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क्रिसमस शांति और सद्भाव का पर्व-उपराष्ट्रपति

उपराष्ट्रपति ने ईसाई समुदाय के अनुकरणीय योगदान को सराहा

कैथोलिक बिशप्स कॉंफ्रेंस ऑफ इंडिया का क्रिसमस समारोह

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Friday 19 December 2025 03:09:17 PM

christmas celebrations of the catholic bishops' conference of india

नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन ने कैथोलिक बिशप्स कॉंफ्रेंस ऑफ इंडिया के क्रिसमस समारोह में त्योहार पूर्व ईसाई समुदाय को हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई दी हैं। उपराष्ट्रपति ने कहाकि क्रिसमस शांति, करुणा, विनम्रता और मानवता की सेवा जैसे सार्वभौमिक मूल्यों का उत्सव है। उन्होंने कहाकि प्रभु यीशु मसीह के प्रेम, सद्भाव और नैतिक साहस का संदेश शाश्वत प्रासंगिकता रखता है और भारत की आध्यात्मिक परंपराओं से गहराई से जुड़ा हुआ है, जो सह अस्तित्व, करुणा और मानवीय गरिमा के सम्मान पर जोर देती हैं। भारत में ईसाई धर्म की लंबी उपस्थिति को याद करते हुए उपराष्ट्रपति ने भारत की विकास यात्रा में ईसाई समुदाय के महत्वपूर्ण योगदान पर प्रकाश डाला। उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, सामाजिक सुधार और मानव विकास में समुदाय के अनुकरणीय कार्यों की सराहना की और इसे राष्ट्र निर्माण का अभिन्न अंग बताया, जो देश के सुदूरतम क्षेत्रों तक पहुंचे हैं।
उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन ने अपने व्यक्तिगत अनुभव को साझा करते हुए कहाकि झारखंड, महाराष्ट्र एवं और कई राज्यों के राज्यपाल के रूपमें अपने कार्यकाल के दौरान उन्हें कई ईसाई संगठनों केसाथ घनिष्ठ संपर्क का अवसर मिला है। उन्होंने सांसद के रूपमें अपने कार्यकाल में कोयंबटूर के एक चर्च में हर साल क्रिसमस मनाने और वहां साझा की गई आपसी समझ की भावना को भी याद किया। उन्होंने तमिलनाडु से एक ऐतिहासिक उदाहरण देते हुए कॉन्स्टेंटाइन जोसेफ बेस्ची (वीरममुनिवर) के योगदान को याद किया, जिन्होंने तमिल साहित्य और संस्कृति को समृद्ध किया और भारत में ईसाई परंपरा से पोषित गहन सांस्कृतिक एकीकरण को रेखांकित किया। भारत की बहुलवादी भावना पर सीपी राधाकृष्णन ने कहाकि भारत की एकता एकरूपता में नहीं, बल्कि आपसी सम्मान और साझा मूल्यों में निहित है। उन्होंने कहाकि किसीभी प्रकार के भय का माहौल बनाने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि देश में शांति और सद्भाव व्याप्त है।
क्रिसमस की भावना और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'एक भारत, श्रेष्ठ भारत' के राष्ट्रीय दृष्टिकोण में समानता बताते हुए उन्होंने कहाकि जिस प्रकार क्रिसमस विभिन्न धर्मों के लोगों को खुशी में एकसाथ लाता है, उसी प्रकार 'एक भारत, श्रेष्ठ भारत' का विचार नागरिकों से भारत की विविधता का जश्न मनाते हुए एक राष्ट्र के रूपमें एकजुट होने का आह्वान करता है। उपराष्ट्रपति ने हितधारकों से 2047 तक विकसित भारत के राष्ट्रीय लक्ष्य की दिशा में अपना रचनात्मक योगदान जारी रखने का आग्रह किया। उन्होंने सभी समुदायों से ग़रीबी उन्मूलन और साझा समृद्धि की ओर बढ़ने केलिए मिलकर काम करने का आह्वान किया। उन्होंने यह सराहना भी व्यक्त कीकि कैथोलिक बिशप्स कॉंफ्रेंस ऑफ इंडिया 1944 से अस्तित्व में है और इसने स्कूलों, कॉलेजों, अस्पतालों और धर्मार्थ संस्थानों का व्यापक नेटवर्क बनाया है, जिससे यह सामन्य नागरिकों के जीवन से घनिष्ठ रूपसे जुड़ा हुआ है। इस अवसर पर पश्चिम बंगाल के राज्यपाल डॉ सीवी आनंद बोस, भारत के कैथोलिक बिशप सम्मेलन के अध्यक्ष आर्कबिशप एंड्रयूज थाज़थ, भारत में धर्मप्रचारक आर्कबिशप लियोपोल्ड गिरेली और विशिष्ट अतिथि उपस्थित थे।

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