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Saturday 27 September 2025 04:29:49 PM
नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने भू-विज्ञान क्षेत्रमें उत्कृष्ट योगदान वाले भू-विज्ञानियों को राष्ट्रीय भू-विज्ञान पुरस्कार-2024 प्रदान किए हैं। राष्ट्रपति भवन के सांस्कृतिक केंद्र में हुए समारोह में राष्ट्रपति ने कहाकि भू-वैज्ञानिक प्राकृतिक संपदाओं के संरक्षक होने केसाथ भविष्य के निर्माता भी हैं। उन्होंने कहाकि ये पुरस्कार भू-विज्ञान क्षेत्रमें उत्कृष्ट उपलब्धियों की प्रतिष्ठित मान्यता के प्रतीक हैं, जो वैज्ञानिक उत्कृष्टता और नवोन्मेषण को प्रोत्साहित करने, सतत विकास और भारत की खनिज एवं ऊर्जा सुरक्षा में योगदान देने में उल्लेखनीय भूमिका निभाते हैं। उन्होंने कहाकि पृथ्वी की सतह पर पाए जानेवाले खनिजों ने मानव जीवन का आधार तैयार किया है और व्यापार एवं उद्योग को आकार दिया है। राष्ट्रपति ने कहाकि पाषाणयुग, कांस्ययुग और लौहयुग जैसे मानव सभ्यता के विकास के प्रमुख चरण खनिजों के नाम पर हैं, लोहे और कोयले जैसे खनिजों के बिना औद्योगीकरण की कल्पना भी नहीं की जा सकती।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहाकि खनन आर्थिक विकास केलिए संसाधन प्रदान करता है और रोज़गार के व्यापक अवसर पैदा करता है, हालाकि इसके कई प्रतिकूल प्रभाव भी हैं जैसे-निवासियों का विस्थापन, वनों की कटाई, वायु और जल प्रदूषण। उन्होंने कहाकि खनन प्रक्रिया के दौरान सभी नियमों का सख्ती से पालन किया जाना चाहिए, खदानों को बंद करते समयभी प्रक्रियाओं का पालन किया जाना चाहिए, ताकि यह सुनिश्चित हो सकेकि निवासियों और वन्यजीवों को कोई हानि न हो। राष्ट्रपति ने कहाकि भारत तीन तरफ़ से महासागरों से घिरा हुआ है, इन महासागरों की गहराई में कई बहुमूल्य खनिजों का भंडार है और देश के विकास केलिए इनके उपयोग में भूवैज्ञानिकों की महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने भूविज्ञानियों से ऐसी प्रौद्योगिकियां विकसित करने का आग्रह किया, जो समुद्री जैव विविधता को कम से कम हानि पहुंचाते हुए राष्ट्र के लाभ केलिए समुद्र तल के नीचे के संसाधनों का दोहन कर सकें। राष्ट्रपति ने कहाकि भूवैज्ञानिकों की भूमिका केवल खनन तकही सीमित नहीं है, भूपर्यावरणीय स्थिरता पर खनन के प्रभाव पर भी उन्हें ध्यान देने की आवश्यकता है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहाकि खनिज उत्पादों के मूल्यवर्धन और अपव्यय को न्यूनतम करने केलिए प्रौद्योगिकी का विकास और उपयोग आवश्यक है। राष्ट्रपति को यह जानकर प्रसन्नता हुईकि खान मंत्रालय नवोन्मेषण के जरिए खनन उद्योग में एआई और ड्रोन सर्वेक्षणों को बढ़ावा दे रहा है। उन्होंने खदानों से निकलने वाले अवशेषों से मूल्यवान तत्वों की प्राप्ति केलिए मंत्रालय के प्रयास सराहे। राष्ट्रपति ने कहाकि दुर्लभ मृदा तत्व आधुनिक प्रौद्योगिकी की रीढ़ हैं, ये स्मार्टफोन और इलेक्ट्रिक वाहनों से रक्षा प्रणालियों और स्वच्छ ऊर्जा समाधानों तक हर चीज़ को शक्ति प्रदान करते हैं। उन्होंने कहाकि वर्तमान भू-राजनीतिक परिस्थितियों को देखते हुए भारत को इनके उत्पादन में आत्मनिर्भर होना होगा, विकसित भारत के लक्ष्य और राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करने केलिए यह अत्यंत जरूरी है। उन्होंने कहाकि दुर्लभ मृदा तत्वों को इसलिए दुर्लभ नहीं माना जाता, क्योंकि वे बहुत कम हैं, बल्कि इसलिएकि उन्हें परिष्कृत करके उपयोगी बनाने की प्रक्रिया अत्यंत जटिल है। उन्होंने कहाकि इस प्रक्रिया को पूरा करने केलिए स्वदेशी प्रौद्योगिकी विकसित करना राष्ट्रीय हित में एक बड़ा योगदान होगा।
गौरतलब हैकि भारत सरकार के खनन मंत्रालय का 1966 में स्थापित राष्ट्रीय भूविज्ञान पुरस्कार, भूविज्ञान के विभिन्न क्षेत्र जैसे-खनिज खोज एवं अन्वेषण, मूलभूत व अनुप्रयुक्त भूविज्ञान, खनन और संबद्ध क्षेत्रोंमें असाधारण उपलब्धियों, उत्कृष्ट योगदान केलिए व्यक्तियों और टीमों को मान्यता प्रदान करता है। इसवर्ष 20 प्रख्यात भूवैज्ञानिकों को तीन श्रेणियों में सम्मानित किया गया, इनमें आजीवन उपलब्धि केलिए राष्ट्रीय भूविज्ञान पुरस्कार, राष्ट्रीय युवा भूवैज्ञानिक पुरस्कार और राष्ट्रीय भूविज्ञान पुरस्कार प्रमुख थे। वर्ष 2024 का राष्ट्रीय भूविज्ञान लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार प्रोफेसर श्याम सुंदर राय वरिष्ठ वैज्ञानिक आईएनएसए और विजिटिंग प्रोफेसर आईआईएसईआर पुणे को प्रायद्वीपीय भारत, पश्चिमी हिमालय और लद्दाख में अग्रणी भूकंपीय अनुसंधान सहित ठोस पृथ्वी और अन्वेषण भूभौतिकी में उनके उत्कृष्ट योगदान केलिए प्रदान किया गया है। राष्ट्रीय युवा भूवैज्ञानिक पुरस्कार-2024 भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के वरिष्ठ भूविज्ञानी सुशोभन नियोगी को मेघालय, झारखंड के मोबाइल और थ्रस्ट बेल्ट, बुंदेलखंड क्रेटन आदि के टेक्टोनिक विकास पर उनके अग्रणी कार्य केलिए प्रदान किया गया है, जिससे सुपरकॉन्टिनेंट असेंबली और खनिज उत्पत्ति के ज्ञान में वृद्धि हुई।
कोयला एवं खनन मंत्री जी किशन रेड्डी ने पुरस्कृत भूविज्ञानियों को बधाई दी और कहाकि भूविज्ञान विकसित भारत 2047 लक्ष्य और औद्योगिक एवं प्रौद्योगिकीय विकास को गति देने वाला एक स्तंभ है। उन्होंने महत्वपूर्ण खनिजों की खोज, खनन, प्रसंस्करण और अधिग्रहण को बढ़ावा देने वाले राष्ट्रीय खनिज मिशन का उल्लेख किया। जी किशन रेड्डी ने भूवैज्ञानिकों, विशेषकर युवाओं से भूविज्ञान इकोसिस्टम में 360 डिग्री परिवर्तन लाने का आग्रह किया तथा लचीले और टिकाऊ खनन क्षेत्र केलिए निजी क्षेत्रकी भागीदारी, अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और सर्वोत्तम प्रथाओं को अपनाने की आवश्यकता पर जोर दिया। खनन मंत्रालय में सचिव पीयूष गोयल ने राष्ट्रीय भूविज्ञान पुरस्कारों के इतिहास को रेखांकित किया और भूविज्ञान में नवोन्मेषण एवं वैज्ञानिक प्रगति केलिए मंत्रालय की प्रतिबद्धता की पुष्टि की। पीयूष गोयल ने खनन और खनिज (विकास और विनियमन) अधिनियम में संशोधन पर प्रकाश डाला, जिससे खनिज नीलामी व्यवस्था और अधिक सुव्यवस्थित कर दी गई है।
खनन मंत्रालय में सचिव पीयूष गोयल ने कहाकि ये पहलें भारत की खनिज क्षमता को उजागर करने, विकसित भारत 2047 और आत्मनिर्भर भारत विजन को बढ़ावा देने के राष्ट्रीय प्रयास को दर्शाती हैं। उन्होंने कहाकि भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण की लगभग 50 प्रतिशत परियोजनाएं भारत की स्वच्छ ऊर्जा और राष्ट्रीय खनिज मिशन के लक्ष्यों के अनुरूप महत्वपूर्ण और रणनीतिक खनिजों पर केंद्रित हैं। उन्होंने बतायाकि जीएसआई अपनी स्थापना का 175वां वर्ष मना रहा है और यह भारत की भूवैज्ञानिक प्रगति का केंद्र है। उन्होंने कहाकि जीएसआई ने 500 से ज़्यादा खनिज ब्लॉकों की पहचान, खनिज नीलामी और भारत की संसाधन अर्थव्यवस्था को ऊर्जावान बनाकर उल्लेखनीय भूमिका निभाई है। पुरस्कार समारोह में भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के महानिदेशक असित साहा और कई वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।