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बीरभूम की घटना जघन्य पाप-प्रधानमंत्री

अपराधियों का हौसला बढ़ाने वालों को भी माफ नहीं करेंगे

कोलकाता में 'बिप्लोबी भारत गैलरी' का उद्घाटन कार्यक्रम

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Thursday 24 March 2022 04:06:43 PM

pm inaugurates the biplobi bharat gallery at victoria memorial hall kolkata

कोलकाता। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शहीद दिवस पर पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में घरपर बाहर से ताला लगाकर परिवार की महिलाओं और बच्चों को जिंदा जलाकर मार डालने की लोहर्षक आग़जनी की घटना से बहुत द्रवित हुए और पीड़ितों के प्रति गहरी संवेदनाएं व्यक्त कीं। उन्होंने उम्मीद जताई कि पश्चिम बंगाल की सरकार बंगाल की महान धरती पर ऐसा जघन्य पाप करने वालों को जरूर सजा दिलवाएगी। प्रधानमंत्री ने इस मामले में केंद्र सरकार के हरसंभव सहयोग का आश्वासन भी दिया। उन्होंने बंगाल के लोगों से भी आग्रह किया कि ऐसी वारदात को अंजाम देने वालों और उनका हौसला बढ़ाने वालों को कभी माफ न करें। प्रधानमंत्री वीडियो कॉंफ्रेंसिंग के माध्यम से कोलकाता के विक्टोरिया मेमोरियल हॉल में शहीद दिवस पर बिप्लोबी भारत गैलरी के उद्घाटन पर बोल रहे थे। उन्होंने अपना संबोधन ही इस वारदात के जिक्र से किया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शहीद दिवस पर देश केलिए अपना सर्वस्व न्योछावर करने वाले वीर-वीरांगनाओं को याद करते हुए कहाकि शहीद भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव के बलिदान की गाथाएं देश केलिए दिन-रात मेहनत करने केलिए प्रेरित करती हैं। प्रधानमंत्री ने कहाकि हमारे अतीत की विरासतें हमारे वर्तमान को दिशा देती हैं, हमें बेहतर भविष्य गढ़ने केलिए प्रेरित करती हैं, इसलिए आज देश अपने इतिहास, अपने अतीत और ऊर्जा के जाग्रत स्रोत के रूपमें देखता है। प्रधानमंत्री ने कहाकि हमारी प्राचीन कलाकृतियों की विदेशों में बेधड़क तस्करी होती थी, जैसे उनकी कोई अहमियत ही नहीं थी, लेकिन अब भारत की उन धरोहरों को वापस लाया जा रहा है, वर्ष 2014 से पहले के कई दशकों में सिर्फ दर्जनभर प्रतिमाओं को ही भारत लाया जा सका था, लेकिन बीते 7 साल में ये संख्या 225 से भी अधिक हो चुकी है। प्रधानमंत्री ने कहाकि 'निर्भीक सुभाष' केबाद बिप्लोबी भारत गैलरी के रूपमें कोलकाता की समृद्ध विरासत में एक खूबसूरत मोती जुड़ गया है। उन्होंने कहाकि बिप्लोबी भारत गैलरी पश्चिम बंगाल की समृद्ध सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहरों को संजोने और संवारने की सरकार की प्रतिबद्धता का एक प्रमाण है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बतायाकि पश्चिम बंगाल राज्य के प्रतिष्ठित स्थलों जैसे-विक्टोरिया मेमोरियल, प्रतिष्ठित गैलरियां, मेटकाफ हाउस आदि को भव्य और सुंदर बनाने का काम करीब-करीब पूरा हो चुका है। प्रधानमंत्री ने कहाकि अपनी संस्कृति, सभ्यता की ये निशानियां, भारत की वर्तमान और भावी पीढ़ी को निरंतर प्रेरित करें, इस दिशा में यह एक बहुत बड़ा प्रयास है। नरेंद्र मोदी ने बतायाकि हेरिटेज टूरिज्म बढ़ाने केलिए भारत में एक राष्ट्रव्यापी अभियान चल रहा है, स्वदेश दर्शन जैसी कई योजनाओं के जरिए हेरिटेज टूरिज्म को गति दी जा रही है। प्रधानमंत्री ने कहाकि दांडी मार्च की स्मृति में बना स्मारक हो या फिर जलियांवाला बाग स्मारक का पुनर्निमाण हो, केवड़िया में स्टैच्यू ऑफ यूनिटी हो या फिर पंडित दीनदयाल उपाध्याय के स्मारक का निर्माण, बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर मेमोरियल हो या बिरसा मुंडा मेमोरियल और अयोध्या-बनारस के घाटों का सुंदरीकरण हो या फिर देशभर में ऐतिहासिक मंदिरों और आस्था स्थलों का जीर्णोद्धार, हेरिटेज टूरिज्म नई संभावनाएं खोल रहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि भारत को गुलामी के सैकड़ों वर्ष के कालखंड से आजादी, तीन धाराओं के संयुक्त प्रयासों से मिली थी, जिसमें एक धारा थी क्रांति की, दूसरी धारा सत्याग्रह की और तीसरी धारा थी जन-जागृति की। प्रधानमंत्री ने कहाकि मेरे मन में ये तीनों ही धाराएं तिरंगे के तीन रंगों में उभरती रही हैं, हमारे तिरंगे का केसरिया रंग क्रांति की धारा का प्रतीक है, सफेद रंग सत्याग्रह और अहिंसा की धारा का प्रतीक है, हरा रंग रचनात्मक प्रवृत्ति की धारा का और तिरंगे के अंदर नीले चक्र को मैं भारत की सांस्कृतिक चेतना के प्रतीक के रूपमें देखता हूं। प्रधानमंत्री ने कहाकि आज तिरंगे के तीन रंगों में नए भारत का भविष्य भी देख रहा हूं, केसरिया रंग अब हमें कर्तव्य और राष्ट्रीय सुरक्षा की प्रेरणा देता है, सफ़ेद रंग अब 'सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास' का पर्याय है, हरा रंग पर्यावरण की रक्षा केलिए रीन्यूएबल एनर्जी के लिए भारत के बड़े लक्ष्यों का प्रतीक है और तिरंगे में लगा नीला चक्र आज ब्लू इकॉनमी का पर्याय है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु को जब फांसी हुई तो वे 23-24 साल के नौजवान थे। क्रांतिकारियों की उम्र का जिक्र करते हुए उन्होंने कहाकि देश के युवाओं को कभी अपनी शक्तियों को अपने सपनों को कमतर नहीं समझना चाहिए, ऐसा कोई कार्य नहीं जो भारत का युवा कर ना सके, ऐसा कोई लक्ष्य नहीं जो भारत का युवा प्राप्त ना कर सके। प्रधानमंत्री ने कहाकि आजादी के आंदोलन ने हमें हमेशा एक भारत-श्रेष्ठ भारत केलिए काम करने की प्रेरणा दी है, आजादी के मतवालों की क्षेत्रीयता अलग-अलग थी, भाषाएं-बोलियां भिन्न-भिन्न थीं, यहां तककि साधन-संसाधनों में भी विविधता थी, लेकिन राष्ट्रसेवा की भावना और राष्ट्रभक्ति एक निष्ठ थी। प्रधानमंत्री ने कहाकि भारत भक्ति का शाश्वत भाव भारत की एकता-अखंडता आज भी हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए, आपकी राजनीतिक सोच कुछ भी हो, आप किसी भी राजनीतिक दल के हों, लेकिन भारत की एकता-अखंडता केसाथ किसी भी तरह का खिलवाड़ भारत के स्वतंत्रता सेनानियों केसाथ सबसे बड़ा विश्वासघात होगा।
प्रधानमंत्री ने कहाकि हमें नए भारत में नई दृष्टि केसाथ ही आगे बढ़ना है, ये नई दृष्टि भारत के आत्मविश्वास की है, आत्मनिर्भरता की है, पुरातन पहचान की है, भविष्य के उत्थान की है, इसमें कर्तव्य की भावना का ही सबसे ज्यादा महत्व है। प्रधानमंत्री ने कहाकि भारत ने 400 बिलियन डॉलर यानि 30 लाख करोड़ रुपये के प्रॉडक्ट्स के एक्सपोर्ट का नया रिकॉर्ड बनाया है। उन्होंने कहाकि भारत का बढ़ता हुआ एक्सपोर्ट हमारी इंडस्ट्री की शक्ति, हमारे एमएसएमई, हमारी मैन्यूफैक्चरिंग क्षमता, हमारे एग्रीकल्चर सेक्टर के सामर्थ्य का प्रतीक है। प्रधानमंत्री ने कहाकि यह गैलरी स्वतंत्रता संग्राम में क्रांतिकारियों के योगदान और ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन केलिए उनके सशस्त्र प्रतिरोध को प्रदर्शित करती है। उन्होंने कहाकि इस पहलू को अक्सर स्वतंत्रता आंदोलन की मुख्यधारा की गौरवगाथा में उचित स्थान नहीं दिया गया है, इस गैलरी का उद्देश्य 1947 तक की घटनाओं का समग्र दृष्टिकोण प्रदान करना और क्रांतिकारियों की महत्वपूर्ण भूमिका को उजागर करना है।
प्रधानमंत्री ने कहाकि बिप्लोबी भारत गैलरी उस राजनीतिक और बौद्धिक पृष्ठभूमि को दर्शाती है, जिसने क्रांतिकारी आंदोलन को गति दी, यह क्रांतिकारी आंदोलन की शुरुआत, क्रांतिकारियों के महत्वपूर्ण संघों के गठन, आंदोलन के प्रसार, इंडियन नेशनल आर्मी का गठन, नौसेना विद्रोह के योगदान आदि को प्रदर्शित करती है। इस मौके पर पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ और केंद्रीय पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जी किशन रेड्डी, विक्टोरिया मेमोरियल हॉल से जुड़े महानुभाव, विश्वविद्यालयों के वाइस चांसलर्स, कला और संस्कृति जगत के दिग्गज भी उपस्थित थे।

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