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संघ प्रमुख मोहन भागवत के खिलाफ कांग्रेस साजिश

एटीएस के महबूब के खुलासे ने मालेगांव ब्लास्ट में कांग्रेस को फंसाया

मालेगांव ब्लास्ट में कोर्ट के फैसले से कांग्रेस सहित कईयों के होश उड़े

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Friday 1 August 2025 04:03:51 PM

rss chief mohan bhagwat (file photo)

मुंबई। मुंबई में एनआईए की विशेष अदालत ने 17 साल पहले हुए मालेगांव ब्लास्ट मामले पर फैसला सुनाया और नेशनल इंवेस्टिगेशन एजेंसी की जांच को बेनकाब करते हुए मालेगांव ब्लास्ट केस के सभी सात आरोपियों को बरी कर दिया। ये सात आरोपी हैं-साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर, रिटायर्ड मेजर रमेश उपाध्याय, लेफ्टिनेंट कर्नल श्रीकांत प्रसाद पुरोहित, समीर कुलकर्णी, सुधाकर धर द्विवेदी उर्फ दयानंद पांडेय, अजय रहीरकर और सुधाकर चतुर्वेदी। एनआईए कोर्ट के विशेष जज एके लाहोटी ने अपने एक हजार पेज के फैसले में कहा हैकि एनआईए आरोपों को साबित करने में विफल रही है, जिससे आरोपितों को दोषी नहीं ठहराया जा सकता। उल्लेखनीय हैकि 29 सितंबर 2008 को मालेगांव में यह ब्लास्ट हुआ था, जिसमें 6 लोग मारे गए थे, जबकि 101 घायल हुए थे। फैसला सुनाए जाने के समय प्रज्ञा सिंह ठाकुर कोर्ट में मौजूद थीं, जो अपने को बरी पाकर यह कहते हुए रोने लगींकि उसके 17 वर्ष और यातनाओं का क्या होगा, जिसमें एनआईए एजेंसी ने उसे तिल तिलकर मरने के कगार पर पहुंचाया। वैसी ही प्रतिक्रिया बाकी आरोपितों की थी। इस फैसले के बाद देशभर से प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। मुंबई में मालेगांव विस्फोट की जांच से जुड़े एटीएस के पूर्व अधिकारी महबूब मुजावर ने केस का फैसला आते ही इन साजिशों का खुलासा कर दिया है, जिससे सबसे ज्यादा सोनिया गांधी राहुल गांधी और कांग्रेस नेताओं केलिए गंभीर मुसीबतें खड़ी हो गई हैं।
विश्व हिंदू परिषद, स्वयंसेवक संघ, हिंदू संगठनों और भारतीय जनता पार्टी ने इस केस को कांग्रेस की साजिश कहा है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक्स पोस्ट पर कहा-'सत्यमेव जयते।' महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस ने इसे प्रज्ञा ठाकुर आदि के खिलाफ बड़ी साजिश बताया। महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने इसपर कांग्रेस के खिलाफ तीखी टिप्पणियां कीं। शिवसेना (उद्धव) उद्धव ठाकरे खामोश हैं और एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी फैसले पर भड़क रहे हैं और कांग्रेस सांसद विवेक कह रहे हैंकि अदालत का फैसला चौकाने वाला है। हनुमान गढ़ी अयोध्या के महंत राजूदास ने प्रज्ञा ठाकुर सहित सात लोगों को बरी करने के फैसले पर संतोष व्यक्त किया है। एनआईए अदालत का फैसला आने के बाद इस केस के पर्दे के पीछे छिपे चौंकाने वाले ख़तरनाक राज सामने आने शुरू हो गए हैं जिनमें तत्कालीन कांग्रेसी शासनकर्ताओं की भाजपा, हिंदू नेताओं और संघ प्रमुख मोहन भागवत को भगवा आतंकवाद के आपराधिक मुकद्में गढ़कर उन्हें जेल में सड़ा देने की प्लानिंग बनाई गई थी, जो उस समय के कुछ एटीएस अधिकारियों के इस योजना में शामिल होने के इनकार या असहयोग के कारण उतनी सफल नहीं हो सकी। पूर्व एटीएस अधिकारी महबूब मुजावर का दावा हैकि उसे 2008 के मालेगांव विस्फोट मामले में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत को गिरफ्तार करने का आदेश दिया गया था, लेकिन मैंने यह करने से मनाकर दिया था, उन्हें फंसाने में नाकाम रहने से मेरा सारा करियर बर्बाद हो गया।
महबूब मुजावर बार बार कह रहा हैकि उसे मोहन भागवत को अरेस्ट करने के ऑर्डर थे। उसने दावा किया हैकि मैने मोहन भागवत या दूसरों के बारेमें जो कुछ भी कहा और किया है, वह सब परमबीर सिंह और यहां तककि उच्च अधिकारियों के आदेश से किया था, उनके निर्देशों के अनुसार ही मामले की जांच में मेरी सहायता केलिए महाराष्ट्र से दस पुलिसकर्मियों को उपलब्ध कराया गया था, मुझे सेवा गुप्त निधि से धन दिया गया था और एटीएस ने आधिकारिक तौर पर मुझे एक रिवॉल्वर भी जारी किया था। गौरतलब हैकि मालेगांव ब्लास्ट में छह लोगों की मौत हुई थी, आरडीएक्स बरामद हुआ था, सत्रह साल बाद कोर्ट ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया है। यहां अब सवाल उठ रहा हैकि जब धमाका हुआ था, लोग मरे थे, सबूत भी मिले थे तो फिर यह हमला किसने किया? और इसमें असली दोषी कौन है? पूर्व एटीएस अधिकारी महबूब मुजावर ने ब्लास्ट मामले में फैसला आते ही क्यों मुंह खोला? इसपर भी जबरदस्त बहस छिड़ गई है। महबूब मुजावर कह रहा हैकि अधिकारियों की बात न मानने से उसका करियर बर्बाद हो गया तो उसने मुकद्में की सुनवाई के दौरान ही इस साजिश का पर्दाफाश क्यों नहीं किया? महबूब मुजावर को क्या यह अहसास थाकि मालेगांव ब्लास्ट में सबको सजा हो जाएगी, इसलिए वह चुप रहा? या यह बात हैकि फैसले के बाद जब मामले की बाल की खाल निकलेगी तो उसे सबसे पहले बली का बकरा बना दिया जाएगा और जितने अधिकारी हैं, वे मामले से पल्ला झाड़ लेंगे, जिनमें एक तो भाजपा का सांसद भी बन चुका है।
महबूब मुजावर आज जब मीडिया के सामने आया तो उसके चेहरे की हवाइयां उड़ी थीं और ऐसा लग रहा थाकि वह सबकुछ भंडाफोड़ कर किसी को यह मौका देना नहीं चाहता हैकि कोई उसके सर पर ठीकरा फोड़े। उसने मोहन भागवत के खिलाफ रची गई साजिश का खुलासा करके सोनिया गांधी परिवार को फंसा दिया है। सारे मीडिया का ध्यान मालेगांव ब्लास्ट केस के फैसले पर तो टिका ही हुआ है, लेकिन महबूब मुजावर ने जो उगला है, उसपर देश की जांच एजेंसियां सक्रिय हो गई हैं और महबूब मुजावर को लग रहा हैकि उसे अपने दावे को सिद्ध करने केलिए तलब किया जा सकता है, क्योंकि उसने देश को एक बड़ा मुद्दा दे दिया है, जिसकी जांच तो होनी ही होनी है। महबूब मुजावर केलिए यह मामला एक बहुत बड़ा खतरा भी था, क्योंकि उस समय के लोग उसे यहां फंसा देते और वह और उसका परिवार भी बर्बाद हो जाता। महबूब मुजावर के इस खुलासे से कई और भी कांग्रेसी नेता पकड़ में आ गए हैं और समाचार चैनलों पर उनकी चर्चाएं शुरू हो गई हैं। अब देखना हैकि मालेगांव ब्लास्ट का नया मोड़ किधर रुख करता है। इस आरोप से बरी हुए लेफ्टिनेंट कर्नल श्रीकांत प्रसाद पुरोहित ने कहा हैकि मैं भारतीय सेना, देश और उन सभीका बहुत आभारी हूं, जो हमारे साथ खड़े रहे, मैं न्यायपालिका का भी आभारी हूंकि उन्होंने इस मामले को समझा और हम सभी को न्याय दिया।
मध्य प्रदेश की पूर्व सीएम उमा भारती ने कहा हैकि मैं इतनी खुश हूंकि मैं शब्दों में बयां नहीं कर सकती, जब प्रज्ञा नासिक जेल में थीं, तब मुझे एक पुलिस अधिकारी से पता चला थाकि उन्हें बहुत प्रताड़ित किया गया था, मैं उनसे मिलने गई थी, जब कोई और नहीं जाता था, जब मैं उनसे मिली तो मैं रोईकि जिस तरह से उन्हें प्रताड़ित किया गया, उसे सहन करना किसी भी महिला के लिए बहुत मुश्किल है। उमा भारती ने कहाकि मैं पूछना चाहती हूंकि पी चिदंबरम, दिग्विजय सिंह, राहुल गांधी, वामपंथी, समाजवादी और कांग्रेस के नेताओं को क्या सजा मिलनी चाहिए, जिन्होंने भगवा आतंक शब्द को स्थापित करने की नाकाम कोशिश की? मैं कहती हूंकि इनके खिलाफ असाधारण कार्रवाई की जानी चाहिए। उन्होंने कहाकि कांग्रेस सरकार ने हिंदुओं को बदनाम करने और अपने वोट बैंक को खुश करने केलिए 'हिंदू आतंकवाद' जैसे घिनौने शब्द गढ़कर झूंठे आरोप में फंसाया था।

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