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Friday 17 October 2025 06:02:12 PM
नासिक। भारत की रक्षा क्षेत्र में बढ़ती आत्मनिर्भरता का एक ज्वलंत प्रतीक स्वेदश में निर्मित तेजस एमके1ए ने आज नासिक में अपनी सफल उड़ान भरी। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने एलसीए एमके1ए को हरी झंडी दिखाई। वे हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) की नासिक में हल्के लड़ाकू विमान (एलसीए) तेजस एमके1ए की तीसरी उत्पादन लाइन और हिंदुस्तान टर्बो ट्रेनर-40 (एचटीटी-40) की दूसरी उत्पादन लाइन के उद्घाटन कार्यक्रम पर इस उल्लेखनीय उपलब्धि के साक्षी बने। उन्होंने पिछले एक दशक में रक्षा क्षेत्रमें हुए परिवर्तन पर प्रकाश डालते हुए कहाकि भारत अब महत्वपूर्ण सैन्य साजो-सामान का 65 प्रतिशत निर्माण अपनी धरती पर कर रहा है। उन्होंने आनेवाले समय में घरेलू विनिर्माण को 100 प्रतिशत तक बढ़ाने के सरकार के संकल्प को दोहराया। राजनाथ सिंह ने कहाकि जब हम 2014 में सत्ता में आए तो हमें एहसास हुआकि आत्मनिर्भरता के बिना हम कभीभी पूरी तरह सुरक्षित नहीं हो सकते, हमने न केवल आयात निर्भरता कम की है, बल्कि स्वदेशीकरण केप्रति अपनी प्रतिबद्धता कोभी मज़बूत किया है। उन्होंने कहाकि हम जो कुछभी विदेश से खरीदते थे, अब हम उसका घरेलू स्तरपर निर्माण कर रहे हैं, चाहे वह लड़ाकू विमान हों, मिसाइलें हों, इंजन हों या इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणाली हों।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने आधुनिक युद्धकला के निरंतर विकसित होते स्वरूप का उल्लेख करते हुए कहाकि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, साइबर युद्ध, ड्रोन प्रणालियां और अगली पीढ़ी के विमान भविष्य को आकार दे रहे हैं और युद्ध कई सीमाओं पर लड़े जा रहे हैं, ऐसे में समय केसाथ आगे रहना ज़रूरी है। उन्होंने एचएएल को अगली पीढ़ी के विमानों, मानवरहित प्रणालियों और नागरिक उड्डयन के क्षेत्रमें अपनी पहचान बनाने और खुदको एलसीए तेजस या एचटीटी-40 तक सीमित न रखने का आह्वान किया। रक्षामंत्री ने अत्याधुनिक स्वदेशी तकनीकों को अपनाने केलिए एचएएल की भूमिका की सराहना की और इस सार्वजनिक रक्षा उपक्रम को भारत के रक्षा क्षेत्र की रीढ़ बताया। उन्होंने हालही में सेवामुक्त हुए मिग-21 को परिचालन सहायता प्रदान करने केलिए एचएएल की प्रशंसा की और ऑपरेशन सिंदूर के दौरान इसके बहुमूल्य योगदान पर भी प्रकाश डाला। राजनाथ सिंह ने कहाकि हमारे सुरक्षा इतिहास में ऐसे बहुत कम उदाहरण हैं, जब पूरी प्रणाली का एक साथ सही मायने में परीक्षण किया गया हो। उन्होंने कहाकि ऑपरेशन सिंदूर ऐसा ही एक अभियान था, जहां सेनाओं ने न केवल वीरता और प्रतिबद्धता का परिचय दिया, बल्कि स्वदेशी उपकरणों में अपना विश्वास भी प्रदर्शित किया, एचएएल ने विभिन्न परिचालन स्थलों पर 24 घंटे सहायता प्रदान की, इसने लड़ाकू विमानों और हेलीकॉप्टरों का त्वरित रखरखाव करके भारतीय वायुसेना की परिचालन तत्परता सुनिश्चित की।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहाकि एचएएल नासिक की टीम ने सुखोई-30 पर ब्रह्मोस मिसाइल स्थापित करने का महत्वपूर्ण कार्य किया, जिसने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान आतंकवादी ठिकानों को नष्ट कर दिया, इसने साबित कर दियाकि जब राष्ट्रीय सुरक्षा की बात आती है तो हम अपने उपकरण स्वयं बना सकते हैं और उनसे अपनी सुरक्षा कर सकते हैं। रक्षामंत्री ने भारत की रक्षा विनिर्माण क्षमताओं को छह दशक से अधिक समय तक नई ऊंचाइयों पर ले जाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने केलिए एचएएल नासिक की सराहना की, जिसमें मिग-21 और मिग-27 जैसे लड़ाकू विमानों के विनिर्माण और ओवरहॉलिंग से लेकर सुखोई-30 का उत्पादन केंद्र बनना शामिल है। उन्होंने बतायाकि एलसीए तेजस और एचटीटी-40 विमानों का निर्माण कार्य भी देश के विभिन्न उद्योग भागीदारों केबीच सहयोग का परिणाम है। उन्होंने तेजस और एचटीटी-40 जैसे विमानों में भारतीय वायुसेना के भरोसे को स्वीकार करते हुए कहाकि यह सहयोग इस बातका प्रमाण हैकि अगर सरकार, उद्योग और शिक्षा जगत मिलकर काम करें तो कोईभी चुनौती बड़ी नहीं है। नासिक डिवीजन में नागरिक और सैन्य विमानन दोनों केलिए स्थापित संयुक्त रखरखाव, मरम्मत और ओवरहाल सुविधा पर रक्षामंत्री ने विश्वास व्यक्त कियाकि यह पहल नासिक और आसपास के क्षेत्रों में रोज़गार के नए अवसर पैदा करेगी। उन्होंने इसे नए भारत की तकनीकी छलांग का सच्चा प्रतीक बताया।
सचिव (रक्षा उत्पादन) संजीव कुमार ने इन उत्पादन लाइनों के उद्घाटन को भारत के बढ़ते तकनीकी आत्मविश्वास, औद्योगिक शक्ति और रणनीतिक दूरदर्शिता का प्रतीक बताया। उन्होंने कहाकि यह आयोजन एचएएल की यात्रा में एक नया अध्याय शुरू करता है, जो हमारे देश की उत्पादन क्षमता को बढ़ाता है, एक मज़बूत और आत्मनिर्भर एयरोस्पेस पारिस्थितिकी तंत्र की नींव को मज़बूत करता है। संजीव कुमार ने कहाकि एलसीए तेजस एमके1 केवल एक लड़ाकू विमान नहीं, बल्कि भारत के डिज़ाइन और निर्माण उत्कृष्टता का प्रतीक है, जिसकी परिकल्पना, विकास और निर्माण एचएएल, एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी, डीआरडीओ और भारतीय वायुसेना के सहयोग से स्वदेशी रूपसे किया गया है। उन्होंने कहाकि एचएएल की पूरी तरह से डिज़ाइन और विकसित एचटीटी-40, महत्वपूर्ण रक्षा प्लेटफार्मों की अवधारणा, डिज़ाइन और निर्माण पूरी तरह से स्वदेशी रूपसे करने की कंपनी की क्षमता का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। एचएएल के सीएमडी डॉ डीके सुनील ने कहाकि सुई-30एमकेआई के अलावा स्वदेशी उन्नत लड़ाकू विमानों के उत्पादन की एचएएल के नासिक डिवीजन की क्षमता ने समय पर डिलीवरी के हमारे उत्पादन प्रयासों को गति दी है, इसके परिणामस्वरूप नासिक और उसके आसपास लगभग 1000 नौकरियों का सृजन हुआ है और 40 से अधिक उद्योग भागीदारों का विकास हुआ है, जो एक प्रभावी सार्वजनिक-निजी भागीदारी बनाने के सरकार के लक्ष्य के अनुरूप है।
एचएएल के मुख्य परीक्षण पायलट (फिक्स्ड विंग) ग्रुप कैप्टन केके वेणुगोपाल (सेवानिवृत्त) ने तेजस एमके1ए की उड़ान भरी, जिसके बाद सुखोई-30एमकेआई और एचटीटी-40 ने रोमांचक हवाई प्रदर्शन किए। तेजस एमके1ए को वाटर कैनन सलामी भी दी गई। गौरतलब हैकि एचएएल ने दो साल के रिकॉर्ड समय में तीसरी एलसीए एमके1ए उत्पादन लाइन का संचालन शुरू कर दिया है, इसे विमान के सभी प्रमुख मॉड्यूल जैसे सेंटर फ्यूज़लेज, फ्रंट फ्यूज़लेज, रियर फ्यूज़लेज, विंग्स और एयर इनटेक केलिए 30 से ज़्यादा स्ट्रक्चर असेंबली जिग्स से पूरी तरह सुसज्जित किया गया है। यह लाइन पूरी तरह से चालू है और प्रति वर्ष आठ विमानों का उत्पादन कर सकती है। इस लाइन के उद्घाटन के साथ एचएएल की कुल उत्पादन क्षमता 24 विमान प्रतिवर्ष हो जाएगी। एचएएल ने नासिक में दूसरी एचटीटी-40 उत्पादन लाइन स्थापित की है, इस असेंबली कॉम्प्लेक्स में फ्यूज़लेज, विंग्स और कंट्रोल सरफेस के निर्माण केलिए स्ट्रक्चर असेंबली शॉप्स हैं। एचएएल नासिक डिवीजन की स्थापना 1964 में मिग-21 लड़ाकू विमानों के लाइसेंस प्राप्त निर्माण केलिए की गई थी। इस प्रभाग ने 900 से ज़्यादा विमानों का निर्माण किया है और मिग-21 और मिग-27 से लेकर सुखोई-30 एमकेआई तक 1,900 से ज़्यादा सैन्य विमानों की मरम्मत की है। अपनी व्यापक डिज़ाइन, निर्माण और एकीकरण क्षमताओं केसाथ इस प्रभाग ने सुखोई-30 एमकेआई को ब्रह्मोस मिसाइलों के एकीकरण सहित अतिरिक्त स्वदेशी हथियारों से सफलतापूर्वक सुसज्जित किया है।