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दधीचि समिति का अंगदान अभियान शुरू

अंगदान केलिए एक सहायता प्रणाली बनाना जरूरी-धनखड़

धर्मगुरुओं व मीडिया से अंगदान प्रोत्साहित करने की अपील

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Sunday 4 September 2022 04:55:31 PM

vice president in dadhichi dehdan samiti events in new delhi

नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने आज धर्मगुरुओं और मीडिया से अंगदान केलिए प्रोत्साहित करने और इस विषय पर लोगों की शंकाओं को दूर करके अंगदान को प्रोत्साहित करने की अपील की है। उन्होंने कहाकि अंगदान का निर्णय एक संवेदनशील और निजी विषय है, जो लोगों के धार्मिक विश्वासों से भी जुड़ा है, अंगदान को प्रेरित करने में हमारे धर्मगुरुओं की महत्वपूर्ण भूमिका है और मैं आशा करता हूंकि सभी धर्मगुरु इस पवित्र कार्य में अपना महत्वपूर्ण योगदान देंगे। नई दिल्ली में दधीचि देहदान समिति के कार्यक्रम में अंगदान केलिए राष्ट्रीय अभियान के शुभारंभ पर उपराष्ट्रपति ने अंगदान को एक संवेदनशील मुद्दा बताया और अंगदान केलिए एक सहायता प्रणाली बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया।
गौरतलब हैकि दधीचि देहदान समिति की स्थापना 1997 में हुई थी और यह लोगों को मृत्यु केबाद अपने शरीर और अंगों को दान करने केलिए प्रोत्साहित करती है। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहाकि महर्षि दधीचि ने अपनी अस्थियां दान करके पूरी मानवता के सामने तप, त्याग और परोपकार का अनुपम उदाहरण प्रस्तुत किया, हमें भी महान ऋषि दधीचि के जीवनदर्शन से प्रेरणा लेनी चाहिए। सही परितंत्र के निर्माण के प्रयास केलिए दधीचि देहदान समिति की सराहना करते हुए उपराष्ट्रपति ने इच्‍छा जताईकि ये प्रयास परिवार के स्‍तर तक पहुंचने चाहिएं और इस मिशन में मीडिया और सोशल मीडिया की अहम भूमिका है, हर मीडियाकर्मी को इस सार्थक संदेश के प्रचार-प्रसार में अपना योगदान देना चाहिए।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने महर्षि दधीचि जयंती पर शुभकामनाएं देते हुए सभीसे अनुरोध कियाकि वे अपनी प्रसन्‍नता और समाज को वापस देने केलिए महान संत महर्षि दधीचि के जीवनदर्शन का अनुकरण करें। इस अवसर पर परमार्थ निकेतन ऋषिकेश की साध्वी भगवती सरस्वती की 'सकारात्मकता से संकल्प विजय का' पुस्तक का विमोचन किया गया, जिसकी पहली प्रति उपराष्ट्रपति को भेंट की गई। कार्यक्रम में सांसद डॉ हर्षवर्धन, सांसद सुशील मोदी, वरिष्ठ अधिवक्ता और दधीचि देहदान समिति के संरक्षक आलोक कुमार, अंगदाताओं के परिजन, 22 राज्यों के गैर-सरकारी संगठनों के प्रतिनिधि, डॉक्टर और गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।

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