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हिंदी केप्रति प्रेम सम्मान और गर्व करें-प्रो सुधा

आईजीएनसीए के राजभाषा अनुभाग का हिंदी माह-2025 शुरू हुआ

मातृभाषा के अलावा एक और भी भारतीय भाषा सीखें-डॉ सच्चिदानंद

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Wednesday 3 September 2025 04:38:02 PM

hindi month-2025 of official language section of ignca begins

नई दिल्ली। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र का राजभाषा अनुभाग 2 सितंबर से 30 सितंबर तक 'हिंदी माह-2025' मना रहा है, इस दौरान हिंदी भाषा के महत्व वाले विभिन्न सांस्कृतिक, साहित्यिक कार्यक्रम और प्रतियोगिताएं आयोजित की जाएंगी। दिल्ली विश्वविद्यालय में हिंदी विभाग की प्रमुख प्रोफेसर सुधा सिंह, आईजीएनसीए के सदस्य सचिव डॉ सच्चिदानंद जोशी, आईजीएनसीए की निदेशक (प्रशासन) डॉ प्रियंका मिश्रा, आईजीएनसीए में 'राजभाषा अनुभाग' के प्रभारी प्रोफेसर अरुण भारद्वाज द्वारा पारंपरिक दीप प्रज्वलन और मंगलाचरण केसाथ हिंदी माह का उद्घाटन सत्र शुरू हो चुका है। डॉ सच्चिदानंद जोशी ने इस अवसर पर कहाकि हिंदी माह के आयोजन का उद्देश्य हिंदी के प्रयोग को बढ़ावा देना और इसके प्रति लोगों में जागरुकता पैदा करना है। उन्होंने अपील कीकि चूंकि 14 सितंबर को हिंदी दिवस और 11 दिसंबर को भारतीय भाषा दिवस मनाया जाएगा, इसलिए इस तीन महीने की अवधि में अपनी मातृभाषा के अलावा एक और भारतीय भाषा भी सीखें, सफल प्रतिभागियों को पुरस्कार और विशेष 'प्रेरणा पुरस्कार' प्रदान किए जाएंगे।
डॉ सच्चिदानंद जोशी ने युवाओं से इस पहल में सक्रिय रूपसे भाग लेने और भाषाई विविधता को मजबूत करने का आग्रह किया। उन्होंने कहाकि भारत एक बहुभाषी देश है और भले ही कुछ लोग राजनीतिक एवं और दूसरे कारणों से वैमनस्य पैदा करने की कोशिश करते हों, सभी भारतीय भाषाओं में भाईचारे की भावना कायम है। डॉ सच्चिदानंद जोशी ने जानकारी दीकि आईजीएनसीए में हिंदी प्रकाशनों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि होकर यह लगभग 50 प्रतिशत तक पहुंच गई है। संस्थान के प्रकाशन 'विहंगम', सोशल मीडिया पोस्ट और अन्य संचार माध्यमों में हिंदी का प्रयोग निरंतर बढ़ रहा है। उन्होंने कहाकि भाषा जटिल न होकर सरल, सहज और बोधगम्य होनी चाहिए। उन्होंने फिल्मों और सोशल मीडिया पर हिंदी और हिंदी शिक्षकों का उपहास किए जाने की कड़ी निंदा की और भाषा की गरिमा बनाए रखने पर जोर दिया। तकनीकी युग में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के उपयोग का उल्लेख करते हुए उन्होंने स्पष्ट कियाकि अनुवादों की सटीकता और गुणवत्ता की अंतिम ज़िम्मेदारी मशीनों की नहीं, बल्कि मनुष्यों की है। उन्होंने सभी सहयोगियों से प्रतियोगिताओं में भाग लेने और हिंदी केसाथ-साथ अन्य भारतीय भाषाओं के संरक्षण एवं संवर्धन का संकल्प लेने का आह्वान किया। उन्होंने एक संकल्प पत्र भी जारी किया।
प्रोफेसर सुधा सिंह ने हिंदी भाषा की समृद्ध परंपरा, साहित्यिक योगदान और इसकी वर्तमान प्रासंगिकता पर अपने सारगर्भित विचार रखे। उन्होंने कहाकि हिंदी को एक दिन, महीने या साल केलिए मनाना ऐतिहासिक महत्व रखता है, लेकिन भाषा की भूमिका प्रतीकात्मक पालन से कहीं आगे जाती है। उन्होंने कहाकि हम हिंदी से क्या अपेक्षा रखते हैं? क्या यह सिर्फ़ व्यापार केलिए या रोजी-रोटी केलिए है? हमें इसके प्रति जुनून पैदा करना चाहिए, ना कि स्वार्थी उद्देश्यों से। उन्होंने कहाकि अगर आप भाषा से प्रेम करते हैं तो यह आपको सबकुछ देगी। उन्होंने पाली, प्राकृत और अपभ्रंश से खड़ी बोली तक हिंदी के क्रमिक विकास पर चर्चा किया और इसे सांस्कृतिक सम्मिश्रण का परिणाम बताया। तकनीकी और व्यावसायिक क्षेत्रों में इसकी सीमित उपस्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए उन्होंने आग्रह कियाकि हिंदी को केवल नौकरियों या परीक्षाओं तक सीमित न रखा जाए, बल्कि इसे विचार और ज्ञान की भाषा बनना चाहिए। उन्होंने युवाओं से एक विदेशी भाषा के साथ-साथ अन्य भारतीय भाषाएं सीखने की अपील की, साथही हिंदी की पहुंच बढ़ाने में मीडिया की भूमिका पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहाकि भाषा सीखना मानव होने का प्रतीक है और हमें भौतिक उद्देश्यों से परे हिंदी केप्रति प्रेम, सम्मान और गौरव का भाव रखना चाहिए।
आईजीएनसीए की निदेशक (प्रशासन) डॉ प्रियंका मिश्रा ने कहाकि कुछवर्ष पहले हम हिंदी सप्ताह मनाते थे, फिर हमने हिंदी पखवाड़ा मनाना शुरू किया और इसवर्ष हम हिंदी माह मना रहे हैं। उन्होंने कहाकि हिंदी से संबंधित समारोहों की अवधि में यह विस्तार हिंदी केप्रति इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। हिंदी माह के अंतर्गत आगामी प्रमुख कार्यक्रमों के अंतर्गत 3 सितंबर को विस्मृत या विलुप्त हिंदी शब्दावली प्रतियोगिता, 4 सितंबर को स्वरचित काव्यपाठ प्रतियोगिता, 8 सितंबर को स्वस्ति गायन, मंगलाचरण एवं भक्ति गीत प्रतियोगिता, 18 सितंबर को दैनिक जीवन में प्रयुक्त क्षेत्रीय शब्दावली प्रतियोगिता, 22 सितंबर को भाषा/ सर्वेक्षण आधारित प्रतियोगिता, 29 सितंबर को सांस्कृतिक कार्यक्रम और 30 सितंबर को पुरस्कार वितरण एवं समापन समारोह शामिल हैं। ये प्रतियोगिताएं हिंदी प्रेमियों को अपनी प्रतिभा दिखाने का अवसर प्रदान करेंगी। कार्यक्रम का संचालन आईजीएनसीए में 'राजभाषा अनुभाग' के प्रभारी प्रोफेसर अरुण भारद्वाज ने किया। कार्यक्रम में गंगोत्री दास ने गणेश स्तुति पर गौड़ीय नृत्य प्रस्तुत किया, जिसे महुआ मुखर्जी ने कोरियोग्राफ किया था और प्रोफेसर अमिताभ मुखर्जी ने लिखा था।

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