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आईएनएस विक्रांत पर प्रधानमंत्री की भव्य दिवाली

'भारत की कड़ी मेहनत, प्रतिभा और प्रतिबद्धता का प्रमाण है विक्रांत'

नौसेना योद्धा आईएनएस विक्रांत भारतवर्ष का गौरव है-नरेंद्र मोदी

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Tuesday 21 October 2025 01:06:04 PM

prime minister celebrates grand diwali onboard ins vikrant

कोच्चि। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नौसेना योद्धा आईएनएस विक्रांत पर सैनिकों केसाथ भव्य दिवाली मनाई और विक्रांत से 140 करोड़ देशवासियों को दिवाली की शुभकामनाएं और बधाई दी। उन्होंने कहाकि आईएनएस विक्रांत भारतवर्ष का गौरव है, यह स्वदेशी टेक्नोलॉजी से बना भारत का सबसे बड़ा युद्धपोत है। उन्होंने कहाकि एक ओर विशाल महासागर है तो दूसरी ओर भारत माता के वीर सैनिकों की अपार शक्ति है। उन्होंने कहाकि जहां एक ओर अनंत क्षितिज और असीम आकाश है, वहीं दूसरी ओर आईएनएस विक्रांत की असीम शक्ति है। प्रधानमंत्री ने कहाकि समुद्र पर सूर्य की रोशनी की चमक दीपावली पर वीर सैनिकों के जलाए गए दीपों की तरह है, जो दीपों की एक दिव्य माला बनाती है। उन्होंने आईएनएस विक्रांत पर बिताई अपनी रात को याद करते हुए कहाकि इस अनुभव को शब्दों में व्यक्त करना मुश्किल है, समुद्र में गहरी रात और सूर्योदय ने इस दिवाली को कई मायनों में यादगार बना दिया।
नौसेना योद्धा आईएनएस विक्रांत को राष्ट्र को सौंपे जाने के क्षण को याद करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि जिस दिन राष्ट्र को स्वदेश निर्मित आईएनएस विक्रांत प्राप्त हुआ, उसी दिन भारतीय नौसेना ने औपनिवेशिक विरासत के प्रतीक का त्यागकर छत्रपति शिवाजी महाराज से प्रेरित नया नौसेना ध्वज अपनाया था। प्रधानमंत्री ने कहाकि आईएनएस विक्रांत आत्मनिर्भर भारत और मेड इन इंडिया का एक सशक्त प्रतीक है, स्वदेशी आईएनएस विक्रांत समुद्र को चीरता हुआ भारत की सैन्य शक्ति को दर्शाता है। उन्होंने याद दिलायाकि कुछ महीने पहले ही विक्रांत के सिर्फ नाम ने ही पाकिस्तान की नींद उड़ा दी थी। प्रधानमंत्री ने कहाकि आईएनएस विक्रांत एक ऐसा युद्धपोत है, जिसका नाम ही दुश्मन के दुस्साहस का अंत करने केलिए पर्याप्त है। नरेंद्र मोदी ने जिक्र कियाकि आईएनएस विक्रांत पर सांस्कृतिक कार्यक्रम अविस्मरणीय रहेगा, हमारे नौसैनिक प्रतिभाशाली और पराक्रमी होने केसाथ-साथ बहुत क्रिएटिव भी हैं, उनका गीत 'कसम सिंदूर की' मेरी स्मृतियों में सदा बसा रहेगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय सशस्त्र बलों का विशेष अभिनंदन किया और कहाकि भारतीय नौसेना का भय, वायुसेना का असाधारण कौशल, थलसेना की वीरता और तीनों सेनाओं केबीच असाधारण समन्वय ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान को शीघ्र आत्मसमर्पण करने पर मजबूरकर दिया था। उन्होंने कहाकि इसमें शामिल सभी सैन्यकर्मी बधाई के पात्र हैं। नरेंद्र मोदी ने कहाकि जब दुश्मन सामने हो और युद्ध आसन्न हो तो जिस पक्ष केपास स्वतंत्र रूपसे लड़ने की ताकत होती है, उसे हमेशा फायदा होता है। उन्होंने कहाकि सशस्त्र बलों को मज़बूत बनाने केलिए आत्मनिर्भरता ज़रूरी है। प्रधानमंत्री ने गर्व व्यक्त कियाकि पिछले एक दशक में भारत की सेनाएं आत्मनिर्भरता की ओर लगातार आगे बढ़ी हैं। उन्होंने कहाकि सशस्त्र बलों ने हज़ारों ऐसी वस्तुओं की पहचान की है, जिनका अब आयात नहीं किया जाएगा, इसके परिणामस्वरूप अधिकांश सैन्य उपकरण घरेलू स्तरपर निर्मित हो रहे हैं। उन्होंने कहाकि 11 वर्ष में भारत का रक्षा उत्पादन 1.5 लाख करोड़ रुपये को पारकर गया है, 2014 से अबतक भारतीय शिपयार्ड ने नौसेना को 40 से ज़्यादा स्वदेशी युद्धपोत और पनडुब्बियां प्रदान की हैं। उन्होंने कहाकि वर्तमान में औसतन हर 40 दिन में एक नया स्वदेशी युद्धपोत या पनडुब्बी नौसेना में शामिल हो रही है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि ऑपरेशन सिंदूर में ब्रह्मोस और आकाश जैसी मिसाइलों ने अपनी अभूतपूर्व क्षमता साबित की है, दुनियाभर के कई देशों ने अब इन मिसाइलों को खरीदने की रुचि व्यक्त की है। उन्होंने कहाकि भारत तीनों सेनाओं केलिए हथियारों और उपकरणों के निर्यात की क्षमता का निर्माण कर रहा है, इसका लक्ष्य दुनिया के शीर्ष रक्षा निर्यातकों में शामिल होना है। उन्होंने कहाकि एक दशक में भारत के रक्षा निर्यात में 30 गुनी से ज़्यादा वृद्धि हुई है, इसका श्रेय रक्षा स्टार्टअप्स और स्वदेशी रक्षा इकाइयों को है। प्रधानमंत्री ने कहाकि आजकी दुनिया में जहां राष्ट्रों की अर्थव्यवस्थाएं और प्रगति समुद्री मार्गों पर बहुत अधिक निर्भर करती हैं, भारतीय नौसेना वैश्विक स्थिरता सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। नरेंद्र मोदी ने कहाकि दुनिया की 66 प्रतिशत तेल आपूर्ति और 50 प्रतिशत कंटेनर शिपमेंट हिंद महासागर से होकर गुजरते हैं। उन्होंने कहाकि भारतीय नौसेना इन मार्गों की सुरक्षा केलिए हिंद महासागर के संरक्षक के रूपमें तैनात है, इसके अतिरिक्त मिशन आधारित तैनाती, समुद्री डकैती रोधी गश्त और मानवीय सहायता अभियानों से भारतीय नौसेना पूरे क्षेत्रमें एक वैश्विक सुरक्षा भागीदार के रूपमें कार्य करती है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उल्लेख कियाकि भारतीय नौसेना ने देश के द्वीपों की सुरक्षा और अखंडता सुनिश्चित की है। उन्होंने कुछ समय पहले 26 जनवरी को देश के प्रत्येक द्वीप पर राष्ट्रीय ध्वज फहराने के निर्णय को याद किया। उन्होंने कहाकि नौसेना ने इस संकल्प को पूरा किया और प्रत्येक भारतीय द्वीप पर गर्व से तिरंगा फहराया। प्रधानमंत्री ने कहाकि भारत 'महासागर समुद्री विजन' पर काम कर रहा है और कई देशों के विकास में भागीदार भी है। उन्होंने कहाकि जबभी ज़रूरत पड़ी है भारत दुनिया में कहीं भी मानवीय सहायता देने केलिए तैयार रहा है, अफ्रीका से दक्षिण पूर्व एशिया तक आपदा के समय दुनिया भारत को एक वैश्विक साथी के रूपमें देखती है। नरेंद्र मोदी ने याद दिलायाकि 2014 में जब पड़ोसी मालदीव को जल संकट का सामना करना पड़ा तो भारत ने 'ऑपरेशन नीर' शुरू किया और नौसेना ने स्वच्छ जल पहुंचाया। उन्होंने कहाकि 2017 में जब श्रीलंका विनाशकारी बाढ़ से जूझ रहा था तो भारत ने सबसे पहले मदद का हाथ बढ़ाया, वर्ष 2018 में इंडोनेशिया में सुनामी केबाद भारत राहत और बचाव कार्यों में इंडोनेशिया के लोगों केसाथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा रहा। इसी तरह चाहे वह म्यांमार में भूकंप से हुई तबाही हो या 2019 में मोज़ाम्बिक और 2020 में मेडागास्कर में संकट भारत सेवा भावना केसाथ हर जगह पहुंचा है।
नरेंद्र मोदी ने कहाकि भारतीय सशस्त्र बलों ने समय-समय पर विदेशों में फंसे लोगों को सुरक्षित निकालने केलिए कई अभियान चलाए हैं, यमन से लेकर सूडान तक उनके पराक्रम और साहस ने दुनियाभर में रहनेवाले भारतीयों के विश्वास को और मज़बूत किया है। उन्होंने कहाकि नौसेना समुद्री सीमाओं और व्यापारिक हितों की रक्षा केलिए समुद्र में तैनात है, जबकि वायुसेना आसमान की सुरक्षा केलिए प्रतिबद्ध है, ज़मीन, तपते रेगिस्तान से बर्फीले ग्लेशियरों तक थलसेना बीएसएफ और आईटीबीपी के जवानों केसाथ चट्टान की तरह अडिग खड़ी है। उन्होंने कहाकि विभिन्न मोर्चों पर एसएसबी, असम राइफल्स, सीआरपीएफ, सीआईएसएफ और खुफिया एजेंसियों के योद्धा भारत माता की लगातार सेवा कर रहे हैं। प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय रक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका केलिए भारतीय तटरक्षक बल की भी सराहना की और भारत के समुद्र तटों की दिनरात सुरक्षा केलिए नौसेना केसाथ उनके निरंतर समन्वय का उल्लेख किया। उन्होंने कहाकि राष्ट्रीय सुरक्षा के महान अभियान में उनका योगदान बहुत अधिक है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र की गति, प्रगति, परिवर्तन और बढ़ते विकास एवं आत्मविश्वास पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहाकि राष्ट्र निर्माण के भव्य कार्य में सशस्त्र सुरक्षाबलों की उल्लेखनीय भूमिका है। नरेंद्र मोदी ने कहाकि सेनाएं केवल धारा के अनुगामी नहीं हैं, उनमें धारा को दिशा देने की क्षमता है, समय का नेतृत्व करने का साहस है, अनंत को पार करने की शक्ति है और दुर्गम को पार करने की भावना है। उन्होंने कहाकि जिन पर्वत शिखरों पर हमारे सैनिक अडिग खड़े हैं, वे भारत के विजय स्तंभ बने रहेंगे और समुद्र के नीचे की विशाल लहरें भारत की विजय को प्रतिध्वनित करती रहेंगी, इस गर्जना केबीच एकही स्वर उठेगा 'भारत माता की जय!' इसी उत्साह और दृढ़ विश्वास केसाथ प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन का समापन किया।

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