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स्वदेशी एंटीबायोटिक नैफिथ्रोमाइसिन विकसित!

भारत में दवा क्षेत्र में यह एक महत्वपूर्ण उपलब्धि-डॉ जितेंद्र सिंह

'कैंसर और मधुमेह रोगियों के लिए विशेष रूप से उपयोगी है'

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Sunday 19 October 2025 01:37:36 PM

indigenously developed antibiotic naphthromycin

नई दिल्ली। भारत सरकार में केंद्रीय राज्यमंत्री और मधुमेह विशेषज्ञ डॉ जितेंद्र सिंह ने बताया हैकि भारत ने अपना पहला स्वदेशी एंटीबायोटिक ‘नैफिथ्रोमाइसिन’ विकसित कर लिया है, जो प्रतिरोधी श्वसन संक्रमणों के खिलाफ प्रभावी है, खासकर कैंसर रोगियों और मधुमेह रोगियों केलिए उपयोगी है। उन्होंने कहाकि यह एंटीबायोटिक भारत में पूरी तरह से परिकल्पित, विकसित और चिकित्सकीय रूपसे प्रमाणित पहला अणु है, जो दवा क्षेत्रमें आत्मनिर्भरता की दिशामें एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। डॉ जितेंद्र सिंह ने बतायाकि एंटीबायोटिक नेफिथ्रोमाइसिन को भारत सरकार के जैव प्रौद्योगिकी विभाग ने प्रसिद्ध निजी फार्मा कंपनी वॉकहार्ट के सहयोग से विकसित किया है। उन्होंने भारत के बायोफार्मास्युटिकल विकास को गति देनेवाली सफल उद्योग अकादमिक साझेदारी का हवाला देते हुए आत्मनिर्भर नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र की आवश्यकता बतलाई।
डॉ जितेंद्र सिंह ‘मल्टी ओमिक्स डेटा इंटीग्रेशन एंड एनालिसिस केलिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग’ विषय पर तीन दिवसीय चिकित्सा कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि भारत को अपने वैज्ञानिक और अनुसंधान विकास को गति देने केलिए आत्मनिर्भर पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करना जरूरी है, विज्ञान और नवाचार में वैश्विक मान्यता प्राप्त करनेवाले अधिकांश देशों ने निजी क्षेत्र की व्यापक भागीदारी केसाथ आत्मनिर्भर, नवाचार संचालित मॉडलों के माध्यम से ऐसा किया है। उन्होंने घोषणा कीकि भारत ने जीन थेरेपी में एक बड़ी सफलता हासिल की है, जो हीमोफीलिया उपचार केलिए पहला सफल स्वदेशी नैदानिक परीक्षण है, जिसके लिए परीक्षण भारत सरकार के जैव प्रौद्योगिकी विभाग से समर्थित था और एक गैर सरकारी क्षेत्रके अस्पताल क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज वेल्लोर में किया गया था। डॉ जितेंद्र सिंह ने बतायाकि भारत ने पहले ही 10000 से ज़्यादा मानव जीनोम अनुक्रमित कर लिए हैं और इसे बढ़ाकर दस लाख तक पहुंचाने का लक्ष्य है। उन्होंने बतायाकि जीन थेरेपी परीक्षण में शून्य रक्तस्राव प्रकरणों केसाथ 60-70 प्रतिशत सुधार दर दर्ज की गई, जो भारत के चिकित्सा अनुसंधान परिदृश्य में मील का पत्थर है। उन्होंने जिक्र कियाकि ये निष्कर्ष न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित हुए हैं, जो उन्नत जैव चिकित्सा नवाचार में भारत के बढ़ते नेतृत्व को रेखांकित करते हैं।
डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि अनुसंधान राष्ट्रीय अनुसंधान प्रतिष्ठान (एएनआरएफ) इस दिशा में एक बड़ा कदम है, जिसका कुल परिव्यय पांच वर्ष में 50000 करोड़ रुपये होगा, जिसमें से 36000 करोड़ रुपये गैर-सरकारी स्रोतों से आएंगे। उन्होंने कहाकि यह मॉडल अनुसंधान और विकास केप्रति भारत के दृष्टिकोण में एक व्यापक बदलाव का प्रमाण है, जो इसे वैश्विक मानकों के अनुरूप बनाता है और शिक्षा जगत तथा उद्योग जगत की व्यापक भागीदारी पर बल देता है। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधुनिक युग के सबसे परिवर्तनकारी उपकरणों में से एक बन गया है, जो स्वास्थ्य सेवा की सुलभता, शासन दक्षता और निर्णय लेने की प्रक्रिया को नया रूप दे रहा है। उन्होंने कहाकि एआई आधारित हाइब्रिड मोबाइल क्लीनिक पहले से ही ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रोंमें सेवा प्रदान कर रहे हैं और सभी केलिए गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा सुनिश्चित कर रहे हैं। उन्होंने प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग (डीएआरपीजी) की विकसित एआई संचालित शिकायत निवारण प्रणाली का भी उल्लेख किया, जिसने 97-98 प्रतिशत की साप्ताहिक निपटान दर हासिल की है, जिससे नागरिक संतुष्टि और सेवा वितरण में उल्लेखनीय सुधार हुआ है।
डॉ जितेंद्र सिंह ने स्वास्थ्य सेवा परिणामों में सुधार केलिए एआई, जैव प्रौद्योगिकी और जीनोमिक्स को संगठित करके अंतः विषय दृष्टिकोण अपनाने में अग्रणी भूमिका निभाने केलिए सर गंगाराम अस्पताल जैसे संस्थानों की प्रशंसा की। उन्होंने विकसित भारत @2047 विजन को साकार करने केलिए सरकारी विभागों, निजी अस्पतालों और अनुसंधान संस्थानों केबीच अधिक सहयोग का आग्रह किया। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि भारत जैव प्रौद्योगिकी, एआई और जीनोमिक चिकित्सा में आत्मनिर्भरता के युग में प्रवेश कर रहा है। उन्होंने कहाकि नवाचार, सहयोग और करुणा का सम्मिलन भारत की एक विकसित राष्ट्र बनने की यात्रा को परिभाषित करेगा और वैश्विक विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिदृश्य में भारत का नेतृत्व स्थापित करेगा। इस अवसर पर अनुसंधान राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन के सीईओ डॉ शिव कुमार कल्याणरमन, डॉ एनके गांगुली, डॉ डीएस राणा और डॉ अजय स्वरूप प्रमुख रूपसे उपस्थित थे।

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