक आह्वान है, यह भूटान की अनूठी आध्यात्मिक विरासत का उत्सव है और उन साझा बौद्ध मूल्यों की पुष्टि करता है, जिन्होंने लंबे समय से भारत और भूटान संबंधों को दिशा दी है।