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Tuesday 21 October 2025 04:17:25 PM
नई दिल्ली। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने पुलिस स्मृति दिवस पर आज दिल्ली राष्ट्रीय पुलिस स्मारक पर जाकर शहीद नायकों को भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की और राष्ट्र केप्रति उनके अदम्य साहस व सेवा केलिए पुलिस एवं अर्धसैनिक बलों केप्रति कृतज्ञता व्यक्त की। ज्ञातव्य हैकि वर्ष 1959 में आज 21 अक्टूबर के दिन लद्दाख के हॉट स्प्रिंग्स क्षेत्रमें भारी हथियारों से लैस चीनी सैनिकों के घात लगाकर किए गए हमले में 10 वीर पुलिसकर्मियों ने अपने प्राणों की आहुति दे दी थी। रक्षामंत्री ने इस अवसर पर कहाकि सशस्त्र सुरक्षा बल और पुलिस बल दोनों ही राष्ट्रीय सुरक्षा के मजबूत स्तंभ हैं, जहां सशस्त्र बल देश की सीमाओं तथा भौगोलिक अखंडता की रक्षा करते हैं, वहीं पुलिस बल समाज एवं सामाजिक अखंडता की सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं। रक्षामंत्री ने कहाकि सेना और पुलिस भलेही अलग-अलग मंचों पर कार्यरत हों, लेकिन उनका मिशन एकही है देश और देशवासियों की रक्षा करना।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहाकि जब हम 2047 तक विकसित भारत की दिशा में अग्रसर हैं, तब राष्ट्र की बाहरी और आंतरिक सुरक्षा केबीच संतुलन बनाए रखना पहलेसे कहीं अधिक जरूरी है। राजनाथ सिंह ने चिंता जताते हुए कहाकि जहां एक ओर सीमाओं पर अस्थिरता बनी हुई है, वहीं दूसरी तरफ समाज के भीतर अपराध, आतंकवाद एवं वैचारिक युद्ध के नए स्वरूप उभर रहे हैं। उन्होंने कहाकि अपराध अब पहले से कहीं अधिक संगठित, अदृश्य और जटिल हो गए हैं, जिनका उद्देश्य समाज में अराजकता फैलाना, आपसी विश्वास को कमजोर करना और राष्ट्र की स्थिरता को चुनौती देना है। रक्षामंत्री ने अपराध नियंत्रण की अपनी आधिकारिक जिम्मेदारी केसाथ-साथ समाज में विश्वास बनाए रखने के नैतिक दायित्व का निष्ठापूर्वक निर्वहन करने केलिए पुलिस बल की सराहना की। उन्होंने कहाकि यदि नागरिक चैन की नींद सो पा रहे हैं तो इसका श्रेय सतर्क सशस्त्र बलों और सतर्क पुलिस कर्मियों पर उनके अटूट विश्वास को जाता है, यही भरोसा हमारे देश की स्थिरता और सुरक्षा की सबसे मजबूत नींव है।
राजनाथ सिंह ने लंबे समय तक देश की आंतरिक सुरक्षा केलिए गंभीर चुनौती बने नक्सलवाद पर कहाकि पुलिस, सीआरपीएफ, बीएसएफ और स्थानीय प्रशासन के संगठित एवं ठोस प्रयासों ने इस समस्या को रोकने में निर्णायक भूमिका निभाई है। राजनाथ सिंह ने कहाकि वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों के लोगों ने अब राहत की सांस ली है, क्योंकि अशांति की जगह विश्वास तथा विकास का वातावरण स्थापित हो रहा है। रक्षामंत्री ने विश्वास व्यक्त कियाकि अगले वर्ष मार्च तक नक्सलवाद की समस्या पूरी तरह समाप्त हो जाएगी। उन्होंने कहाकि इस वर्ष कई शीर्ष नक्सलियों का सफाया किया गया है और जो लोग पहले देश के खिलाफ हथियार उठाते थे, वे अब आत्मसमर्पणकर देश के विकास की मुख्यधारा में शामिल हो रहे हैं। रक्षामंत्री ने बताया कि वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित जिलों की संख्या में उल्लेखनीय कमी आई है, जो क्षेत्र कभी नक्सलवाद के गढ़ माने जाते थे, वे अब शिक्षा और प्रगति के केंद्र बन रहे हैं, जो इलाके कभी लाल गलियारे के रूपमें जाने जाते थे, वे अब विकास गलियारों में परिवर्तित हो गए हैं, इस परिवर्तन में पुलिस और सुरक्षा बलों का योगदान अत्यंत सराहनीय एवं निर्णायक रहा है।
रक्षामंत्री ने राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करने केलिए नरेंद्र मोदी सरकार की दृढ़ प्रतिबद्धता को दोहराया और इस दिशामें पुलिस बलों की निरंतर भूमिका व योगदान की सराहना की। रक्षामंत्री ने कहाकि लंबे समय तक एक राष्ट्र के रूपमें हम पुलिस के योगदान को पूरी तरह से मान्यता नहीं देते थे, किंतु वर्ष 2018 में राष्ट्रीय पुलिस स्मारक की स्थापना करके इस ऐतिहासिक कमी को पूरा किया गया। राजनाथ सिंह ने बतायाकि सरकार ने पुलिस बलों को अत्याधुनिक हथियारों, उपकरणों और सुविधाओं से सुसज्जित किया है, अब पुलिस केपास उन्नत निगरानी प्रणालियां, ड्रोन, आधुनिक फोरेंसिक प्रयोगशालाएं और डिजिटल पुलिसिंग जैसी अत्याधुनिक क्षमताएं उपलब्ध हैं। रक्षामंत्री ने कहाकि पुलिस बलों के आधुनिकीकरण केलिए राज्यों को पर्याप्त संसाधन उपलब्ध कराए जा रहे हैं। उन्होंने कहाकि इन संसाधनों का इष्टतम उपयोग तभी संभव है, जब सभी सुरक्षा एजेंसियां बेहतर समन्वय और एकीकरण केसाथ कार्य करें। रक्षामंत्री ने कहाकि समाज एवं पुलिस एकदूसरे के पूरक और परस्पर निर्भर अंग हैं, सुरक्षा तंत्र को और अधिक मजबूत, प्रभावी एवं सतर्क बनाने केलिए दोनों केबीच संतुलित तथा विश्वासपूर्ण संबंध बनाए रखना अत्यावश्यक है।
राजनाथ सिंह ने कहाकि पुलिस व्यवस्था तभी प्रभावी रूपसे कार्य कर सकती है, जब नागरिक सक्रिय भागीदारी केसाथ कानून का सम्मान करें और उसका पालन करें। उन्होंने कहाकि जब समाज और पुलिस केबीच का संबंध आपसी समझ, सहयोग एवं जिम्मेदारी की भावना पर आधारित होता है, तब दोनों ही सशक्त व समृद्ध बनते हैं। पुलिस स्मृति दिवस पर केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों और दिल्ली पुलिस ने संयुक्त परेड निकाली। इस मौके पर केंद्रीय गृह राज्यमंत्री बंदी संजय कुमार, गृह सचिव गोविंद मोहन, खुफिया ब्यूरो के निदेशक तपन डेका, बीएसएफ के महानिदेशक दलजीत सिंह चौधरी सहित सीएपीएफ के वरिष्ठ अधिकारी, सेवानिवृत्त महानिदेशक और पुलिस के कई अधिकारी उपस्थित थे।