Tuesday 5 August 2025 04:38:46 PM
दिनेश शर्मा
नई दिल्ली। विश्वसनीय मीडिया और विश्लेषकों के इस निष्कर्ष पर मोहर लग रही हैकि पाकिस्तान पर ऑपरेशन सिंदूर की जबरदस्त सफलता और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वैश्विक लोकप्रियता से विचलित अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, नरेंद्र मोदी सरकार को अपदस्थ कराना चाहते हैं, जिसमें उनके भारतीय गुर्गे फुल एक्टिव हैं, जो लोकसभा से लेकर उसके बाहर अपने बयानों और विघटनकारी गतिविधियों के जरिए नरेंद्र मोदी के खिलाफ ख़तरनाक अभियानों को अंजाम दे रहे हैं। योजना यह समझी जाती हैकि भारत के अंदर अनवरत राजनीतिक आर्थिक और सामाजिक अस्थिरता पैदा की जाए और एनडीए के प्रमुख सहयोगियों जनता दल यू, तेलुगू देशम पार्टी, लोक जनशक्ति पार्टी सहित सहयोगियों का साम दाम दंड भेद से नरेंद्र मोदी सरकार से मोहभंग करा दिया जाए, देश में गैरभाजपाई इंडी गठबंधन और विपक्ष को कांग्रेस नेता राहुल गांधी के नाम पर सहमत कराया जाए, लेकिन पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी कांग्रेस और राहुल गांधी का सबसे बड़ा कांटा हैं, जो किसीभी कीमत पर राहुल गांधी को प्रधानमंत्री नहीं देखना चाहतीं, जबकि डोनाल्ड ट्रंप नरेंद्र मोदी को सत्ता से उखाड़कर उनकी उंगलियों पर नाचते राहुल गांधी को भारत का प्रधानमंत्री बनवाना चाहते हैं। संसद भवन में आज एनडीए की बैठक बुलाकर उसमें एकजुटता प्रदर्शितकर ऑपरेशन सिंदूर की कामयाबी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी में अटूट विश्वास का प्रस्ताव पारित करना आखिर कुछ तो संदेश दे रहा है?
यही राजनीति और कूटनीति कही जाती हैकि एकदूसरे की मित्रता के कसीदे पढ़ने वाले न सदैव मित्र रहते हैं और न शत्रु। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की गहरी मित्रता जगजाहिर है, मगर अब इस मित्रता में कीड़े पड़ने भी शुरू हो गए हैं, कारण साफ है यानी यह मित्रता गहरी शत्रुता में बदलती जा रही है, यह दुनिया भी देख रही है। दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ऐतिहासिक घरेलू और वैश्विक कड़े एवं लोकप्रिय फैसलों के कारण नरेंद्र मोदी की वैश्विक लोकप्रियता ने डोनाल्ड ट्रंप को बैकफुट पर फेंक दिया है। भारत-पाकिस्तान की दुश्मनी में 22 अप्रैल 2025 को जम्मू कश्मीर में धर्म पूछकर पाकिस्तान प्रायोजित पहलगाम नरसंहार पर भारतीय सेना के ऑपरेशन सिंदूर ने पूरा का पूरा वैश्विक परिदृश्य ही बदल दिया है, जिसके सीजफायर का डोनाल्ड ट्रंप ने श्रेय लेने की होड़ मचाई हुई है, लेकिन उनके इस दावे को किसीने भी नहीं माना है और कांग्रेस और विपक्ष के लगातार दबाव पर लोकसभा में ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा में मोदी सरकार ने स्पष्ट कर दियाकि सीजफायर किसी के भी कहने से नहीं हुआ, भारत का पहलगाम का बदला पूरा होने पर और पाकिस्तान के भारत के सामने समर्पण करने पर हुआ। लोकसभा में ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा की मांग भी डोनाल्ड ट्रंप से प्रायोजित थी, जिसके मनमाने निष्कर्ष विफल होने पर दुनिया के सामने डोनाल्ड ट्रंप को बड़ा झटका लगा है और वे भारत में नरेंद्र मोदी को सरकार से हटाने के अभियान के 'कमांडर' बन गए हैं।
दूसरी बात, डोनाल्ड ट्रंप इस बात से चिढ़े हुए हैंकि भारतीय सेना के पाकिस्तान पर ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान में उसके फाइटर जेट एफ-16 भारतीय वायुसेना ने मार गिराए, जिससे दुनिया में अमेरिका के गारंटीशुदा फाइटर जेट एफ-16 का बाजार गिर गया है। डोनाल्ड ट्रंप ने युद्धक हथियारों के वैश्विक बाजार में फाइटर जेट एफ-16 की बदनामी को ढकने केलिए सीजफायर का श्रेय लेना शुरू कर दिया, जिसपर कांग्रेस नेता राहुल गांधी, समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव आदि विपक्ष के नेताओं ने लोकसभा में ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा कराने की मांगकर आसमान सिरपर उठा लिया, जिसके निष्कर्ष से भारत के विपक्ष इंडी गठबंधन और डोनाल्ड ट्रंप को भारी धक्का पहुंचा है। डोनाल्ड ट्रंप चिढ़े हुए हैंकि नरेंद्र मोदी की अपनी आंतरिक और वैश्विक रणनीतियों से भारत प्रतिरक्षा और आर्थिक क्षेत्रमें बहुत तेजीसे प्रगति कर रहा है जबकि वे अपने अमरीका में भयानक आंतरिक झंझावात से ही जूझ रहे हैं, जिसका अमरीका को बड़ा नुकसान हो रहा है। डोनाल्ड ट्रंप की यूक्रेन युद्ध नीति भी बुरी तरह विफल हुई है, जिसमें वह रूस को डिगाने में पूरी तरह नाकाम हैं, वे रोज रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमिर पुतिन को परमाणु युद्ध की धमकियां दे रहे हैं और ब्लादिमिर पुतिन पर उनका कोई असर नहीं है, उसपर भारत ने रूससे तेल खरीदकर डोनाल्ड ट्रंप के जलेपर और ज्यादा नमक छिड़क दिया है। डोनाल्ड ट्रंप मानकर बैठ गए हैंकि यही हालात रहे तो नरेंद्र मोदी दुनिया में उनके लिए बड़ी चुनौती बन जाएंगे, जिससे उनको रोकना जरूरी है।
डोनाल्ड ट्रंप ने अपनी आर्थिक और कूटनीतिक विफलताओं से लड़ते हुए भारत सहित दुनिया पर टैरिफ युद्ध थोप दिया है और भारत उसके टैरिफ दबाव की कोई भी परवाह न करते हुए अपने मित्र रूससे तेल खरीदना जारी रखे हुए है। अमरीका ने भारत से रणनीतिक दोस्ती तो की हुई है, मगर वह चल तो उसके उल्टा रहा है। सवाल हैकि ये कौन सी दोस्ती हुई? डोनाल्ड ट्रंप युक्रेन मुदुदे पर ब्लादिमिर पुतिन और नरेंद्र मादी से व्यक्तिगत खुंदस खाए बैठे हैं और चाहते हैंकि भारत भी रूस से कोई मतलब न रखे, उससे तेल लेना बंद करे, लेकिन ये कैसे संभव हो सकता है? दुनिया जानती हैकि रूस भारत का सबसे पुराना और अत्यंत भरासेमंद दोस्त है। रूस ने कई संकटों में भारत का साथ दिया है, जबकि अमरीका कभीभी भारत केलिए भरोसेमंद नहीं रहा। अमेरिका केवल चीन को नीचा दिखाने केलिए उसे दबाव में रखने केलिए भारत से दिखावटी सह्रदयता दिखाता है। इतिहास गवाह हैकि अमेरिका ने हमेशा पाकिस्तान का ही साथ दिया है और उसने भारत में पाकिस्तानी आतंकवाद की घटनाओं को भारत की कानून व्यवस्था की समस्या बताकर भारत को निराश किया है, मगर जब अमरीका में उसके आर्थिक हब वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हमले में पाकिस्तान के इस्लामिक आतंकवादियों की संलिप्तता पाई गई और उसका मुख्य गुनाहगार ओसामा बिन लादेन पाकिस्तान मेही छिपा मिला और अमरीकियों की आंखें फटी की फटी रह गईं। अमरीका इसके बावजूद पाकिस्तान की तरफदारी और मदद करता कराता आ रहा है, अपवाद को छोड़कर भारत के वांछित माफिया अपराधी अमरीका इंग्लैंड कनाडा में संरक्षण पाए हैं। भारत से दोस्ती करके भी अमरीका डोनाल्ड ट्रंप उसी पुरानी नीति रणनीति के तहत भारत को दबाव में रखना चाहते हैं।
भारत की कांग्रेस सरकारें सदैव अमरीका और चीन के भारी दबाव में काम करती रही हैं, लेकिन भारत में भाजपा की नरेंद्र मोदी सरकार आ जानेसे भारत पर मनमानी नहीं चलने देनेसे डोनाल्ड ट्रंप अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बर्दाश्त नहीं कर पा रहे हैं। नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत दुनिया की चौथी अर्थव्यवस्था तो बन ही चुका है, अब दुनिया की तीसरी अर्थव्यवस्था बनने के दरवाजे तक आ चुका है और डोनाल्ड ट्रंप अमरीका को लिए वहीं के वहीं खड़े हैं, अमरीका की अर्थव्यवस्था हिचकोले खा रही है। डोनाल्ड ट्रंप का टैरिफ प्लान अमरीका की अर्थव्यवस्था को रातोंरात उस हिचकोले से बाहर निकालने का कार्ड है, जिसका पूरी दुनिया विरोधकर रही है, जिसके सफल होने की उम्मीद नहीं है। डोनाल्ड ट्रंप की यही घबराहट हैकि दुनिया के सबसे बड़े और विकसित बाजार भारत का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दोस्ती में उसकी उंगलियों पर नाचने के बजाय उसके हाथसे निकलता जा रहा है, नरेंद्र मोदी बगैर किसी झिझक के ऐतिहासिक वैश्विक फैसले करते जा रहे हैं, जिसमें भारत की रूस से निकटता भी डोनाल्ड ट्रंप और अमरीका के सामने सर्वाइवल का बड़ा मुद्दा बन चुकी है। भारत ने रूस से तेल नहीं खरीदने के डोनाल्ड ट्रंप के भारी दबाव को मानने से इनकार कर दिया है, जिससे नरेंद्र मोदी और डोनाल्ड ट्रंप के दोस्ताना रिश्ते इस हदतक बिगड़ चुके हैंकि डोनाल्ड ट्रंप ने अमरीका की हाल की टैरिफ नीति में भारत पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाकर भारत को धमकाना शुरू कर दिया है। भारत और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर इसका भी कोई असर नहीं दिखता है।
यही कारण हैकि डोनाल्ड ट्रंप ने नरेंद्र मोदी को दोस्त के बजाय अपना कांटा मानकर भारत के कांग्रेस नेता राहुल गांधी इंडी गठबंधन और विपक्ष के अन्य नेताओं को विश्वास में लेने और नरेंद्र मोदी को सत्ता हटाने की रणनीति पर काम शुरू कर दिया है। तभी कहने वाले कह रहे हैंकि डोनाल्ड ट्रंप ने कांग्रेस के नेता राहुल गांधी सहित सभी गुर्गे, नरेंद्र मोदी और एनडीए में शामिल दूसरे सहयोगी दलों के नेताओं के पीछे लगा दिए हैं। डोनाल्ड ट्रंप राहुल गांधी को नरेंद्र मोदी सरकार को हटाकर भारत के प्रधानमंत्री का सपना दिखा दिया है, राहुल गांधी का उत्साह उनकी नरेंद्र मोदी पर आरोप श्रंखला के ताजा हावभाव और क्या कह रहे हैं? क्योंकि डोनाल्ड ट्रंप सहित यह बात सभीको मालूम हैकि इसबार भाजपा केंद्र में सरकार बनाने केलिए पर्याप्त 272 लोकसभा सीटें नहीं जीत पाई है और सरकार बैसाखियों पर चल रही है और ये बैसाखियां हटते ही भाजपा की नरेंद्र मोदी सरकार गिर जाएगी, जिसके बाद डोनाल्ड ट्रंप भारत में अपनी कठपुतली सरकार बनवाकर भारत को अपनी उंगलियों पर नचाएंगे, जिसके लिए राहुल गांधी उनके सबसे ज्यादा अनुकूल हैं। कांग्रेस सहित सभी विरोधी दल इसी समय का इंतजार भी कर रहे हैं और नरेंद्र मोदी के खिलाफ डोनाल्ड ट्रंप की उकसाई हुई भाषा और रणनीतियों का इस्तेमाल कर रहे हैं। भारत का ताजा राजनीतिक घटनाक्रम इसी तानेबाने के इर्दगिर्द घूम रहा है। भाजपा और नरेंद्र मोदी सरकार ने भारत के मुख्य विपक्ष कांग्रेस और डोनाल्ड ट्रंप की इन साजिशों को समझकर उन्हें तत्काल ध्वस्त करने केलिए आज संसद में एनडीए के सहयोगी दलों की बैठक बुलाई गई, उसमें ऑपरेशन सिंदूर की सफलता, सेना की प्रशंसा और नरेंद्र मोदी सरकार में अपनी अटूट निष्ठा और समर्थन का प्रस्ताव पारित कराया गया।
एनडीए की रणनीति से आज विपक्ष और ज्यादा बौखला गया है। राहुल गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा, मल्लिकार्जुन खड़गे, अखिलेश यादव शिवसेना उद्धव ठाकरे गुट के नेता संजय राउत आदि के एक सुर में नरेंद्र मोदी विरोधी बयान कुछ तो संदेश दे रहे हैं? मगर डोनाल्ड ट्रंप की नरेंद्र मोदी सरकार को अपदस्थ करने की इस योजना को तगड़ा झटका लग गया है। डोनाल्ड ट्रंप और नरेंद्र मोदी में कभी गज़ब की दोस्ती शुरू हुई थी, जिसके चर्चे पूरी दुनिया में सुने गए, लेकिन कुछ राजनीतिक दल और मीडिया के विश्लेषक हमेशा इसे केवल दो राजनेताओं की गहरी दोस्ती ही देखते आए हैं, जबकि यह दोस्ती व्यक्तिगत कम राजनीतिक और कूटनीतिक संदर्भ में ज्यादा महत्व रखती है। जाहिर हैकि दो राष्ट्रों के राजनेताओं में व्यक्तिगत क्या हो सकता है? सत्तारूढ़ होकर ये दोनों राजनेता अपने देश के आर्थिक रक्षा और वैश्विक मुद्दों पर अपने-अपने देश की प्रगति की रणनीतियां और कूटनीति सुनिश्चित करते हैं, इसलिए मोदी और ट्रंप की दोस्ती को व्यक्तिगत दोस्ती मानने वालों की यह एक छोटी सोच कही जाएगी, जैसाकि आज कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राष्ट्रीय प्रवक्ता जयराम रमेश मीडिया में टीवी समाचार चैनलों पर मोदी-ट्रंप की दोस्ती का मज़ाक उड़ाकर उनके डायलॉग सुनाकर नरेंद्र मोदी का मजाक उड़ा रहे हैं और ईमानदारी से यह स्वीकार करने को तैयार नहीं हैंकि नरेंद्र मोदी ने इसी कूटनीतिक दोस्ती से डोनाल्ड ट्रंप सहित कई भारत विरोधी वैश्विक नेताओं को भारत के वश में कर दिखाया है, कईयों को बेनकाब भी किया हुआ है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसीको इस अल्पमत कार्यकाल में भी अपने या भारत पर हावी नहीं होने दिया है, जो किसीभी दशा में भारत के हितों को नुकसान पहुंचाने की सोच सकें। नरेंद्र मोदी सरकार ने भारत के संदर्भ में जो ऐतिहासिक निर्णय लिए हैं और लिए जा रहे हैं, क्या कांग्रेस सरकार या कांग्रेस की मनमोहन सरकार में ऐसे निर्णय लिए जा सके? सुप्रीमकोर्ट ने कल राहुल गांधी को लताड़ा हैकि वे सेना सहित कई मुद्दों पर सावधानी से बोलें, नहीं तो फिर कोर्ट अपना काम करेगा। आखिर राहुल गांधी को सुप्रीमकोर्ट की इस चेतावनी के क्या मायने हैं? सुप्रीमकोर्ट तक ने महसूस किया हैकि राहुल गांधी के बयान राष्ट्रभक्ति की सीमा में नहीं हैं। विश्लेषकों का समग्र अभिमत हैकि राहुल गांधी कहींभी कोईभी राजनीतिक या प्रशासनिक पात्रता नहीं रखते हैं, वह लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष जरूर हैं, दूसरे दलों के नेताओं की तो बात ही छोड़िए, जो एकदूसरे के नामपर ही सहमत नहीं होते। इस देशने कई दलों के झुंड जनता पार्टी की सरकार और कांग्रेस नीत यूपीए की सरकार भी देखी है, इन सरकारों में देश बहुत पीछे चला गया। क्या गारंटी हैकि भ्रष्टाचारियों के गठजोड़ों की ऐसी गैर भाजपाई सरकार देश को सुरक्षित और विकसित रख पाएगी? यद्यपि देशमें अब गठबंधन सरकार का दौर है, लेकिन हरएक गठबंधन देशकी एकता अखंडता और उसके आर्थिक विकास को सुनिश्चित रखने की जिम्मेदारी निभा पाएगा, इसके पहले हुए प्रयोगों की विफलता इसका प्रमाण हैं।
नरेंद्र मोदी की भाजपानीत एनडीए सरकार का यह लगातार तीसरा कामयाब कार्यकाल चल रहा है तो इसलिए क्योंकि भाजपा गठबंधन एनडीए की नरेंद्र मोदी सरकार देश की उम्मीदों के अनुसार चल रही है। माना जाता हैकि भारत की जनता में डोनाल्ड ट्रंप की भारत के मित्र के रूपमें एक अच्छी छवि बनी थी, लेकिन डोनाल्ड ट्रंप के नरेंद्र मोदी विरोधी और भाजपा विरोधी अभियान सामने आने से उन्होंने भारत की जनता की सहानुभूति खो दी है। जहांतक इंडी गठबंधन से मिलकर नरेंद्र मोदी को सत्ता से हटाने का प्रश्न है तो यह डोनाल्ड ट्रंप के वश की बात नहीं है, क्योंकि वह अमेरिका में अपने विरोधियों से ही नहीं निपट पा रहे हैं। अमरीका और दुनिया के प्रसिद्ध उद्योगपति सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स के मालिक और डोनाल्ड ट्रंप की दूसरी सरकार बनाने के मुख्य कारक रहे ऐलन मस्क, डोनाल्ड ट्रंप पर गंभीर आरोप लगाकर उनकी सरकार से अलग हो चुके हैं। डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों से खफा ऐलन मस्क उनका न केवल पूरी तरह साथ छोड़ चुके हैं, बल्कि यहभी कह रहे हैंकि वह कभी भी ट्रंप की सरकार गिरा सकते हैं। ऐसे में भारत के भ्रष्ट कांग्रेस नेता राहुल गांधी और इंडी गठबंधन के बूतेपर उनको शह देकर प्रचंड राजनेता और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का डोनाल्ड ट्रंप क्या बिगाड़ पाएंगे?
भारत के पड़ोसी और पाकिस्तान सदृश धुरविरोधी देश चीन का भी यहां जिक्र करना प्रासंगिक है, जो कभीभी भारत का मित्र नहीं हुआ और उसने हिंदी चीनी भाई-भाई की भारत से दोस्ती के नामपर पाखंडकर भारत की कमजोर कांग्रेस सरकारों का भरपूर लाभ उठाते हुए सदैव भारत की पीठ में छुरा घोंपा है और वैश्विक मंचों पर पाकिस्तान का समर्थन करता है। वह भी भारत का न कभी मित्र रहा और ना भविष्य में हो सकेगा। ऑपरेशन सिंदूर में भी चीन ने पाकिस्तान की भरपूर मदद की है, यह सच्चाई किसीसे छिपी नहीं है, लेकिन वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की आजकल पाकिस्तान से निकटता को चीन भी देखरहा है। पाकिस्तान ने अमेरिका से जो टैरिफ समझौता किया है, उसमें पाकिस्तान ने अपने यहां तेल और खनिज के भंडार बताए हैं, मगर वे तो बलूचिस्तान राज्य में हैं, जहां चीन पहले से अपना सीपैक बनाए बैठा है। सवाल ये हैकि पाकिस्तान ने डोनाल्ड ट्रंप को अपने किस तेल भंडार का सब्जबाग दिखाया है? पाकिस्तान ने क्या चीन से किनारा कर लिया है जो वह फिरसे अमेरिका की गोद में जा रहा है? चीन भी भारत में भाजपा की नरेंद्र मोदी सरकार को देखना नहीं चाहता, लेकिन वह डोनाल्ड ट्रंप और नरेंद्र मोदी में टकराव पर नज़र गड़ाए हुए है।
चीन भी नरेंद्र मोदी की प्रचंड रणनीतियों के सामने अपना भारत विरोधी एजेंडा चलाने में नाकाम है। मोदी और ट्रंप के हालिया टकराव में चीन को बड़ी राजनीतिक और कूटनीतिक राहत तो है, मगर चीन तबभी भारत पर कोई दुस्साहस करने की स्थिति में नहीं है, क्योंकि उसे पता हैकि रूस भारत केसाथ है, वह भारत का गहरा दोस्त है, जो नरेंद्र मोदी के रहते भारत के खिलाफ चीन कीभी किसीभी हरकत को बर्दाश्त नहीं करेगा, वैसेभी अब भारत वह भारत नहीं रहा है, जिसे चीन ने जब चाहा हड़काया धमकाया और नीचा दिखाया है। डोकलाम में नरेंद्र मोदी सरकार ने चीन के छक्के छुड़ाए, जिसे दुनिया जानती है और चीन भी यह कभी नहीं भूलेगा, भविष्य में भारत के खिलाफ उसका कोई बड़ा दुस्साहस तो छोड़िए। भारत और रूस की मित्रता आपरेशन सिंदूर में देखी ही गई है। देश की जनता को तबभी और आजभी रूस पर भरोसा है और भविष्य में भी रहेगा, जबकि अमेरिका न भारत का कभी दोस्त था ना है और ना ही रहेगा। जहांतक डोनाल्ड ट्रंप की नरेंद्र मोदी से दोस्ती और अब दुश्मनी का सवाल हैतो अमरीका के एक राष्ट्रपति ने अपनी आत्मकथा में लिखा हैकि अमरीका के राष्ट्रपति पद पर लोग आते जाते रहेंगे, लेकिन व्हाइट हाउस की नीति कभी नहीं बदलेगी, जोकि पहले अमरीका बाकी सब बादमें है और जिसके बारे में डोनाल्ड ट्रंप भी अक्सर बोला करते हैं, लेकिन भारत और उसके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आंख दिखाने, कभी कुछ और कभी कुछ कहने करने की उनकी फितरत अमरीका और उसके राष्ट्रपति पद की गरिमा को नुकसान तो पहुंचा ही रही है।
हां, भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपदस्थ कराने का उनका कोई भी प्रयास सफल नहीं हो सकेगा, यह तय है। डोनाल्ड ट्रंप को नहीं भूलना चाहिए कि उनकी हरपल की गतिविधियों और योजना पर भारत के अभिन्न दोस्त रूस और उसके राष्ट्रपति ब्लादिमिर पुतिन की पैनी नज़र है, जो डोनाल्ड ट्रंप की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ किसीभी साजिश को पलभर में विफल करने की क्षमता रखते हैं। इतिहास गवाह है, जिसमें जबभी अमरीका और पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ साजिशें रचीं और भारत पर हमले किए, रूस ने समय रहते भारत को एलर्ट किया और अमरीका पाकिस्तान की भारत के खिलाफ हथियारबंद साजिशों तकको विफल करने में अपनी भूमिका निभाई। नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में आजतो भारत दुनिया का एक शक्तिशाली देश बन चुका है। भारत के खिलाफ अमरीकी साजिश की एक बड़ी घटना यहां प्रासंगिक है-इंदिरा गांधी सरकार में भारत के पंजाब प्रांत को एक अलग देश खालिस्तान की मान्यता देने की अमरीका की साजिश हुई, जिसकी रूस ने प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को जानकारी दी, जिसके बाद इंदिरा गांधी को अपना पंजाब राज्य बचाने केलिए अमृतसर के पवित्र स्वर्ण मंदिर में ‘खालिस्तान सरकार’ चला रहे खालिस्तानियों पर ब्लूस्टार आपरेशन करना पड़ा था, जिससे पंजाब को एक अलग देश खालिस्तान घोषित करने और उसे तुरंत अमरीका द्वारा मान्यता देने की साजिश विफल की जा सकी थी, जिसके परिणामस्वरूप प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा था। डोनाल्ड ट्रंप को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ साजिश को अंजाम देते हुए सोचना होगा कि भारत का दोस्त रूस डोनाल्ड ट्रंप का सब कर्मकांड देख रहा है और नरेंद्र मोदी को हटाना उनके वश में नहीं है।