Monday 4 August 2025 03:23:16 PM
दिनेश शर्मा
नई दिल्ली। देश के प्रचंड राजनेता और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मौत का सौदागर कहना अब जिन्न बनकर उल्टे सोनिया गांधी परिवार की राजनीति पर ग्रहण बन गया है। राहुल गांधी और प्रियंका वाड्रा के भाजपा और नरेंद्र मोदी विरोधी अभियान और बयान उन्हें देश के विरुद्ध साजिश करार देकर उनकी एक केबाद एक राजनीतिक मुश्किलें बढ़ाते जा रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषक कह रहे हैंकि सोनिया गांधी परिवार पर देश का विश्वास बहुत कमजोर हो चुका है और कांग्रेस के सत्तर साल के पाप इस परिवार पर भारी पड़ रहे हैं, यही कारण हैकि कांग्रेस को बचाने के उनके तमाम प्रयास नाकाम हो रहे हैं। विश्लेषकों का यह भी कहना हैकि इस समय जो देश का मूड है, वह राहुल गांधी और कांग्रेस के विरुद्ध है। उनका कहना हैकि राहुल गांधी और प्रियंका गांधी अपने ही देश के खिलाफ ‘गढ़ी और कढ़ी’ भाषा बोल रहे हैं और जनमानस उनके भाषणों और आरोपों का जमकर परिहास कर रहा है। उन्होंने नरेंद्र मोदी के खिलाफ सब हथकंडे आजमाइश कर लिए हैं, लेकिन भाजपा और नरेंद्र मोदी कहीं से भी पकड़ में नहीं आ रहे हैं, बल्कि उनका और भाजपा का ग्राफ बढ़ता ही जा रहा है।
कांग्रेस अध्यक्ष एवं इंडी गठबंधन के संयोजक मल्लिकार्जुन खड़गे के नेतृत्व की तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा अवहेलना और आलोचना कोई यूं ही नहीं हो रही है। इंडी गठबंधन पूरी तरह विफल हो गया है, जिसका प्रमाण दिल्ली, हरियाणा और महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की दुर्गति है। लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस और सपा का वोटरों में साढ़े आठ हजार रूपये महीने का झांसा भाजपा और एनडीए का कोई खास नुकसान नहीं कर पाया। एनडीए-2 जैसे ऐतिहासिक फैसले आज भी हो रहे हैं। कांग्रेस और समाजवादी पार्टी में कुछ सीटें बढ़ जाने के बावजूद पहले जैसी ही छटपटाहट अभीभी दिख रही है। बिहार और पश्चिम बंगाल के चुनाव समाने हैं और कांग्रेस टीएमसी आरजेडी और सपा में संभावित पराजय की बौखलाहट अभी से देखी जा सकती है। अमेरिका और इंग्लैंड में भी राहुल गांधी का देश, नरेंद्र मोदी और भाजपा नीत एनडीए सरकार के खिलाफ देशद्रोह की मानिंद सुनियोजित अभियान पूरा देश समझ रहा है। भारत के जिस निर्वाचन आयोग की निष्पक्ष चुनाव प्रणाली, पारदर्शी चुनाव प्रक्रिया को दुनिया के कई लोकतांत्रिक देश फॉलो कर रहे हैं, उसकी प्रशंसा कर चुके हैं, उस भारत निर्वाचन आयोग पर कूटरचित आरोप लगाकर अखिलेश यादव, तेजस्वी यादव, ममता बनर्जी, राहुल गांधी देश-विदेश में बदनाम करते घूम रहे हैं।
राहुल गांधी के निर्वाचन आयोग पर ताजा हमले कि भारत निर्वाचन आयोग वोटों की चोरी करता है, निर्वाचन आयोग पर इस महाझूंठे आरोप ने राहुल गांधी और तेजस्वी यादव अखिलेश यादव को भी बैकफुट पर फेंक दिया है। नरेंद्र मोदी और भाजपा विरोधी अभियानों में लगातार मुंहकी खाते आ रहे अखिलेश यादव, तेजस्वी यादव, ममता बनर्जी, राहुल गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे नरेंद्र मोदी और भाजपा विरोधी लगभग सभी कार्ड खेल चुके हैं। पहलगाम नरसंहार और उसपर पाकिस्तान के खिलाफ भारतीय सेना के ऑपरेशन सिंदूर को भी इस टीम ने नहीं छोड़ा है और अब तो देश को ऐसा लग रहा हैकि इन नेताओं के नरेंद्र मोदी और भाजपा विरोधी अभियान देश विरोधी शक्तियां ही संचालित कर रही हैं, ये नेता तो केवल मोहरा हैं। पहलगाम नरसंहार पर देश जब नरेंद्र मोदी के साथ खड़ा है, तब ये देश विरोधी और सेना विरोधी ढपली बजा रहे हैं। मोदी सरकार ने कांग्रेस और विपक्ष की हंगामेदार मांग पर लोकसभा में देश के सबसे संवेदनशील मुद्दे ऑपरेशन सिंदूर पर बहस कराई, जिसमें उन्होंने सरकार के किसी भी कदम का विरोध करने का कोई भी मौका नहीं गंवाया। हद तो तब हुई जब समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने पहले लोकसभा में कहाकि पहलगाम नरसंहार के आरोपी कहां है और जब सरकार ने उन्हें बताया कि वे इनकाउंटर में मार दिए गए हैं तो अखिलेश यादव कहते हैंकि लोकसभा में ऑपरेशन सिंदूर पर बहस के दिन ही वे कैसे मार दिए गए? राहुल गांधी और अखिलेश यादव की इस सिंदूर पर राजनीति की काफी छीछालेदर हो रही है।
यूं तो लोकसभा हो या लोकसभा के बाहर राहुल गांधी प्रियंका गांधी या अखिलेश यादव नरेंद्र मोदी और भाजपा को विभिन्न मुद्दों पर घसीटने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं, मगर यहां एक ज्वलंत प्रश्न उनका जबरदस्त पीछा कर रहा हैकि जब उनके आरोपों में दम है तो जनता उनकी बात क्यों नहीं मान रही है और भारतीय जनता पार्टी या नरेंद्र मोदी देश की नज़र में लगातार भरोसेमंद बने हुए हैं और कांग्रेस, टीएमसी, सपा या आरजेडी एनडीए के सहयोगियों को भी भाजपा से अलग करने में क्यों विफल हैं? हाल के दिनों में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का भारत विरोधी अभियान देखने को मिला है, जिसमें नरेंद्र मोदी का लोकप्रिय नेतृत्व डोनाल्ड ट्रंप के मुख्य निशाने पर माना जाता है। इसमें भी कांग्रेस सपा तृणमूल कांग्रेस और दूसरे विपक्षी दल डोनाल्ड ट्रंप के साथ खड़े दिखाई दे रहे हैं। डोनाल्ड ट्रंप ने पहले सिंदूर ऑपरेशन पर सीजफायर का श्रेय लेने का विवाद खड़ा किया और अब उसने रूस से तेल लेने का विरोध करके भारत पर टैरिफ के बहाने नरेंद्र मोदी पर हल्ला बोला है। भारत के ये विपक्षी नेता इस मामले में भी देश विरोधी नेताओं के साथ हैं, लेकिन देश नरेंद्र मोदी और भाजपा सरकार के साथ खड़ा है। राष्ट्रीय मुद्दों पर राष्ट्र का साथ नहीं देने की कांग्रेस की फितरत कोई छिपी नहीं है। हद तो यह भी देखी गई हैकि जब भारत और चीन के बीच डोकलाम में सैन्य टकराव हो रहा था तो कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी चीन का साथ दे रहे थे। इसी प्रकार ऑपरेशन सिंदूर में कांग्रेस नेताओं ने पाकिस्तान का पक्ष लेकर सारी हदें पारकर रखी हैं।
देशके कई मुद्दे हैं, जिनपर कांग्रेस और सोनिया गांधी परिवार देशके सामने बेनकाब और शर्मसार हुआ है। कांग्रेस और सोनिया गांधी परिवार को देश की सत्ता से बाहर का रास्ता दिखाने वाले नरेंद्र मोदी से बदला लेने केलिए नरेंद्र मोदी के खिलाफ इनके ज़हरीले बयान आजतक नरेंद्र मोदी या भाजपा का भलेही कुछभी न बिगाड़ पाए हों, लेकिन देशके खराब आर्थिक सामाजिक तानेबाने और सांप्रदायिक सौहार्द ने जरूर बड़ी कीमत चुकाई है। इसमें मुलायम सिंह यादव, अखिलेश यादव और मायावती के राजनीतिक सामाजिक एजेंडे और उनकी सरकारों के फैसले शामिल हैं। कांग्रेस सोनिया गांधी परिवार का तो इतिहास हैकि वह सत्ता में हैंतो सब ठीक है और सत्ता से बाहर हैंतो देश उनके लिए कोई भी मायने नहीं रखता है। ‘मौत के सौदागर’ का ‘जिन्न’ आसानी से सोनिया परिवार का पीछा नहीं छोड़ रहा है, वह उल्टे उन्हीं का पीछा कर रहा है। याद है ना, गुजरात के मुख्यमंत्री रहते नरेंद्र मोदी को सोनिया गांधी ने ‘मौत का सौदागर’ कहा था। आखिर इसी ‘मौत के सौदागर’ और भाजपा को देशने अपने सरमाथे बैठाया है और कांग्रेस एवं सोनिया गांधी परिवार को बेनकाब कर ऐसे हालात में पहुंचा दिया हैकि अब देश की सत्ता में इसकी वापसी कभी भी संभव नहीं दिखती है।