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Tuesday 16 September 2025 06:03:07 PM
लखनऊ। भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय की ओरसे दो दिवसीय सीएसआईआर स्टार्टअप कॉन्क्लेव 2025 के समापन समारोह में केंद्रीय राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ जितेंद्र सिंह और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ शामिल हुए। इस अवसर पर विभिन्न संस्थानों के मध्य महत्वपूर्ण एमओयू का आदान प्रदान हुआ। डॉ जितेंद्र सिंह ने लखनऊ के ऐतिहासिक बॉटनिकल गार्डन में भारत के पहले स्वास्तिक आकार के कमल उद्यान का उद्घाटन किया। उन्होंने कहाकि 'नमोह 108' सहित दुनियाभर से 60 से अधिक कमल की किस्मों से सुसज्जित यह लोटस गार्डन न केवल किसानों, स्टार्टअप्स और उद्यमियों केलिए नए अवसर प्रदान करने का वादा करता है, बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नए भारत का एक नवाचार संचालित पर्यटन स्थल बनने की क्षमता भी रखता है। उन्होंने कहाकि लखनऊ वैज्ञानिक और उद्यमशीलता परिदृश्य में एक उभरता हुआ केंद्र है।
बॉटनिकल गार्डन में लगभग 930 वर्ग मीटर में फैला स्वास्तिक कमल उद्यान देश में अपनी तरह का पहला उद्यान है, इसमें वॉटर लिली के 50 वर्ग हैं, जिनका संरक्षण उन्नत आनुवंशिक विधियों, लाइट एक्सपोजर रेगुलेशन और वैज्ञानिक उपचारों से सुनिश्चित किया गया है। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि यह उद्यान जैव विविधता संरक्षण और उद्यमिता के केंद्र के तौरपर कार्य करेगा, साथही एक नए पर्यटन स्थल के रूपमें भी उभरेगा। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि यह न केवल एक अनूठा संरक्षण प्रयास है, बल्कि यह फूलों की खेती, स्वास्थ्य और कृषि आधारित उद्योगों में नए अवसर पैदा करने का एक मंच भी है। उन्होंने कहाकि यह सुविधा विज्ञान को आजीविका से जोड़ने के सरकार के दृष्टिकोण का प्रतीक है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सम्मेलन को संबोधित करते हुए उत्तर प्रदेश में सीएसआईआर की पहल की सराहना की और राज्य सरकार की ओरसे पूर्ण सहयोग का आश्वासन दिया। उन्होंने कहाकि अपने विशाल संस्थानों और कुशल जनशक्ति केसाथ प्रदेशन भारत की विज्ञान और स्टार्टअप यात्रा में अग्रणी भूमिका निभाने केलिए पूरी तरह तैयार है।
डॉ जितेंद्र सिंह ने बतायाकि लखनऊ में स्टार्टअप कॉन्क्लेव आयोजित करने का फैसला विज्ञान और नवाचार कार्यक्रमों के विकेंद्रीकरण के केंद्र सरकार के प्रयास का हिस्सा था। उन्होंने कहाकि हमने राष्ट्रीयस्तर के कार्यक्रमों को दिल्ली से बाहर जम्मू, हैदराबाद, मुंबई, भुवनेश्वर और अब लखनऊ जैसे शहरों तक पहुंचाने केलिए ध्यानपूर्वक काम किया है, इससे यह तय होता हैकि विज्ञान उन महत्वाकांक्षी शहरों तक पहुंचे, जहां अपार संभावनाएं हैं। उन्होंने कहाकि भारत में लगभग 50 प्रतिशत स्टार्टअप अब टियर-2 और टियर-3 शहरों से आते हैं। वर्ष 2015 से शुरू स्टार्टअप इंडिया का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहाकि केवल 350 स्टार्टअप से बढ़कर, आज भारत में 2 लाख से अधिक स्टार्टअप हैं, जिनमें से लगभग 60 प्रतिशत का नेतृत्व महिलाएं कर रही हैं, यह रोज़गार और उद्यमिता केप्रति हमारे नजरिए में बदलाव का प्रतीक है। सीएसआईआर लखनऊ की उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुए डॉ जितेंद्र सिंह ने नमोह 108 कमल, कीटप्रतिरोधी कपास के विकास और पुष्पकृषि मिशन के अंतर्गत पुष्पकृषि में किए गए नवोन्मेषी कार्यों का उल्लेख किया, जो किसानों और उद्यमियों को आजीविका के नए विकल्प प्रदान करता है।
डॉ जितेंद्र सिंह ने औषधि अनुसंधान में लखनऊ शहर के योगदान को भी याद किया, जहां कैंसर और फैटी लीवर रोग सहित 13 नई दवाएं स्थानीय स्तरपर विकसित की गई हैं। उन्होंने कहाकि लखनऊ विश्वस्तर पर खपत करनेवाले मेन्थॉल उत्पादों और लोकप्रिय पुदीने की गोलियों का जन्मस्थान है। उन्होंने कहाकि जिस पुदीने की लोजेंज को दुनिया जानती है, उसका निर्माण यहीं हुआ था। उन्होंने कहाकि हमारे वैज्ञानिक हर्बल माउथ फ्रेशनर जैसे नए मूल्य निर्माण करने वाले उत्पादों पर काम कर रहे हैं और मजबूत बाजार तैयार कर रहे हैं। इन वैज्ञानिक योगदानों को शहर की सांस्कृतिक पहचान से जोड़ते हुए डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि लखनऊ केवल इमाम बाड़ा जैसे ऐतिहासिक स्मारकों केलिए ही नहीं जाना जाता, यह 108 पंखुड़ियों वाले कमल और पुदीने से बने उत्पादों जैसे नवाचारों केलिए भी जाना जाता है, यह नए भारत का चेहरा है। डॉ जितेंद्र सिंह ने उत्तर प्रदेश में केंद्र सरकार की दीर्घकालिक पहलों पर भी प्रकाश डाला, जिनमें नोएडा में पहले नेशनल क्वांटम मिशन सेंटर की स्थापना, सेंट्रल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड को लाभकारी इकाई के रूपमें पुनर्जीवित करना और लखनऊ में नए जैव प्रौद्योगिकी औद्योगिक पार्क और विज्ञान संग्रहालय की योजनाएं शामिल हैं।
युवाओं की भूमिका का उल्लेख करते हुए डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि उद्यमी बनने केलिए पीएचडी की डिग्री जरूरी नहीं है। उन्होंने कहाकि हमारे कई सफल स्टार्टअप ऐसे युवाओं ने स्थापित किए हैं, जिनके पास भलेही बड़ी डिग्री न हो, लेकिन उनमें कौशल और एकाग्रता है। उन्होंने कहाकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का तैयार किया हुआ इकोसिस्टम प्रतिभाशाली किसीभी व्यक्ति केलिए प्रशिक्षण, वित्त पोषण और मार्गदर्शन सुनिश्चित करता है। उन्होंने उद्योग-अनुसंधान केबीच मजबूत संबंधों का आह्वान किया और कहाकि हर नए प्रयोग को पहले दिनसे ही उद्योग से जोड़ा जाना चाहिए। उन्होंने कहाकि हम जिन युवाओं को तैयार कर रहे हैं, वे 2047 में भारत का झंडा आगे लेकर जाएंगे, जब हम आजादी के 100 साल पूरे होने का जश्न मनाएंगे, यही विकसित भारत का विजन है। उन्होंने कहाकि वैज्ञानिकों, उद्यमियों और उद्योग प्रतिनिधियों वाले सम्मेलन का उद्देश्य एक सहयोगी इकोसिस्टम का निर्माण करना है, जहां अनुसंधान संस्थान, उद्योग और समाज नवाचार को प्रोत्साहन देने केलिए मिलकर काम करें।