स्वतंत्र आवाज़
word map

प्रधानमंत्री को लता दीनानाथ मंगेशकर सम्मान

लताजी ने अपने गीतों से की देशभक्ति और राष्ट्रसेवा-प्रधानमंत्री

भारतरत्न लता मंगेशकर की स्मृति में मुंबई में पुरस्कार समारोह

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Monday 25 April 2022 04:19:18 PM

lata deenanath mangeshkar award to prime minister

मुंबई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मुंबई में मास्टर दीनानाथ मंगेशकर पुरस्कार समारोह में प्रथम लता दीनानाथ मंगेशकर पुरस्कार से सम्मानित किया गया। गौरतलब हैकि भारतरत्न लता मंगेशकर की स्मृति में स्थापित किया गया यह पुरस्कार प्रत्येक वर्ष सिर्फ एक व्यक्ति को राष्ट्रनिर्माण में अनुकरणीय योगदान केलिए दिया जाएगा। प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन की शुरुआत करते हुए कहाकि मुझे संगीत जैसे गहन विषय की बहुत जानकारी तो नहीं है, लेकिन सांस्कृतिक बोध से यह महसूस होता हैकि संगीत एक साधना और एक भावना भी है। उन्होंने कहाकि जो अव्यक्त को व्यक्त कर दे वो शब्द है, जो व्यक्त में ऊर्जा और चेतना का संचार कर दे वो नाद है, जो चेतन में भावों एवं भावनाओं को भरकर सृष्टि और संवेदनशीलता की पराकाष्ठा तक ले जाए वो संगीत है, संगीत आपको वीररस और मातृत्व स्नेह की अनुभूति करवा सकता है, यह राष्ट्रभक्ति और कर्तव्यबोध के शिखर पर पहुंचा सकता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि हमसब सौभाग्यशाली हैंकि हमने संगीत के इस सामर्थ्य और शक्ति को लता दीदी के रूपमें साक्षात देखा है। एक व्यक्तिगत टिप्पणी करते हुए नरेंद्र मोदी ने कहाकि मेरे लिए लता दीदी 'सुर साम्राज्ञी' होने के साथ-साथ मेरी बड़ी बहन भी थीं, पीढ़ियों को प्रेम और भावनाओं का उपहार देने वाली लता दीदीसे अपनी बहन जैसा प्यार पानेसे बड़ा सौभाग्य और क्या होगा। प्रधानमंत्री ने कहाकि वे आमतौर पर पुरस्कार लेते हुए बहुत सहज नहीं महसूस करते, लेकिन जब मंगेशकर परिवार लता दीदी जैसी बड़ी बहन का नाम लेता है और उनके नामपर पुरस्कार देता है तो यह उनके स्नेह और प्यार का प्रतीक बन जाता है। प्रधानमंत्री ने कहाकि मेरे लिए इसे ना कहना संभव नहीं है, मैं यह पुरस्कार सभी देशवासियों को समर्पित करता हूं। जिस तरह लता दीदी लोगों की थीं, वैसेही उनके नामपर मुझे दिया गया यह पुरस्कार भी लोगों का है। प्रधानमंत्री ने कई व्यक्तिगत किस्से सुनाए और सांस्कृतिक जगत में लता दीदी के असीम योगदान के बारेमें विस्तार से बताया। प्रधानमंत्री ने कहाकि लताजी की जीवन यात्रा ऐसे समय में पूरी हुई, जब हमारा देश अपनी आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। उन्होंने आजादी से पहले भारत को आवाज़ दी थी और देश की इन 75 वर्ष की यात्रा भी उनकी आवाज़ केसाथ जुड़ी रही।
प्रधानमंत्री ने मंगेशकर परिवार की राष्ट्रभक्ति के गुण के बारेमें चर्चा की। उन्होंने कहाकि संगीत के साथ-साथ राष्ट्रभक्ति की जो चेतना लता दीदी के भीतर थी, उसका स्रोत उनके पिताजी ही थे। नरेंद्र मोदी ने वह घटना सुनाई जब आजादी की लड़ाई के दौरान शिमला में ब्रिटिश वायसराय के एक कार्यक्रम में दीनानाथजी ने वीर सावरकर का लिखा एक गीत गाया था, यह गीत वीर सावरकर ने ब्रिटिश शासन को चुनौती देते हुए लिखा था। प्रधानमंत्री ने कहाकि देशभक्ति की यह भावना अपने परिवार को दीनानाथजी ने विरासत में दी थी, लताजी ने संगीत को अपनी पूजा बना लिया, लेकिन देशभक्ति और राष्ट्रसेवा को भी उनके गीतों से प्रेरणा मिली। लता दीदी के शानदार करियर का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहाकि लताजी 'एक भारत श्रेष्ठ भारत' की मधुर प्रस्तुति की तरह थीं, उन्होंने 30 से अधिक भाषाओं में हजारों गाने गाए, चाहे वह हिंदी, मराठी, संस्कृत या दूसरी भारतीय भाषाएं हों, उनका स्वर हर भाषामें एक जैसा घुला हुआ था। नरेंद्र मोदी ने कहाकि संस्कृति से आस्था, पूर्वसे पश्चिम, उत्तरसे दक्षिण लताजी के सुरों ने पूरे देश को एक करने का कार्य किया, वैश्विक स्तरपर भी वह भारत की सांस्कृतिक राजदूत थीं। प्रधानमंत्री ने कहाकि वह हर राज्य, हर क्षेत्र के लोगों के मन में बसी हुई हैं। उन्होंने दिखायाकि कैसे भारतीयता केसाथ संगीत अमर हो सकता है। प्रधानमंत्री ने मंगेशकर परिवार के परोपकारी कार्यों की भी चर्चा की।
प्रधानमंत्री ने कहाकि भारत केलिए विकास का मतलब सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास है। इस परियोजना में ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ के सभीके कल्याण के दर्शन को भी शामिल किया गया है। प्रधानमंत्री ने स्पष्ट कियाकि विकास की ऐसी अवधारणा सिर्फ भौतिक क्षमताओं से हासिल नहीं की जा सकती, इसके लिए आध्यात्मिक चेतना बेहद महत्वपूर्ण है, इसीलिए भारत योग, आयुर्वेद और पर्यावरण जैसे क्षेत्रों में नेतृत्व प्रदान कर रहा है। प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन को समाप्त करते हुए कहाकि मेरा मानना हैकि हमारा भारतीय संगीत भी भारत के इस योगदान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, आइए हम इस विरासत को उन्हीं मूल्यों केसाथ जीवित रखें तथा इसे आगे बढ़ाएं और इसे वैश्विक शांति का एक माध्यम बनाएं। इस अवसर पर महाराष्ट्र के राज्यपाल भगतसिंह कोश्यारी, महाराष्ट्र विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष देवेंद्र फड़नवीस, महाराष्ट्र सरकार में मंत्री सुभाष देसाई, ऊषा, आशा, आदिनाथ मंगेशकर, मास्टर दीनानाथ स्मृति प्रतिष्ठान के सदस्य, संगीत और कला जगत के प्रेमी बड़ी संख्या में उपस्थित थे। हृदयनाथ मंगेशकर को भी आना था, लेकिन तबीयत ठीक नहीं होने की वजह से वे समारोह में नहीं आ पाए।

हिन्दी या अंग्रेजी [भाषा बदलने के लिए प्रेस F12]