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नई इस्‍पात नीति का अभी कुछ पता नहीं

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Monday 26 August 2013 09:20:37 AM

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नई दिल्‍ली। इस्‍पात मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा ने लोकसभा में बताया कि नई इस्‍पात नीति के मामले में विभिन्‍न स्‍टेक होल्‍डरों और विभिन्‍न मंत्रालयों, विभागों के साथ विचार-विमर्श किया जाना निहित है, इसलिए इस स्थिति में यह इंगित करना मुश्किल होगा कि नई इस्‍पात नीति को कब तक अंतिम रूप दिया जाएगा।इस्‍पात क्षेत्र समेत निर्माण क्षेत्र में 1000 करोड़ रूपए या इससे अधिक के निवेशों में विलंब करने वाले मामलों पर निर्णय, विभिन्‍न स्‍वीकृतियों पर तेजी लाने के लिए मंत्रिमंडल सचिवलय के अंतर्गत एक परियोजना निगरानी समूह (पीएमजी) का गठन किया गया है।
उन्‍होंने बताया कि प्रधानमंत्री की अध्‍यक्षता वाली उच्‍च स्‍तरीय निर्माण समिति (एचएलसीएम) ने भारत सरकार, राज्‍य, केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम (सीपीएसई) के स्‍वामित्‍व वाले अभिज्ञात स्‍थलों हेतु परियोजना विशेष स्‍पेशल परपज व्‍हीकल्‍स (एसपीवीएस) बनाने के दृष्टिकोण को अनुमोदन प्रदान कर दिया है। स्‍पेशल पर्पज व्‍हीकल (एवपीवी) का सृजन भूमि अधिगृहित करने, आवश्‍यक अनुमोदन एवं स्‍वीकृतियों को प्राप्‍त करने तथा पानी व कच्‍ची सामग्री सुनिश्चित करने के लिए किया जाएगा। निवेशकों को पारदर्शी तरीके में एक बोली प्रक्रिया के माध्‍यम से इन स्‍पेशल पर्पज व्‍हीकल्‍स (एसपीवीएस) की पेशकश की जाएगी।
इस्‍पात मंत्री ने बताया कि इस्‍पात मंत्रालय के अधीन सार्वजनिक क्षेत्र की दोनों कंपनियां स्‍टील आथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) और राष्‍ट्रीय इस्‍पात निगम लिमिटेड (आरआईएनएल) अपने ग्रामीण वितरण नेटवर्क का विस्‍तार करके और ग्रामीण कारीगरों, शिल्‍पकारों बिल्‍डरों, इंजीनियर हेतु ग्रामीण डीलर की आवश्यकताओं पर कार्यशालाएं आयोजित करके तथा प्रचार अभियानों के जरिए अपनी बिक्री एवं निष्‍पादन बढ़ाने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में खुदरा ग्राहकों पर जोर प्रदान कर रहे हैं। उन्‍होंने बताया कि इस्‍पात नियंत्रण मुक्‍त क्षेत्र है और इस प्रकार इस्‍पात संयंत्रों की स्‍थापना हेतु किसी अनुमाति, लाइसेंस की आवश्‍यकता नहीं है।

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