 
   
    उत्तर-पूर्व नए भारत के विकास का ड्राइविंग फोर्स-केंद्रीय गृहमंत्री
उत्तर-पूर्व नए भारत के विकास का ड्राइविंग फोर्स-केंद्रीय गृहमंत्री अंतरराज्यीय सीमा विवाद में छह क्षेत्रों के बड़े विवाद निपटाए गए
अंतरराज्यीय सीमा विवाद में छह क्षेत्रों के बड़े विवाद निपटाए गएस्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Wednesday 30 March 2022 02:15:59 PM
 
                          
 
 नई दिल्ली। असम और मेघालय का अंतर्राज्यीय सीमा विवाद आखिर समाप्त हो गया। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के सामने असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा और मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड के संगमा ने असम और मेघालय राज्यों केबीच पचास साल से जारी अंतर्राज्यीय सीमा विवाद के कुल बारह क्षेत्रों में से छह क्षेत्रों के विवाद सुलझाते हुए एक ऐतिहासिक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। गृहमंत्री ने इस अवसर पर कहाकि विवादमुक्त नॉर्थईस्ट केलिए यह ऐतिहासिक दिन है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शांतिपूर्ण एवं समृद्ध पूर्वोत्तर के विजन की पूर्ति की दिशा में एक मील का पत्थर है। गृहमंत्री ने कहाकि हमारा अष्टलक्ष्मी उत्तर-पूर्व न सिर्फ नए भारत की विकासयात्रा में शामिल होगा, बल्कि इसकी ड्राइविंग फोर्स भी बनेगा। उन्होंने कहाकि जबतक राज्यों के आपसी विवाद नहीं सुलझते और उग्रवादी संगठन हथियार डालकर मुख्यधारा से नहीं जुड़ते तबतक नार्थईस्ट का विकास संभव नहीं है।
गृहमंत्री अमित शाह ने कहाकि असम एवं मेघालय में समझौते से दोनों राज्यों के बीच लगभग 70 प्रतिशत सीमा विवादमुक्त हो गई है। अमित शाह ने कहाकि 2014 में जब नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने तबसे उन्होंने नॉर्थईस्ट की शांति प्रक्रिया, विकास, समृद्धि और सांस्कृतिक धरोहर के संवर्धन केलिए अनेक प्रयास किए हैं, जिसके हम सभी साक्षी हैं। अमित शाह ने कहाकि 2019 से 2022 तकका ये सफ़र एक बहुत बड़ा माइलस्टोन हासिल करने में सफल रहा है। अमित शाह ने कहाकि पिछले तीन वर्ष के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार ने उग्रवाद को समाप्त करने और पूर्वोत्तर के राज्यों में स्थायी शांति केलिए कई समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं। उन्होंने कहाकि त्रिपुरा में उग्रवादियों को समाज की मुख्यधारा में लाने केलिए अगस्त 2019 में एनएलएफटी (एसडी) समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे, जिसने त्रिपुरा को एक शांत राज्य बनाने में बहुत बड़ा योगदान दिया है, फिर 23 साल पुराने ब्रू-रियांग शरणार्थी संकट को हमेशा केलिए हल करने केलिए 16 जनवरी 2020 को समझौते पर हस्ताक्षर किए गए, जिसमें 37,000 से ज़्यादा आदिवासी जो कठिन जीवन जी रहे थे, वो आज सम्मानपूर्वक जीवन जी रहे हैं। 
गृहमंत्री अमित शाह ने कहाकि इसी प्रकार 27 जनवरी 2020 को हस्ताक्षरित बोडो समझौता किया गया, जिसमें असम के मूलस्वरूप को बनाए रखते हुए 50 साल पुराने बोडो मुद्दे को हल किया। उन्होंने कहाकि असम और भारत सरकार ने इस समझौते की 95 प्रतिशत शर्तों को पूरा कर लिया है, आज बोडोलैंड एक शांत क्षेत्र के रूपमें जाना जाता है और विकास के रास्ते पर अग्रसर है। अमित शाह ने कहाकि 4 सितंबर 2021 को असम के कार्बी क्षेत्रों में लंबे समय से चले आ रहे विवाद को हल करने केलिए कार्बी-आंगलोंग समझौते पर हस्ताक्षर किए गए, इसके अंतर्गत लगभग 1000 से अधिक हथियारबंद कैडर आत्मसमर्पण कर मुख्यधारा में शामिल हुए हैं। गृहमंत्री ने दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों और अधिकारियों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्र सरकार की तरफ़ से धन्यवाद दिया। गृहमंत्री ने कहाकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शांत और समृद्ध उत्तरपूर्व के स्वप्न को साकार करने केलिए आज़ादी के अमृत महोत्सव वर्ष में प्रयास करने चाहिएं। उन्होंने कहाकि 2019 से 2022 तक 6900 से ज़्यादा हथियारबंद कैडर ने आत्मसमर्पण किया और लगभग 4800 से ज़्यादा हथियार प्रशासन के सामने सरेंडर किए गए, यह एक बहुत बड़ी उपलब्धि है। उन्होंने कहाकि नारकोटिक्स, बाढ़ और घुसपैठिए जैसे मोर्चों पर समयबद्ध तरीक़े से भारत सरकार और नॉर्थईस्ट की सरकारें आगे बढ़ रही हैं। 
अमित शाह ने कहाकि उन्हें पूरा भरोसा हैकि असम और मेघालय के मुख्यमंत्रियों ने जिस दृढ़ राजनीतिक इच्छाशक्ति का परिचय दिया है, उसी प्रकार सभी राज्यों केसाथ चर्चा करके हम उत्तरपूर्व को विवादमुक्त बनाएंगे। असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा और मेघालय के मुख्यमंत्री कॉनराड संगमा ने दशकों से लंबित समस्या का समाधान करवाने केलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह का आभार व्यक्त किया। गृहमंत्री अमित शाह ने कहाकि भारत सरकार का लगातार यह दृष्टिकोण रहा है कि अंतर्राज्यीय सीमा संबंधी मुद्दों को केवल सम्बंधित राज्य सरकारों के सहयोग से सुलझाया जा सकता है और केंद्र सरकार सीमा मुद्दे का सौहार्दपूर्ण समाधान परस्पर सामंजस्य और तालमेल की भावना से करने केलिए सुविधा प्रदाता के रूपमें कार्य करती है। उन्होंने कहाकि इस समझौते से क्षेत्र में रहने वाले लोगों को लाभ होगा, क्योंकि दूरगामी शांति सुनिश्चित होगी और विकास को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने कहाकि यह समझौता सहकारी संघवाद का उदाहरण है और राज्यों केबीच अन्य सीमा विवादों के समाधान केलिए एक रोडमैप प्रदान करेगा। इस अवसर पर केंद्रीय गृह मंत्रालय, असम सरकार और मेघालय सरकार के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।