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पैंतालीसवें भारत अंतर्राष्‍ट्रीय फिल्‍म महोत्‍सव का समापन

राज्यवर्धन ने प्रदान किया आजीवन उपलब्धि पुरस्कार

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Sunday 30 November 2014 11:23:00 AM

lifetime achievement award the iffi 2014

पणजी। ग्लोबल कनेक्ट के लिए सोशल मीडिया नवाचार पर इफी की टॉकथॉन पहल का उल्लेख करते हुए केंद्रीय सूचना प्रसारण राज्यमंत्री राज्यवर्धन राठौर ने वोंग कार वाई को इफी-2014 में आजीवन उपलब्धि पुरस्कार प्रदान किया। पणजी में 45वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव के समापन समारोह में टॉकथॉन के रूप में इफी-2014 में चलाई गई सोशल मीडिया पहल पर राज्यवर्धन राठौर ने कहा कि ट्विटर, फेसबुक और यू ट्यूब जैसे एक मंच पर सोशल मीडिया साधनों को मिलाने के जरिए यह नवाचार दुनिया भर के फिल्म प्रेमियों को अंतर्राष्ट्रीय महोत्सव से जोड़ने में कामयाब रहा। मंत्रालय के नए मीडिया प्रकोष्ठ की ओर से आरंभ किया गया यह अपनी तरह का यह पहला प्रयास था।
केंद्रीय सूचना प्रसारण राज्यमंत्री ने चीन के फिल्म निर्माता वोंग कार वाई को इफी-2014 में आजीवन उपलब्धि पुरस्कार जीतने पर बधाई दी। उन्होंने रमेश सिप्पी और राकेश ओम प्रकाश मेहरा के साथ वोंग कार वाई को पुरस्कार प्रदान किया। इसी के साथ पैंतालीसवां भारत अंतर्राष्‍ट्रीय फिल्‍म महोत्सव आज गोवा में समाप्त हो गया। रूसी फिल्म लेवियाथन को श्रेष्ठ फिल्म का गोल्डन पीकॉक पुरस्कार मिला। इस्राइल के फिल्म निर्देशक नादाव लैपिड को अपनी फिल्म द किंडरगार्टन टीचर के लिए श्रेष्ठ निर्देशक का पुरस्कार मिला। विशेष ज्यूरी और सेंटीनरी पुरस्कार भारतीय फिल्म एक हजारची नोट को मिला। इसका निर्देशन श्रीहरि साथी ने किया है। भारत के दुलाल सरकार ने फिल्म चोटोदर चोबी के लिए श्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार पाया, जबकि एलेक्सेल सेरेब्रियाकोव ने फिल्म लेवियाथन के लिए श्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार जीता। क्यूबा की एलिना रॉड्रिग्स को फिल्म बिहेवियर के लिए श्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार मिला, जबकि फिल्म किंडरगार्टन टीचर के लिए इस्राइल की सरित लैरी ने श्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार जीता।
ग्यारह दिवसीय समारोह इस समारोह में 79 देशों की 178 फिल्‍में प्रदर्शित की गईं। भारतीय पैनोरमा में 26 फीचर और 15 गैर फीचर फिल्‍में शामिल थीं। अंतर्राष्‍ट्रीय फिल्‍म महोत्‍सव का गोवा में संगीत और नृत्‍य के भव्‍य रंगारंग कार्यक्रम के साथ शुभारंभ हुआ था। यह फिल्‍म महोत्‍सव विभिन्‍न देशों की फिल्‍म कला की गुणवत्‍ता को प्रदर्शित करने, सामाजिक और सांस्‍कृतिक प्रकृति से संबद्ध फिल्‍म संस्‍कृति की सराहना और समझ में योगदान और विश्‍व के लोगों के बीच दोस्‍ती और सहयोग को बढ़ाने में दुनिया के चलचित्रण के लिए एक मंच माना जाता है। नवंबर 2004 में गोवा में शुरू किए गए 35वें भारत अंतर्राष्‍ट्रीय फिल्‍म महोत्‍सव के बाद से अब तक यह गोवा राज्‍य में लगातार 11वां फिल्‍मोत्‍सव था। अमिताभ बच्‍चन और उनकी पत्‍नी जया बच्‍चन इस शुभारंभ समारोह के मुख्‍य अतिथि थे, जबकि जिऑन सू-इल (दक्षिण कोरिया) मोहसेन मखमलबफ (ईरान) और पोलैंड के फिल्‍म निर्माता क्रीजटोफ जानूसी सम्‍माननीय अतिथि थे। शुभारंभ कार्यक्रम का संचालन अभिनेता अनुपम खेर और अभिनेत्री रवीना टंडन ने किया था। शेखर कपूर, सतीश कौशिक और रूपा गांगुली सहित अन्‍य मशहूर हस्तियां कार्यक्रम में उपस्थित रहीं। दक्षिण भारतीय सिनेमा के सुप्रसिद्ध अभिनेता रजनीकांत को इस वर्ष का भारतीय फिल्‍म हस्‍ती के लिए शताब्‍दी पुरस्‍कार प्रदान किया गया। यह पुरस्‍कार पिछले वर्ष भारतीय सिनेमा के सौ वर्ष पूरे होने पर शुरू किया गया था।
इफ्फी में इस बार चीन के फिल्‍म निर्माता वोंग कार वाई को ’लाइफटाइम अचीवमेंट’ पुरस्‍कार प्रदान किया गया। महोत्‍सव की पहली फिल्‍म मोहसेन मखमलबफ (ईरान) की निर्देशित ’द प्रेसिडेंट’ थी, जबकि महोत्‍सव के समापन पर वोंग कार वाई (चीन) की ’द ग्रैंडमास्‍टर’ प्रदर्शित की गई। इस बार महोत्‍सव में चीन देश पर फोकस था। महोत्‍सव के दौरान कई प्रकार की फिल्‍में दिखाई गईं। इस वर्ग में ‘अमरीकन ड्रीम्‍स इन चाइना’, ‘बीजिंग ब्‍लूज’, ‘कॉट इन द वेब’, ‘क्रिसमस रोज़’, ‘फेंगशुई’, ‘फाइंडिंग मिस्‍टर राइट’, ‘द ग्रेट हिप्‍नोटिस्‍ट‘, ‘आउट ऑफ इंफरनो’ और ‘साइलेंट विटनेस’ दिखाई गईं। इफ्फी 2014 में 79 देशों की विभिन्‍न श्रेणियों की 178 फिल्‍में प्रदर्शित की गईं, जिनमें विश्‍व सिनेमा से (61 फिल्‍में), मास्‍टर स्‍ट्रोक्‍स (11 फिल्‍में), महोत्‍सव बहुरूपदर्शक (फेस्टिवल केलिडोस्‍कोप) (20 फिल्में), सोल ऑफ एशिया (7 फिल्‍में), डाक्‍यूमेंट्री (6 फिल्‍में), एनीमेटेड फिल्‍में (6 फिल्‍में) थीं।
भारतीय पैनोरमा वर्ग की 26 फीचर और 15 गैर फीचर फिल्‍में भी महोत्सव में शामिल थीं। पूर्वोत्‍तर महोत्‍सव का फोकस था, इसलिए आईएफएफआई 2014 में भारत के पूर्वोत्‍तर क्षेत्र की 7 फिल्‍में प्रदर्शित की गईं। क्षेत्रीय सिनेमा भी महोत्‍सव का महत्‍वपूर्ण अंग होता है। इस वर्ष के समारोह में गुलजार और जानू बरूआ पर पुनरावलोकन वर्ग (रिट्रोस्‍पेक्टिव सेक्‍शंस), रिचर्ड एटनबरो, रॉबिन विलियंस, ज़ोहरा सहगल, सुचित्रा सेन पर विशेष समर्पित फिल्‍में और फ़ारूख़ शेख़ को विशेष श्रद्धाजंलि जैसे अनेक आकर्षण थे। नृत्‍य पर केंद्रित फिल्‍मों का एक विशेष वर्ग था तथा व्‍यक्तित्‍व आधारित पुनरावलोकन (रिट्रोस्‍पेक्टिव) और मास्‍टर क्‍लासेज/कार्यशालाएं भी आईएफएफआई 2014 का हिस्‍सा थीं।
आम लोगों के लिए ‘पहले आओ-पहले पाओ’ के आधार पर मुफ्त में भारतीय फिल्‍मसात कैंपेल फुटबॉल ग्राउंड पर ओपन एयर स्‍क्रीनिंग का नया आकर्षण था। इक्कीस नवंबर की शाम को ’गांधी’ फिल्‍म का प्रदर्शन हुआ और 27 नवंबर तक उसी स्‍थान पर उसी समय प्रतिदिन एक भारतीय फिल्‍म दिखाई जाती रही। फिल्‍मों के प्रथम प्रदर्शन के अलावा आईएफएफआई 2014 के दौरान प्रतिनिधियों के लिए फिल्‍म का बाज़ार थ्रीडी फिल्‍में, भोज, मास्‍टर क्‍लासेज, स्‍टॉल्‍स और ओपन एयर स्‍क्रीनिंग जैसी रंगपटल की गतिविधियां फिल्म महोत्सव में शामिल थीं। भारत अतंर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव इस बार पूर्वोत्तर सिनेमा पर भी केंद्रित था। भारती अतंर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में उत्तर-पूर्व की सिनेमाई प्रस्तुति को पिछले साल विशेष सत्र के तहत प्रमुखता से जगह दी गई थ‌ी।
इस साल एक विशेष सेक्शन 'पूर्वोत्तर से देखो' में वैसी फिल्मों को प्रमुखता से दिखाया गया, जो महिला केंद्रित कहानियों पर आधारित थीं। उत्तर-पूर्व की असल ज़िंदगी को सिनेमाई परदे पर दिखा कर, वहां की स्त्रीशक्ति को प्रतिबिंबित किया गया। कुछ सिनेमाई दृश्यों को देखकर वहां की विशिष्ट संस्कृति की झलक देखने को मिली, जो पूर्वोत्तर की हकीकत है। पद्म बरूआ की गंगा चिलानीर पाखी (1976) जो साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेता लेखक लक्ष्मीनंदन बोरा के पात्र केंद्रित उपन्यास पर आधारित एक क्लासिक फिल्म है, का प्रदर्शन महोत्सव में किया गया। अरिबम श्याम शर्मा की सनबी, डॉ सांत्वना बोरदोलई की आदज्या (1997 के भारतीय अतंर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव विशेष ज्यूरी पुरस्कार से सम्मानित), ओनम गौतम सिंह की फिजी मनी, पुलिनथानाथ की मठिया, भावेंद्रनाथ सैकिया की अबार्टन और मंजू बोरा की आकाशीटोरार कटारे भी दिखाई गई। महिला केंद्रित मूल्यों पर आधारित कुछ गिनी-चुनी फिल्में है, जो हाल के वर्षो में बनी हैं। इसके अलावा कुछ अलग हटकर बनी फिल्में मसलन जाहनु वर्मा की फिल्म के अलावा प्रदीप कुर्बा की फिल्म खासी फिल्म री, भारतीय पैनोरमा सेक्शन की महत्वपूर्ण फिल्मों में दर्ज की गई।
अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में दक्षिण एशियाई सिनेमा के लिए विशेष खंड स्थापित किया गया था। पड़ोसी देश भारत की दूरदर्शिता नीति में प्रमुख स्थान रखते हैं, जिसे ध्यान में रखते हुए 45वें भारत अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) के सदस्य देशों के लिए दरवाज़ा खोल दिया गया था। सार्क के महत्वपूर्ण तथ्यों को ध्यान में रखते हुए फिल्म महोत्सव में सार्क के आठ देशों के लिए विशेष रूप से अलग खंड बनाए गए थे। इन आठ मुल्कों में से हर देश से एक बेहतरीन फिल्म महोत्सव में दिखाई गई। दक्षिण एशियाई फिल्मों में पाकिस्तान की 'डॉटर (दुखतर)', अफगानिस्तान की 'ए फ्यू क्यूबिक मीटर्स ऑफ लव', मालदीव की 'फिंगर (इंगली)', भारत की 'द फोर्ट (किला)', बांग्लादेश की 'जलाल स्टोरी (जलालर गोलपो)', भूटान की 'पैटर्न ऑफ लव (कुरुक्षेत्र)', नेपाल की 'रिफ्यूजिंग हेवन (झोला)' और श्रीलंका की 'द सिंगिंग पौंड (हो गाना पोकुना)' शामिल की गई थी।
आईएफएफआई, छात्र फिल्म निर्माताओं के लिए भी एक उत्कृष्ट मंच रहा। फिल्म महोत्सव के दौरान देश के चार फिल्म संस्थानों के छात्रों की बनाई गई 23 उत्कृष्ट फिल्में प्राप्त हुई थीं। नई पीढ़ी के फिल्म निर्माताओं में दूरदृष्टि के साथ-साथ नई आवाज़ भी सुनी गई। वे मौलिक कहानियों और तथ्य-कथ्य से साराबोर थीं। आईएफएफआई ने जिम्मेदारी ली है कि वह छात्र फिल्म निर्माताओं को उचित मंच प्रदान करेगा, जहां ये अपनी लघु छात्र फिल्मों का प्रदर्शन किया करेंगे। चार फिल्म संस्थानों में फिल्म और टेलीविजन संस्थान पुणे (एफटीआईआई) सत्यजीत रॉय फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान कोलकाता (एसआऱएफटीआईआई), एमजीआर फिल्म और टेलीविजन संस्थान चेन्नई (एमजीआरजीएफटीआई) और एजेके एमसीआरसी जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय दिल्ली शामिल हैं। होनहार फिल्म निर्माताओं के रूप में यहां से भारतीय सिनेमा को आने वाले दिनों में बेहतरीन प्रतिभाशाली फिल्म निर्माता मिल सकेंगे।

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