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'स्वस्थ मानव समाज केलिए ज्ञानप्रभा मिशन'

वरिष्ठ नागरिकों और रोगियों की सेवा का व्रत लें-राष्ट्रपति

भुवनेश्वर में ज्ञानप्रभा मिशन का स्थापना दिवस समारोह

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Saturday 11 February 2023 02:03:11 PM

president addressed the foundation day celebration of jnanaprabha mission

भुवनेश्वर। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने भुवनेश्वर में ज्ञानप्रभा मिशन के स्थापना दिवस समारोह में हिस्सा लिया और जनसभा को संबोधित किया। राष्ट्रपति ने कहाकि मां की शक्ति एवं क्षमता को जगाने और एक स्वस्थ मानव समाज के निर्माण के उद्देश्य से स्थापित ज्ञानप्रभा मिशन के स्थापना दिवस समारोह में हिस्सा लेकर उन्हें प्रसन्नता हुई है। उन्होंने कहाकि यह गर्व की बात हैकि इस मिशन का नाम परमहंस योगानंद की मां के नाम पर रखा गया है, जो उनकी प्रेरणा थीं। राष्ट्रपति ने कहाकि हमारे ऋषियों ने हमें माता, पिता, गुरु और अतिथि को भगवान के समान मानना सिखाया, लेकिन क्या हम इस शिक्षा को अपने जीवन में अपनाते हैं? यह एक बड़ा प्रश्न है। उन्होंने कहाकि क्या बच्चे अपने माता-पिता की उचित देखभाल कर रहे हैं? आमतौर पर समाचारपत्रों में वृद्ध माता-पिता की दुखभरी कहानियां छपती हैं।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहाकि माता-पिता को भगवान कहना और उनके चित्रों की पूजा करना ही आध्यात्म नहीं है, उनका ख्याल रखना और उनका सम्मान करना भी जरूरी है। उन्होंने सभी से वरिष्ठ नागरिकों, बड़ों और रोगियों की सेवा को अपने जीवनव्रत के रूपमें अपनाने का अनुरोध किया। उन्होंने कहाकि यही मानव धर्म है। उन्होंने इस बात का उल्लेख कियाकि ज्ञानप्रभा मिशन 'क्रिया योग' को लोकप्रिय बनाने में सक्रिय है। राष्ट्रपति ने कहाकि रूप कोईभी हो योग भारत की प्राचीन विज्ञान और आध्यात्मिक साधना है, जिसका उद्देश्य स्वस्थ मानव समाज का निर्माण करना है, योग एक स्वस्थ जीवन केलिए उपचार से बेहतर बचाव है, अगर हम योग युक्त रहते हैं तो हम रोग मुक्त रह सकते हैं, योग के माध्यम से हम स्वस्थ शरीर और शांत मन प्राप्त कर सकते हैं। उन्होंने कहाकि आज की दुनिया में भौतिकवादी प्रसन्नता पहुंच से बाहर नहीं है, लेकिन मन की शांति बहुतों की पहुंच से परे हो सकती है, उनके लिए योग ही मन की शांति को पाने का एकमात्र तरीका है।
राष्ट्रपति ने कहाकि हमारी भौतिकवादी अपेक्षाएं और आकांक्षाएं बढ़ रही हैं, लेकिन हम धीरे-धीरे अपने जीवन के आध्यात्मिक पक्ष से दूर होते जा रहे हैं। उन्होंने कहाकि पृथ्वी के संसाधन सीमित हैं, लेकिन मनुष्य की इच्छाएं असीमित हैं, मौजूदा विश्व प्रकृति के असामान्य व्यवहार को देख रहा है, जो जलवायु परिवर्तन और पृथ्वी के तापमान में बढ़ोतरी के रूपमें दिखता है। उन्होंने कहाकि हमारी आनेवाली पीढ़ी को एक सुरक्षित भविष्य देने केलिए प्रकृति के अनुकूल जीवनशैली अपनाना जरूरी है। राष्ट्रपति ने कहाकि भारतीय परंपरा में ब्रह्मांड एकरूप और अभिन्न है, मनुष्य इस ब्रह्मांड का एक छोटा सा हिस्सा मात्र है, हमने विज्ञान में चाहे कितनी भी प्रगति की हो, हम प्रकृति के मालिक नहीं, उसकी संतान हैं। उन्होंने कहाकि हमें प्रकृति को लेकर कृतज्ञ होना चाहिए, हमें प्रकृति के अनुरूप जीवनशैली अपनानी चाहिए।

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