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'प्रौद्योगिकी संचालित अर्थव्यवस्था का भविष्य'

देश में इनोवेशन इकोसिस्टम बनाने की जरूरत-डॉ जितेंद्र सिंह

राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस पर स्टार्ट-अप पुरस्कृत किए गए

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Thursday 12 May 2022 12:51:30 PM

there is a need to create an innovation ecosystem in the country-dr jitendra singh

नई दिल्ली। केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान और प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक एवं लोक शिकायत विभाग में राज्यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा हैकि भविष्य प्रौद्योगिकी संचालित अर्थव्यवस्था का है। डॉ जितेंद्र सिंह ने राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस-2022 समारोह को संबोधित करते हुए कहाकि भारत पहले सेही उदय की ओर उन्मुख है और विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं नवाचार अगले 25 वर्ष में जब हम आजादी के 100 साल का उत्सव मनाएंगे, तबतक के रोडमैप के प्रमुख निर्धारक हैं। गौरतलब हैकि राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस 11 मई 1998 को पोखरण में परमाणु विस्फोट केबाद भारत के परमाणु संपन्न देश बनने के अवसर पर मनाया जाता है। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि स्टार्ट-अप्स केलिए इनोवेशन इकोसिस्टम बनाने की तत्काल आवश्यकता है, क्योंकि देश में प्रतिभा और संसाधनों की कोई कमी नहीं है, इसके लिए उन्होंने साइलो में अर्थात अलग-अलग काम करने के बजाय एकीकरण के दृष्टिकोण को अपनाने पर जोर दिया।
राज्यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने इस अवसर पर क्वांटम डेटा सुरक्षा, कोविड परीक्षण किट, इलेक्ट्रॉनिक असेंबली केलिए एआई संचालित रोबोट, क्रायोजेनिक प्रौद्योगिकियों और साइबर सुरक्षा प्रणालियों जैसे क्षेत्रों में 7 सबसे सफल स्टार्ट-अप को पुरस्कार प्रदान किए और कहाकि यह पुरस्कार व्यावसायीकरण की क्षमता केसाथ स्वदेशी प्रौद्योगिकी विकास केलिए प्रौद्योगिकी स्टार्ट-अप को दिया जाता है, पुरस्कार में ट्रॉफी के अलावा 15 लाख रुपये का नकद धनराशि भी शामिल है। डॉ जितेंद्र सिंह ने ट्रांसलेशनल रिसर्च में महिला वैज्ञानिकों और उद्यमियों को भी पुरस्कृत किया। इसके अलावा स्वदेशी प्रौद्योगिकी के सफल व्यावसायीकरण केलिए राष्ट्रीय पुरस्कार और एमएसएमई श्रेणी केतहत भी पुरस्कार प्रदान किए। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी केलिए स्टार्ट-अप और महिला उद्यमी दोनों की काफी उच्च प्राथमिकता है और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग उनकी पूरी क्षमता से उन्हें बढ़ावा देने केलिए सभी कदम प्रयास कर रहा है। स्टार्ट-अप्स केपास सक्रिय रूपसे पहुंचकर उन्हें पूर्ण समर्थन देने का वचन देते हुए डॉ जितेंद्र सिंह ने पूर्ण वित्तीय सहायता देने का वादा किया और समर्थन प्रणाली को मजबूत करने केलिए नियमों को बदलने की भी पेशकश की।
डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि वैज्ञानिक सामाजिक जिम्मेदारी यानी एसएसआर एक संस्थागत तंत्र के रूपमें ज्ञान मानव संसाधन और बुनियादी ढांचे केसाथ विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के हितधारकों के व्यापक विस्तार तक पहुंचने केलिए एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने कहाकि सार्वजनिक सेवा केलिए कुछ लाभ निर्धारित करने केलिए सीएसआर की भावना के अनुरूप एसएसआर ज्ञान और बुनियादी ढांचे को साझा करने में सक्षम करना होगा। डॉ जितेंद्र सिंह ने याद दिलाईकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2017 में तेलंगाना के तिरुपति में 104वीं भारतीय विज्ञान कांग्रेस के उद्घाटन भाषण में सामाजिक कल्याण केलिए विज्ञान को शामिल करने केलिए वैज्ञानिक सामाजिक उत्तरदायित्व की वकालत की थी। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि वैज्ञानिक सामाजिक उत्तरदायित्व दिशानिर्देशों का व्यापक उद्देश्य विज्ञान और समाज के संबंधों को मजबूत करने केलिए स्वैच्छिक आधार पर वैज्ञानिक समुदाय की गुप्त क्षमता का दोहन करना है और इस तरह एस एंड टी इकोसिस्टम को सामाजिक जरूरतों केलिए उत्तरदायी बनाना है, इसमें मुख्य रूपसे विज्ञान-समाज, विज्ञान-विज्ञान और समाज-विज्ञान की खाई को पाटना शामिल है, जिससे सामाजिक लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में विज्ञान केप्रति विश्वास, साझेदारी और जिम्मेदारी त्वरित गतिसे आती है।
साइंटिफिक रिसर्च इंफ्रास्ट्रक्चर शेयरिंग मेंटेनेंस एंड नेटवक्र्स (श्रीमान) दिशानिर्देशों पर ध्यान केंद्रित करते हुए डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि वैज्ञानिक बुनियादी ढांचा अनुसंधान और नवाचार की नींव है और इसकी उपलब्धता, पहुंच तथा साझेदारी की सुविधा को विशेष रूपसे भारत जैसे सीमित संसाधनों वाले देशों का एक प्रमुख लक्ष्य होना चाहिए। उन्होंने कहाकि एक नया दृष्टिकोण अपनाने के उद्देश्य से जो सभी हितधारकों केलिए अनुसंधान अवसंरचना उपलब्ध करा सके, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग ने विस्तृत हितधारक परामर्श के जरिए वैज्ञानिक अनुसंधान अवसंरचना साझा रखरखाव और नेटवर्क दिशानिर्देशों का एक मसौदा तैयार किया है, जिसका उद्देश्य प्रासंगिक हितधारकों का एक नेटवर्क बनाकर देशभर के वैज्ञानिकों, शोधकर्ताओं और उद्योग के पेशेवरों केलिए अनुसंधान बुनियादी ढांचे के कुशल उपयोग और व्यापक पहुंच को बढ़ावा देना है। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि भारत ने हाल के वर्षों में अनुसंधान उपकरणों की खरीद में बढ़ोतरी की है और 90 फीसदी से अधिक उच्चस्तर के उपकरण आयात होने लगे हैं। उन्होंने कहाकि इस तरह के अधिकांश उपकरणों साझा नहीं किए जाते हैं और रखरखाव की समस्याओं और पुर्जों की कमी से खराब होते हैं, जिससे आरआई लागत का बोझ बढता है। इसके अलावा उपकरण तक पहुंच और इसके उचित उपयोग पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है।
डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि आरआई के संचालन और प्रबंधन केलिए मानव संसाधन विकास केसाथ-साथ आयात पर निर्भरता कम करने केलिए स्वदेशी उपकरणों का निर्माण भी आवश्यक है। सचिव डीएसटी डॉ एस चंद्रशेखर ने कहाकि दिशानिर्देशों का दायरा सभी सरकारी वैज्ञानिक विभागों, अनुसंधान संगठनों और अनुदान प्राप्त करने वाली एजेंसियां तक है, जो वैज्ञानिक आरआई और अनुसंधान तथा विकास के संचालन केलिए धन प्राप्त करनेवाले सभी संगठनों के विकास का समर्थन करती है। उन्होंने कहाकि निजी संस्थान भी आपसी सहमति से ऐसे प्रयासों में भागीदार या लाभार्थी हो सकते हैं। आईपी एंड टीएएफएस सचिव राजेश कुमार पाठक ने कहाकि 11 मई 1998 को भारत ने भारतीय सेना की पोखरण रेंज में सफलतापूर्वक परमाणु मिसाइल परीक्षण करने की एक गौरवपूर्ण उपलब्धि हासिल की थी और प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने भारत को परमाणु संपन्न देश घोषित किया था, तबसे राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस का उद्देश्य विज्ञान और प्रौद्योगिकी क्षेत्र में शामिल वैज्ञानिकों, शोधकर्ताओं, इंजीनियरों और अन्य सभीकी उपलब्धियों को याद करना है।

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