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भारत-रूस की बदलते विश्‍व में स्‍थायी साझेदारी

रूस के राष्‍ट्रपति पुतिन की भारत यात्रा पर संयुक्‍त वक्‍तव्‍य

रूस-भारत मित्रता साझेदारी को मिला और भी ऊंचा स्थान

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Saturday 6 October 2018 04:50:52 PM

narendra modi and russia's president in hyderabad house new delhi

नई दिल्ली। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी संघ के राष्ट्रपति व्लादिमीर वी पुतिन 4-5 अक्टूबर 2018 को नई दिल्ली में 19वीं वार्षिक द्विपक्षीय शिखर बैठक के अवसर पर मिले। भारत और रूस का सहयोग भारत-यूएसएसआर के बीच सहयोग 1971 की शांति मित्रता और सहयोग संधि, भारत गणराज्य तथा रूसी संघ के बीच 1993 की मित्रता और सहयोग संधि तथा भारत गणराज्य और रूसी संघ के बीच 2000 की रणनीतिक साझेदारी घोषणा, साझेदारी को ऊंचा स्थान देते हुए विशेष सम्मानित रणनीतिक साझेदारी पर 2010 के संयुक्त वक्तव्य के ठोस स्‍तंभों पर आधारित है। भारत और रूस के बीच सहयोग अनेक क्षेत्रों में है और यह राजनीतिक और रणनीतिक सहयोग, सैन्य और सुरक्षा सहयोग, अर्थव्यवस्था, ऊर्जा, उद्योग, विज्ञान तथा टैक्नोलॉजी और सांस्कृतिक तथा मानवीय सहयोग पर आधारित है। भारत और रूस ने 21 मई 2018 को सोची में हुई अनौपचारिक शिखर बैठक की समकालीन प्रासंगिकता और महत्‍व का शीर्ष मूल्‍यांकन किया।
दिल्ली में भारत-रूस शिखर बैठक अंतर्राष्‍ट्रीय कूटनीति में अनूठी बैठक थी, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्‍ट्रपति पुतिन के बीच भरोसा और विश्‍वास दिखा एवं परस्‍परहित के विषयों पर नियमित सम्‍पर्क बनाए रखने और निरंतर विचार-विमर्श की दोनों देशों की इच्‍छा व्‍यक्‍त की गई थी। इस बैठक ने सभी प्रमुख विषयों पर पारस्‍परिक सहयोग और विचार प्रवाह को आगे बढ़ाया। सोची शिखर बैठक ने बहुध्रुवी विश्‍व व्‍यवस्‍था निर्माण में भारत और रूस के बीच संवाद और सहयोग की भूमिका व्‍यक्‍त की। दोनों पक्षों ने ऐसी अनौपचारिक बैठकों को जारी रखने और नियमित रूपसे सभी स्‍तरों पर रणनीतिक संचार बनाए रखने के प्रति सहमति व्‍यक्‍त की। भारत और रूस के दोनों पक्षों ने विशेष और सम्‍मानित रणनीतिक साझेदारी के प्रति अपने संकल्‍प को दोहराया है और घोषणा की है कि वैश्विक शांति और स्थिरता के लिए यह संबंध एक महत्‍वपूर्ण कारक है। दोनों ने वैश्विक शांति और स्थिरता बनाये रखने की साझी जिम्‍मेदारियों के साथ प्रमुख शक्तियों के रूपमें एक-दूसरे की भूमिकाओं की सराहना की है। भारत और रूस ने सहमति व्‍यक्‍त की है कि उनके संबंध परिपक्‍व और विश्‍वासपूर्ण हैं, संबंधों में सभी क्षेत्र कवर किए गए हैं और यह गहरे विश्‍वास, पारस्‍परिक सम्‍मान और एक-दूसरे की स्थिति की निकटता और समझदारी का उदाहरण हैं।
भारत और रूस ने दोहराया कि बहु-सांस्‍कृतिक, बहुभाषी तथा बहुधर्मी समाज होते हुए भारत और रूस आज की चुनौतियों के समाधान के लिए सभ्‍यतामूलक विवेक एक साथ लाए हैं। दोनों देश एक साथ पहले से अधिक आपसी सम्‍पर्क वाले और विशाल विश्‍व बनाने में योगदान कर रहे हैं। दोनों देशों ने वैश्विक तनाव कम करने और सहिष्‍णुता, सहयोग, पारदर्शिता के आदर्शों को प्रोत्‍साहित करने तथा अंतरराज्‍य संबंधों में खुले रूपसे काम करने का सभी देशों से आह्वान किया। दोनों ने इस बात पर बल दिया कि विश्‍व के बड़े भागों में प्राथमिक चुनौती तेज़ और पर्यावरण संगत सतत आर्थिक विकास, ग़रीबी मिटाना, आपसी तथा देशों के बीच असमानता कम करना और बुनियादी स्‍वास्‍थ्‍य सेवा प्रदान करना है। भारत और रूस ने इन लक्ष्‍यों को पूरा करने के लिए एक-दूसरे के साथ सहयोग का संकल्प व्‍यक्‍त किया। भारत और रूस ने सभी क्षेत्रों में दोनों देशों के बीच सम्‍पर्कों में तेजी पर संतोष व्‍यक्‍त किया। मंत्रिस्‍तरीय 50 से अधिक यात्राओं से संबंधों को नई शक्ति मिली है। वर्ष 2017-18 अवधि के लिए विदेश कार्यालय परामर्श पर प्रोटोकॉल को सफलतापूर्वक लागू किए जाने के बाद दोनों ने इसे और पांच वर्ष 2019-2023 के लिए आगे बढ़ाने पर सहमति व्‍यक्‍त की और इस संबंध में प्रोटोकॉल पर हस्‍ताक्षर किए।
रूस ने इकाटेरिनबर्ग और आस्‍त्राखान में भारत के मानद महावाणिज्‍य दूत की नियुक्ति का स्‍वागत किया, इससे दोनों देशों की जनता और क्षेत्रों के बीच अधिक घनिष्‍ठ रूपसे संवाद को सहायता मिलेगी। दोनों ने आंतरिक सुरक्षा, अवैध मादक द्रव्‍यों की तस्‍करी तथा आपदा प्रबंधन पर सहयोग के लिए संबंधित अधिकारियों के बीच नवम्‍बर 2017 में हुए समझौते का स्‍वागत किया, जिसमें 2018-2020 अवधि के लिए भारत गणराज्‍य के गृह मंत्रालय के मादक द्रव्‍य नियंत्रण ब्‍यूरो तथा रूसी संघ के आंतरिक मंत्रालय के बीच संयुक्‍तकार्य योजना शामिल है। भारतीय पक्ष ने आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में रूसी पक्ष की तकनीकी विशेषज्ञता को स्‍वीकार किया और प्रशिक्षकों के प्रशिक्षण तथा आपात अनुक्रिया सरंचना विकास सहित सहयोग की संभावना तलाशने पर सहमति व्‍यक्‍त की। दोनों ने भारत और रूस के बीच कूटनीतिक संबंधों की 70वीं वर्षगांठ समारोह की सफलता पर कहा कि समारोह के प्रति दोनों देशों के लोगों में उत्‍साह देखा गया और इससे जनता-जनता के बीच संबंध और प्रगाढ़ हुए। भारत और रूस ने 2017 में हस्‍ताक्षरित 2017-2019 के लिए सांस्‍कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रम के क्रियांवयन पर संतोष व्‍यक्‍त किया। दोनों ने भारत में वार्षिक रूसी समारोह तथा रूस में भारत समारोह का स्‍वागत किया और युवा आदान-प्रदान कार्यक्रम, लेखक आदान-प्रदान तथा राष्‍ट्रीय फिल्‍म समारोह के पारस्‍परिक समर्थन की सराहना की।
भारत और रूस ने दो वर्ष में पर्यटन के क्षेत्र में पारस्‍परिक विकास का स्‍वागत किया और इस सार्थक दिशा में मदद देने पर सहमति व्‍यक्‍त की। भारत ने 2018 फीफा विश्‍वकप के सफल आयोजन के लिए रूस की प्रशंसा की। भारत-रूस ने अनेक दशकों में भारत-रूस संबंधों को प्रोत्‍साहित करने में रूसी विज्ञान अकादमी के प्राच्‍य अध्‍ययन संस्‍थान के योगदान को स्‍वीकार किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संस्‍थान के 200वीं स्‍थापना समारोह की सफलता में भारत के योगदान को रेखांकित किया। अर्थव्यवस्‍था के क्षेत्र में दोनों ने व्‍यापार, अर्थव्‍यवस्‍था, विज्ञान टेक्‍नोलॉजी तथा सांस्‍कृतिक सहयोग पर 14 सितम्‍बर 2018 को रूसी संघ के उपप्रधानमंत्री यूरी आई बोरिसोव और भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्‍वराज की सहअध्‍यक्षता में मॉस्‍को में भारत-रूस अंतर सरकारी आयोग की 23वीं बैठक के परिणामों का स्‍वागत किया। भारत और रूस ने 2025 तक द्विपक्षीय निवेश बढ़ाकर 30 बिलियन डॉलर करने के लक्ष्‍य की समीक्षा की और संतोष व्‍यक्‍त किया कि दोनों देश इस लक्ष्‍य को प्राप्‍त करने की दिशा में है। दोनों ने कहा कि 2017 में द्विपक्षीय व्‍यापार 20 प्रतिशत से अधिक बढ़ा, इसे और आगे बढ़ाने और विविधता प्रदान करने की दिशा में काम करने पर सहमति व्‍यक्‍त की। दोनों ने राष्‍ट्रीय मुद्राओं में द्विपक्षीय व्‍यापार को प्रोत्‍साहित करने पर समर्थन व्‍यक्‍त किया। भारत और रूस ने बताया कि भारत के नीति आयोग और रूसी संघ के आर्थिक विकास मंत्रालय के बीच रणनीतिक आर्थिक संवाद की पहली बैठक रूस में 2018 के अंत में होगी। दोनों ने एक ओर यूरेशियन आर्थिक संघ तथा इसके सदस्‍य देशों और दूसरी ओर भारत के बीच विचार-विमर्श प्रारंभ होने का स्‍वागत किया और वार्ता प्रक्रिया तेज करने पर अपना समर्थन दिया।
भारत और रूस ने व्यापार और आर्थिक संबंधों तथा निवेश सहयोग के विकास के लिए संयुक्त कार्य रणनीति बनाने के संबंध में संयुक्त अध्ययन के गठन की सराहना की। दोनों पक्षों ने सहमति व्यक्त की कि इसे आगे बढ़ाया जाए। दोनों पक्षों ने इस संदर्भ में भारतीय विदेश व्यापार संस्थान और अखिल रूस विदेश व्यापार अकादमी को मनोनीत किया है। दोनों ने भारत में रूसी निवेशकों की सुविधा के लिए ‘इंवेस्ट इंडिया’ के कामों और रूस में भारतीय कंपनियों को संचालन सुविधा प्रदान करने के लिए रूसी संघ के आर्थिक विकास मंत्रालय की ‘एकल खिड़की सेवा’ की सराहना की। भारत और रूस ने 19वीं वार्षिक शिखर बैठक के अवसर पर भारत-रूस व्यापार शिखर बैठक बुलाए जाने का भी स्वागत किया। इसमें दोनों पक्षों से भारी संख्या में व्यापार प्रतिनिधियों ने भाग लिया, जो द्विपक्षीय सहयोग के महत्वपूर्ण क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करते थे। इसके जरिए इस बात के मजबूत संकेत मिलते हैं कि दोनों देशों के व्यापार क्षेत्रों में आर्थिक, व्यापारिक और निवेश भागीदारी को बढ़ाने के संबंध में अपार क्षमता और इच्छा मौजूद है। भारत और रूस ने खनन, धातुकर्म, ऊर्जा, तेल एवं गैस, रेल, फार्मा, सूचना प्रौद्योगिकी, रसायन, अवरचना, ऑटोमोबाइल, उड्डयन, अंतरिक्ष, पोत निर्माण और विभिन्न उपकरणों के निर्माण के क्षेत्र में प्राथमिकता आधारित निवेश परियोजनाओं के कार्यांवयन की प्रगति की समीक्षा की। दोनों ने रूस में एडवांस फार्मा कंपनी का दवा संयंत्र लगाने का स्वागत किया। भारतीय पक्ष ने रूस से उर्वरकों का आयात बढ़ाने की मंशा जाहिर की। दोनों ने एल्युमिनियम क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के महत्व को रेखांकित किया।
भारत और रूस ने भारतीय राष्ट्रीय लघु उद्योग निगम और रूस के लघु एवं मध्यम व्यापार निगम के बीच समझौता-ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए जाने का स्वागत किया। दोनों ने इस बात पर बल दिया कि अवरचना विकास दोनों देशों के लिए महत्वपूर्ण राष्ट्रीय प्राथमिकता है, जिसमें सहयोग की अपार क्षमताएं मौजूद हैं। भारतीय पक्ष ने भारत में औद्योगिक गलियारे के विकास के लिए रूसी कंपनियों को आमंत्रित किया, जिसमें सड़क एवं रेल अवरचना, स्मार्ट सिटी, वैगन निर्माण तथा संयुक्त यातायात लॉजिस्टिक्स कंपनी का गठन शामिल है। रूसी पक्ष ने औद्योगिक गलियारे की रूपरेखा को शामिल करते हुए भारत में संयुक्त परियोजनाओं को ध्यान में रखते हुए उपग्रह आधारित प्रौद्योगिकियों की मदद से कर संकलन में विशेषज्ञता की पेशकश की। रूसी पक्ष ने इस बात पर दिलचस्पी जाहिर की कि भारत का रेल मंत्रालय जब गाड़ियों की गति बढ़ाने वाली परियोजनाओं पर फैसला करेगा, तब रूस अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धात्मक बोली प्रक्रिया में हिस्सा लेना चाहेगा। दोनों ने अंतर्राष्ट्रीय यातायात गलियारों के कार्यांवयन के लिए यातायात शिक्षा, कार्मिक प्रशिक्षण तथा वैज्ञानिक समर्थन के क्षेत्र में सहयोग के महत्व को रेखांकित किया। इस उद्देश्य के लिए दोनों पक्षों ने राष्ट्रीय रेल एवं यातायात संस्थान वडोदरा और रूसी यातायात विश्वविद्यालय एमआईआईटी के बीच सहयोग कायम रखने पर बल दिया। दोनों ने आपसी संपर्कता बढ़ाने के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने द्विपक्षीय और अन्य भागीदार देशों के साथ यथाशीघ्र चर्चाओं के जरिए वित्तीय सुविधा, सड़क एवं रेल अवरचना विकास तथा सीमा शुल्क संबंधी लंबित मुद्दों को तय करने के लिए प्रयासों में तेजी लाकर अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण यातायात गलियारा के विकास का आह्वान किया।
भारत और रूस ने ईरान होते हुए रूस जाने वाले भारतीय माल यातायात के मुद्दे पर मॉस्को में होने वाले ‘यातायात सप्ताह-2018’ के उपलक्ष्य में भारत, रूसी संघ और ईरान के बीच प्रस्तावित तीन पक्षीय बैठक का स्वागत किया। भारतीय पक्ष ने टीआईआर कारनेट के तहत अंतर्राष्ट्रीय माल यातायात सीमा शुल्क सम्मेलन में अपने नेतृत्व के बारे में रूसी पक्ष को सूचित किया। दोनों ने प्राथमिकता के आधार पर आईएनएसटीसी मंत्रिस्तरीय एवं समन्वय बैठक बुलाने पर सहमति व्यक्त की। व्यापार को प्रोत्साहन देने के लिए दोनों ने इस बात पर सहमति व्यक्त की कि किसी भी उत्पाद के निर्यात-आयात के समय आवश्यक निरीक्षण या नियमों के पालन के विषय में सारे प्रयासों को साझा किया जाएगा, ताकि इस तरह के निरीक्षण में होने वाले विलम्ब को कम किया जा सके। दोनों ने अपनी व्यापार प्रदर्शनियों एवं मेलों, संस्थानों, निर्यात संवर्द्धन परिषदों तथा अन्य निर्यात संबंधी संस्थानों की सूचियों को साझा करने पर सहमति व्यक्त की, जहां से दोनों के निर्यातकों एवं आयातकों का विवरण किसी को भी प्राप्त हो सके, ताकि उनके साथ बातचीत संभव हो। दोनों ने हरित गलियारा परियोजना को जल्द शुरू किए जाने का समर्थन किया, जिसका उद्देश्य भारत-रूस के बीच माल यातायात के संबंध में सीमा शुल्क गतिविधियों को सरल बनाना है। दोनों ने इसे आपसी व्यापार बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया। परियोजना शुरू हो जाने के बाद दोनों देशों का सीमा शुल्क प्रशासन इसे आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हो जाएगा।
भारत और रूस ने भारत के राज्यों और रूस के क्षेत्रों के बीच सहयोग को मजबूत करने और उन्हें संस्थागत रूप देने के प्रयासों की सराहना की। भारत के राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों तथा रूसी संघ के क्षेत्रों के बीच सहयोग की गति को आगे ले जाने के लिए दोनों ने निर्देश दिया कि दोनों देशों के व्यापार, उद्यमों और सरकारी निकायों के बीच सीधे संपर्क में और तेजी लाई जाए। दोनों ने असम एवं सखालिन, हरियाणा एवं बाशकोर्तोस्तान, गोवा एवं कालिनिनग्राद, ओडिशा एवं इर्कुतुस्क, विशाखापत्तनम एवं व्लादिवोस्तोक के बीच समझौते पर हस्ताक्षर किए जाने के प्रयासों का स्वागत किया। दोनों देशों ने सेंट पीटर्सबर्ग अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक मंच, पूर्वी आर्थिक मंच एवं साझेदारी, निवेश शिखर बैठकों जैसे प्रमुख गतिविधियों में क्षेत्रीय प्रतिनिधिमंडलों की भागीदारी को प्रोत्साहित करने पर सहमति व्यक्त की तथा भारत-रूस अंतर-क्षेत्रीय मंच के आयोजन की मंशा का स्वागत किया। दोनों ने प्राकृतिक संसाधनों के सस्ते और पर्यावरण अनुकूल दोहन को सुनिश्चित करते हुए समुचित प्रौद्योगिकियों के इस्तेमाल के जरिए दोनों देशों के आर्थिक संसाधनों के उत्पादक, कुशल तथा आर्थिक उपयोग संबंधी संयुक्त परियोजनाओं की संभावना तलाशने के संबंध में मिलकर काम करने पर सहमति व्यक्त की। भारत-रूस ने कृषि क्षेत्र को सहयोग के एक महत्वपूर्ण क्षेत्र के रूपमें स्वीकार कि और कृषि उत्पादों में व्यापार बाधाओं को दूर करने, अधिक उत्पादन और व्यापार बढ़ाने की प्रतिबद्धता व्यक्त की।
भारत और रूस ने हीरा क्षेत्र में अर्जित सहयोग स्तर की सराहना की, जिसमें भारतीय कंपनियों को पीजेएससी अलरोज़ा द्वारा अनगढ़ हीरों की आपूर्ति संबंधी नये दीर्घकालीन समझौते पर हस्ताक्षर, मुंबई में अलरोज़ा प्रतिनिधि कार्यालय खोला जाना तथा भारत सहित देसी हीरों के विपणन कार्यक्रम के विकास के संबंध में अंतर्राष्ट्रीय हीरा उत्पादक संघ के भारतीय रत्न एवं आभूषण निर्यात संवर्द्धन परिषद तथा अलरोज़ा द्वारा संयुक्त वित्तपोषण शामिल है। दोनों ने रूसी सुदूरपूर्व में हीरा निर्माण के क्षेत्र में भारतीय कंपनियों के निवेश का जायजा लिया। दोनों ने संयुक्त निवेशों, उत्पादन, प्रसंस्करण और कुशल श्रम के जरिए कीमती धातुओं, खनिजों, प्राकृतिक संसाधनों, लकड़ी सहित वन्य उत्पादों में संयुक्त सहयोग के अवसर खोजने पर सहमति व्यक्त की। रूसी पक्ष ने रूसी सुदूरपूर्व में निवेश करने के लिए भारतीय पक्ष को आमंत्रित किया। भातीय पक्ष ने मुंबई में सुदूर पूर्व एजेंसी का कार्यालय खोले जाने के फैसले का स्वागत किया। वाणिज्य एवं उद्योग तथा नागरिक उड्डयन मंत्री सुरेश प्रभु के नेतृत्व में भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने सितंबर 2018 में पूर्वी आर्थिक मंच में हिस्सा लिया था। सुदूरपूर्व में भारतीय निवेश को प्रोत्साहन देने और निवेश रोड शो का आयोजन करने के लिए एक उच्चस्तरीय रूसी प्रतिनिधिमंडल भारत आएगा। प्रौद्योगिकी और संसाधन के संबंध में जहां दोनों देशों के बीच सामंजस्य होगा, उसके संबंध में रेलवे, ऊर्जा और अन्य क्षेत्रों में तीसरे देशों में संयुक्त परियोजनाओं के सक्रिय प्रोत्साहन के लिए दोनों पक्षों ने सहमति व्यक्त की।
भारत और रूस ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने की आवश्यकताओं को रेखांकित किया तथा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी पर दसवें भारत-रूस कार्यसमूह के सफल आयोजन का स्वागत किया। इसे फरवरी 2018 में भारत के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग और रूसी संघ के विज्ञान एवं उच्च शिक्षा मंत्रालय ने संयुक्त रूपसे संचालित किया। दोनों ने भारत के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग तथा रूसी बुनियादी अनुसंधान फाउंडेशन के बीच सफल सहयोग का जायजा लिया। इसने जून 2017 में बुनियादी और प्रयुक्त विज्ञानों के क्षेत्र में संयुक्त अनुसंधान की अपनी दसवीं वर्षगांठ मनाई थी। दोनों ने भारत के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग तथा रूसी विज्ञान फाउंडेशन के बीच सहयोग पर संतोष व्यक्त किया। दोनों ने पारस्परिक प्राथमिकता वाले वैज्ञानिक एवं प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में विभिन्न प्रयोगशालाओं, अकादमिक जगत, विश्वविद्यालयों, संस्थानों और संगठनों के बीच आगे सहयोग किए जाने के विषय में रोडमैप तैयार करने के विचार से भारत सरकार और रूसी संघ की सरकार के बीच विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार के क्षेत्र में सहयोग के लिए समग्र दीर्घकालीन कार्यक्रम के तहत सहयोग को दोबारा स्थापित करने पर सहमति व्यक्त की। भारत और रूस ने सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में, विशेषकर इलेक्ट्रोनिक प्रणाली डिजाइन एवं निर्माण, सॉफ्टवेयर विकास, सुपर कम्प्यूटर, ई-सरकार, जनसेवा आपूर्ति, नेटवर्क सुरक्षा, सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकियों के इस्तेमाल में सुरक्षा, फिन-टेक, इंटरनेट ऑफ थिंग्स, मानकीकरण, रेडियो नियंत्रण तथा रेडियो फ्रिक्वेंसी स्पेक्ट्रम के नियमन में अपना सहयोग बढ़ाने पर सहमति व्यक्त की।
भारत और रूस ने ब्रिक्स और आईटीयू सहित विभिन्न मंचों पर आपसी समर्थन तथा समन्वय जारी रखने की प्रतिबद्धता व्यक्त की। दोनों ने मार्च 2018 में नई दिल्ली में वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु और रूसी संघ के आर्थिक विकास मंत्री मैक्सिम ओरेश्किन द्वारा ‘भारत-रूस आर्थिक सहयोगः भावी दिशा’ नामक संयुक्त घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर किए जाने का स्वागत किया। दोनों ने भारतीय उद्योग परिसंघ और स्कोलकोवो फाउंडेशन द्वारा दिसंबर 2018 में पहली बार भारत-रूस स्टार्टअप शिखर बैठक के आयोजन के निर्णय की अत्यंत प्रशंसा की। दोनों पक्षों ने ऑनलाइन पोर्टल लांच करने के विचार का स्वागत किया, जिससे दोनों देशों के स्टार्टअप, निवेशकों, इन्क्यूबेटरों और आकांक्षी उद्यमियों को सहायता होगी और इससे स्टार्ट-अप को दुनियाभर में फैलाने की दृष्टि से आवश्यक संसाधन उपलब्ध होंगे। दोनों ने बाहरी अंतरिक्ष में लंबे समय से कायम और एक-दूसरे के लिए फायदेमंद भारत-रूस सहयोग के महत्व पर बल दिया तथा क्रमशः भारत और रूसी संघ में स्थापित भारतीय क्षेत्रीय नौवहन उपग्रह प्रणाली नैव-आईसी और रूसी नौवहन उपग्रह प्रणाली ग्लॉनऐस के पैमाइश डाटा संग्रह संबंधी जमीनी स्टेशनों की गतिविधियों का स्वागत किया। दोनों पक्षों ने शांतिपूर्ण उद्देश्य के लिए बाहरी अंतरिक्ष के इस्तेमाल के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने पर सहमति व्यक्त की। इसमें मानवीय अंतरिक्ष कार्यक्रम और वैज्ञानिक परियोजनाएं शामिल हैं। दोनों ने ब्रिक्स दूर संवेदी उपग्रह सहयोग के विकास को जारी रखने पर भी सहमति व्यक्त की। दोनों ने आर्कटिक और अन्य क्षेत्रों सहित संयुक्त वैज्ञानिक अनुसंधान क्षेत्र में पारस्परिक रूपसे लाभप्रद सहयोग के विकास के प्रति रूचि व्यक्त की। दोनों ने अंटार्कटिक में भारत और रूस के वैज्ञानिकों के बीच लंबे समय से चले आ रहे सहयोग के प्रति संतोष व्यक्त किया।
भारत और रूस ने विश्वविद्यालयों के भारत-रूसी नेटवर्क की गतिविधियों की बदौलत संभव होने वाले दोनों देशों की उच्च शिक्षा संस्थानों के बीच संपर्क विस्तार का जायजा लिया, जिसकी 2015 में स्थापना के बाद तीन बैठकें हो चुकी हैं और जिसकी कुल संख्या 42 तक पहुंच गई है। दोनों ने अध्यापकों और छात्रों के बीच अकादमिक आदान-प्रदान तथा संयुक्त वैज्ञानिक एवं शैक्षिक परियोजनाओं के प्रति बहुत रुचि व्यक्त की। 35. दोनों ने प्राकृतिक गैस सहित रूस की ऊर्जा संपत्ति और अक्षय ऊर्जा स्रोतों के क्षेत्र में संभावित संयुक्त परियोजनाओं के क्रियांवयन में भारत की रूचि को देखते हुए भारत और रूस के बीच ऊर्जा सहयोग में और विस्तार के महत्व को रेखांकित किया। दोनों ने ऊर्जा क्षेत्र में पारस्परिक लाभ के सहयोग की संभावना को स्वीकार किया औरअपनी कंपनियों को इस बात के लिए प्रोत्साहित किया कि दोनों देशों में दीर्घावधि अनुबंध, ज्वायंट वेचर्स और ऊर्जा के अधिग्रहण सहित तीसरे देशों में भी संभावित सहयोग के क्षेत्र में सहयोग की अपार संभावनाओं पर विचार करें। दोनों ने रूस के वानकॉर्नेफ्ट और तास-युर्याखनेफ्टगैजोडोबिचा में भारतीय कंपनियों के निवेश और एस्सार ऑयल कैपिटल में पीजेएससी रोजनेफ्ट ऑयल कंपनी की भागीदारी सहित भारत और रूस की ऊर्जा कंपनियों के बीच जारी सहयोग का स्वागत किया। दोनों ने कंपनियों की तरफ से समग्र सहयोग के विकास की दिशा में की गई प्रगति पर संतोष जताया और वांकर क्लस्टर पर शुरूआती समझौता वार्ता के शीघ्र पूरा होने की उम्मीद जताई। दोनों ने एलएनजी के क्षेत्र में रूसी और भारतीय कंपनियों की रुचि को भी स्वीकार किया और गैजर्पॉम समूह एवं गेल इंडिया लिमिटेड के बीच दीर्घावधि अनुबंध के तहत एलएनजी की आपूर्ति शुरू होने का स्वागत किया।
भारत और रूस ने पीजेएससी नोवाटेक और भारत की ऊर्जा कंपनियों के बीच वार्ता के विस्तार को आगे भी जारी रखने के लिए अपना समर्थन दिया और एलएनजी के क्षेत्र में सहयोग को विकसित करने के संयुक्त इरादे का स्वागत किया। दोनों ने दोनों देशों की कंपनियों को सहयोग का विकास करने और रूस के आर्कटिक पट्टी सहित रूस में तेल क्षेत्र के संयुक्त विकास तथा पेचोरा एवं ओखोत्स्क समुद्री पट्टी पर परियोजनाओं के संयुक्त विकास की संभावनाएं तलाशने के लिए अपना समर्थन देने की बात कही। रूस और अन्य देशों से होते हुए भारत तक गैस पाइपलाईन आपूर्ति पर 2017 में हुए संयुक्त अध्ययन का स्वागत करते हुए दोनों ने भारत तक गैस पाइपलाइन के निर्माण की संभावनाएं तलाशने के लिए भारत और रूस के मंत्रालयों और कंपनियों के बीच जारी मंत्रणा का समर्थन किया और दोनों मंत्रालयों के बीच समझौता ज्ञापन के संभावित निष्कर्ष पर आपस में संपर्क जारी रखने पर सहमति जताई। भारत और रूस के बीच नागरिक परमाणु समझौता जलवायु परिवर्तन पर पेरिस समझौते के तहत भारत की ऊर्जा सुरक्षा और इसकी प्रतिबद्धताओं के लिए रणनीतिक साझेदारी का एक अहम भाग है। दोनों ने कुडनकुलम एनपीपी में शेष छह विद्युत इकाइयों के निर्माण में हुई प्रगति और इनके पुर्जों की निर्माण के लिए की जा रही कोशिशों की भी चर्चा की। दोनों ने भारत में रूस की डिजाइन की हुई नई एनपीपी और परमाणु उपकरणों के संयुक्त निर्माण सहित तीसरे देशों में सहयोग पर मंत्रणा का स्वागत किया। दोनों ने बांग्लादेश के रूपुर परमाणु ऊर्जा परियोजना के क्रियान्वयन में त्रिपक्षीय सहयोग पर समझौता ज्ञापन में किए गए समझौते को पूरा करने में हुई प्रगति का उल्लेख किया।
भारत और रूस ने संयुक्त रूपसे परमाणु क्षेत्र पहचान में सहयोग के क्षेत्रों को प्राथमिकता देने और उनके क्रियांवयन के लिए कार्ययोजना पर हस्ताक्षर करने पर संतोष जताया। भारत-रूस ने जलवायु परिवर्तन के नकारात्मक प्रभाव को कम करने सहित हॉइडेल और अक्षय ऊर्जा स्रोतों, ऊर्जा क्षमता पर नदजीकी सहयोग को आगे और बढ़ाने की संभावनाएं तलाशने का फैसला लिया। भारत और रूस ने यह उल्लेख किया कि दोनों देशों के बीच सैन्य और सैन्य-तकनीकी सहयोग उनकी रणनीतिक साझेदारी का एक अहम स्तंभ है। दोनों ने दिसंबर 2018 में सैन्य-तकनीकी सहयोग पर भारत-रूस अंतर-सरकारी आयोग की आगामी बैठक का स्वागत किया। सैन्य सहयोग के रोडमैप ने जवानों के प्रशिक्षण, सेना के वरिष्ठ अधिकारियों के आदान-प्रदान और अभ्यास सहित दोनों देशों की सेनाओं के बीच परस्पर क्रिया का रास्ता साफ कर दिया है। रूस ने आर्मी गेम्स 2018, आर्मी 2018 और अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा पर मॉस्को सम्मेलन में भारत की भागादारी का सकारात्मक रूप से मूल्यांकन किया है। दोनों ने ट्राइ-सर्विसेज एक्सरसाइज इंद्रा 2017 के सफलतापूर्वक समापन की सराहना की और 2018 में अपने संयुक्त सैन्य अभ्यासों-इंद्रा नेवी, इंद्रा आर्मी और एविया इंद्रा को जारी रखने की प्रतिबद्धता भी जताई। दोनों ने भारत को सतह से हवा में मार करने वाले लंबी दूरी की एस-400 मिसाइल सिस्टम की आपूर्ति के लिए अनुबंध पूरा किए जाने का स्वागत किया। दोनों ने भारत और रूस के बीच सैन्य तकनीक सहयोग बढ़ाने पर अपनी प्रतिबद्धता दोहराई जो लंबे समय के आपसी विश्वास और पारस्परिक सहयोग को दर्शाता है।
भारत और रूस ने सैन्य सहयोग पर जारी परियोजनाओं की अहम प्रगति पर संतोष जताया और दोनों देशों के बीत संयुक्त अनुसंधान और सैन्य उपकरणों के संयुक्त उत्पादन की दिशा में सकारात्मक बदलाव की पहचान की। उन्होंने भारत सरकार की ‘मेक इन इंडिया’ नीति को बढ़ावा देने के लिए सैन्य औद्योगिक सम्मेलन का मूल्यांकन एक अहम व्यवस्था के रूप में किया। भारत-रूस ने उच्च प्रौद्योगिकी में सहयोग पर नवंबर 2017 में गठित उच्च स्तरीय समिति की बैठक का सकारात्मक तौर पर मूल्यांकन किया जिसने संयुक्त अनुसंधान और विकास के लिए परस्पर हित के क्षेत्र में ठोस परियोजनाओं की पहचान की। भारत और रूस ने बराबरी, पारस्परिक सम्मान, और गैर-हस्तक्षेप को वैश्विक स्तर पर स्वीकृत अंतर्राष्ट्रीय कानून के तौर पर पुष्टि की जैसा कि संयुक्त राष्ट्र के चार्टर और देशों के बीच संयुक्तराष्ट्र चार्टर के तहत दोस्ताना संबंधों एवं सहयोग से जुड़े अंतर्राष्ट्रीय कानून पर 1970 के घोषणा पत्र में परिलक्षित होता है। दोनों ने जुलाई 2018 में दक्षिण अफ्रीका में 10वें ब्रिक्स सम्मेलन के नतीजों की चर्चा करते हुए इस बात की पुष्टि की कि अंतर्राष्ट्रीय कानून और संयुक्तराष्ट्र चार्टर के दायरे में स्वच्छ, निष्पक्ष और एक बहुध्रुवीय विश्व के निर्माण में प्राथमिकताओं की रक्षा करने और संघ के भीतर रणनीतिक साझेदारी को बढ़ावा देने में उत्पादन अंत:क्रिया को जारी रखने में भारत और रूस का इरादा नेक है। दोनों ने अफगानिस्तान में उसके नेतृत्व में राष्ट्रीय शांति सामंजस्य प्रक्रिया की दिशा में अफगान सरकार की कोशिशों को समर्थन देने की घोषणा की।
अफगानिस्तान में बेरोकटोक जारी हिंसा, बदहाल सुरक्षा हालात और क्षेत्र में इसके बुरे प्रभाव से चिंतित दोनों पक्षों ने वहां लंबे समय से चली आ रहे संघर्ष, आतंकियों की हिंसा, आतंकवादियों के पनाहगाह और नशीले पदार्थों की समस्या से निजात दिलाने के लिए मॉस्को फॉर्मेट, अफगानिस्तान पर एससीओ संपर्क समूह और ऐसे ही कुछ दूसरे उपाय करने पर जोर दिया। दोनों पक्षों ने अफगानिस्तान में बाहरी हस्तक्षेप को कम करने की कोशिशों में वैश्विक समुदाय के शामिल होने का आह्वान किया, ताकि वहां अर्थव्यवस्था, थमने वाली शांति एवं सुरक्षा, एक स्थिर, सुरक्षित, संयुक्त एवं प्रगतिशील और स्वतंत्र अफगानिस्तान बहाल किया जा सके। भारत-रूस अफगानिस्तान में संयुक्त विकास और क्षमता निर्माण की परियोजनाएं शुरू करेंगे। दोनों ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद संकल्प 2254 (2015) के अनुपालन में सीरिया की संप्रभुता, स्वतंत्रता और क्षेत्रीय अखंडता की सुरक्षा करने वाली, सीरियाई नेतृत्व, सीरियाई स्वामित्व वाली एक समग्र राजनीतिक प्रक्रिया के माध्यम से सीरिया में युद्ध के राजनीतिक समाधान के लिए भारत और रूस की प्रतिबद्धता को दोहराया। भारत और रूस ने जीनेवा प्रक्रिया, संयुक्तराष्ट्र द्वारा पेश की गई मध्यस्थता के साथ-साथ अस्ताना प्रक्रिया के लिए अपने समर्थन को दोहराया और दो पहलों के मध्य अनुपूरकता पर जोर दिया। भारत और रूस ने शांतिपूर्ण, स्थिर, संप्रभु सीरियाई देश का निर्माण करने में सभी हितधारकों का सक्रिय रूपसे काम करने का आह्वान किया और बिना पूर्व शर्तों या बाहरी हस्तक्षेप के बगैर अंतर-सीरियाई वार्ता का समर्थन किया। दोनों ने सीरियाई जनता के सामने लंबे समय से चल रही परेशानियों को जल्द समाप्त करने, तुरंत पुनर्निर्माण जरूरतों पर ध्यान देने और शरणार्थियों और आतंरिक रूपसे विस्थापित व्यक्तियों की वापसी के लिए आवश्यक मानवीय सहायता उपलब्ध कराने के प्रयासों में बढ़ोतरी करने के प्रयासों का आह्वान किया।
भारत और रूस ने परमाणु-प्रसार निषेध शासन को मजबूत करने तथा ईरान के साथ सामान्य आर्थिक सहयोग विकसित करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को समर्थन देने के लिए ईरान के परमाणु कार्यक्रम के बारे में कार्य करने के लिए संयुक्त व्यापक योजना के पूरी तरह से प्रभावी कार्यांवयन के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने यह आह्वान किया कि ईरान के परमाणु कार्यक्रम से संबंधित सभी मुद्दों को शांतिपूर्ण तरीके और बातचीत के द्वारा सुलझाया जाए। दोनों ने कोरियाई प्रायद्वीप में सकारात्मक गतिविधियों का स्वागत किया और कूटनीति और बातचीत के द्वारा इस उप-क्षेत्र में शांति और स्थिरता कायम करने के बारे में किए गए प्रयासों के लिए अपने पूर्ण समर्थन को दोहराया। भारत-रूस ने जोर दिया कि कोरियाई प्रायद्वीप के मुद्दों के समाधान के लिए कार्यप्रणाली तैयार करते समय यह आवश्यक है कि परमाणु प्रसार से संबंधित इनकी चिंताओं और उनके समाधान को ध्यान में रखा जाए। भारत और रूस ने बाह्य अंतरिक्ष में हथियारों की दौड़ की संभावना और बाह्य अंतरिक्ष के सैनिक टकराव के एक क्षेत्र के रूप में बदलने की संभावनाओं के बारे में गंभीर चिंता व्यक्त की। उन्होंने जोर दिया कि बाह्य अंतरिक्ष में हथियारों की हौड़ की रोकथाम से अंतर्राष्ट्रीय शांति के लिए गंभीर खतरे को रोका जा सकेगा। दोनों ने बाह्य अंतरिक्ष में हथियारों को रखने की परस्पर रोकथाम सहित पीएआरओएस पर कानूनी बाध्यता के लिए संभावित तत्वों पर विचार-विमर्श के लिए संयुक्तराष्ट्र के सरकारी विशेषज्ञों के समूह द्वारा पहले सत्र में किए गए विचार-विमर्श का स्वागत किया और कहा कि क्रियात्मक पारदर्शिता और आत्मविश्वास का निर्माण करने वाले प्रयास पीएआरओएस के उद्देश्यों में अपना योगदान दे सकते हैं।
भारत और रूस ने रासायनिक हथियारों के विकास, उत्पादन, भंडारण और उपयोग के निषेध पर आयोजित सम्मेलन में रासायनिक हथियारों के निषेध के लिए संगठनों की गतिविधियों के राजनीतिकरण को रोकने के बारे में सम्मेलन की भूमिका के संरक्षण के उद्देश्यपूर्ण प्रयासों और पहलों का समर्थन करने के अपने निर्णय की पुष्टि की। भारतीय पक्ष ने रूसी संघ द्वारा रासायनिक हथियारों के भंडार को नष्ट करने के कार्य को जल्दी पूरा करने का स्वागत किया, जो रासायनिक हथियारों से मुक्त विश्व का निर्माण करने के उद्देश्य को अर्जित करने के उनके महत्वपूर्ण योगदान को दर्शाता है। दोनों ने सभी प्रकार के आतंकवाद और इसके प्रचार की निंदा की और बिना किसी दोहरे मापदंड के निर्णायक और सामूहिक प्रक्रिया के साथ अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद का मुकाबला करने की जरूरत पर जोर दिया। भारत-रूस ने आतंकवादी नेटवर्कों, वित्तीय संसाधनों, हथियारों तथा लड़ाई के सामान की आपूर्ति करने वाले स्रोतों का उन्मूलन करने तथा आतंकवादी विचारधारा, प्रचार और भर्ती को रोकने के लिए अपने प्रयासों में बढ़ोतरी पर सहमति व्यक्त की। अंतर्राष्ट्रीय कानून का हिस्सा बनने के लिए संयुक्तराष्ट्र में लंबित पड़ी व्यापक अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद संधि को अपनाने के महत्व को मान्यता दी। दोनों पक्षों ने इस संधि के जल्द निष्कर्ष के लिए अपने पूरे प्रयास करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का आह्वान किया। उन्होंने रासायनिक और जैविक आतंकवाद की चुनौतियों से निपटने के लिए दोनों ने रासायनिक और जैविक आतंकवाद के कृत्यों के दमन के लिए निरस्त्रीकरण पर अंतर्राष्ट्रीय संधि के बारे में आयोजित सम्मेलन में बहु-पक्षीय समझौतों को लागू करने की जरूरत पर जोर दिया।
भारत और रूस ने अंतर्राष्‍ट्रीय कानून के सिद्धांतों और अंतर्राष्‍ट्रीय सम्‍बन्‍धों में संयुक्‍त राष्‍ट्र की केंद्रीय भूमिका के प्रति अपनी कटिबद्धता की पुष्टि की। दोनों ने यह विचार साझा किया कि जब भी साफ नीयत के साथ सामान्‍यत: मान्‍यता प्राप्‍त सिद्धांतों और अंतर्राष्‍ट्रीय कानून के नियमों का कार्यांवयन किया जाता है तो उसमें दोहरे मानकों को लागू करने और कुछ देशों द्वारा अपनी इच्‍छा को दूसरे देशों पर थोपने की गुंजाइश नहीं रहती है। दोनों पक्षों ने कहा कि अंतर्राष्‍ट्रीय कानून का पालन न करते हुए एकतरफा बलपूर्वक उपायों को लागू करना इस तरह के कार्यकलापों का स्‍पष्‍ट उदाहरण है। दोनों वैश्विक एवं साझाहितों पर आधारित लोकतांत्रिक वैश्विक व्‍यवस्‍था को बढ़ावा देने के लिए आगे भी मिल-जुलकर काम करते रहेंगे। दोनों ने वर्तमान वैश्विक व्‍यवस्‍था को बेहतर ढंग से प्रतिबिंबित करने और उभरती वैश्विक चुनौतियों से निपटने में संयुक्‍त राष्‍ट्र की सुरक्षा परिषद को और ज्‍यादा प्रभावकारी बनाने के लिए इसमें सुधार की जरूरत को रेखांकित किया। रूस ने विस्‍तारित संयुक्‍त राष्‍ट्र की सुरक्षा परिषद में स्‍थायी सदस्‍यता के लिए भारत को निरंतर सहायता देने की बात दोहराई। दोनों ने क्षेत्रीय एवं वैश्विक दोनों ही स्‍तरोंपर शांति, सुरक्षा एवं न्‍यायसंगत विकास सुनिश्चित करने के लिए आपस में मिल-जुलकर काम करने और विश्‍व व्‍यवस्‍था की स्थिरता के मार्ग में आने वाली चुनौतियों से निपटने का संकल्‍प व्‍यक्‍त किया। भारत और रूस ने सतत विकास के लिए 2030 एजेंडे के पूर्ण कार्यान्‍वयन के लिए अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की। दोनों पक्ष संतुलित एवं एकीकृत ढंग से आर्थिक, सामाजिक एवं पर्यावरणीय जैसे तीन आयामों में सतत विकास के लक्ष्‍य की प्राप्ति के लिए न्‍यायसंगत, खुले, चहुंमुखी, नवाचार आधारित एवं समावेशी विकास के लिए काम करेंगे।
भारत और रूस ने 2030 एजेंडे के वैश्विक कार्यांवयन में समन्‍वय के साथ-साथ समीक्षा के लिए ‘सतत विकास पर उच्‍चस्‍तरीय राजनीतिक फोरम’ सहित संयुक्‍तराष्‍ट्र की प्रमुख भूमिका होने की बात दोहराई। उन्‍होंने संयुक्‍तराष्‍ट्र विकास प्रणाली में सुधार की जरूरत पर सहमति जताई, ताकि 2030 एजेंडे के कार्यांवयन में सदस्‍य देशों की सहायता करने में इसकी क्षमता बढ़ाई जा सके। दोनों ने विकसित देशों से समय पर और पूर्ण रूपसे अपनी आधिकारिक विकास सहायता देने की प्रतिबद्धता पूरी करने के साथ-साथ विकासशील देशों को और ज्‍यादा विकास संसाधन मुहैया कराने का अनुरोध किया। दोनों ने सतत विकास और गरीबी उन्‍मूलन के संदर्भ में हरित विकास एवंकम कार्बन के उत्‍सर्जन वाली अर्थव्‍यवस्‍था को और ज्‍यादा बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता जताई। उन्‍होंने सभी देशों से साझा लेकिन विभिन्‍न जवाबदेहियों और सम्‍बन्धित क्षमताओं के सिद्धांतों सहित जलवायु परिवर्तन पर संयुक्‍तराष्‍ट्र फ्रेमवर्क सम्‍मेलन के सिद्धांतों के तहत अनुमोदित पेरिस समझौते को पूरी तरह से कार्यांवित करने का आह्वान किया। भारत-रूस ने विकसित देशों से विकासशील देशों को वित्‍तीय, तकनीकी एवं क्षमता निर्माण सहायता देने का अनुरोध किया, ताकि प्रदूषण में कमी करने और अनुकूलन से सम्‍बन्धित उनकी क्षमता बढ़ सके। दोनों ने वैश्विक स्‍तर पर नाभिकीय अप्रसार को और ज्‍यादा मजबूत करने की प्रतिबद्धता व्‍यक्‍त की। रूस ने नाभिकीय आपूर्तिकर्ता समूह में भारत की सदस्‍यता के लिए अपनी ओर से समर्थन प्रदान किया। दोनों ने सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी के उपयोग में विभिन्‍न देशों के उत्‍तरदायी आचरण के नियमों, मानकों और सिद्धांतों को जल्‍द अपनाने की आवश्‍यकता पर विशेष जोर दिया।
भारत और रूस ने अंतर्राष्‍ट्रीय कानूनी व्‍यवस्‍था विकसित करके आपराधिक उद्देशों के लिए आईसीटी का उपयोग किए जाने की समस्‍या से निपटने के लिए अंतर्राष्‍ट्रीय सहयोग बढ़ाने की जरूरत पर भी बल दिया। भारत और रूस ने इस सम्‍बन्‍ध में संयुक्‍तराष्‍ट्र महासभा के 73वें सत्र के दौरान प्रासंगिक प्रस्‍तावों को स्‍वीकार किये जाने की अहमियत को रेखांकित किया। दोनों ने यह माना कि आईसीटी के उपयोग में सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ब्रिक्‍स देशों के बीच सहयोग की रूपरेखा स्‍थापित करने की जरूरत है। दोनों ने सहयोग सम्‍बन्‍धी ब्रिक्‍स अंतर-सरकारी समझौते का दायरा बढ़ाने की दिशा में काम करने की मंशा व्‍यक्‍त की। दोनों ने आईसीटी के उपयोग में सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए साझा दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत को रेखांकित किया और इसके साथ ही दोनों ने सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकियों के उपयोग में सुरक्षा सुनिश्चित करने के क्षेत्र में सहयोग सम्‍बन्‍धी अंतर सरकारी समझौते को और आगे बढ़ाने के लिए द्विपक्षीय अंतर एजेंसी व्‍यावहारिक संवाद को सुदृढ़ करने की अपनी इच्‍छा जताई। भारत-रूस ने एक ऐसी क्षेत्रीय सुरक्षा व्‍यवस्‍था की स्‍थापना करने के विचार का समर्थन किया, जो एशिया-प्रशांत क्षेत्र के सभी देशों और हिंद महासागर में समान एवं अविभाज्य सुरक्षा सुलभ कराएगी। दोनों ने पूर्वी एशिया शिखर सम्‍मेलनों और अन्‍य क्षेत्रीय फोरम के दायरे में रहते हुए इस विषय पर बहुपक्षीय संवाद जारी रखने की अहमियत पर विशेष जोर दिया। भारत और रूस ने इस बात पर सहमति जताई कि क्षेत्रीय व्‍यवस्‍था को सुदृढ़ बनाने पर केंद्रित समस्‍त नई पहलों को बहुपक्षवाद, पारदर्शिता, समावेशी और प्रगति एवं समृद्धि के साझा प्रयासों में पारस्‍परिक सम्‍मान तथा एकता के सिद्धांतों पर आधारित होना चाहिए।
भारत और रूस ने कहा कि इन पहलों को किसी भी देश के खिलाफ नहीं होना चाहिए, इस सम्‍बंध में दोनों ने रूस के विदेश मंत्री इगॉर मोरगुलोव और भारत के विदेश सचिव विजय गोखले के बीच 24 अगस्‍त 2018 को मॉस्‍को में आयोजित रचनात्‍मक परामर्श का स्‍वागत किया। भारत और रूस ने क्षेत्रीय बहुपक्षीय फोरम जैसेकि ब्रिक्‍स, जी-20, एससीओ और पूर्वी एशिया शिखर सम्‍मेलनों में आपसी प्रयासों में सामंजस्‍य एवं समन्‍वय बढ़ाने के अपने दृढ़ संकल्‍प की पुष्टि की। भारत ने यूरेशियन इकोनॉमिक यूनियन के अंतर्गत सहयोग का दायरा बढ़ाए जाने की इच्‍छा व्‍यक्‍त की। दोनों ने यह बात रेखांकित की कि जून 2018 में क्विंगडाओ में एससीओ राष्‍ट्राध्‍यक्ष परिषद की बैठक में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भागीदारी एक पूर्णकालिक सदस्‍य के रूपमें इस संगठन के कामकाज में भारत की सफल सहभागिता को दर्शाती है। भारत-रूस एससीओ के चार्टर, अंतर्राष्‍ट्रीय कानून के मानकों एवं सिद्धांतों के प्रति अपनी कटिबद्धता जताते हुए अपनी गतिविधियों की सभी दिशाओं में इस संगठन की क्षमता का और उपयोग करने की दिशा में अपने समंवित प्रयासों को जारी रखेंगे। आतंकवाद, मादक पदार्थों की अवैध तस्‍करी एवं संगठित अपराध सहित सुरक्षा एवं स्थिरता से जुड़े मुद्दों पर विशेष ध्‍यान दिया जाएगा, इससे एससीओ की क्षेत्रीय आतंकवादरोधी संरचना के अंतर्गत सहयोग और ज्‍यादा प्रभावशाली होगा। रूस ने आतंकवादरोधी सैन्‍य अभ्‍यास ‘शांति मिशन-2018’ में भारत की भागीदारी का स्‍वागत किया। दोनों पक्ष एससीओ का एक आर्थिक घटक विकसित करने के लक्ष्‍य को अत्‍यंत महत्‍वपूर्ण मानते हैं, जिसमें उन परिवहन एवं बुनियादी ढांचागत परियोजनाओं को पूरा करना भी शामिल है, जिनका उद्देश्‍य एससीओ के अंदर अंतरसंपर्क सुनिश्चित करने के साथ-साथ पर्यवेक्षकों, साझेदार देशों एवं इच्‍छुक देशों से भी बेहतर संपर्क सुलभ कराना है।
भारत और रूस ने अंतर्राष्‍ट्रीय मामलों में एससीओ की भूमिका बढ़ाने पर विशेष जोर दिया। दोनों संयुक्‍त राष्‍ट्र एवं इसके संगठनों और अन्‍य अंतर्राष्‍ट्रीय एवं क्षेत्रीय संगठनों के साथ एससीओ का संपर्क एवं सहयोग बढ़ाए जाने को आवश्‍यक मानते हैं। दोनों ने एससीओ के अंतर्गत सांस्‍कृतिक एवं मानवीय सम्‍बंधों को सुदृढ़ करने पर सहमति जताई। भारत और रूस ने खुली, समावेशी, पारदर्शी, गैर-भेदभावपूर्ण और नियम आधारित बहुपक्षीय व्‍यापार प्रणाली को मजबूत करने और अंतर्राष्‍ट्रीय व्‍यापार सम्‍बंधों के विखंडन तथा सभी स्‍वरूपों में व्‍यापार संरक्षणवाद की रोकथाम पर विशेष बल दिया। भारत ने एक बड़ी यूरेशियन साझेदारी सुनिश्चित करने की दिशा में रूस की पहल का स्‍वागत किया, जिसमें अंतर्राष्‍ट्रीय कानून और समानता एवं पारस्‍परिक सम्‍मान के सिद्धांतों का कड़ाई से पालन करने के साथ-साथ एक-दूसरे के राष्‍ट्रीय परिप्रक्ष्‍य को ध्‍यान में रखते हुए रचनात्‍मक सहयोग का प्रभावकारी प्‍लेटफार्म बनाने के लिए राष्‍ट्रीय विकास रणनीतियों और बहुपक्षीय एकीकरण परियोजनाओं का संयोजन करने का उल्‍लेख किया गया है। दोनों ने भारत-रूस संबंधों की दिशा में हो रही प्रगति पर संतोष व्‍यक्‍त किया और द्विपक्षीय एवं अंतर्राष्‍ट्रीय महत्‍व के मुद्दों पर अपने हितों तथा समान स्थितियों को साझा किया और दोनों देशों के लोगों की आपसी समृद्धि के लिए भारत और रूस की विशेष तथा विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी को आगे बढ़ाने के लिए घनिष्‍ठ सहयोग, समन्‍वय और लाभों के सुदृढ़ीकरण को आगे भी जारी रखने पर सहमति जताई।

हिन्दी या अंग्रेजी [भाषा बदलने के लिए प्रेस F12]