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भगोड़ों के प्रत्यर्पण केलिए सीबीआई प्रशंसा की पात्र!

भगोड़े अपराधियों के मन में देश के कानून का डर होना चाहिए-अमित शाह

सीबीआई का भगोड़ों के प्रत्यर्पण: चुनौतियां और रणनीतियां सम्मेलन हुआ

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Thursday 16 October 2025 05:16:03 PM

cbi deserves praise for extraditing fugitives!

नई दिल्ली। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने सीबीआई के ‘भगोड़ों के प्रत्यर्पण: चुनौतियां और रणनीतियां’ विषय पर सीबीआई मुख्यालय दिल्ली में हुए सम्मेलन में कहाकि सीबीआई ने भगोड़े अपराधियों के प्रत्यर्पण तंत्र को और ज्यादा सशक्त व पुख़्ता बनाया है और इसके लिए संस्था बधाई की पात्र है। अमित शाह ने कहाकि हम सबका यह संकल्प होना चाहिएकि अपराधी की चाल कितनीभी तेज़ हो, न्याय की पहुंच उससे भी अधिक गतिवान होनी चहिए। उन्होंने कहाकि भारत विश्व में आत्मविश्वास केसाथ आगे बढ़ रहा है, ऐसे में देश की सुरक्षा के सभी आयामों को सुनिश्चित करना बेहद ज़रूरी हो जाता है, देश में भ्रष्टाचार, अपराध और आतंकवाद के खिलाफ ज़ीरो टॉलरेंस रखते हुए देश की सरहदों से बाहर रहकर इन गतिविधियों को चलाने वालों के खिलाफ भी ज़ीरो टॉलरेंस रखें। गृहमंत्री ने कहाकि ऐसे सभी अपराधियों को भारतीय कानूनों के दायरे में लाने की ज़िम्मेदारी हमारी है। उन्होंने कहाकि यह सम्मेलन भारतपोल और नए आपराधिक कानूनों में उपलब्ध प्रावधानों केसाथ किसीभी भगोड़े अपराधी को भारतीय अदालत में पेश करने में सक्षम बनने का एक संगठित प्रयास है।
गृहमंत्री अमित शाह ने कहाकि सम्मेलन का विषय बेहद गंभीर और प्रासंगिक है, राष्ट्रीय सुरक्षा, देश की आर्थिक समृद्धि और नीतिगत जटिलता से मुक्ति पाने केलिए यहां में होनेवाली चर्चाएं और सुझाए गए उपाय बहुत लाभप्रद सिद्ध होंगे। गृहमंत्री ने कहाकि हर भगोड़े के खिलाफ निर्दयी दृष्टिकोण केसाथ समयबद्ध तरीके से उसे भारतीय न्याय व्यवस्था के सामने खड़ा करने का समय आ गया है। उन्होंने कहाकि किसीभी प्रकार के भगोड़े अपराधी को पकड़ने केलिए दो चीज़ों आश्वासन और पारिस्थितिकी तंत्र का संयोजन अनिवार्य होता है। उन्होंने कहाकि हमें भगोड़े अपराधियों के मन में से इस आश्वासन को खत्म करना चाहिएकि कानून उनतक नहीं पहुंच सकता। अमित शाह ने कहाकि कानूनी, वित्तीय और राजनीतिक सपोर्ट के इकोसिस्टम को समाप्त करना होगा, भगोड़ों का बाहर जाकर बनाए गए संस्थागत संपर्कों को समाप्त करना होगा। सम्मेलन के सत्रों में साइबर तकनीक, वित्तीय अपराध, पैसे के स्रोत और लेनदेन के प्रवाह का पता लगाना, प्रत्यर्पण की जटिल प्रक्रियाओं को सरल बनाना, भगोड़ों को वापिस लाना, उनके भौगोलिक ठिकानों का डेटाबेस तैयार करना और अंतर्राष्ट्रीय पुलिस केसाथ सहयोगकर इस तंत्र का उपयोग करना जैसे विषय शामिल हैं।
अमित शाह ने कहाकि भारतीय प्रत्यर्पण प्रणाली में दो चीज़ों की ज़रूरत है-उद्देश्य और प्रक्रिया। उन्होंने कहाकि प्रत्यर्पण प्रणाली के 5 उद्देश्य होने चाहिएं-सीमाओं के परे न्याय की पहुंच को सुनिश्चित करना, राष्ट्रीय सुरक्षा को सुदृढ़ कर इनकी पहचान की प्रणाली को अत्याधुनिक और सटीक बनाना, कानून और न्यायिक व्यवस्था केप्रति अंतर्राष्ट्रीय विश्वसनीयता को बढ़ाना, आर्थिक प्रणाली की रक्षा केसाथ दुनिया के देशों को इस चिंतन में शामिल करना और कानून के शासन को वैश्विक रूपसे स्वीकृति दिलाना। अमित शाह ने कहाकि निर्बाध संचार, रणनीतिक दृष्टिकोण और संगठित निष्पादन के प्रक्रिया को सुधारकर हम इस लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं। गृहमंत्री ने कहाकि सीबीआई के सहयोग से हर राज्य को अपने यहां एक ऐसी यूनिट खड़ी करनी होगी, जो राज्य में अपराध करके भागे हुए भगोड़ों को वापिस लाने के तंत्र की रचना करे और संपूर्ण सरकारी दृष्टिकोण से हमें इसे गति भी देनी होगी। उन्होंने उल्लेख कियाकि 2018 में हम भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम लाए, जिसके तहत सरकार को आर्थिक भगोड़ों की भारत में मौजूद संपत्तियों को ज़ब्त करने का अधिकार दिया गया और 4 साल में सरकार ने लगभग 2 बिलियन डॉलर की रिकवरी की है। उन्होंने कहाकि मनी लॉंडरिंग कानून को और अधिक सख्त औऱ पुख्ता किया गया है और 2014 से 2023 केबीच लगभग 12 बिलियन डॉलर की संपत्ति अटैच की गई है।
गृहमंत्री अमित शाह ने कहाकि सीबीआई ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भगोड़ों को पकड़ने केलिए एक विशेष वैश्विक संचालन केंद्र स्थापित किया है, जो दुनियाभर की पुलिस से रियल टाइम समन्वय स्थापित कर रहा है। उन्होंने जिक्र कियाकि जनवरी 2025 से सितंबर तक 189 से अधिक रेड कॉर्नर नोटिस जारी किए गए हैं, जो सीबीआई के इतिहास में सबसे ज्यादा है। उन्होंने कहाकि ऑपरेशन त्रिशूल केतहत बहुत अच्छी कार्रवाई हुई और उसके नतीजे भी मिले हैं, इसी प्रकार जनवरी 2025 में भारतपोल की स्थापना से अबतक बहुत अच्छे नतीजे प्राप्त हुए हैं। अमित शाह ने कहाकि भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में 355 और 356वें खंड में अनुपस्थिति में परीक्षण का प्रावधान रखा गया है। उन्होंने कहाकि भारत की आज़ादी केबाद पहलीबार इसे कानून में जगह मिली है, अगर कोई व्यक्ति भगोड़ा घोषित होता है तो उसकी अनुपस्थिति में भी अदालत उसके बचाव में एक वकील रखकर ट्रायल चला सकता है। उन्होंने कहाकि एकबार भगोड़े से सज़ायाफ्ता घोषित बनने केबाद अंतर्राष्ट्रीय कानूनों में उस व्यक्ति के स्टेटस में बहुत बड़ा बदलाव आ जाता है। उन्होंने कहाकि बीएनएसएस में उपलब्ध ट्रायल इन एब्सेंटिया के प्रावधान का अधिकतम उपयोग करें और भगोड़ों की अनुपस्थिति में ही ट्रायल चलाएं। गृहमंत्री ने कहाकि सम्मेलन में से निकले कार्रवाई योग्य बिंदु, भारतपोल और अनुपस्थिति में परीक्षण को समाहितकर एक ऐसा तंत्र बनाने की ज़रूरत है, जो राज्य की पुलिस और केंद्रीय एजेंसियों में भी हो और सीबीआई इसकी अधिकृत रूपसे देखभाल करे।
अमित शाह ने कहाकि भगोड़ों के डेटाबेस को हमें बहुत अच्छे तरीके से पूरे देश की पुलिस केसाथ साझा करने की व्यवस्था करनी चाहिए, नार्को, आतंकवाद, गैंग्स्टर और वित्तीय एवं साइबर अपराध केलिए समन्वय करने वाला एक फोकस समूह सभी राज्यों की पुलिस के अंदर स्थापित करना चाहिए। उन्होंने कहाकि आईबी और सीबीआई को मल्टी एजेंसी सेंटर से इस फोकस समूह को गति देने का काम करना चाहिए। अमित शाह ने कहाकि हर राज्य की पुलिस को प्रत्यर्पण के मामलों की प्रभावी तैयारी केलिए एक विशेषज्ञ विशेष प्रकोष्ठ की रचना जल्द से जल्द करनी चाहिए और इन विशेष प्रकोष्ठ को मार्गदर्शन देने केलिए सीबीआई में भी प्रत्यर्पण अनुरोधों की समीक्षा केलिए एक समर्पित प्रकोष्ठ बनाने की जरूरत है। अमित शाह ने कहाकि हमें अनुपस्थिति में परीक्षण की धारा का उपयोग अधिक से अधिक करना चाहिए और हर राज्य में अंतर्राष्ट्रीय मानांको के अनुरूप भगोड़ों केलिए विशेष कारागृह बनाने की ज़रूरत है। उन्होंने कहाकि हमें पासपोर्ट जारी करने की प्रक्रिया, कानून प्रवर्तन एजेसियों केबीच समन्वय और प्रोटकॉल विकसित करने होंगे, जिससे किसीभी पासपोर्ट धारक के विरूद्ध रेड कॉर्नर नोटिस जारी होने की प्रक्रिया शुरू होने पर उसके पासपोर्ट को रेडफ्लैग किया जा सके।
अमित शाह ने कहाकि मौजूदा ब्लू कॉनर नोटिस को रेड कॉर्नर नोटिस में बदलने केलिए एक विशेष अभियान और इसके लिए हर राज्य में एक विशेष प्रकोष्ठ बनाने की ज़रूरत है। उन्होंने कहाकि एमएसी केतहत इस पूरी प्रक्रिया को सुचारू रूपसे चलाने केलिए सीबीआई और आईबी को एक विशेष कार्यबल की रचना करनी चाहिए। उन्होंने जोर देते हुए कहाकि जबतक देश के अर्थतंत्र, संप्रभुता और सुरक्षा को नुकसानकर विदेशों में बैठे हुए लोगों के मन में हम भारतीय न्याय प्रणाली का भय खड़ा नहीं करते, तबतक हम देश को सुरक्षित नहीं कर सकते। इस अवसर पर केंद्रीय गृह सचिव, विदेश सचिव, निदेशक आसूचना ब्यूरो, केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो के निदेशक और गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।

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