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Thursday 16 October 2025 01:46:16 PM
नई दिल्ली। देश में रक्षा प्रौद्योगिकियों में महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल करते हुए रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) की स्वदेशी सैन्य लड़ाकू पैराशूट प्रणाली ने 32,000 फीट की ऊंचाई से सफलतापूर्वक लड़ाकू फ्रीफॉल जंप परीक्षण किया। यह जंप परीक्षण जम्पर विंग कमांडर विशाल लखेश वीएम (जी), एमडब्ल्यूओ आरजे सिंह और एमडब्ल्यूओ विवेक तिवारी ने किया, जिसमें स्वदेशी प्रणाली की दक्षता, विश्वसनीयता और उन्नत डिजाइन का शानदार प्रदर्शन देखने को मिला। इस उपलब्धि केसाथ एमसीपीएस भारतीय सशस्त्र बलों की परिचालन में उपयोग की जानेवाली ऐसी एकमात्र पैराशूट प्रणाली बन गई है, जो 25,000 फीट से अधिक ऊंचाई पर तैनाती में सक्षम है।
सैन्य लड़ाकू पैराशूट प्रणाली को डीआरडीओ की प्रयोगशाला एरियल डिलीवरी रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टेब्लिशमेंट (आगरा) और डिफेंस बायोइंजीनियरिंग एंड इलेक्ट्रोमेडिकल लैबोरेटरी (बेंगलुरु) में विकसित किया गया है। इसमें कई उन्नत सामरिक विशेषताएं समाहित हैं जैसे-कम उतरने की दर और बेहतर स्टीयरिंग क्षमताएं, जो पैराट्रूपर्स को विमान से सुरक्षित रूपसे छलांग लगाने, पूर्वनिर्धारित ऊंचाई पर पैराशूट तैनात करने, सटीक नेविगेशन करने और लक्षित क्षेत्रोंमें उतरने में सक्षम बनाती हैं। यह प्रणाली भारतीय उपग्रह आधारित नेविगेशन के अनुकूल है और किसीभी संभावित विरोधी के खिलाफ स्वतंत्र रूपसे संचालित की जा सकती है, साथही यह बाहरी हस्तक्षेप या सेवा निरस्ती जैसे प्रयासों से प्रभावित होने वाली नहीं है। इस प्रणाली की सफलता ने स्वदेशी पैराशूट प्रणालियों को व्यापक रूपसे अपनाने के नए द्वार खोल दिए हैं।
सैन्य लड़ाकू पैराशूट का रखरखाव और मरम्मत प्रक्रिया आयातित उपकरणों की तुलना में अधिक सरल एवं त्वरित है, जिससे पूरे जीवनकाल में इसकी अधिकतम उपयोगिता सुनिश्चित होती है। संघर्ष या युद्ध की परिस्थितियों में सेवा क्षमता बनाए रखने केलिए दूसरे देशों पर निर्भरता में भी उल्लेखनीय कमी आएगी। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने इस सफलता पर डीआरडीओ, सशस्त्र बलों और उद्योग जगत को हार्दिक बधाई दी। उन्होंने इसे भारत की स्वदेशी रक्षा क्षमताओं के विकास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर करार दिया। रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव और डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ समीर वी कामत ने इसमें योगदान देने वाली डीआरडीओ की टीम की सराहना की। उन्होंने इसे हवाई वितरण प्रणालियों के क्षेत्रमें आत्मनिर्भरता की ओर एक महत्वपूर्ण कदम बताया है।