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ब्रह्मोस राष्ट्रीय सुरक्षा में तैनाती के लिए रवाना

पाकिस्तान की हर इंच ज़मीन अब ब्रह्मोस की पहुंच में है-रक्षामंत्री

लखनऊ में निर्मित ब्रह्मोस मिसाइलों की पहली खेप को हरी झंडी

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Saturday 18 October 2025 04:29:57 PM

first batch of lucknow-made brahmos missiles cleared

लखनऊ। ब्रह्मोस एकीकरण एवं परीक्षण सुविधा केंद्र लखनऊ में निर्मित ऐतिहासिक ब्रह्मोस मिसाइलों की पहली खेप को आज रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एवं उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने संयुक्त रूपसे हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। रक्षामंत्री ने 11 मई 2025 को उत्तर प्रदेश रक्षा औद्योगिक गलियारे के प्रमुख घटक इस अत्याधुनिक केंद्र का वर्चुअल उद्घाटन किया था और पांच महीने में ही ब्रह्मोस मिसाइलों की पहली खेप राष्ट्र सुरक्षा हेतु तैनाती केलिए तैयार हो गई हैं। रक्षामंत्री ने ब्रह्मोस को केवल एक मिसाइल नहीं, बल्कि भारत की बढ़ती स्वदेशी क्षमताओं का प्रतीक बताया है। उन्होंने कहाकि इसमें एक पारंपरिक वारहेड और एक उन्नत निर्देशित प्रणाली है और यह सुपरसोनिक गति से लंबी दूरी तक वार करने की क्षमता रखती है। उन्होंने कहाकि गति, सटीकता और शक्ति का यह संयोजन ब्रह्मोस को दुनिया की सर्वश्रेष्ठ प्रणालियों में से एक बनाता है, यह भारतीय सशस्त्र बलों की रीढ़ बन गई है।
ऑपरेशन सिंदूर में ब्रह्मोस की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए राजनाथ सिंह ने कहाकि ब्रह्मोस मिसाइल ने सिद्ध कर दिया हैकि यह परीक्षण से कहीं आगे बढ़ चुकी है और राष्ट्रीय सुरक्षा का सबसे बड़ा व्यावहारिक प्रमाण बन गई है। उन्होंने कहाकि पाकिस्तान की हर इंच ज़मीन अब ब्रह्मोस की पहुंच में है। उन्होंने कहाकि ऑपरेशन सिंदूर तो बस एक ट्रेलर था, इसने पाकिस्तान को एहसास दिला दिया हैकि आगे क्या हो सकता है। उन्होंने कहाकि ऑपरेशन सिंदूर इस बातका प्रमाण हैकि जीत हमारी आदत बन गई है और अब हमें अपनी रक्षा क्षमताओं को और बढ़ाना होगा। रक्षामंत्री ने कहाकि आज भारत उस मुकाम पर खड़ा है, जहां वह अपनी सुरक्षा को मज़बूत कर रहा है और दुनिया को दिखा रहा हैकि वह रक्षा और प्रौद्योगिकी क्षेत्रमें एक विश्वसनीय साझेदार है। उन्होंने कहाकि ब्रह्मोस जैसी उपलब्धियों ने साबित कर दिया हैकि मेड इन इंडिया अब एक नारा नहीं, बल्कि एक वैश्विक ब्रांड बन गया है। उन्होंने कहाकि चाहे फिलीपींस को ब्रह्मोस का निर्यात हो या भविष्य में अन्य देशों केसाथ सहयोग, भारत अब सिर्फ़ लेने वाले की नहीं, बल्कि देने वाले की भूमिका निभा रहा है।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहाकि यही आत्मनिर्भर भारत की असली पहचान है, जिस विज़न केसाथ नरेंद्र मोदी सरकार ने 2014 में अपनी यात्रा शुरू की थी। उन्होंने कहाकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हमें एक ऐसे भारत का विज़न दिया है, जो पूरी तरह विकसित आत्मनिर्भर हो और 2047 तक दुनिया का नेतृत्व करने केलिए तैयार हो, इसमें रक्षा क्षेत्रकी भूमिका निर्णायक है। राजनाथ सिंह ने बतायाकि ब्रह्मोस की टीम ने पिछले एक महीने में दो देशों केसाथ लगभग 4000 करोड़ रुपये के अनुबंधों पर हस्ताक्षर किए हैं। उन्होंने कहाकि आनेवाले वर्ष में कई देशों के विशेषज्ञ लखनऊ आएंगे, जिससे यह शहर रक्षा प्रौद्योगिकी में अग्रणी बनेगा। उन्होंने कहाकि अगले वित्तीय वर्ष से ब्रह्मोस की लखनऊ इकाई का कारोबार लगभग 3000 करोड़ रुपये होगा और जीएसटी संग्रह लगभग 500 करोड़ रुपये होगा। करीब 380 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित 200 एकड़ में फैले ब्रह्मोस एकीकरण एवं परीक्षण सुविधा केंद्र के बारेमें रक्षामंत्री ने कहाकि ब्रह्मोस परियोजना न केवल एक रक्षा सुविधा है, बल्कि रोज़गार और विकास का एक नया अवसर भी है। उन्होंने कहाकि उत्पादन की दृष्टि से इस सुविधा केंद्र में हर साल लगभग 100 मिसाइल प्रणालियों का उत्पादन किया जाएगा। उन्होंने कहाकि उत्तर प्रदेश में आरहे निवेश और हो रही प्रगति को देखते हुए यह क्षेत्र विकास और रक्षा दोनों के एक नए युग का प्रतीक बनने केलिए तैयार है।
कुछ देशों में रक्षा कलपुर्जों की आपूर्ति श्रृंखलाओं से संबंधित रिपोर्टों का उल्लेख करते हुए राजनाथ सिंह ने उन छोटे उद्योगों को मज़बूत करने की आवश्यकता पर जोर दिया है, जो किसी प्रमुख हथियार प्रणाली के एकीकरण केलिए आवश्यक हज़ारों कलपुर्जों और तकनीकों का उत्पादन करते हैं, ताकि दूसरों पर निर्भरता कम हो। उन्होंने कहाकि हमारे छोटे उद्योगों को इतना मज़बूत करने की ज़रूरत हैकि हमें कलपुर्जों केलिए दूसरों पर निर्भर न रहना पड़े, चाहे एडवांस्ड सीकर हों या रैमजेट इंजन, हमें सभी प्रकार की तकनीकों का स्वदेशी विकास करना होगा, ताकि हमारी आपूर्ति श्रृंखला भारत में ही बनी रहे। रक्षामंत्री ने छोटे उद्यमियों को रक्षा पारिस्थितिकी तंत्र में एकीकृत करने केलिए एक उचित परियोजना रोडमैप तैयार करने का आह्वान किया। उन्होंने कहाकि उत्तर प्रदेश रक्षा औद्योगिक गलियारा तभी पूरी तरह सफल होगा, जब बड़ी कंपनियों केसाथ छोटे उद्योग भी विकसित होंगे। राजनाथ सिंह ने कहाकि सरकार को वितरित की जारही मिसाइलों की खेप से पर्याप्त जीएसटी राजस्व प्राप्त हो रहा है, जिसका अर्थ हैकि प्रत्येक प्रणाली न केवल राष्ट्र की रक्षा करती है, बल्कि अर्थव्यवस्था को भी मज़बूत करती है। उन्होंने कहाकि सिर्फ़ एक मिसाइल के उत्पादन से प्राप्त करों से सरकार अनगिनत स्कूल बनवा सकती है, अनगिनत अस्पताल स्थापित कर सकती है और ऐसी योजनाएं लागू कर सकती है, जिनसे लोगों को सीधा लाभ हो।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी ब्रह्मोस को आत्मनिर्भरता की मिसाइल बताया, जो देश की रक्षा आवश्यकताओं को पूराकर अनुकरणीय भूमिका निभा रही है। उन्होंने ब्रह्मोस मिसाइलों के उत्पादन का केंद्र बनकर लखनऊ को रक्षा क्षेत्रमें आत्मनिर्भरता की दिशा में आगे बढ़ने का अवसर देने केलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रक्षामंत्री राजनाथ सिंह को आभार व्यक्त किया। मुख्यमंत्री ने उत्तर प्रदेश रक्षा औद्योगिक गलियारे के सभी छह नोड्स में हुई प्रगति की सराहना की और बतायाकि राज्य में 15000 से अधिक युवाओं को रोज़गार मिला है। योगी आदित्यनाथ ने कहाकि ब्रह्मोस सुविधा उत्तर प्रदेश रक्षा औद्योगिक गलियारे के अंतर्गत सबसे महत्वपूर्ण परियोजनाओं में से एक है, यह उच्चतम तकनीकी मानकों के अनुरूप संयोजन, एकीकरण और परीक्षण की पूरी प्रक्रिया को अंजाम देती है। उन्होंने कहाकि ब्रह्मोस मिसाइल की पहली खेप के प्रेषण केसाथ उत्तर प्रदेश 'मेक इन इंडिया, मेक फॉर द वर्ल्ड' पहल में एक प्रमुख भागीदार के रूपमें उभरा है और लखनऊ इकाई इस गलियारे में पहली इकाई है, जो संपूर्ण विनिर्माण और परीक्षण प्रक्रिया का प्रबंधन स्वदेशी रूपसे करती है, जिससे रणनीतिक स्वायत्तता और औद्योगिक विकास दोनों को बल मिलता है। इस मौके पर बूस्टर बिल्डिंग का भी उद्घाटनकर बूस्टर डॉकिंग प्रक्रिया का लाइव प्रदर्शन देखा गया। एयरफ्रेम और एवियोनिक्स, प्री-डिस्पैच इंस्पेक्शन और वारहेड बिल्डिंग केसाथ ब्रह्मोस सिम्युलेटर उपकरणों पर प्रस्तुतियां दी गईं। मोबाइल ऑटोनॉमस लॉंचर भी प्रदर्शित किया गया। महानिदेशक (ब्रह्मोस) डॉ जयतीर्थ आर जोशी ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को जीएसटी बिल और लगभग 40 करोड़ रुपये का चेक सौंपा, जो राज्य केलिए राजस्व सृजन का प्रतीक है। कार्यक्रम में रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव एवं डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ समीर वी कामत भी प्रमुख रूपसे उपस्थित थे।

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