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नई दिल्ली। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने तीन  राज्यों तमिलनाडु, झारखंड, महाराष्ट्र और एक केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ के शहरी और  ग्रामीण हिस्सों में नीयत परियोजना आईसीएमआर-भारत  मधुमेह (आईएनडीआईएबी) अध्ययन का पहला चरण पूरा कर लिया है। तमिलनाडु में मधुमेह  की बीमारी का अनुपात 10.4 प्रतिशत, झारखंड में 5.3 प्रतिशत, चंडीगढ़ में 13.6 प्रतिशत  और महाराष्ट्र में 8.4 प्रतिशत  है। 
    केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री गुलाम नबी  आजाद ने राज्यसभा में एक लिखित प्रश्न के उत्तर में बताया कि  आईसीएमआर निम्न ग्लाइसेमिक भोजन, रोगनिरोधी स्वस्थ लाइफस्टाल की योजनाओं के बारे में तदर्थ  अनुसंधान कार्यक्रम के जरिये मधुमेह के सस्ते नैदानिक उपकरणों के अनुसंधान और विकास  में सहायता दे रहा और टाइप-1 मधुमेह  पर ऊँट के दूध के प्रभाव का अध्ययन कर रहा है। चेन्नई में मद्रास मधुमेह अनुसंधान  फाउंडेशन, मधुमेह अनुसंधान के लिए आधुनिक अनुसंधान  केंद्र के अलावा आईसीएमआर ने इसकी व्यापकता और जोखिम के बारे में सूचनाएं एकत्र करनी  शुरू कर दी हैं। 
    मधुमेह के मामलों में वृद्धि अस्वास्थ्यकर भोजन, मोटापा, सुस्त  लाइफस्टाइल, बुढ़ापे, पर्यावरण के ह्रास और एन्डोक्रीं प्रणाली पर उसके असर के  कारण हुई है। सरकार ने 11वी पंचवर्षीय  योजना में 21 राज्यों के 100 चुने हुए जिलों में कैंसर, मधुमेह, दिल की बीमारियों और स्ट्रोक्स की रोकथाम और नियंत्रण के  राष्ट्रीय कार्यक्रम शुरू किये हैं, जिनका उद्देश्य 30 वर्ष से अधिक उम्र के सभी लोगों और सभी गर्भवती महिलाओं की  स्क्रीनिंग के जरिये मधुमेह सहित एनसीडी की रोकथाम और नियंत्रण करना है। अब तक 62,19,882 लोगों की स्क्रीनिंग की गई है, जिनमें से 4,19,212 लोगों  में मधुमेह होने की शंका व्यक्त की गई है।