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Monday 13 October 2025 02:23:01 PM
मुंबई। अदाणी समूह के चेयरमैन गौतम अदाणी ने फिल्म प्रोड्यूसर डायरेक्टर सुभाष घई के व्हिसलिंग वुड्स इंटरनेशनल में सिनेमा के छात्रों और उद्योग जगत की हस्तियों से कहाकि सिनेमा राष्ट्र निर्माण की आत्मा है और कहानियां चाहे कला, मीडिया या बाज़ार में हों वे भाग्य तय करने की शक्ति रखती हैं। यह ‘जीना यहां मरना यहां: राष्ट्र निर्माण की सिनेमाई आत्मा’ शीर्षक से आयोजित कार्यक्रम था, जिसे गौतम अदाणी संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहाकि सिनेमा एक चलायमान कविता और रंगों का तालमेल है। उन्होंने फिल्मों को समाज की सामूहिक चेतना, संस्कृतियों केबीच सेतु बनाने वाले उपकरण तथा सरकारों और नीतियों से भी अधिक समय तक टिकने वाली सॉफ्ट पावर का शक्तिशाली रूप बताया।
फिल्म निर्माता सुभाष घई ने मुंबई फिल्म सिटी में 20 एकड़ के परिसर में वर्ष 2006 में व्हिसलिंग वुड्स इंटरनेशनल को स्थापित किया था, जो भारत के प्रमुख फिल्म, संचार और रचनात्मक कला संस्थानों में से एक है। व्हिसलिंग वुड्स इंटरनेशनल फिल्म निर्माण, अभिनय, एनीमेशन, फैशन, संगीत और मीडिया प्रबंधन के पाठ्यक्रम चलाता है और उन्हें दुनिया के शीर्ष फिल्म स्कूलों में स्थान दिया गया है। फिल्म जगत के दिग्गज गुरुदत्त और राज कपूर को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए गौतम अदाणी ने कहाकि उनका काम सिनेमा की परिवर्तनकारी शक्ति का उदाहरण है। उन्होंने कहाकि राज कपूर की 'अनाड़ी' के गीत सिर्फ़ कला नहीं, बल्कि दर्शन को समेटे हुए हैं, उन्होंने दुनिया को सही मायने में भारत के दर्शन कराए हैं। गौतम अदाणी ने बतायाकि कैसे सोवियत संघ में राज कपूर की लोकप्रियता ने उस समय राष्ट्रों केबीच संबंधों को मज़बूत किया, जब राजनीतिक गठबंधन कमज़ोर थे।
गौतम अदाणी ने सनेमा को अपनी ज़िंदगी की कहानी से जोड़ते हुए याद किया। उन्होंने बतायाकि कैसे सिनेमा ने उनके निजी सफ़र को आकार दिया। उन्होंने कहाकि मैं 16 साल की उम्र में खाली जेबों केसाथ मुंबई आया था, लेकिन मेरे सामने सपनों का आसमान था, 30 साल की उम्र तक मैंने भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक घराना खड़ा कर लिया था, 32 साल की उम्र तक मैंने इसे सार्वजनिक कर दिया था और 34 साल की उम्र तक मैं बंदरगाहों और बिजली के क्षेत्रमें आ चुका था। गौतम अदाणी ने कहाकि जिन नायकों को देखकर मैं बड़ा हुआ, उन्हें असल ज़िंदगी में भी जिया जा सकता है। उन्होंने अपने भाषण का दायरा सिनेमा से आगे बढ़ाते हुए चेतावनी दीकि आजकी परस्पर जुड़ी दुनिया में कहानियां न सिर्फ संस्कृति को, बल्कि अर्थव्यवस्थाओं और बाज़ारों को भी आकार देती हैं। मिसाल के तौरपर उन्होंने अमेरिकी शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च की जनवरी 2023 की रिपोर्ट का ज़िक्र किया, जिसके बाद अदाणी समूह की कंपनियों के मूल्य में भारी गिरावट दर्ज की गई थी।
गौतम अदाणी ने कहाकि वह रिपोर्ट एक झूंठी पटकथा थी, जिसे दुनियाभर में फैलाया गया, कुछही दिन में 100 अरब डॉलर से ज़्यादा का बाज़ार मूल्य नष्ट हो गया, इसलिए नहींकि तथ्य बदल गए थे, बल्कि इसलिए कि धारणा से छेड़छाड़ की गई थी। उन्होंने कहाकि चुप्पी दूसरों को आपकी नियति लिखने का मौका दे देती है, सच को सच्चाई के तौर पर ज़ोर से बताया जाना चाहिए, प्रचार के तौरपर नहीं। गौतम अदाणी ने कहाकि हिंडनबर्ग प्रकरण सिर्फ़ एक कंपनी का मामला नहीं था, बल्कि एक केस स्टडी हैकि कैसे गलत सूचना और मनगढ़ंत कहानियां बाज़ारों और अर्थव्यवस्थाओं को अस्थिर कर सकती हैं। उन्होंने पूछाकि जैसे सिनेमा राष्ट्रों की कहानियां कहता है, वैसे ही बाज़ार भी कहानियों से संचालित होते हैं, सवाल यह हैकि इन्हें किस उद्देश्य से और कौन लिखता है? गौतम अदाणी ने सिनेमा के भविष्य की चर्चा भी की। उन्होंने भविष्यवाणी कीकि एआई से फिल्म निर्माण में उसी तरह क्रांति आएगी जैसे यह स्वास्थ्य सेवा और ऊर्जा क्षेत्रमें बदलाव ला रही है। उन्होंने कहाकि आने वाले दशक में फिल्म निर्माण की लागत 80 प्रतिशत तक कम हो सकती है।
गौतम अदाणी ने कहाकि कल्पना कीजिए कि एकही दिन में वैश्विक रिलीज़ हों, एआई संचालित गीत संगीत मिनटों में विभिन्न भाषाओं में रचा जाए, गतिशील पटकथाएं जो वास्तविक समय में बदलती रहें, ऐसी फ़िल्में जहां हर दर्शक अपना संस्करण देखे और डिजिटल कलाकार, जो पीढ़ियों से आगे तक जीवित रहें। उन्होंने एआई स्टूडियो की भी कल्पना की, जहां मनुष्य और मशीनें सहयोग करते हैं और सिनेमा स्वयं बिजनेस बन जाता है, मतलब जोभी आप स्क्रीन पर देख रहे हैं, वह हर वस्तु तुरंत खरीद केलिए उपलब्ध हो सकती है। गौतम अदाणी ने व्हिसलिंग वुड्स में पढ़ने वाले छात्रों से अपील कीकि वे दुनिया के सामने भारतीय कहानियों को विदेशी नज़रिए से ना पेश करें। स्लमडॉग मिलियनेयर फिल्म का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहाकि कैसे गरीबी को तमाशे की तरह पेश किया गया है। उन्होंने कहाकि अब कभीभी किसी भारतीय महात्मा की कहानी किसी विदेशी की नज़र से नहीं लिखी जानी चाहिए, भारत को उसकी आवाज़, उसके गीत, उसकी कहानियां वापस दे दीजिए! कार्यक्रम में उद्योग जगत के दिग्गज, शिक्षाविद और जानीमानी हस्तियों ने भाग लिया। फिल्म निर्माता सुभाष घई, फैकेल्टी मेंबर और भारत के मनोरंजन और मीडिया जगत की प्रमुख हस्तियों, छात्रों ने गौतम अदाणी का गर्मजोशी से स्वागत किया।