भारत व श्रीलंका के साझा और मजबूत लोकतांत्रिक मूल्य-नरेंद्र मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंहिदा राजपक्षे को भेजी विजय पर बधाईस्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Friday 7 August 2020 06:10:39 PM
नई दिल्ली/ कोलंबो। श्रीलंका और दुनिया के सर्वाधिक शक्तिशाली अलगाववादी विघटनकारी विध्वंसकों में एक एलटीटीई और उसके प्रमुख वी प्रभाकरन का अपने प्रधानमंत्रित्वकाल में समूल नष्ट कर देने वाले मंहिदा राजपक्षे श्रीलंका में पुनः बहुमत से संसदीय चुनाव जीत गए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्रीलंका के प्रधानमंत्री मंहिदा राजपक्षे को फोन करके संसदीय चुनाव में उनकी जीत पर बधाई और शुभकामनाएं प्रेषित की हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोविड-19 महामारी से उत्पन्न बाधाओं के बावजूद प्रभावी तरीके से चुनाव आयोजित करने के लिए श्रीलंका की सरकार और वहां के चुनावी संस्थानों की सराहना की। उन्होंने चुनाव में पूरे उत्साह के साथ भाग लेने के लिए श्रीलंका के नागरिकों की भी सराहना की और कहा कि इससे भारत और श्रीलंका के साझा एवं मजबूत लोकतांत्रिक मूल्य परिलक्षित होते हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि श्रीलंका के चुनाव में श्रीलंका पोदुजाना पेरमुना (एसएलपीपी) पार्टी ने शानदार प्रदर्शन किया है। उन्होंने अपनी पहले की सौहार्दपूर्ण और सकारात्मक मुलाकात को याद करते हुए भारत-श्रीलंका के बीच अरसे से चले आ रहे बहुआयामी संबंधों को मजबूत करने की साझा प्रतिबद्धता दोहराई है। नरेंद्र मोदी ने द्विपक्षीय सहयोग के सभी क्षेत्रों में शीघ्र प्रगति के महत्व पर भी बल दिया। प्रधानमंत्री ने मंहिदा राजपक्षे को भारत के बौद्ध तीर्थस्थल कुशीनगर में एक अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा बनाए जाने की भी जानकारी दी और कहा कि कुशीनगर श्रीलंका से पर्यटकों के अपने यहां आगमन की उम्मीद करता है। दोनों नेताओं ने कोविड महामारी से उत्पन्न चुनौतियों का समाधान करने और द्विपक्षीय संबंधों को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए निकट संपर्क बनाए रखने पर सहमति व्यक्त की।
गौरतलब है कि एलटीटीई (लिट्टे) एक तमिल अलगाववादी संगठन है, जो औपचारिक रूपसे श्रीलंका के उत्तरी श्रीलंका भूभाग में सक्रिय है। इसे विश्व में एक प्रमुख आतंकवादी और उग्रवादी संगठन के रूपमें भी जाना जाता है। लिट्टे श्रीलंका के उत्तरी और उत्तरपूर्वी क्षेत्रों में तीन दशक से अधिक समय से हिंसक एवं सशस्त्र रूपसे सक्रिय था। लिट्टे की स्थापना वेलुपिल्लई प्रभाकरण ने की थी, जो भारत के तमिलनाडु प्रांत का रहने वाला था और महिंदा राजपक्षे की सरकार में श्रीलंका सेना के साथ भीषण सशस्त्र संघर्ष में अपने हजारों सशस्त्र लड़ाकों के साथ मारा जा चुका है। लिट्टे पर भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की आत्मघाती हमले में हत्या का भी आरोप सिद्ध हो चुका है। श्रीलंका का जाफना शहर लिट्टे का गढ़ माना जाता रहा है।
श्रीलंका में केवल महिंदा राजपक्षे को ही एलटीटीई के खात्मे का श्रेय जाता है और इसबार महिंदा राजपक्षे को प्रचंड जीत हासिल होने से एलटीटीई को बड़ा धक्का पहुंचा है, क्योंकि महिंदा राजपक्षे उसकी किसी भी गतिविधि को फिरसे कुचल देंगे। लिट्टे को एक समय दुनिया के सबसे ताकतवर गुरिल्ला लड़ाकों में गिना जाता था। लिट्टे पर कई श्रीलंकाई राजनीतिक हस्तियों राष्ट्रपति प्रेमदासा रनसिंघे और श्रीलंका के सैन्याधिकारियों को मारने का आरोप है। भारत सहित कई देशों में यह एक प्रतिबंधित संगठन है। लिट्टे का सपना उत्तर और पूर्वी श्रीलंका में एक स्वतंत्र तमिल देश की स्थापना था। एक समय ऐसा भी आया जब लिट्टे ने अपने स्वतंत्र तमिल देश की कल्पना में भारत के तमिलनाडु राज्य को भी शामिल किया था, जिससे उसने संपूर्ण भारत की जनता को भी अपने विरोध में कर लिया और भारत के तमिलनाडु राज्य को मिलाकर स्वतंत्र तमिल ईलम राष्ट्र का सपना देखना उसके लिए घातक सिद्ध हुआ। लिट्टे प्रमुख वेलुपिल्लई प्रभाकरण का हस्र यह हुआ है कि जब वह मारा गया तो कहते हैं कि श्रीलंका सेना के ज़िंदा हाथ लगे उसके बारह वर्षीय पुत्र को भी बाद में श्रीलंका सेना ने इसलिए मार गिराया ताकि वह आगे चलकर श्रीलंका के लिए दूसरा वेलुपिल्लई प्रभाकरण न बन पाए।
श्रीलंका सरकार और लिट्टे के बीच लगभग 25 साल तक चले भीषण सशस्त्र संघर्ष में दोनों ओर से बड़ी संख्या में लोग मारे गए। यह संघर्ष द्वीपीय राष्ट्र की अर्थव्यवस्था और पर्यावरण के लिए बड़ा घातक सिद्ध हुआ है। लिट्टे की युद्ध नीतियों के कारण 32 देशों ने इसे आतंकवादी गुटों की श्रेणी में रखा हुआ है जिनमें भारत, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, यूरोपीय संघ के बहुत से सदस्य राष्ट्र एवं और भी कई देश हैं। लिट्टे ने 23 जुलाई 1983 में जाफना के बाहर श्रीलंका सेना टुकड़ी के परिवहन पर अपना पहला बड़ा हमला किया था, जिसमें 13 श्रीलंकाई सैनिक मारे गए थे, इसके बाद तमिलों के कई युवा उग्रवादी गुट लिट्टे में शामिल हुए, ताकि वे श्रीलंका सरकार से लड़ सकें। इसे श्रीलंका में तमिल उग्रवाद की शुरुआत माना जाता है। लिट्टे को महिंदा राजपक्षे की पूर्व की सरकारें डिगा नहीं पाईं, लेकिन जब महिंदा राजपक्षे की सरकार आई तो उसने लिट्टे के खिलाफ निर्णायक सैनिक कार्रवाई की और लिट्टे का सफाया कर दिया तबसे श्रीलंका में शांति है। महिंदा राजपक्षे की पुनः सरकार आ गई है, लिहाजा लिट्टे के लिए अब पुनः वैसी ही निराशाजनक स्थिति बन गई है।