पश्मीना ऊन खुबानी से पर्यटन तक को जीएसटी कटौती का भारी लाभ
लद्दाख अद्वितीय भूगोल, संस्कृति और शिल्प कौशल से है समृद्धस्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Wednesday 22 October 2025 03:12:06 PM
लेह। देशभर में उत्पादों और सेवाओं में जीएसटी कटौती से लद्दाख की अर्थव्यवस्था भी लाभांवित हो रही है, यहां के कारीगरों, किसानों और छोटे उद्यमों को बड़ी राहत मिल रही। केंद्र सरकार ने दावा किया हैकि जीएसटी कर सुधार आजीविका सृजन, सांस्कृतिक संरक्षण और लद्दाख की अर्थव्यवस्था के सतत विकास का समर्थन करेंगे। गौरतलब हैकि लद्दाख की अर्थव्यवस्था अपने अद्वितीय भूगोल, संस्कृति और शिल्प कौशल में गहराई से निहित है, यहां पारंपरिक आजीविका उभरते पर्यावरण अनुकूल उद्योगों केसाथ जुड़ी हुई है। उच्च गुणवत्ता वाले पश्मीना ऊन, खुबानी के बागों से जटिल थांगका पेंटिंग और टिकाऊ पर्यटन तक प्रत्येक क्षेत्रके लद्दाख के कौशल और विरासत को दर्शाते हैं। लद्दाख के सबसे मूल्यवान पारंपरिक शिल्पों में से एक पश्मीना ऊन का उत्पादन लेह के चांगथांग क्षेत्रमें होता है, इससे 10000 से अधिक खानाबदोश चरवाहों का जीवनयापन होता है। पश्मीना गर्मी, कोमलता और सुंदरता केलिए जानी जाती है और इसका उपयोग प्रीमियम शॉल, स्टोल जैसे वस्त्रों केलिए किया जाता है।
लद्दाखी पश्मीना पर जीएसटी पांच प्रतिशत होने से आयातित या मशीन से बने विकल्पों की तुलना में प्रामाणिक प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। इससे स्थानीय चरवाहों और कारीगरों केलिए आय स्थिरता में सुधार करने और निर्यात वृद्धि बढ़ाने में भी मदद मिलेगी। लेह और कारगिल के हाथ से बुने हुए ऊनी और नमदा गलीचे लद्दाख की ऊन शिल्प कौशल की समृद्ध परंपरा का प्रतिनिधित्व करते हैं। याक और भेड़ की ऊन का उपयोग रंगे और विशिष्ट वस्त्र बनाने केलिए किया जाता है। जीएसटी घटने से उत्पादन लागत कम करने में मदद मिलती है और पारंपरिक हस्तशिल्प तौर-तरीकों में सुधार को प्रोत्साहित किया जाता है। इससे ऊन प्रसंस्करण और गलीचा बनाने में लगे स्थानीय कारीगरों और सहकारी समितियों को महत्वपूर्ण लाभ मिलने की उम्मीद है। लेह और चांगथांग के ऊन महसूस किए गए उत्पाद और ऊनी सामान जैसेकि फेल्ट जूते, टोपी और दस्ताने, लद्दाख की पारंपरिक शिल्प संस्कृति को बढ़ाते हैं। इन वस्तुओं का उपयोग स्थानीय रूपसे किया जाता है और ये पर्यटकों केबीच भी खरीददारी केलिए लोकप्रिय हैं। ऊन प्रसंस्करण और उत्पाद निर्माण में लगे छोटे पैमाने पर मौसमी कुटीर उद्योगों और कारीगरों की आय में वृद्धि की आशा है।
लेह और कारगिल की पारंपरिक लद्दाखी बढ़ईगीरी में जटिल नक्काशीदार लकड़ी की वेदी, खिड़की के फ्रेम और फर्नीचर प्रमुख दस्तकारी वस्तुओं को अधिक किफायती और बाजार प्रतिस्पर्धी बनाने की उम्मीद है। इससे हाशिए पर रहने वाले कई समुदायों सहित पारंपरिक शिल्पकारों को सहयोग तो मिलेगा ही साथही लद्दाख की सांस्कृतिक और कलात्मक विरासत के संरक्षण को प्रोत्साहन भी मिलेगा। पारंपरिक बौद्ध स्क्रॉल कला लद्दाखी थांगका पेंटिंग लेह अलची और हेमिस के मठों में तैयार की जाती है, इनका उपयोग ध्यान और सजावट केलिए किया जाता है। जीएसटी घटने से इन जटिल चित्रों को अधिक सुलभ और आर्थिक रूपसे व्यवहार्य बनाया जा सकता है, इससे लद्दाख की सांस्कृतिक विरासत के महत्वपूर्ण हिस्से को संरक्षित करने में मदद मिलती है। लेह, नुब्रा, पैंगोंग और कारगिल में स्थानीय पर्यटन और होमस्टे लद्दाख की सेवा अर्थव्यवस्था और 25000 से अधिक लोगों को रोज़गार से जोड़ती है, खासकर व्यस्त पर्यटन सीजन के दौरान प्रतिरात 7500 रुपये तकके होटल टैरिफ पर जीएसटी घटने से यात्रा और आवास अधिक किफायती हो गया है। यह पहल इकोटूरिज्म और स्थानीय होमस्टे अर्थव्यवस्था के विकास में सहायता करेगा।
लद्दाख देश का सबसे बड़ा खुबानी उत्पादक है, इसमें कारगिल, लेह और नुब्रा घाटी मुख्य उत्पादन केंद्र हैं। जीएसटी कटौती से खुबानी की खेती और प्रसंस्करण में लगे 6000 किसान परिवारों को लाभ होता है। इससे स्थानीय रूपसे उत्पादित खुबानी और उनके मूल्यवर्धित उत्पादों जैसे सूखी खुबानी, जैम और तेल की प्रतिस्पर्धात्मकता में सुधार होने की उम्मीद है, इससे ये अधिक बाजार अनुकूल बन जाएंगे, बेहतर आय अवसर पैदा होंगे और खुबानी उत्पादन में लगे उद्यमों को प्रोत्साहन मिलेगा। लद्दाख की नुब्रा घाटी, लेह और चांगथांग क्षेत्रोंमें उगाई जानेवाली सी बकथॉर्न अपने औषधीय और पोषण सम्बंधी गुणों केलिए प्रसिद्ध है। कम जीएसटी से स्थानीय रूपसे निर्मित सी बकथॉर्न उत्पादों की प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ने की उम्मीद है, जिससे वे अधिक किफायती और बाजार अनुकूल बन जाएंगे। चांगथांग और नुब्रा के याक पनीर व दूध उत्पाद लद्दाख के खानाबदोश समुदायों के उत्पादित पारंपरिक डेयरी उत्पाद हैं। लेह बेरी या बकथॉर्न बेरी लेह और नुब्रा से स्वास्थ्य पेय और पूरक की एक श्रृंखला के उत्पादन में उपयोग किया जाता है। जीएसटी घटने से स्थानीय कृषि प्रसंस्करण में निवेश को प्रोत्साहन मिलेगा, छोटे उत्पादकों का उत्थान होगा और प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी।
शाम घाटी और कारगिल में जैविक खेती गति पकड़ रही है, किसान हर्बल चाय, सूखी सब्जियां आदि का उत्पादन कर रहे हैं। जीएसटी घटने से लागत कम करके और लाभप्रदता में सुधार करके छोटे पैमाने के जैविक खेती करने वाले किसानों का समर्थन करता है। इससे लद्दाख की जैविक कृषि अर्थव्यवस्था को मजबूत करते हुए टिकाऊ कृषि पद्धतियों को व्यापक रूपसे अपनाने को प्रोत्साहित करने की उम्मीद है। जीएसटी सुधार लद्दाख के पारंपरिक कारीगरों और किसानों को सशक्त बनाकर उसकी अर्थव्यवस्था केलिए एक परिवर्तनकारी कदम हैं। पश्मीना बुनकरों और खुबानी उत्पादकों से डालेचुक (सी बकथॉर्न) की पैदावार करने वाले और होमस्टे मालिकों तक प्रत्येक क्षेत्र को कम लागत, बेहतर प्रतिस्पर्धात्मकता और उच्च आय के माध्यम से लाभ प्राप्त करना है। ये सुधार लद्दाख की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करेंगे, पर्यावरण अनुकूल उद्योगों को मजबूत करेंगे और स्थानीय उत्पादों को अधिक किफायती और विपणन योग्य बनाएंगे।