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Friday 19 September 2025 05:58:25 PM
नई दिल्ली। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने आज साउथ ब्लॉक नई दिल्ली में भारतीय सेना के साठ वर्ष पूर्व पाकिस्तान पर भारत की विजय हीरक जयंती कार्यक्रम में वर्ष 1965 के युद्ध के वीर सैनिकों और शहीद नायकों के परिवारों से मुलाकात की। रक्षामंत्री ने कर्तव्य पथ पर सर्वोच्च बलिदान देनेवाले और शक्ति परीक्षण में भारत की विजय सुनिश्चित करने वाले योद्धाओं को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने इस अवसर पर कहाकि पाकिस्तान ने सोचा थाकि भारत में वह घुसपैठ, गुरिल्ला रणनीति और आश्चर्यजनक हमलों से देश को भयभीत कर सकता है, लेकिन उसे यह नहीं पता थाकि प्रत्येक भारतीय सैनिक इस भावना केसाथ मातृभूमि की सेवा करता हैकि राष्ट्र की संप्रभुता और अखंडता से किसीभी कीमत पर समझौता नहीं किया जा सकता। राजनाथ सिंह ने युद्ध के दौरान लड़ी गई विभिन्न लड़ाइयों, जिनमें असल उत्तर की लड़ाई, चाविंडा की लड़ाई और फिलोरा की लड़ाई शामिल हैं, में भारतीय सैनिकों की अद्वितीय वीरता और देशभक्ति पर प्रकाश डाला।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने परमवीरचक्र से सम्मानित कंपनी क्वार्टर मास्टर हवलदार अब्दुल हमीद के अदम्य साहस और वीरता का विशेष उल्लेख किया, जिन्होंने असल उत्तर की लड़ाई के दौरान मशीन गन और टैंक की गोलाबारी की निरंतर बौछार केबीच शत्रु के असंख्य टैंकों को नष्ट करते हुए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए थे। उन्होंने कहाकि अब्दुल हमीद ने हमें सिखायाकि वीरता हथियार के आकार पर नहीं, बल्कि हृदय के आकार पर निर्भर करती है, उनकी वीरता हमें सिखाती हैकि सबसे कठिन परिस्थितियों में भी साहस, संयम और देशभक्ति का मेल असंभव कोभी संभव बना सकता है। रक्षामंत्री ने उस समय की राजनीतिक इच्छाशक्ति और नेतृत्व को श्रेय देते हुए कहाकि कोईभी युद्ध केवल युद्धभूमि पर नहीं लड़ा जाता, युद्ध में विजय पूरे राष्ट्र के सामूहिक संकल्प का परिणाम होती है। उन्होंने कहाकि वर्ष 1965 के दौर में लालबहादुर शास्त्री के दृढ़ इच्छाशक्ति वाले नेतृत्व के कारण ही भारत अनिश्चितताओं और चुनौतियों का डटकर सामना कर पाया, उन्होंने न केवल निर्णायक राजनीतिक नेतृत्व प्रदान किया, बल्कि राष्ट्र का मनोबल भी ऊंचाइयों तक पहुंचाया। रक्षामंत्री ने कहाकि विपरीत परिस्थितियों में भी हमने एकजुटता का परिचय दिया और युद्ध जीता।
राजनाथ सिंह ने कहाकि भारतीयों ने बार-बार यह साबित किया हैकि भारत अपना भाग्य स्वयं रचता है। उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर को इस दृढ़ संकल्प का एक ज्वलंत उदाहरण बताया। उन्होंने कहाकि पहलगाम में निहत्थे निर्दोष नागरिकों पर हुआ कायराना आतंकवादी हमला आजभी हमारे दिलों में पीड़ा और शोक भर देता है, इसने हमें झकझोर दिया, लेकिन हमारा मनोबल नहीं तोड़ पाया। उन्होंने कहाकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आतंकवादियों को ऐसा सबक सिखाने का संकल्प लिया, जिसकी आतंकवादियों ने कभी कल्पना भी नहीं की होगी, भारतीय सेनाओं के ऑपरेशन सिंदूर ने शत्रुओं को दिखा दियाकि भारत कितना शक्तिशाला है। रक्षामंत्री ने कहाकि जिस समन्वय और साहस केसाथ हमारे सुरक्षाबलों ने ऑपरेशन सिंदूर को फलीभूत किया, वह इस बातका प्रमाण हैकि जीत अब हमारे लिए कोई अपवाद नहीं है, यह हमारी आदत बन गई है, हमें इस आदत को हमेशा बनाए रखना चाहिए। रक्षामंत्री ने सेवारत सैनिकों, पूर्व सैनिकों और शहीदों के परिवारों के सम्मान एवं कल्याण केप्रति नरेंद्र मोदी सरकार के अटूट संकल्प को दोहराया और इसे सर्वोच्च प्राथमिकता बताया। उन्होंने कहाकि रक्षा आधुनिकीकरण, सैनिकों के बेहतर प्रशिक्षण और उपकरणों के उन्नयन का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना हैकि सेनाओं को कभीभी संसाधनों की कमी का सामना न करना पड़े।
भारतीय थल सेनाध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी, पश्चिमी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ लेफ्टिनेंट जनरल मनोज कुमार कटियार, दिल्ली क्षेत्र के जनरल ऑफिसर कमांडिंग लेफ्टिनेंट जनरल भवनीश कुमार ने भी इस कार्यक्रम को संबोधित किया। लेफ्टिनेंट जनरल मनोज कुमार कटियार ने 1965 के युद्ध में पश्चिमी कमान की भूमिका पर ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य प्रस्तुत किया, जिसमें परिचालन चुनौतियों और विजयों पर प्रकाश डाला गया। एक विशेष रूपसे तैयार की गई वृत्तचित्र फिल्म दिखाई गई, जिसमें असल उत्तर, अखनूर और खेमकरण जैसी महत्वपूर्ण लड़ाइयों में सैनिकों की वीरता को याद किया गया। युद्ध में शामिल पूर्व सैनिकों ने अपने अनुभवों में औरभी गहराई लाते हुए अपने व्यक्तिगत अनुभव साझा किए। लेफ्टिनेंट जनरल सतीश के नांबियार (सेवानिवृत्त) ने रणनीतिक विचार प्रस्तुत किए। वीरचक्र से सम्मानित मेजर आरएस बेदी (सेवानिवृत्त) ने युद्ध के मैदान की अपनी रोमांचक कहानी सुनाई, जिसमें भारतीय सैनिकों के अदम्य साहस और दृढ़ता का उदाहरण प्रस्तुत किया गया। पाकिस्तान पर भारत की विजय हीरक जयंती कार्यक्रम 1965 के युद्ध में बलिदानों की याद दिलाता है और भावी पीढ़ियों को साहस, बलिदान व स्वयं से पहले सेवा के स्थायी मूल्यों को बनाए रखने केलिए प्रेरित करता है।