स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Wednesday 24 September 2025 03:10:14 PM
नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने विभिन्न श्रेणियों में 71वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार प्रदान किए। उन्होंने भारतीय सिनेमा खासतौर पर दक्षिण भारत के प्रसिद्ध अभिनेता, निर्देशक और निर्माता मोहनलाल विश्वनाथन नायर को वर्ष 2023 का प्रतिष्ठित दादा साहब फाल्के अवॉर्ड प्रदान किया। राष्ट्रपति ने इस अवसर पर कहाकि मोहनलाल विश्वनाथन नायर ने सिनेमा और रंगमंच पर न केवल अपनी असाधारण प्रतिभा का प्रदर्शन किया है, बल्कि अनुकरणीय रूपसे भारत के सांस्कृतिक मूल्यों को भी अक्षुण्ण रखा है। राष्ट्रपति ने उनके महाभारत पर आधारित संस्कृत के एकांकी नाटक कर्णभरम से लेकर वानप्रस्थम, पुरस्कृत अभिनय में भारत की सांस्कृतिक विरासत के शानदार चित्रण को याद करते हुए उन्हें हार्दिक बधाई दी। उन्होंने कहाकि मोहनलाल विश्वनाथन नायर का नाम बड़ा सम्मान अर्जित करता है और पीढ़ी दर पीढ़ी दर्शकों के दिलों में एक विशेष स्थान रखता है। फाल्के सम्मान से अभिभूत मोहनलाल नायर ने कहाकि सिनेमा उनकी धड़कन है, इस सम्मान ने उनकी कला की प्रतिबद्धता और संकल्प को और ज्यादा मजबूत किया है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने जब मोहनलाल नायर को दादा साहब फाल्के सम्मान प्रदान किया तो ऐसा लगा कि जैसे भारतीय सिनेमा की व्यापक कहानी में एक महत्वपूर्ण मोड़ आ गया हो। मोहनलाल नायर एक ऐसे अभिनेता हैं, जिन्होंने पर्दे पर हजारों जिंदगियों को जिया है, जैसे-कॉलेज का एक शरारती लड़का, एक दुखी आम आदमी, एक करिश्माई सैनिक, एक त्रुटिपूर्ण नायक, एक अविस्मरणीय दोस्त। उन्होंने 360 से ज्यादा भारतीय और मलयालम सिनेमाओं को आकार दिया है और इसे दुनियाभर तक पहुंचाया है, दर्शकों को हंसाया है, रुलाया है और उन्हें सोचने पर मजबूर किया है। पद्मभूषण, पद्मश्री और पांच राष्ट्रीय सम्मान उन्हें पहले ही मिल चुके हैं। फाल्के सम्मान से विज्ञान भवन तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। मोहनलाल नायर ने उसे बड़ी विनम्रता केसाथ दर्शकों और सहयोगियों के सामने झुककर प्रणामकर राष्ट्रपति से प्राप्त किया। उस क्षण तालियां सिर्फ एक अभिनेता केलिए नहीं थीं, बल्कि भारतीय सिनेमा की कहानियों, यादों और साझा भावनाओं केलिए थीं। दादा साहब फाल्के अवॉर्ड स्वीकार करते हुए मोहनलाल ने सिनेमा में अपने सफर को आकार देने वालों को धन्यवाद किया। मोहनलाल नायर ने कहाकि उन्होंने जिन भी फ़िल्मों में काम किया है, उनका उनके चरित्र पर गहरा प्रभाव है, उन्हें इस माध्यम से सिनेमा की शक्ति का एहसास हुआ है। मोहनलाल नायर ने सम्मान को जादुई और पवित्र बताते हुए इसे मलयालम फिल्म उद्योग के दिग्गज कलाकारों को समर्पित किया और कहाकि यह पूरे समुदाय का सम्मान है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहाकि भारत में सिनेमा लोकतंत्र के सार और भारत की विविधता को दर्शाता है, जिस प्रकार अनेक भारतीय भाषाओं में साहित्य का विकास हुआ है, उसी प्रकार सिनेमा भी भारत की सांस्कृतिक समृद्धि की जीवंत अभिव्यक्ति है। उन्होंने कहाकि फिल्में न केवल मनोरंजन करती हैं, बल्कि समाज को जागृत करने, संवेदनशीलता और युवाओं में जागरुकता का माध्यम हैं। राष्ट्रपति ने सिनेमा में महिलाओं के बढ़ते प्रतिनिधित्व का उल्लेख किया और इस बातपर जोर दियाकि समान अवसर मिलने पर वे उत्कृष्टता केसाथ वे असाधारण सफलता प्राप्त कर सकती हैं। उन्होंने ऑन और ऑफ स्क्रीन महिलाओं की सार्थक भागीदारी सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर बल दिया। राष्ट्रपति ने बच्चों, युवाओं, उभरती प्रतिभाओं के योगदान की भी सराहना की, जो फिल्म उद्योग में रचनात्मकता और नवीनता ला रहे हैं। उन्होंने पुरस्कार प्राप्त करनेवाले छह बाल कलाकारों को बधाई दी और सिनेमा में दिखाई जानेवाली पर्यावरण संबंधी चिंताओं केप्रति बढ़ती जागरुकता का स्वागत किया। राष्ट्रपति ने फ़िल्म उद्योग से जुड़े लोगों से आग्रह कियाकि वे यह सुनिश्चित करेंकि भारतीय फ़िल्मों को ज़्यादा से ज़्यादा स्वीकृति मिले, उनकी लोकप्रियता बढ़े तथा उन्हें वैश्विक स्तरपर पहचान मिले।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु यह जानकर प्रसन्न हुईंकि आजकल महिला सशक्तिकरण केंद्रित अच्छी फ़िल्में बन रही हैं। उन्होंने कहाकि हम देखते हैंकि महिलाएं किसी न किसी हद तक गरीबी, पितृसत्ता या पूर्वाग्रह से जूझती हैं। उन्होंने बतायाकि पुरस्कृत फ़िल्मों में अपने बच्चों के नैतिक मूल्यों को गढ़ने वाली माताओं, सामाजिक रूढ़ियों का सामना करने केलिए एकजुट होती महिलाओं, घर, परिवार और सामाजिक व्यवस्था की जटिलताओं केबीच महिलाओं की दुर्दशा और पितृसत्ता की असमानताओं के विरुद्ध आवाज़ उठाने वाली साहसी महिलाओं की कहानियां शामिल हैं। उन्होंने ऐसे संवेदनशील फ़िल्म निर्माताओं की सराहना की। राष्ट्रपति ने कहाकि भारत में दुनिया का सबसे बड़ा फिल्म उद्योग है, जो अपनी सबसे प्रभावशाली और लोकप्रिय कला से दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र और सबसे विविध समाज का प्रतिनिधित्व करता है। उन्होंने कहाकि सिनेमा से जुड़े हर व्यक्ति में एक भारतीय चेतना, भारतीय संवेदनशीलता है, जो सभी स्थानीय संदर्भों को जोड़ती है, जिस प्रकार भारतीय साहित्य अनेक भाषाओं में रचा जाता है, उसी प्रकार भारतीय सिनेमा भी अनेक भाषाओं, बोलियों, क्षेत्रों और स्थानीय परिवेशों में विकसित हो रहा है। उन्होंने कहाकि भारतीय फिल्में स्थानीय और राष्ट्रीय दोनों हैं। राष्ट्रपति ने कहाकि सिनेमा सिर्फ़ एक उद्योग नहीं है, बल्कि समाज और राष्ट्र में जागरुकता बढ़ाने, नागरिकों को ज़्यादा संवेदनशील बनाने का एक सशक्त माध्यम है। उन्होंने कहाकि किसी फ़िल्म केलिए लोकप्रियता अच्छी बात है, लेकिन जनहित में विशेषकर युवा पीढ़ी के हित में यह और भी बेहतर है।
सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने मोहनलाल नायर को भारतीय सिनेमा का एक सच्चा दिग्गज कहकर सम्मानित किया। उन्होंने याद दिलायाकि भारत सरकार ने वेव्स 2025 का वादा किया था, उसे पूरा किया है, जो एक ऐसा मानक आयोजन है, जो भारत को वैश्विक फिल्म और कंटेंट निर्माण में अग्रणी स्थान पर स्थापित करता है। उन्होंने कहाकि दुनिया अब भारत की ओर देख रही है, वेव्स बाजार जैसी पहल भारतीय रचनाकारों को व्यापक बाजारों तक पहुंचने में सक्षम बना रही हैं। अश्विनी वैष्णव ने कहाकि देश का पहला अंतर्राष्ट्रीय सिनेमा एवं प्रौद्योगिकी संस्थान मुंबई एनएफडीसी परिसर में काम करना शुरू कर चुका है, जहां मेटा, एनवीडिया, माइक्रोसॉफ्ट, गूगल सहित प्रमुख वैश्विक साझेदारों के सहयोग से 17 पाठ्यक्रम पहले से ही चल रहे हैं। भारत को एक वैश्विक कंटेंट अर्थव्यवस्था के रूपमें स्थापित करने के प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण के अनुरूप अश्विनी वैष्णव ने फिल्म उपकरणों के स्थानीय उत्पादन को बढ़ावा देने और लाइव कॉन्सर्ट अर्थव्यवस्था को मजबूत करने केलिए नीतियां बनाने के उद्देश्य को रेखांकित किया। अश्विनी वैष्णव ने कहाकि मॉडल स्टेट सिनेमा रेगुलेशन रूल्स तैयार किए जा रहे हैं, जो 2047 तक एक विकसित भारत के सरकार के दृष्टिकोण को स्पष्ट करते हैं, जिसमें क्रिएटर अर्थव्यवस्था इस यात्रा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के सचिव संजय जाजू ने कहाकि सिनेमा कहानियों, सपनों और साझा अनुभवों का एक उत्सव है। इसवर्ष को एक महान वर्ष और कई वर्षों से अलग एक बताते हुए उन्होंने आशुतोष गोवारिकर, पी शेषाद्रि और गोपालकृष्ण पई सहित जूरी सदस्यों की सराहना की। उन्होंने वेव्स समिट की सफलता को दोहराया, जिसमें सिनेमा, संगीत, गेमिंग और तकनीक को एकसाथ लाया गया है। उन्होंने ‘एक देश, हजारों कहानियां, एक जुनून’ की भावना पर जोर दिया, जो भारत के जीवंत रचनात्मक इकोसिस्टम को दर्शाता है। अभिनेता शाहरुख खान को फिल्म जवान केलिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता घोषित किया गया। इस फिल्म उनके शानदार अभिनय में करिश्मे और भावनात्मक गहराई का मिश्रण था, ऐसा किरदार जिसमें अभिनय और विलक्षणता, दोनों की ज़रूरत थी, उन्होंने फिल्म को प्रभावशाली ढंग से आगे बढ़ाया और ऐसे पल दिए जो जितने अविस्मरणीय थे, उतने ही दिल को छू लेने वाले भी। अभिनेता विक्रांत मैसी को 12वीं फेल केलिए चुना गया, जिसमें उन्होंने एक ऐसे युवक का किरदार निभाया जो शांत और दृढ़ संकल्प केसाथ असफलताओं से जूझता है और जिसकी सफलता ने लाखों लोगों को प्रेरित किया। दोनों पुरस्कारों ने भारतीय सिनेमा की दोहरी भावना को प्रतिबिंबित किया, एक जीवन से भी बड़ी कहानी कहने की भव्यता और दूसरी सरल, मानवीय दृढ़ता की ईमानदारी।
अभिनेत्री रानी मुखर्जी को मिसेज चटर्जी वर्सेस नॉर्वे केलिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार मिला। एक माँ के दर्द और उसकी ताकत में रचे-बसे उनके किरदार ने कला और जीवंत अनुभव केबीच की रेखा को धुंधला कर दिया और हॉल के हर कोने से सहानुभूति बटोरी। फिल्मों को उनकी आत्मा देने वाली सहायक भूमिकाओं को भी उतना ही सम्मान मिला है। विजय राघवन और मुथुपेट्टई सोमू भास्कर को सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता का सम्मान मिला। उनकी प्रतिभा ने साबित कियाकि कैसे छोटी सी भूमिकाएं पूरी कहानी का भार उठा सकती हैं। सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री का पुरस्कार उर्वशी और जानकी बोदीवाला को मिला, जिनके अभिनय में प्रामाणिकता और गहराई झलकती है, जिसने दर्शकों के चेहरे और भावनाओं को ऐसे जीवंत कर दियाकि वे उसे कभी नहीं भूल पाएंगे। बारहवीं फेल को सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म घोषित किया गया, इसकी दृढ़ संकल्प की कहानी अनगिनत जीवनों को दर्शाती है। फ़्लावरिंग मैन को सर्वश्रेष्ठ गैरफीचर फिल्म और गॉड वल्चर एंड ह्यूमन सर्वश्रेष्ठ वृत्तचित्र चुना गया, जिसने सिनेमा की उन सच्चाइयों को दर्ज करने, उनपर सवाल उठाने और उन्हें उजागर करने की क्षमता को प्रदर्शित किया जो अक्सर अनदेखी रह जाती हैं।
न्यूर फ्रंटियर्स में हनुमान को एवीजीसी (एनीमेशन, विजुअल इफेक्ट्स, गेमिंग और कॉमिक्स) में सर्वश्रेष्ठ फिल्म के रूपमें सम्मानित किया गया है, जो दृश्य कहानी कहने में भारत की बढ़ती ताकत को मान्यता देता है, जबकि गिद्ध: द स्कैवेंजर को सर्वश्रेष्ठ लघु फिल्म का पुरस्कार मिला। ये राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार केवल उपलब्धियों की सूची नहीं थे, बल्कि आवाजों, सितारों और नवागंतुकों, मुख्यधारा और प्रयोगात्मक लोगों का एक मोजेक थे, जो एकबार फिर साबित करते हैंकि भारतीय सिनेमा एक राष्ट्र के सपनों और उसके भविष्य को आकार देने के आत्मविश्वास, दोनों का प्रतीक है। विज्ञान भवन दिल्ली में राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार समारोह में कलाकारों, गणमान्य व्यक्तियों और प्रशंसकों का यह समूह राष्ट्र के हृदय को आकार देनेवाली कहानियों के एक ही भावनापूर्ण उत्सव से एकजुट था।