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'ऑपरेशन सिंदूर सेनाओं में तालमेल की तस्वीर'

'तीनों सेनाओं केलिए लॉजिस्टिक एप्लिकेशन पर काम शुरू हुआ'

सशस्त्र बलों के गहन एकीकरण की आवश्यकता है-रक्षामंत्री

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Tuesday 30 September 2025 05:59:28 PM

defense minister rajnath singh

नई दिल्ली। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने आज भारतीय वायुसेना के एक सेमिनार में कहा हैकि ऑपरेशन सिंदूर में तीनों सेनाओं के तालमेल ने एक एकीकृत, तत्क्षण संचालन की तस्वीर तैयार की, कमांडरों को समय पर निर्णय लेने, स्थितिजन्य जागरुकता बढ़ाने और अपने नुकसान के जोखिम को कम करने में सक्षम बनाया, यह निर्णायक परिणाम देने वाली एकजुटता का जीवंत उदाहरण है और यह सफलता भविष्य के सभी अभियानों केलिए एक मानक बननी चाहिए। रक्षामंत्री सुब्रतो पार्क नई दिल्ली में 'निरीक्षण एवं लेखापरीक्षा, विमानन मानकों और एयरोस्पेस सुरक्षा के क्षेत्रमें साझा शिक्षण के माध्यम से अधिकाधिक संयुक्तता को बढ़ावा-तालमेल' विषय पर आयोजित संगोष्ठी में बोल रहे थे। उन्होंने भारतीय वायुसेना की एकीकृत वायुकमान और नियंत्रण प्रणाली के महत्व पर प्रकाश डाला, जो भारतीय सेना के आकाशतीर और भारतीय नौसेना के त्रिगुण केसाथ मिलकर कामकर रही है और ऑपरेशन के दौरान एक संयुक्त संचालन का आधार बना रही है। उन्होंने आधुनिक युद्ध की मांगों को पूरा करने और रक्षा से जुड़ी तैयारियों को अधिकतम करने केलिए भारत के सशस्त्र बलों केलिए गहन एकीकरण अपनाने की आवश्यकता पर बल दिया।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहाकि युद्ध का विकसित होता स्वरूप पारंपरिक और गैर पारंपरिक खतरों के जटिल अंतर्संबंध केसाथ संयुक्तता को एक विकल्प के बजाय संचालन से जुड़ी एक प्रमुख आवश्यकता बनाता है। उन्होंने कहाकि आज संयुक्तता हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा और संचालन की प्रभावशीलता केलिए एक मूलभूत आवश्यकता बन गई है, जहां हमारी प्रत्येक सेना स्वतंत्र रूपसे जवाबी कार्रवाई की क्षमता रखती है, वहीं भूमि, समुद्र, वायु, अंतरिक्ष और साइबरस्पेस की परस्पर संबद्ध प्रकृति सहयोगात्मक शक्ति को विजय की सच्ची गारंटी बनाती है। राजनाथ सिंह ने हाल ही में कोलकाता में आयोजित संयुक्त कमांडरों के सम्मेलन को याद किया, जहां स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्तता और एकीकरण के महत्व पर बल दिया था। उन्होंने यह भी कहाकि यह सरकार की इस स्पष्ट प्रतिबद्धता को दर्शाता हैकि सशस्त्रबल न केवल मूल्यों और परंपराओं के मामले में दुनिया में सर्वश्रेष्ठ हों, बल्कि भविष्य केलिए तैयार प्रणालियों के अग्रदूत भी हों। उन्होंने कहाकि हमारी सरकार का उद्देश्य तीनों सेनाओं के बीच संयुक्तता और एकीकरण को और बढ़ावा देना है, यह केवल नीतिगत मामला नहीं है, बल्कि तेजी से बदलते सुरक्षा परिवेश में अस्तित्व का प्रश्न भी है। डिजिटल क्षेत्र की प्रगति पर प्रकाश डालते हुए रक्षामंत्री ने सेना के कम्प्यूटरीकृत इन्वेंट्री नियंत्रण समूह, वायुसेना की एकीकृत सामग्री प्रबंधन ऑनलाइन प्रणाली और नौसेना की एकीकृत रसद प्रबंधन प्रणाली की सराहना की। उन्होंने कहाकि इन प्रणालियों ने स्वचालन, जवाबदेही और पारदर्शिता लाकर रसद व्यवस्था को पहले ही पूरी तरह बदल दिया है।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने घोषणा कीकि तीनों सेनाओं केलिए लॉजिस्टिक एप्लिकेशन पर काम शुरू हो गया है, जो इन प्रणालियों को एकीकृत करके स्टॉक की साझा दृश्यता प्रदान करेगा, विभिन्न सेनाओं के संसाधनों का अनुकूलन करेगा और अनावश्यक खरीद को कम करेगा। राजनाथ सिंह ने बतायाकि दशकों से प्रत्येक सेना ने विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों में अपने विशिष्ट अनुभवों के आधार पर संचालन प्रणालियां, निरीक्षण संरचना और लेखा परीक्षा प्रणालियां विकसित की हैं। उन्होंने बर्फ से ढकी चोटियों से लेकर रेगिस्तान, घने जंगलों, गहरे समुद्र और खुले आसमान तक विविध परिस्थितियों में सशस्त्रबलों की सशक्तता की सराहना करते हुए कहाकि इस तरह का कठिन परिश्रम से अर्जित ज्ञान अक्सर एक ही सेना तक सीमित रह जाता है। उन्होंने कहाकि अगर सेना ने कुछ विकसित किया है तो वह सेना के पास ही रहा, अगर नौसेना या वायुसेना ने कुछ विकसित किया तो वह उनकी अपनी सीमाओं के भीतर ही रहा, इस विभाजन ने मूल्यवान सबक के पारस्परिक आदान-प्रदान को सीमित कर दिया है। रक्षामंत्री ने मांग करते हुए कहाकि आज के सुरक्षा परिवेश में इस विभाजन की जगह खुले आदान-प्रदान और सामूहिक शिक्षा को जगह मिलनी चाहिए।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहाकि दुनिया तेजी से बदल रही है, खतरे कहीं अधिक जटिल हो गए हैं और हमें यह स्वीकार करना होगाकि कोई भी सेना अलग-थलग होकर काम नहीं कर सकती, किसीभी संघर्ष में सफलता केलिए अब अंतरसंचालन और एकजुटता आवश्यक है। राजनाथ सिंह ने सचेत कियाकि विमानन सुरक्षा और साइबर युद्ध जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में मानकों में भिन्नता विनाशकारी हो सकती है। उन्होंने कहाकि निरीक्षण में एक छोटीसी भी त्रुटि व्यापक प्रभाव पैदाकर सकती है, अगर हमारी साइबर रक्षा प्रणालियां विभिन्न सेनाओं में भिन्न हैं, विरोधी इस अंतर का फायदा उठा सकते हैं। उन्होंने कहाकि हमें अपने मानकों में सामंजस्य स्थापित करके इन कमजोरियों को दूर करना होगा। राजनाथ सिंह ने कहाकि एकीकरण में प्रत्येक बल की विशिष्टता का सम्मान होना चाहिए, हिमालय की ठंड, रेगिस्तान की गर्मी से अलग होती है, नौसेना को थलसेना और वायुसेना से अलग चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, हम जहां उपयुक्त न हों, वहां एकरूपता नहीं थोप सकते। उन्होंने कहाकि हमारा काम एक साझा बेसलाइन बनाना है, जो अंतर संचालन और विश्वास का निर्माण करते हुए विशिष्टता को बनाए रखे।
रक्षामंत्री ने कहाकि एकीकरण हासिल करने केलिए न केवल संरचनात्मक सुधार, बल्कि मानसिकता में बदलाव की भी आवश्यकता है। उन्होंने सभी स्तरों पर वरिष्ठ नेतृत्व से अपनी टीमों को एकीकरण का महत्व बताने का आह्वान किया। उन्होंने मानाकि ऐसा बदलाव आसान नहीं होगा और इसके लिए पुरानी आदतों और संस्थागत सीमाओं से उबरना होगा। उन्होंने कहाकि संयुक्तता की ओर बढ़ते हुए हमें चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा, लेकिन संवाद, समझ और परंपराओं के सम्मान के जरिए हम इन बाधाओं को पारकर सकते हैं। उन्होंने कहाकि हर सेवा को यह महसूस होना चाहिए कि दूसरे उनकी चुनौतियों को समझते हैं, और जब हम मिलकर नई प्रणालियां बनाते हैं, तो हर परंपरा का सम्मान किया जाना चाहिए। राजनाथ सिंह ने सशस्त्र बलों से आग्रह कियाकि वे अंतरराष्ट्रीय स्तरपर सर्वोत्तम प्रणालियों का अध्ययन जारी रखें और उन्हें भारत के संदर्भ में ढालें। उन्होंने यह भी कहाकि हम दूसरों से सीख सकते हैं, लेकिन हमारे जवाब भारतीय होने चाहिएं, जो हमारी भौगोलिक स्थिति, हमारी जरूरतों और हमारी संस्कृति के अनुरूप हों, तभी हम ऐसी प्रणालियां बना सकते हैं, जो वास्तव में टिकाऊ और भविष्य केलिए तैयार हों।
राजनाथ सिंह ने हर संभव तरीके से संयुक्तता का समर्थन करने की सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई और भारतीय तटरक्षक बल, सीमा सुरक्षा बल और नागरिक उड्डयन महानिदेशालय सहित सभी सेनाओं और संस्थानों से इस दिशा में निर्णायक रूपसे आगे बढ़ने का आह्वान किया। उन्होंने कहाकि जब हमारी सशस्त्र सेनाएं एकजुटता, सामंजस्य और पूर्ण समन्वय से कार्य करेंगी, तभी हम सभी क्षेत्रोंमें विरोधियों का मुकाबला कर पाएंगे और भारत को गौरव की नई ऊंचाइयों पर ले जा पाएंगे, यह समय की मांग है और मुझे विश्वास हैकि हम इसे अवश्य प्राप्त करेंगे। राजनाथ सिंह ने प्रादेशिक सेना के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल राजू बैजल केप्रति संवेदना व्यक्त की, जिनका आज सुबह निधन हो गया। इस अवसर पर चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ अनिल चौहान, नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी, वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह, महानिदेशक (निरीक्षण एवं सुरक्षा) एयर मार्शल मकरंद रानाडे, सशस्त्र बल, आईसीजी, बीएसएफ, डीजीसीए के वरिष्ठ अधिकारी और पूर्व सैनिक उपस्थित थे। सेमिनार के मुख्य परिणाम निरीक्षण प्रक्रियाओं में अधिक समानता की आवश्यकता और विमानन क्षेत्रमें सेनाओं केबीच अंतर संचालन क्षमता बढ़ाने के अवसरों की खोज पर आम सहमति थे। संयुक्त एयरोस्पेस सुरक्षा के मुद्दे पर सत्र में सुरक्षा मानकों को बेहतर बनाने और उभरती चुनौतियों से निपटने केलिए एकीकृत दृष्टिकोण के महत्व पर प्रकाश डाला गया। सेमिनार का समापन सहयोग बढ़ाने और विशेषज्ञता साझा करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूपमें हुआ।

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