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Wednesday 30 July 2025 02:46:53 PM
नागपुर। कई बार जीवन ऐसे मोड़ पर खड़ा होता है, जहां न सवाल थमते हैं, न ही कोई रास्ता दिखाई देता है, ऐसे में कोई एक क्षण, एक अनुभव, भीतर की सारी उलझनों को सुलझा सकता है, जरूरत है उस मौन को सुनने की, जहां शिव होते हैं। नागपुर में यही अनुभव मिला, जब प्रख्यात ज्योतिषाचार्य, ध्यान साधिका और एस्ट्रोभूमि की संस्थापिका भूमिका कलम के नेतृत्व में 'शिव चेतना और सावन के स्वर्णिम रहस्य' का एक विशेष आयोजन हुआ, जहां उपस्थित प्रत्येक व्यक्ति को शिव चेतना और सावन के अद्भुत सहस्यों को जानने का सुअवसर मिला। सावन में ज्योतिष के उपाय क्यों सबसे अधिक कारगर होते हैं और क्यों इस महीने में ही क्यों भगवान शिव की भक्ति की जाती है? इस विषय पर ज्योतिषाचार्य भूमिका कलम ने कहाकि इस समय सूर्य कर्क राशि में होता है और कर्क चंद्रमा की राशि है। चंद्रमा मन, जल और भावनाओं का कारक है, इसलिए श्रावण मास मन को छूने वाला होता है, यही कारण हैकि इस मास में की गई साधना, ध्यान और ज्योतिषीय उपाय शीघ्र फलदायक होते हैं।
ज्योतिषाचार्य भूमिका कलम ने शिव और श्रावण मास पर अपने आध्यात्मिक और ज्योतिषीय व्याख्यान में कहाकि श्रावण मास में मन उस अवस्था में होता हैकि हम जो भी कार्य करते हैं, वे बहुत जल्दी फलित होते हैं। उनका कहना है कि जब मन बेचैन हो, दिशा धुंधली हो और भीतर उलझनों का कोलाहल हो, तब जरूरत होती है शिव से जुड़ने की और शिव चेतना का अर्थ है-‘पूर्ण स्वीकृति, मौन और जागरूकता।’ भूमिका कलम ने ध्यान की विधि में एक विशेष आवृत्ति दी और ध्यान करवाया, जिससे सभी को सुकून का अद्भुत अनुभव हुआ, सभी अंतःस्थिति तक पहुंचे। भूमिका कलम ने सावन में ग्रहों की शक्तियां, उनके प्रभाव और नकारात्मकता के निवारण के उपाय भी बताए। जैसे-सोमवार व्रत कैसे करें, घर में रुद्राभिषेक कैसे करें, शिव पर जल कैसे चढ़ाएं, कौन से मंत्र पढ़ें उन्होंने इसपर विशेष मार्गदर्शन किया।
भूमिका कलम से रुद्राक्ष धारण करने का सही समय और मंत्र-जाप की महत्ता भी जानने को मिली। उन्होंने बतायाकि सावन के महीने में रुद्राक्ष धारण करने से शरीर की ऊर्जाएं तारतम्यपूर्ण हो जाती हैं, भगवान शिव ऊर्जा की अवस्था हैं, जो हमारे भीतर की अशांति को दूर करते हैं और जब आप शिव से जुड़ते हैं तो भीतर की उलझनें स्वयं ही शांत हो जाती हैं। भूमिका कलम का यह कथन श्रोताओं के हृदय में उतर गया। वह कहती हैंकि सोच बदलो तो ऊर्जा बदलेगी, ग्रह बदलेंगे, परिणाम बदलेंगे। उन्होंने इस सूत्र पर विशेष प्रकाश डाला। उनकी सरल और गहन सीख ने कई मनों को स्पर्श किया। जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने के सूत्र बताते हुए भूमिका कलम ने अपील कीकि हर दिन कम से कम पांच मिनट अपने लिए जरूर निकालें, जिसमें मौन रहकर ध्यान करें, शिव आपको स्वयं ही मिल जाएंगे।
ध्यान साधिका ने भगवान शिव की पौराणिक कहानियां भी सुनाईं। सावन के ज्योतिषीय महत्व और स्वर्णिम रहस्यों से शिवभक्त अवगत हुए और उन्होंने जानाकि ग्रहों की स्थिति इस समय ध्यान और प्रार्थना केलिए सबसे अनुकूल होती है, साथ ही इस समय मंत्र जाप और जल अर्पण सबसे ज्यादा असरकारक उपाय होते हैं। भगवान शिव को समर्पित यह संध्या सिर्फ एक आयोजन मात्र नहीं थी, यह एक आंतरिक यात्रा का सुखद निमंत्रण थी, जिसने सावन के अध्यात्म को जीवन के वास्तविक अर्थ के रूप में प्रदर्शित किया। शिवभक्तों ने इसके माध्यम से शिवत्व को समझा, इसे अपने जीवन में आत्मसात किया और सावन के पवित्र महीने में भगवान शिव की असीम कृपा प्राप्त की।