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'मिग-21 भारतीय वायुसेना का गौरवशाली अध्याय'

'1971 से ऑपरेशन सिंदूर तक हर युद्ध क्षेत्रमें अद्वितीय क्षमता का प्रदर्शन'

रक्षामंत्री ने वायुसेना से सेवामुक्त मिग-21 को चंडीगढ़ में दी भव्य विदाई

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Friday 26 September 2025 06:35:15 PM

decommissioned air force mig-21 given grand farewell in chandigarh

चंडीगढ़। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा हैकि भारतीय वायुसेना का लड़ाकू विमान मिग-21 भारत का गौरव है, यह देश की सुरक्षा की ढाल और शक्ति का प्रतीक है, इसने अपने हर ऐतिहासिक मिशन में भारतीय तिरंगे का मान बढ़ाया है। उन्होंने कहाकि अपनी 62 वर्ष की लंबी यात्रा में मिग-21 ने हर चुनौती का डटकर सामना किया है, देशकी सुरक्षा यात्रा में मिग-21 एक सारथी की तरह हमेशा साथ रहा। उन्होंने कहाकि आनेवाले समय में दुनिया कहेगीकि भारत वही देश है, जिसने मिग-21 से शुरुआत की और आज फ्यूचर टेक्नॉलजी में विश्व का लीडर बन गया है। उन्होंने उल्लेख कियाकि मिग-21 केवल एक विमान या मशीन नहीं, बल्कि यह भारत और रूस केबीच गहरे संबंधों का सशक्त प्रतीक भी है। रक्षामंत्री ने कहाकि मिग-21 की विरासत भारत की रक्षा आत्मनिर्भरता को नई गति देती रहेगी। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने ये उद्गार आज चंडीगढ़ में भारतीय वायुसेना के लड़ाकू विमान मिग-21 के भव्य सैन्य परंपरा से हुए विदाई समारोह में व्यक्त किए। उन्होंने कहाकि यह विमान साहस, अनुशासन एवं देशभक्ति की उस निरंतर परंपरा का प्रतीक है, जो हल्के लड़ाकू विमान तेजस और उन्नत मध्यम लड़ाकू विमान (एएमसीए) जैसे स्वदेशी प्लेटफार्मों के विकास को प्रेरणा देती रहेगी।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने इस अवसर पर भारतीय वायुसेना के उन योद्धाओं की वीरता एवं समर्पण को नमन किया, जिन्होंने साहस और बलिदान से राष्ट्र की संप्रभुता, एकता और अखंडता की रक्षा की है। उन्होंने मिग-21 की सराहना करते हुए कहाकि यह केवल एक विमान नहीं, बल्कि सैन्य वायु क्षेत्र में भारत के उत्थान का प्रतीक, राष्ट्रीय रक्षा का सुदृढ़ कवच और 1963 में शामिल होने केबाद से सशस्त्र बलों का विश्वसनीय साथी रहा है। रक्षामंत्री ने बतायाकि विश्वभर केलिए 11500 से अधिक मिग-21 विमानों का निर्माण हुआ, जिनमें से लगभग 850 भारतीय वायुसेना का हिस्सा बने, जो इसकी लोकप्रियता, विश्वसनीयता और बहुआयामी क्षमताओं का स्पष्ट प्रमाण है। रक्षामंत्री ने स्मरण कियाकि मिग-21 ने युद्ध और संघर्ष के हर मोर्चे पर अपनी अद्वितीय क्षमता का परिचय दिया है। उन्होंने कहाकि इसने 1971 के युद्ध में प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद ढाका में गवर्नर हाउस पर निर्णायक हमलाकर भारत की विजय को गति देने से लेकर करगिल संघर्ष, बालाकोट एयर स्ट्राइक और ऑपरेशन सिंदूर में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है। उन्होंने कहाकि हर ऐतिहासिक मिशन में मिग-21 ने तिरंगे को गौरव केसाथ फहराया है, इसका योगदान किसी एक घटनाक्रम या युद्ध तक सीमित नहीं, बल्कि दशकों से यह भारत की वायुशक्ति का सशक्त स्तंभ रहा है। राजनाथ सिंह ने इसकी बहुमुखी प्रतिभा पर प्रकाश डालते हुए इसको सभी मौसमों का पक्षी बताया।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहाकि यह विमान दुश्मन के विमानों को रोकने वाले इंटरसेप्टर, आक्रामक क्षमता प्रदर्शित करने वाले जमीनी हमले के प्लेटफॉर्म, भारतीय आकाश की रक्षा करने वाले अग्रिम पंक्ति के वायुरक्षा जेट और अनगिनत पायलटों को तैयार करने वाले प्रशिक्षक विमान के रूपमें हर भूमिका में उत्कृष्ट रहा है। उन्होंने कहाकि हमारे अत्यधिक कुशल लड़ाकू पायलटों की नींव मिग-21 पर ही रखी गई, इसपर वायु योद्धाओं की पीढ़ियों ने कठिनतम परिस्थितियों में उड़ान भरना, परिस्थितियों के अनुसार स्वयं को ढालना और सफलता अर्जित करना सीखा है। उन्होंने कहाकि भारत की वायु रणनीति को आकार देने में इसकी भूमिका अनुपम और अविस्मरणीय है। राजनाथ सिंह ने कहाकि मिग-21 ने अपने डिजाइनरों और ऑपरेटरों की अपेक्षाओं से कहीं अधिक प्रदर्शन किया। उन्होंने कहाकि 1950 के दशक के एक जेट से विकसित होकर यह दुर्जेय और उन्नत प्लेटफॉर्म बन गया, जिसे त्रिशूल, विक्रम, बादल तथा बाइसन जैसे नामों से पहचान मिली। मिग-21 ने हमें सिखायाकि परिवर्तन से भयभीत होने के बजाय उसे आत्मविश्वास के साथ अपनाना चाहिए। रक्षामंत्री ने कहाकि आज भारतीय रक्षा इकोसिस्टम अनुसंधान प्रयोगशालाएं, शिक्षा जगत, रक्षा क्षेत्रके सार्वजनिक उपक्रम, निजी उद्योग, स्टार्टअप और युवा मिलकर इस गौरवशाली विरासत को आगे बढ़ाने केलिए एकजुट होकर कार्य कर रहे हैं।
रक्षामंत्री ने मिग-21 की आयु को लेकर फैली भ्रांतियों को दूर करते हुए स्पष्ट कियाकि 1960 और 70 के दशक में शामिल प्रारंभिक विमान पहले ही सेवानिवृत्त कर दिए गए थे और वर्तमान में सेवा में मौजूद विमान अधिकतम 40 वर्ष पुराने हैं, जो विश्वभर में लड़ाकू विमानों केलिए सामान्य जीवनकाल माना जाता है। उन्होंने कहाकि हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के निरंतर प्रयासों से मिग-21 को आधुनिक रडार, एवियोनिक्स और हथियार प्रणालियों केसाथ तकनीकी रूपसे उन्नत बनाए रखा गया। रक्षामंत्री ने एचएएल के इंजीनियरों तथा वैज्ञानिकों की सराहना करते हुए कहाकि उनके अथक परिश्रम ने मिग-21 को दशकों तक तकनीकी रूपसे प्रासंगिक और युद्ध केलिए पूरी तरह तैयार रखा। राजनाथ सिंह ने कहाकि मिग-21 के विदाई समारोह को केवल सैन्य परंपरा के रूपमें नहीं देखा जाना चाहिए, बल्कि यह भारत के सभ्यतागत लोकाचार का प्रतीक भी है। उन्होंने कहाकि हमारी प्राचीन संस्कृति सिखाती हैकि देवत्व केवल जीवित प्राणियों में नहीं, बल्कि निर्जीव वस्तुओं में भी वास करता है। रक्षामंत्री ने कहाकि जिस प्रकार हम धरती, नदियों, वृक्षों और हमारे सेवा उपकरणों की पूजा करते हैं, उसी प्रकार आज मिग-21 को विदाई देना इसके प्रति कृतज्ञता का प्रतीक है, जिसने हमारे आकाश की रक्षा की और देशवासियों का विश्वास अर्जित किया। रक्षामंत्री ने कहाकि यह क्षण दशहरा पर्व पर शस्त्रों के अनुष्ठानों के समान है, जो राष्ट्र को सशक्त बनाने वाले सभी तत्वों केप्रति सम्मान और निरंतरता का संदेश देता है।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने चंडीगढ़ के विशेष महत्व को रेखांकित करते हुए कहाकि यही वह स्थान है, जहांसे भारत की सुपरसोनिक यात्रा आरंभ हुई थी, जब मिग-21 को 28वें स्क्वाड्रन में शामिल किया गया, जो 'पहला सुपरसोनिक' था। उन्होंने कहाकि चंडीगढ़ ने उस गौरवशाली अध्याय को देखा है, जिसने भारत की वायुशक्ति की नए सिरे से परिभाषा रची और आज इतिहास पूर्ण हुआ है, क्योंकि हम उसी स्थान से उसी महान विमान को विदाई दे रहे हैं। विदाई समारोह में वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह के नेतृत्व में एक भव्य फ्लाईपास्ट आयोजित किया गया, जो दुर्लभ एवं प्रतीकात्मक संकेत था और भारतीय वायुसेना के इस महान विमान केप्रति गहन सम्मान को दर्शाता है। इसमें आकाशगंगा स्काईडाइविंग प्रदर्शन, मिग-21 की उड़ान, बादल व पैंथर फॉर्मेशन, एयर वॉरियर ड्रिल टीम, सूर्य किरण एरोबैटिक टीम की सटीक ड्रिल मूवमेंट, कॉम्बैट एयर पेट्रोल का ऐतिहासिक आयोजन हुआ, जिसमें जगुआर और मिग-21 का प्रतीकात्मक फ्लाईपास्ट भी शामिल था। समारोह का विशेष आकर्षण मिग-21 और एलसीए तेजस का संयुक्त फ्लाईपास्ट था, जिसने प्रसिद्ध बाइसन से स्वदेशी तेजस तक के सफर को दर्शाया। छह मिग-21 विमानों को विदाई दी गई, इससे उनके परिचालन जीवन का गौरवशाली समापन हुआ। विमान से संबंधित सभी दस्तावेज फॉर्म-700 23 स्क्वाड्रन के अधिकारियों और वायुसैनिकों तथा 28 स्क्वाड्रन के कमांडिंग ऑफिसर ने वायुसेना प्रमुख को सौंपे।
रक्षामंत्री ने मिग-21 की विरासत को सम्मानित करते हुए एक विशेष स्मारक दिवस कवर और डाक टिकट जारी किया। उन्होंने मेमोरी लेन संग्रहालय का दौरा किया और वायु योद्धाओं तथा पूर्व सैनिकों केसाथ बाराखाना में भाग लेकर इस ऐतिहासिक क्षण को साझा किया। समारोह में मिग-21 की अंतिम परिचालन उड़ान भरी गई, जिसके साथ भारतीय वायुसेना के इतिहास का छह दशक से अधिक लंबा और गौरवशाली अध्याय संपन्न हुआ। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान, नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी, थलसेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी, डीडीआरएंडडी सचिव एवं डीआरडीओ अध्यक्ष डॉ समीर वी कामत और वित्तीय सलाहकार (रक्षा सेवाएं) डॉ मयंक शर्मा भी उपस्थित थे। समारोह में भारतीय वायुसेना के वरिष्ठ अधिकारी, भूतपूर्व सैनिक, इंजीनियर, तकनीशियन, ग्राउंड क्रू और वे वायु योद्धा शामिल हुए, जिन्होंने मिग-21 के लंबे और गौरवशाली परिचालन जीवन के दौरान इसके साथ कार्य किया।

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