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'शस्त्र पूजा भारत के सभ्यतागत दर्शन का प्रतिबिंब'

रक्षामंत्री ने भुज में सैनिकों के साथ शस्त्र पूजा कर विजयादशमी मनाई

'देश की सामूहिक शक्ति सुरक्षा व स्वतंत्रता केप्रति सम्मान का प्रतीक'

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Thursday 2 October 2025 04:01:11 PM

defence minister performed arms worship with soldiers in bhuj

भुज (गुजरात)। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने विजयादशमी पर आज भुज सैन्य स्टेशन में सैनिकों केसाथ शस्त्र पूजा की। रक्षामंत्री ने इस अवसर पर कहाकि इस दिन शस्त्र पूजन भारत के राष्ट्रीय जीवन से गहराई से जुड़ा है, क्योंकि यह देश की सामूहिक शक्ति, सुरक्षा और स्वतंत्रता केप्रति सम्मान का प्रतीक है। उन्होंने कहाकि शस्त्र पूजा केवल एक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि भारत के सभ्यतागत दर्शन का प्रतिबिंब है, जहां शस्त्रों को केवल हिंसा का साधन नहीं, बल्कि धर्म का साधन माना जाता है। उन्होंने भारतीय परंपरा से समानताएं दर्शाते हुए उल्लेख कियाकि भारत में किसान अपने हल की पूजा करते हैं, छात्र अपनी पुस्तकों का सम्मान करते हैं और सैनिक अपने शस्त्रों का सम्मान करते हैं। उन्होंने कहाकि शस्त्रों का प्रयोग हमेशा न्याय और धर्म की रक्षा केलिए किया जाना चाहिए। उन्होंने कहाकि ज्ञान अपनी रक्षा करने की शक्ति के बिना असुरक्षित है और ज्ञान के मार्गदर्शन के बिना शक्ति अराजकता का कारण बनती है, शास्त्र (ज्ञान) और शस्त्र (हथियार) का संतुलन हमारी सभ्यता को जीवंत और अजेय बनाए रखता है। रक्षामंत्री ने कहाकि ज्ञान में सदैव समृद्ध भारत आज रक्षा निर्माण में भी आत्मनिर्भर बन रहा है, रक्षा उपकरणों के निर्माता और निर्यातक के रूपमें उभर रहा है।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने शस्त्रों के महत्व पर प्रकाश डाला और देश की सीमाओं पर मौजूद चुनौतियों काभी ज़िक्र किया। उन्होंने कहाकि चुनौतियां कभीभी सरल नहीं रही हैं और ये अलग-अलग रूपों में सामने आती हैं। उन्होंने कहाकि कभी ये चुनौतियां बाहरी आक्रमण के रूपमें, कभी आतंकवादी संगठनों के रूपमें और आजकी दुनिया में ये साइबर युद्ध और सूचना युद्ध के रूपमें भी सामने हैं। रक्षामंत्री ने महात्मा गांधी की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उन्हें नैतिक साहस का एक ज्वलंत उदाहरण बताया। राजनाथ सिंह ने कहाकि गांधीजी ने अपनी आत्मा की शक्ति सेही उस समय के सबसे शक्तिशाली साम्राज्य को झुकने पर मजबूर कर दिया था। उन्होंने कहाकि हमारे सैनिकों में मनोबल और हथियार दोनों हैं, इसलिए कोईभी चुनौती उनके दृढ़ संकल्प के आगे नहीं टिक सकती। रक्षामंत्री ने कहाकि पाकिस्तान ने लेह से लेकर सर क्रीक सेक्टर तक भारत की सुरक्षा में सेंध लगाने की कोशिश की थी, लेकिन भारतीय सेना की त्वरित और प्रभावी जवाबी कार्रवाई ने न केवल पाकिस्तान की वायुरक्षा प्रणाली की कमज़ोरियों को उजागर किया, बल्कि दुनिया को यह स्पष्ट संदेश भी दियाकि भारत अपनी पसंद के समय, स्थान और तरीके से भारी नुकसान पहुंचा सकता है।
विजयादशमी की देशवासियों को बधाई और शुभकामनाएं देते हुए रक्षामंत्री ने कहाकि यह त्योहार हमें याद दिलाता हैकि बुराई चाहे कितनी भी शक्तिशाली क्यों न हो, अंततः धर्म की ही जीत होती है। रक्षामंत्री ने भारतीय सशस्त्र बलों के साहस, रणनीति और क्षमता की प्रशंसा करते हुए कहाकि उनकी तत्परता और दृढ़ संकल्प देश की संप्रभुता और अखंडता की रक्षा करते रहेंगे। रक्षामंत्री ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत के रक्षा नेटवर्क में सेंध लगाने की पाकिस्तान की कोशिशों को सफलतापूर्वक विफल करने केलिए भारतीय सशस्त्र बलों की सराहना की। रक्षामंत्री ने इस ओर ध्यान आकर्षित कियाकि आज़ादी के 78 साल बादभी पाकिस्तान सर क्रीक सेक्टर पर विवाद पैदा करता रहा है, जबकि भारत इस मुद्दे को बातचीत के ज़रिए सुलझाने के बार-बार प्रयास कर रहा है। उन्होंने कहाकि सर क्रीक सेक्टर में पाकिस्तान का हालही में सैन्य बुनियादी ढांचे का विस्तार उसकी नापाक मंशा को दर्शाता है। उन्होंने कहाकि सर क्रीक सेक्टर में पाकिस्तान के किसीभी दुस्साहस का निर्णायक जवाब दिया जाएगा, अगर पाकिस्तान ने सर क्रीक सेक्टर में कोई कार्रवाई करने की हिम्मत की तो उसका जवाब इतना कड़ा होगाकि वह इतिहास और भूगोल दोनों बदल देगा।
राजनाथ सिंह ने जिक्र कियाकि 1965 में भारतीय सेना ने लाहौर पहुंचकर साहस दिखाया था और 2025 में पाकिस्तान को याद रखना होगाकि कराची जाने वाला रास्ता भी क्रीक से होकर ही गुज़रता है। ऑपरेशन सिंदूर की रिकॉर्ड समय में सफलता की सराहना करते हुए राजनाथ सिंह ने कहाकि यह सशस्त्र बलों की निर्बाध एकजुटता के कारण ही संभव हो पाया। उन्होंने सैनिकों और अधिकारियों को उनकी रणनीति, साहस और क्षमता केलिए बधाई दी, जिसने किसीभी परिस्थिति में अपने विरोधियों को परास्त करने की भारत की क्षमता को सिद्ध किया। रक्षामंत्री ने कहाकि क्षमता होनेके बावजूद भारत ने संयम बरता, क्योंकि ऑपरेशन सिंदूर का उद्देश्य आतंकवाद का मुक़ाबला करना था, नकि व्यापक संघर्ष को भड़काना। उन्होंने कहाकि ऑपरेशन सिंदूर के सभी सैन्य उद्देश्य सफलतापूर्वक पूरे हुए और इस बातकी पुष्टि कीकि आतंकवाद के विरुद्ध भारत की लड़ाई पूरी दृढ़ता केसाथ जारी रहेगी। रक्षामंत्री ने आश्वासन दियाकि भारतीय सशस्त्र बल और सीमा सुरक्षा बल देश की सीमाओं की सजगता से रक्षा कर रहे हैं।
रक्षामंत्री ने थलसेना, नौसेना, वायुसेना की एकजुटता की सराहना की और उन्हें भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के तीन मज़बूत स्तंभ बताया। अभ्यास वरुणास्त्र का ज़िक्र करते हुए उन्होंने कहाकि इसने तीनों सेनाओं की संयुक्त परिचालन क्षमता और किसीभी खतरे को नाकाम करने की उनकी तत्परता को प्रदर्शित किया। राजनाथ सिंह ने रणनीतिक क्रीक क्षेत्रमें टाइडल इंडिपेंडेंट बर्थिंग सुविधा और संयुक्त नियंत्रण केंद्र का वर्चुअल उद्घाटन किया। उन्होंने कहाकि ये सुविधाएं एकीकृत तटीय अभियानों में प्रमुख रूपसे सहायक होंगी, साथही संयुक्त परिचालन क्षमता, तटीय सुरक्षा समन्वय और किसीभी खतरे पर त्वरित प्रतिक्रिया को महत्वपूर्ण रूपसे बढ़ाएंगी। रक्षामंत्री ने भुज सैन्य स्टेशन पर सैनिकों केसाथ बाराखाना में भाग लिया। उन्होंने जवानों को संबोधित किया, उनसे बातचीत की और ड्रोन प्रदर्शन, कलारीपयट्टू के मार्शल आर्ट प्रदर्शन का भी अवलोकन किया। शस्त्र पूजन कार्यक्रम में थलसेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी, दक्षिणी सेना कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल धीरज सेठ, 12 कोर जोधपुर के कोर कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल आदित्य विक्रम सिंह राठी और वायुसेना स्टेशन भुज के एयर ऑफिसर कमांडिंग एयर कमोडोर केपीएस धाम भी उपस्थित थे।

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